“ उस व्यक्ति के बारे में क्या कहा गया है जिसके अंतिम शब्द « لَا إِلٰهَ إِلَّا الله » हों ” |
2 |
633 سے 634 |
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“ जनाज़े के साथ जाने का हुक्म ” |
1 |
635 |
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“ मृतक को कफ़नाने के बाद देखना सुन्नत है ” |
2 |
636 سے 637 |
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“ जो कोई भी मृतक के परिजनों को उसकी मृत्यु की सूचना देता है ” |
2 |
638 سے 639 |
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“ उस व्यक्ति की फ़ज़ीलत जिसका बच्चा मरजए और वह सवाब समझे ” |
1 |
640 |
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“ ताक़ यानि बे-जोड़ संख्या में ग़ुस्ल देना सुन्नत है ” |
1 |
641 |
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“ मृतक के दाहिनी ओर से ग़ुस्ल शुरू करना चाहिए ” |
1 |
642 |
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“ सफ़ेद कपड़े का कफ़न सुन्नत है ” |
1 |
643 |
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“ दो कपड़ों में कफ़न देना भी सुन्नत है ” |
1 |
644 |
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“ मृतक को कफ़न देना |
2 |
645 سے 646 |
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“ कफ़न इतना हो कि सिर या पांव को ढांप सके तो मृतक के सिर को ढांप देना चाहिए ” |
1 |
647 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ के समय में जिस व्यक्ति ने अपना कफ़न तैयार किया था, उसपर कोई आपत्ति नहीं की गई ” |
1 |
648 |
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“ महिलाओं को जनाज़े के साथ जाने की अनुमति नहीं है ” |
1 |
649 |
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“ महिलाओं को अपने पति के सिवा किसी और के लिए शोक करना ” |
1 |
650 |
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“ क़ब्रों पर जाना ( केसा ) है ” |
1 |
651 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ ने कहा कि मृतक के रिश्तेदारों के रोने से कभी-कभी मृतक को अज़ाब होता है ( यह तब होता है ) जब मातम करना उसके परिवार की रीति हो ” |
4 |
652 سے 655 |
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“ मातम करना और रोना पीटना मकरूह है ” |
1 |
656 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ ने कहा कि जो अपना चेहरा पीटता है वह हम में से नहीं है ” |
1 |
657 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ ने सअद बिन ख़ोला के लिए शोक व्यक्त किया ” |
1 |
658 |
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“ मुसीबत के समय सिर मुंडवाने पर रोक ” |
1 |
659 |
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“ जो कोई शोक में बैठ जाए कि ( उसके चेहरे पर ) दुख के लक्षण नज़र आएं ” |
1 |
660 |
|
“ जिसने मुसीबत के समय किसी से अपना दुख व्यक्त नहीं किया ” |
1 |
661 |
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“ नबी करीम ﷺ ने ( अपने बेटे इब्राहीम के लिए ) कहा कि हम तुम्हारी जुदाई से दुखी हैं ” |
1 |
662 |
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“ रोगी के पास रोना मना है ” |
1 |
663 |
|
“ मातम, रोने पीटने का मना होना और उस से डांटना ” |
1 |
664 |
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“ जनाज़े के लिए खड़ा होना सुन्नत है ” |
1 |
665 |
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“ जनाज़े के लिए उठे तो फिर कब बैठे ? ” |
1 |
666 |
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“ यहूदी के जनाज़े पर खड़ा होना ” |
1 |
667 |
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“ पुरुषों को जनाज़ा उठाना चाहिए, महिलाओं को नहीं ” |
1 |
668 |
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“ जनाज़े को जल्दी लेजाना सुन्नत है ” |
1 |
669 |
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“ जनाज़े के साथ जाने की फ़ज़ीलत ” |
1 |
670 |
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“ क़ब्रों पर मस्जिद बनाने का घिनौना काम ” |
1 |
671 |
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“ निफ़ास में मरने वाली महिला के लिए नमाज़ जनाज़ा पढ़ना सही है ” |
1 |
672 |
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“ नमाज़ जनाज़ा में सूरह अल-फ़ातिहा का पढ़ना ” |
1 |
673 |
|
“ मुर्दा जूतों की आवाज़ सुनता है ” |
1 |
674 |
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“ पवित्र स्थान में दफ़न होने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति ” |
1 |
675 |
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“ शहीद की नमाज़ जनाज़ा ” |
2 |
676 سے 677 |
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“ जब कोई बच्चा इस्लाम लाया और फिर मरगया, तो क्या उसपर नमाज़ नमाज़ पढ़ी जाएगी और क्या बच्चे को इस्लाम की ओर बुलाया जासकता है ? ” |
3 |
678 سے 680 |
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“ जब मुशरिक मरते समय « لَا إِلٰهَ إِلَّا الله » कहदे तो क्या उसे क्षमा करदिया जाएगा ” |
1 |
681 |
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“ क़ब्र के पास बैठकर नसीहत करना जबकि उसके शिष्य बैठे हों ” |
1 |
682 |
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“ आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के लिए सज़ा ” |
3 |
683 سے 685 |
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“ मृतक की तारीफ़ करना कैसा है ” |
2 |
686 سے 687 |
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“ क़ब्र के अज़ाब के बारे में ” |
4 |
688 سے 691 |
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“ क़ब्र के अज़ाब से शरण मांगना ” |
2 |
692 سے 693 |
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“ मृतक को सुबह और शाम को उनका ( जन्नत और जहन्नम ) का स्थान दिखाया जाता है ” |
1 |
694 |
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“ मुसलमानों के मरने वाले छोटे बच्चों के बारे में क्या कहा गया है ” |
1 |
695 |
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“ मुशरिकों के बच्चों के बारे में क्या ( जो यौवन तक पहुंचने से पहले मर जाते हैं ) ” |
1 |
696 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ ने एक सपने में क्या देखा ” |
1 |
697 |
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“ अचानक मौत ( अच्छे आदमी के लिए बुरी नहीं ) ” |
1 |
698 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ और हज़रत अबू बक्र और उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुम की कब्रों के बारे में क्या है ? ” |
2 |
699 سے 700 |
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“ ( मुसलमान ) मृतकों को बुरा कहना मना है ” |
1 |
701 |
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