जनाज़े के बारे में
1. “ उस व्यक्ति के बारे में क्या कहा गया है जिसके अंतिम शब्द « لَا إِلٰهَ إِلَّا الله » हों ”
2. “ जनाज़े के साथ जाने का हुक्म ”
3. “ मृतक को कफ़नाने के बाद देखना सुन्नत है ”
4. “ जो कोई भी मृतक के परिजनों को उसकी मृत्यु की सूचना देता है ”
5. “ उस व्यक्ति की फ़ज़ीलत जिसका बच्चा मरजए और वह सवाब समझे ”
6. “ ताक़ यानि बे-जोड़ संख्या में ग़ुस्ल देना सुन्नत है ”
7. “ मृतक के दाहिनी ओर से ग़ुस्ल शुरू करना चाहिए ”
8. “ सफ़ेद कपड़े का कफ़न सुन्नत है ”
9. “ दो कपड़ों में कफ़न देना भी सुन्नत है ”
10. “ मृतक को कफ़न देना
11. “ कफ़न इतना हो कि सिर या पांव को ढांप सके तो मृतक के सिर को ढांप देना चाहिए ”
12. “ रसूल अल्लाह ﷺ के समय में जिस व्यक्ति ने अपना कफ़न तैयार किया था, उसपर कोई आपत्ति नहीं की गई ”
13. “ महिलाओं को जनाज़े के साथ जाने की अनुमति नहीं है ”
14. “ महिलाओं को अपने पति के सिवा किसी और के लिए शोक करना ”
15. “ क़ब्रों पर जाना ( केसा ) है ”
16. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने कहा कि मृतक के रिश्तेदारों के रोने से कभी-कभी मृतक को अज़ाब होता है ( यह तब होता है ) जब मातम करना उसके परिवार की रीति हो ”
17. “ मातम करना और रोना पीटना मकरूह है ”
18. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने कहा कि जो अपना चेहरा पीटता है वह हम में से नहीं है ”
19. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने सअद बिन ख़ोला के लिए शोक व्यक्त किया ”
20. “ मुसीबत के समय सिर मुंडवाने पर रोक ”
21. “ जो कोई शोक में बैठ जाए कि ( उसके चेहरे पर ) दुख के लक्षण नज़र आएं ”
22. “ जिसने मुसीबत के समय किसी से अपना दुख व्यक्त नहीं किया ”
23. “ नबी करीम ﷺ ने ( अपने बेटे इब्राहीम के लिए ) कहा कि हम तुम्हारी जुदाई से दुखी हैं ”
24. “ रोगी के पास रोना मना है ”
25. “ मातम, रोने पीटने का मना होना और उस से डांटना ”
26. “ जनाज़े के लिए खड़ा होना सुन्नत है ”
27. “ जनाज़े के लिए उठे तो फिर कब बैठे ? ”
28. “ यहूदी के जनाज़े पर खड़ा होना ”
29. “ पुरुषों को जनाज़ा उठाना चाहिए, महिलाओं को नहीं ”
30. “ जनाज़े को जल्दी लेजाना सुन्नत है ”
31. “ जनाज़े के साथ जाने की फ़ज़ीलत ”
32. “ क़ब्रों पर मस्जिद बनाने का घिनौना काम ”
33. “ निफ़ास में मरने वाली महिला के लिए नमाज़ जनाज़ा पढ़ना सही है ”
34. “ नमाज़ जनाज़ा में सूरह अल-फ़ातिहा का पढ़ना ”
35. “ मुर्दा जूतों की आवाज़ सुनता है ”
36. “ पवित्र स्थान में दफ़न होने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति ”
37. “ शहीद की नमाज़ जनाज़ा ”
38. “ जब कोई बच्चा इस्लाम लाया और फिर मरगया, तो क्या उसपर नमाज़ नमाज़ पढ़ी जाएगी और क्या बच्चे को इस्लाम की ओर बुलाया जासकता है ? ”
39. “ जब मुशरिक मरते समय « لَا إِلٰهَ إِلَّا الله » कहदे तो क्या उसे क्षमा करदिया जाएगा ”
40. “ क़ब्र के पास बैठकर नसीहत करना जबकि उसके शिष्य बैठे हों ”
41. “ आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के लिए सज़ा ”
42. “ मृतक की तारीफ़ करना कैसा है ”
43. “ क़ब्र के अज़ाब के बारे में ”
44. “ क़ब्र के अज़ाब से शरण मांगना ”
45. “ मृतक को सुबह और शाम को उनका ( जन्नत और जहन्नम ) का स्थान दिखाया जाता है ”
46. “ मुसलमानों के मरने वाले छोटे बच्चों के बारे में क्या कहा गया है ”
47. “ मुशरिकों के बच्चों के बारे में क्या ( जो यौवन तक पहुंचने से पहले मर जाते हैं ) ”
48. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने एक सपने में क्या देखा ”
49. “ अचानक मौत ( अच्छे आदमी के लिए बुरी नहीं ) ”
50. “ रसूल अल्लाह ﷺ और हज़रत अबू बक्र और उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुम की कब्रों के बारे में क्या है ? ”
51. “ ( मुसलमान ) मृतकों को बुरा कहना मना है ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
جنازہ کے بیان میں
जनाज़े के बारे में
میت کو دیکھنا جب وہ اپنے کفن میں رکھ دیا جائے سنت ہے۔
“ मृतक को कफ़नाने के बाद देखना सुन्नत है ”
حدیث نمبر: 636
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ام العلاء ایک انصاری خاتون (بیان کرتی ہیں کہ جنہوں) نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے (اسلام پر) بیعت کی ہے کہ مہاجرین نے (انصار کی تقسیم کے لیے) باہم قرعہ ڈالا تو ہمارے حصے میں سیدنا عثمان بن مظعون رضی اللہ عنہ آئے تو ہم نے انہیں اپنے گھر میں اتارا، پھر وہ اس مرض میں مبتلا ہوئے جس میں انہوں نے وفات پائی پس جب ان کی وفات ہو گئی اور ان کو غسل دیا جا چکا اور ان کے کپڑوں میں انہیں کفن دے دیا گیا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم تشریف لائے تو میں نے کہا کہ اے ابوسائب! تم پر اللہ کی رحمت، میری شہادت تمہارے حق میں یہ ہے کہ اللہ تعالیٰ نے تمہیں سرفراز کر دیا تو نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تمہیں کیا معلوم کہ اللہ نے انہیں سرفراز کر دیا۔ میں نے عرض کی کہ یا رسول اللہ! میرے باپ آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر فدا ہوں (میں نے یہ اس سبب سے کہا کہ) اگر اللہ تعالیٰ انہیں سرفراز نہ فرمائے گا تو (پھر) وہ کون ہو گا جسے اللہ سرفراز کرے گا؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: بیشک انہیں (اچھی حالت میں) موت آئی ہے اور میں بھی ان کے لیے بھلائی کی امید رکھتا ہوں (لیکن بالیقین میں نہیں کہہ سکتا کہ اللہ نے انہیں معاف کر دیا) اللہ کی قسم! میں نہیں جانتا حالانکہ میں اللہ کا رسول ہوں کہ میرے ساتھ کیا معاملہ کیا جائے گا۔ ام العلاء کہتی ہیں کہ اس کے بعد پھر میں نے کسی کے پاک ہونے کی شہادت نہیں دی۔
حدیث نمبر: 637
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سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میرے والد جب (غزوہ احد) میں شہید ہوئے تو میں باربار ان کے چہرے سے کپڑا ہٹاتا تھا اور روتا تھا تو لوگ مجھے منع کرتے تھے مگر نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم مجھے منع نہ فرماتے تھے۔ پھر میری پھوپھی فاطمہ رضی اللہ عنہا بھی رونے لگیں تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تم روؤ یا نہ روؤ، فرشتے برابر ان پر اپنے پروں سے سایہ کیے رہے، یہاں تک کہ تم نے انہیں (میدان جنگ سے) اٹھایا۔

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