फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2134. “ रसूल अल्लाह ﷺ की फ़ज़ीलतें और तारीफ़ और आप ﷺ जन्नत के दरवाज़े पर सबसे पहले दस्तक देंगे ”
2135. “ रसूल अल्लाह ﷺ को पूरे पूरे और मुहर बंद शब्द दिए गए ”
2136. “ रसूल अल्लाह ﷺ की बद दुआ भी रहमत और पवित्रता का कारण बनजाती थी ”
2137. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने अपने ऊपर लगे आरोपों का कैसे जवाब दिया ? ”
2138. “ रसूल अल्लाह ﷺ की रहमदिली ”
2139. “ रसूल अल्लाह ﷺ को नबी बनाने का फ़ैसला कब किया गया ”
2140. “ रसूल अल्लाह ﷺ का मज़ाक़ भी सच्चाई से भरा होता था ”
2141. “ रसूल अल्लाह ﷺ रहमत थे ”
2142. “ रसूल अल्लाह ﷺ दुश्मनों के लिए भी रहमत थे ”
2143. “ ऊंट अपने मालिक के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ से शिकायत करता है ”
2144. “ दुनिया और आसमान की हर चीज़ जानती है कि रसूल अल्लाह ﷺ अल्लाह के रसूल हैं सिवाए ... ”
2145. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अंगूठी की छवि ”
2146. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचारक और बांटने वाले थे ”
2147. “ रसूल अल्लाह ﷺ बनि किनानह से थे ”
2148. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी है ”
2149. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत का हिसाब किताब सबसे पहले होगा ”
2150. “ रसूल अल्लाह ﷺ सबसे अधिक तक़वा वाले थे ”
2151. “ रसूल अल्लाह ﷺ आदम की औलाद के सरदार हैं ”
2152. “ पेड़ और पत्थर भी रसूल अल्लाह ﷺ को सलाम करते थे ”
2153. “ रसूल अल्लाह ﷺ की शान में झूठ से काम नहीं लेना चाहिए ”
2154. “ रसूल अल्लाह ﷺ का “ आतिकह ” के बारे में बताना ”
2155. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ को उम्मत का दुरुद पहुँचाते हैं ”
2156. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ के ख़िलाफ़ कुरैश सरदारों की योजना ، लेकिन असफल रहे ”
2157. “ यदि अबू जहल रसूल अल्लाह ﷺ की गर्दन रौंदता तो ”
2158. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी होगी ”
2159. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचार करने वाले थे ، तकलीफ़ देने वाले नहीं ”
2160. “ प्रचार के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह ”
2161. “ अच्छे कामों के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह, मज़लूमों की सहायता करने की उनकी इच्छा ”
2162. “ रसूल अल्लाह ﷺ अपने मक़सद पर डटे रहे ”
2164. “ रसूल अल्लाह ﷺ सच ही बोला करते थे ”
2165. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने कसरा को इस्लाम की ओर बुलाया ”
2166. “ रसूल अल्लाह ﷺ का रूप-रंग ”
2167. “ रसूल अल्लाह ﷺ की नींद का बयान ”
2168. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने भूख से अपने पेट पर पत्थर बांधा ”
2169. “ हज़रत इब्राहिम ، हज़रत मूसा ، हज़रत ईसा अलैहिमुस्सलाम और रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ूबियाँ ”
2170. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ास ख़ूबियाँ ”
2171. “ क़ुरआन मजीद के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का भेद-भाव ”
2172. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने इबलीस की हार ”
2173. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सपने में देखना ”
2174. “ उम्महातुल मोमिनीन यानि रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों की फ़ज़ीलत ”
2175. “ रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार के पक्ष में एक अच्छे आदमी की फ़ज़ीलत ”
2176. “ जन्नत की चार अफ़ज़ल औरतें ”
2177. “ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा के लिए क्षमा की दुआ ”
2178. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2179. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह को सिद्दीक़ क्यूँ कहा जाता है ”
2180. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह अफ़ज़ल ख़लीफ़ा थे ”
2181. “ हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2182. “ रसूल अल्लाह ﷺ के वैवाहिक और पारिवारिक रिश्तों का बयान ”
2183. “ हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2184. “ हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2185. “ हज़रत फ़ातिमा रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2186. “ हज़रत ज़ैनब रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2187. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2188. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनके माता पिता का सम्मान ”
2189. “ हज़रत हुसैन की शहादत की भविष्यवाणी ، हज़रत हसन रज़ी अल्लाह अन्हुमा के क़त्ल का बयान ”
2190. “ अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2191. “ अल्लाह की किताब और अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की एहमियत ”
2192. “ हज़रत आसियह और हज़रत मरयम अलैहिमुस्सलाम की फ़ज़ीलत ”
2193. “ हज़रत जआफ़र अबू तालिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2194. “ सहाबा की फ़ज़ीलत ”
2195. “ साहब को बुरा कहने वाले पर लाअनत ”
2196. “ रसूल अल्लाह ﷺ के साथ रहने की फ़ज़ीलत ”
2197. “ सहाबा रज़ि अल्लाह अन्हुम की विशेषताएं ”
2198. “ कुछ क़बीलों की विशेषताएं ”
2199. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सहाबा का समय सबसे अच्छा था ”
2200. “ महाजिरों की फ़ज़ीलत ”
2201. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अन्सारी सहाबा से मुहब्बत ”
2202. “ अन्सारियों की फ़ज़ीलत ”
2203. “ अन्सारियों का घर यानि माता पिता का घर ”
2204. “ एक अन्सारी की मेज़बानी ”
2205. “ सहाबा ، ताबईन और उनके बाद वालों की फ़ज़ीलत ”
2206. “ बिन देखे रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान लाने वालों की फ़ज़ीलत ”
2207. “ हिन्द की जंग के साथियों और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का साथ देने वालों की फ़ज़ीलत ”
2208. “ हज़रत उसामा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2209. “ हज़रत बिलाल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2210. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सेवक के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआएं और उनका फल ”
2211. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2212. “ हज़रत अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहु अन्ह को अनुमति देने का एक विशेष ढंग ”
2213. “ अब्दुल्ला बिन मसऊद सुन्नत के पाबंद थे और अल्लाह को याद करने वाली सभा को बुरा कहने का कारण ”
2214. “ हज़रत हिशाम और हज़रत अमरो रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2215. “ हज़रत अबू सुफ़ियान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2216. “ बदर वालों की फ़ज़ीलत ”
2217. “ कौन कौन और क्या क्या अफ़ज़ल है ”
2218. “ क़िब्तियों के साथ अच्छा व्यवहार करने की नसिहत ”
2219. “ उम्मत की परीक्षा और रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2220. “ हज़रत उसामा की फ़ज़ीलत ”
2221. “ हज़रत सव्वाद से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत का बयान ”
2222. “ क़ुरैशियों की फ़ज़ीलत ”
2223. “ एक क़ुरैशी दो ग़ैर क़ुरैशियों के बराबर क्यूँ ”
2224. “ क़ुरैशी औरतों की विशेषता और फ़ज़ीलत ”
2225. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने क़ुरैश साथियों को तरजीह दी ”
2226. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सबसे पहले क़बीला क़ुरेशा ख़तम होगा ”
2227. “ असलम और ग़िफ़ार क़बीले के लिए दुआ ”
2228. “ कुछ और अरबी क़बीलों की फ़ज़ीलत ”
2229. “ नख़अ क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2230. “ हज़रमोत क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2231. “ अब्दुलक़ैस क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2232. “ अज़दी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2233. “ दहिया कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम के रूप बहुत मिलते जुलते हैं ”
2234. “ बाद में आने वाले उम्मतियों से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत ”
2235. “ हज़रत अरक़म रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2236. “ हज़रत अबु दहदाह रज़ि अल्लाहु अन्ह का लाभदायक व्यापार ”
2237. “ बिना हिसाब किताब के जन्नत में जाने वाले उम्मती ”
2238. “ जुमा के दिन की फ़ज़ीलत ”
2239. “ हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2240. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में डांट डपट या उनकी फ़ज़ीलत ”
2241. “ हज़रत हुज़ैफ़ा और उनकी मां रज़ि अल्लाहु अन्हुम के पक्ष में दुआ ”
2242. “ मुसलामनों के पक्ष में क्षमा की दुआ ”
2243. “ हज़रत सअद बिन अबि वक़ास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2244. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2245. “ हज़रत जअफ़र और हज़रत ज़ैद रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2246. “ हज़रत ख़ालिद बिन वलीद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2247. “ मुस्लिम उम्मत गुमराह करने पर सहमत नहीं हो सकती ”
2248. “ पंद्रह शअबान की रात की फ़ज़ीलत ”
2249. “ अल्लाह के दोस्तों की विशेषताएं ”
2250. “ कवि के रूप में हज़रत हस्सान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2251. “ हज़रत हन्ज़लह रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2252. “ हज़रत मआज़ बिन जबल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2253. “ बुराई का इन्कार करने वाले मुसलमानों की फ़ज़ीलत ”
2254. “ मोमिन की मिसाल खजूर जैसी क्यूँ है ? ”
2255. “ क़बीला मुज़िर की फ़ज़ीलत ”
2256. “ हज़रत सफ़ीना रज़ि अल्लाहु अन्ह की पहचान ”
2257. “ हज़रत अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2258. “ हज़रत जरीर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2259. “ हज़रत तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2260. “ चोट लगे तो बिस्मिल्लाह कहना चाहिए ”
2261. “ चार बहने सहाबियात हैं ”
2262. “ हज़रत अबु उमामह रज़ि अल्लाहु अन्ह का चमत्कार ”
2263. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने अतीत को याद करना ”
2264. “ क़ुरआन के चार शिक्षक ”
2265. “ हज़रत सालिम रज़ि अल्लाहु अन्ह एक अच्छे क़ारी ”
2266. “ दहयह कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम की एकरूपता और उरवह बिन मसऊद सक़फ़ी और ईसा अलैहिस्सलाम की एकरूपता है ”
2267. “ हज़रत ज़ैद बिन हारिसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2268. “ हज़रत हारिसा बिन नअमान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2269. वरक़ा की फ़ज़ीलत ”
2270. “ हातिम इसाई ”
2271. “ हिजरत के बाद किस चीज़ पर बैअत होगी ”
2272. “ हज़रत अमरो बिन हरिस रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2273. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2274. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की इमान लाने की कहानी ، सच्चाई की तलाश में हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की यात्रा ”
2275. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने जंग के मामलों में अपने सहाबा से सलाह ली ”
2276. “ हज़रत ज़ुबैर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2277. “ हज़रत हम्ज़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2278. “ हर ज़माने में आगे बढ़जाने वाले पाए जाएंगे ”
2279. “ हज़रत अम्मार रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2281. “ हज़रत हातिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2282. “ हज़रत अबू तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2283. “ अबू तालिब के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2284. “ हज़रत अबू मूसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की क़ौम की फ़ज़ीलत ”
2285. “ बदर और हुदैबियाह में भाग लेने वालों की फ़ज़ीलत ”
2286. “ मुसलमान की फ़ज़ीलत ”
2287. “ मोमिन की पवित्रता कअबे से अधिक है ”
2288. “ मतलब ”
2289. “ सूरत फ़ातेहा की अंतिम आयत की तफ़्सीर ”
2290. “ हज़रत अबू उबेदा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2291. “ एक समूह सच्चाई पर सदा खड़ा रहेगा ”
2292. “ सहाबा की बरकतें ”
2293. “ मुस्लिम उम्मत की आयु ، रसूल अल्लाह ﷺ के समय के लोगों का एक सदी में ख़त्म होना ”
2294. “ हज़रत अबू हुरैरा की खजूरों में बरकत के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2295. “ हज़रत अबू हिन्द रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2296. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने हज़रत सफ़ियह को कैसे राज़ी किया ? ”
2297. “ एक सदी के लिए अब्दुल्ला बिन बसर रज़ि अल्लाहु अन्ह का जीवन ”
2298. “ हज़रत अबू ज़र हज़रत उनेस रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनकी क़ौम ग़िफ़ार के ईमान लाने की घटना ”
2299. “ हज़रत ज़ैद बिन अमरो रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2300. “ हज़रत हारिसा बिन सराक़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2301. “ मदीना मुनव्वरा की फ़ज़ीलत ”
2302. “ मदीना मुनव्वरा के लिए बरकत की दुआ ”
2303. “ मदीने में बसने वालों के अधिकार ”
2304. “ मक्का मुकर्रमा और मदिना मुनव्वरा की पवित्रता का बयान ”
2305. “ हिजाज़ वालों की फ़ज़ीलत और पूरब के लोगों की निंदा ”
2306. “ शाम यानि सीरिया और वहां बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2307. “ हज़रत सअद बिन मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह के चमत्कार और शहादत ”
2308. “ यमन में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2309. “ ओवेस रहमहुल्लाह की फ़ज़ीलत ”
2310. “ अदन अबयन के बारह हज़ार लोगों के द्वारा रसूल अल्लाह ﷺ की सहायता ”
2311. “ ओमान में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2312. “ अजमी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2313. “ बनी अबू अलआस की निंदा ”
2314. “ हकम बिन अबू अलआस पर लअनत ”
2315. “ सबसे बड़े दो बदनसीब ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
المناقب والمثالب
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
انصار کے فضائل و مناقب
“ अन्सारियों की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3323
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-" لا يبغض الانصار رجل يؤمن بالله واليوم الآخر".-" لا يبغض الأنصار رجل يؤمن بالله واليوم الآخر".
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جو آدمی اللہ تعالیٰ اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتا ہو وہ انصار سے بغض نہیں رکھ سکتا۔ یہ حدیث سیدنا ابوسعید سیدنا ابوہریرہ اور سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہم سے مروی ہے۔
حدیث نمبر: 3324
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- (يطلع عليكم اهل اليمن كانهم السحاب، هم خيار من في الارض. فقال رجل من الانصار: ولا نحن يا رسول الله؟! فسكت، قال: ولا نحن يا رسول الله؟! فسكت، قال: ولا نحن يا رسول الله؟! فقال في الثالثة كلمة ضعيفة: إلا انتم).- (يطلُعُ عليكم أهلُ اليمن كأنّهم السّحاب، هم خيارُ من في الأرض. فقال رجلٌ من الأنصار: ولا نحنُ يا رسولَ الله؟! فسكت، قال: ولا نحن يا رسول الله؟! فسكت، قال: ولا نحن يا رسول الله؟! فقال في الثالثة كلمةً ضعيفةً: إلا أنتُم).
محمد بن جبیر بن مطعم اپنے باپ سیدنا جبیر رضی اللہ عنہ سے روایت کرتے ہیں، وہ کہتے ہیں: ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ شاہراہ مکہ پر بیٹھ ہوئے تھے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یمن کے لوگ تمہارے پاس آئیں گے، گویا کہ وہ بادل ہیں، وہ (‏‏‏‏ اہل) زمین میں سے بہترین لوگ ہیں۔ ایک انصاری آدمی نے کہا: اے اللہ کے رسول! کیا وہ ہم سے بھی (‏‏‏‏ بہتر) ہیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم خاموش رہے۔ اس نے پھر کہا: اے اللہ کے رسول! کیا ہم (‏‏‏‏سب سے بہتر) نہیں ہیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے خاموشی اختیار کی۔ اس نے پھر کہا: اے اللہ کے رسول! کیا ہم (‏‏‏‏سب سے بہتر) نہیں ہیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے تیسری دفعہ پست آواز میں فرمایا: سوائے تمہارے۔
حدیث نمبر: 3325
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-" من احب الانصار احبه الله ومن ابغض الانصار ابغضه الله".-" من أحب الأنصار أحبه الله ومن أبغض الأنصار أبغضه الله".
سیدنا براء بن عازب رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس نے انصاریوں سے محبت کی، اللہ اس سے محبت کرے گا اور جس نے انصاریوں سے بغض رکھا، اللہ اس سے بغض رکھے گا۔
حدیث نمبر: 3326
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-" قريش ولاة هذا الامر، فبر الناس تبع لبرهم وفاجرهم تبع لفاجرهم".-" قريش ولاة هذا الأمر، فبر الناس تبع لبرهم وفاجرهم تبع لفاجرهم".
سیدنا حمید بن عبدالرحمٰن رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: جب رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم فوت ہوئے تو ابوبکر رضی اللہ عنہ مدینہ کے کسی گوشے میں (‏‏‏‏ایک آبادی میں) تھے۔ جب وہ آئے تو آپ کے چہرے سے کپڑا اٹھایا، آپ کا بوسہ لیا اور کہا: میرے ماں باپ آپ پر قربان ہوں، آپ کتنی پاکیزہ شخصیت ہیں، زندہ ہوں یا فوت شدہ۔ رب کعبہ کی قسم! محمد (‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) فوت ہو گئے ہیں . . . .، پھر سیدنا ابوبکر اور سیدنا عمر رضی اللہ عنہما انصاریوں کے پاس گئے، سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ نے ان سے بات کی اور ان کے بارے میں نازل ہونے والی تمام آیات اور احادیث رسول ذکر کر دیں، نیز کہا: (‏‏‏‏انصاریو!) تم جانتے ہو کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر لوگ ایک وادی میں چلیں اور انصار دوسری وادی میں چلیں تو میں انصار کی وادی میں ان کے ساتھ چلوں گا۔ سعد! تم جانتے ہو کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا اور تم وہاں بیٹھے تھے: قریش اس (‏‏‏‏خلافت کے) معاملے کے ذمہ دار و حقدار ہیں، نیکوکار لوگ نیک قریشیوں کے تابع فرمان ہوں گے اور برے لوگ برے قریشیوں کے ماتحت ہوں گے۔ سیدنا سعد رضی اللہ عنہ نے کہا: تم سچ کہہ رہے ہو، ہم وزرا ہیں اور تم امرا ہو۔ یہ حدیث سیدنا ابوبکر صدیق اور سیدنا سعد بن عبادہ رضی اللہ عنہما سے مروی ہے۔
حدیث نمبر: 3327
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-" إن الناس يهاجرون إليكم، ولا تهاجرون إليهم، والذي نفس محمد بيده لا يحب رجل الانصار حتى يلقى الله تبارك وتعالى إلا لقي الله تبارك وتعالى وهو يحبه ولا يبغض رجل الانصار حتى يلقى الله تبارك وتعالى إلا لقي الله تبارك وتعالى وهو يبغضه".-" إن الناس يهاجرون إليكم، ولا تهاجرون إليهم، والذي نفس محمد بيده لا يحب رجل الأنصار حتى يلقى الله تبارك وتعالى إلا لقي الله تبارك وتعالى وهو يحبه ولا يبغض رجل الأنصار حتى يلقى الله تبارك وتعالى إلا لقي الله تبارك وتعالى وهو يبغضه".
سیدنا حارث بن زیاد ساعدی انصاری رضی اللہ تعالیٰ عنہ بیان کرتے ہیں کہ میں خندق والے دن رسول اللہ صلی اللہ علیہ و سلم کے پاس آیا، آپ لوگوں سے ہجرت پر بیعت لے رہے تھے۔ میں نے کہا: اے اللہ کے رسول! ان کی بھی بیعت لے لو۔ آپ نے پوچھا: ‏‏‏‏یہ کون ہیں؟ میں نے کہا: یہ میرے چچا کے بیٹے حوط بن یزید یا یزید بن حوط ہیں۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏میں آپ سے بیعت نہیں لوں گا، کیونکہ لوگ آپ کی طرف ہجرت کرتے ہیں، نہ کہ تم ان کی طرف کرتے ہو۔ اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! جو آدمی اللہ تعالیٰ سے ملاقات کرنے تک انصار سے محبت کرتا رہا تو وہ اللہ تعالیٰ کو اس حال میں ملے گا کہ وہ اس سے محبت کرنے والا ہو گا اور جو آدمی اللہ تعالیٰ سے ملاقات کرنے تک انصار سے بغض کرتا رہا تو وہ اللہ تعالیٰ کو اس حال میں ملے گا کہ وہ اس سے بغض رکھنے والا ہو گا۔
حدیث نمبر: 3328
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-" جزى الله الانصار عنا خيرا، ولا سيما عبد الله بن عمرو بن حرام وسعد بن عبادة".-" جزى الله الأنصار عنا خيرا، ولا سيما عبد الله بن عمرو بن حرام وسعد بن عبادة".
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میرے باپ نے مجھے خزیزہ (‏‏‏‏ایک کھانا جو قیمے اور آٹے سے بنایا جاتا ہے) تیار کرنے کا حکم دیا، جب میں وہ کھانا تیار کر کے فارغ ہوا تو مجھے حکم دیا کہ یہ کھانا نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس لے جاؤ۔ میں آپ کے پاس گیا، آپ گھر میں ہی تھے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: جابر! تمہارے کے پاس کون سی چیز ہے؟ آیا گوشت ہے؟ میں نے کہا: نہیں۔ میں اپنے باپ کے پاس واپس آ گیا، انہوں نے پوچھا: کیا رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے تیری ملاقات ہوئی؟ میں نے کہا: جی ہاں۔ انہوں نے کہا: تو نے ان کی کوئی بات سنی؟ میں نے کہا: جی ہاں، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جابر! تیرے پاس کیا ہے؟ آیا گوشت ہے؟ میرے باپ نے کہا: ممکن ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم گوشت کھانے کے خواہشمند ہوں۔ چنانچہ انہوں نے پالتو بکری ذبح کرنے کا حکم دیا۔ پس اسے ذبح کیا گیا، پھر اسے بھونا گیا۔ پھر میرے باپ نے مجھے حکم دیا کہ یہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس لے جاؤ، میں لے گیا، جب آپ نے مجھے دیکھا تو پوچھا۔ جابر! تیرے پاس کیا ہے؟، میں نے بتایا (‏‏‏‏کہ گوشت ہے)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تعالیٰ ہماری طرف سے انصاریوں کو جزائے خیر دے، بالخصوص عبداللہ بن عمرو بن حرام اور سعد بن عبادہ کو۔
حدیث نمبر: 3329
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-" الانصار شعار والناس دثار ولو ان الناس استقبلوا واديا او شعبا واستقبلت الانصار واديا لسلكت وادي الانصار ولولا الهجرة لكنت امرا من الانصار".-" الأنصار شعار والناس دثار ولو أن الناس استقبلوا واديا أو شعبا واستقبلت الأنصار واديا لسلكت وادي الأنصار ولولا الهجرة لكنت امرأ من الأنصار".
سیدنا سہل بن سعد رضی اللہ عنہ سے مروی ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: انصار تحتانی لباس (‏‏‏‏یعنی مخصوص) لوگ ہیں اور دوسرے لوگ فوقانی لباس (‏‏‏‏یعنی عام لوگ) ہیں۔ اگر عام لوگ ایک وادی میں چلیں اور انصار ایک وادی میں تو میں انصاریوں کی وادی میں چلوں گا، اگر ہجرت نہ ہوتی تو میں بھی انصاری ہوتا۔
حدیث نمبر: 3330
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- (من اخاف هذا الحي من الانصار؛ فقد اخاف ما بين هذين؛ يعني: جنبيه).- (مَنْ أَخافَ هذا الحيُّ من الأنصارِ؛ فقدْ أخافَ ما بين هذين؛ يعني: جَنْبَيْه).
عبدالرحمٰن بن جابر بن عبداللہ اپنے باپ سے روایت کرتے ہیں کہ وہ حرہ والے دن نکلے، جب ان کا پاؤں ایک پتھر سے ٹکرایا تو انہوں نے کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو ڈرانے والا ہلاک ہو جائے۔ میں نے کہا: کس نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو خوفزدہ کیا؟ انہوں نے کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس نے انصار کے اس قبیلے کو ڈرایا، اس نے میرے دل کو خوفزدہ کر دیا۔
حدیث نمبر: 3331
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- (الا نصار كرشي وعيبتي، والناس سيكثرون، ويقلون فاقبلوا من محسنهم، وتجاوزوا عن مسيئهم).- (الأ نصار كَرِشي وعَيْبَتي، والناس سيكثرون، ويقلُّون فاقبلوا من محسنهم، وتجاوزوا عن مسيئهم).
نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: انصار میرے مخلص ساتھی اور ہمراز ہیں، دوسرے لوگ گھٹتے بڑھتے رہتے ہیں۔ انصاریوں کی اچھائیاں قبول کرو اور ان کی برائیاں نظر انداز کر دو۔ یہ حدیث سیدنا انس، سیدنا اسید بن حضیر، سیدنا ابوسعید خدری اور سیدنا کعب بن مالک رضی اللہ عنہم سے مروی ہے۔
حدیث نمبر: 3332
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-" الانصار لا يحبهم إلا مؤمن ولا يغضهم إلا منافق، فمن احبهم احبه الله ومن ابغضهم ابغضه الله".-" الأنصار لا يحبهم إلا مؤمن ولا يغضهم إلا منافق، فمن أحبهم أحبه الله ومن أبغضهم أبغضه الله".
سیدنا براء بن عازب رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: انصاریوں سے محبت کرنے والا مومن اور ان سے بغض رکھنے والا منافق ہی ہو سکتا ہے۔ اللہ اس سے محبت کرے جو ان سے محبت کرتا ہے اور اس سے بغض رکھے جو ان سے بغض رکھتا ہے۔
حدیث نمبر: 3333
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-" إن الانصار قد قضوا الذي عليهم وبقي الذي عليكم، فاحسنوا إلى محسنهم وتجاوزوا عن مسيئهم".-" إن الأنصار قد قضوا الذي عليهم وبقي الذي عليكم، فأحسنوا إلى محسنهم وتجاوزوا عن مسيئهم".
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم ایک دن سر باندھ کر باہر تشریف لائے، انصاریوں کے بچے اور خدّام آپ کو ملے، جو اس وقت انصاریوں کا ذخیرہ تھے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے دو یا تین دفعہ فرمایا: اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! بیشک میں تم سے محبت کرتا ہوں۔ پھر فرمایا: انصاریوں نے اپنی ذمہ داریاں ادا کر دیں، تمہاری ذمہ داریاں باقی ہیں، سو تم انصاریوں کی حسنات قبول کر لینا اور ان کی سیئات سے تجاوز کر جانا۔
حدیث نمبر: 3334
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- (اما بعد؛ ايها الناس! إن الناس يكثرون وتقل الانصار؛ حتى يكونوا كالملح في الطعام، فمن ولي منكم امرا [من امة محمد - صلى الله عليه وسلم -، فاستطاع ان] يضر فيه احدا او ينفعه؛ فليقبل من محسنهم، ويتجاوز عن مسيئهم).- (أمّا بعدُ؛ أيّها الناسُ! إنّ النّاس يكثرون وتقلُّ الأنصارُ؛ حتى يكونُوا كالملح في الطعامِ، فمن وَليَ منكُم أمراً [من أمّةِ محمّدِ - صلى الله عليه وسلم -، فاستطاعَ أن] يضرّ فيه أحداً أو ينفعَه؛ فليقبلْ من محسنِهم، ويتجاوزْ عن مُسيئهم).
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما روایت کرتے ہیں کہ ایک آدمی نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا اور کہا: یہ انصاری خواتین و حضرات مسجد میں جمع ہیں اور رو رہے ہیں۔ آپ نے پوچھا: یہ لوگ کیوں رو رہے ہیں؟ اس نے کہا: انہیں آپ کی موت کا خطرہ ہے۔ یہ سن کر رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نکل پڑے، ایک چادر آپ نے کندھوں پر ڈالی ہوئی تھی اور مٹیالے رنگ کی پگڑی باندھی ہوئی تھی، آپ ممبر پر تشریف فرما ہوئے، یہ آپ کی آخری مجلس تھی۔ آپ نے اللہ تعالیٰ کی حمد و ثنا بیان کی اور پھر فرمایا: اما بعد: لوگو! لوگوں کی تعداد میں اضافہ اور انصار کی تعداد میں کمی واقع ہو رہی ہے، حتیٰ کہ ان کی تعداد کھانے میں نمک کے برابر رہ جائے گی۔ (‏‏‏‏سنو!) تم میں سے جو آدمی، محمد کی امت کے امور کا والی بنے اور اسے یہ طاقت بھی ہو کہ وہ کسی کو نفع یا نقصان پہنچا سکے تو وہ انصاریوں کی نیکیوں کو قبول کرے اور برائیوں سے درگزر کرے۔
حدیث نمبر: 3335
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- (الا إن لكل شيء تركة وضيعة، وإن تركتي وضيعتي الانصار، فاحفظوني فيهم).- (ألا إنّ لكل شيء تركة وضيعة، وإن ترِكَتي وضيعتي الأنصار، فاحفظوني فيهم).
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ہمارے پاس تشریف لائے اور فرمایا: آگاہ ہو جاؤ! ہر آدمی کی میراث اور جاگیر ہوتی ہے اور میری میراث اور جاگیر انصاری ہیں، ان کے بارے میں میرا خیال رکھنا۔
حدیث نمبر: 3336
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-" الا إن الناس دثاري والانصار شعاري لو سلك الناس واديا وسلكت الانصار شعبة لاتبعت شعبة الانصار ولولا الهجرة لكنت رجلا من الانصار، فمن ولى امر الانصار، فليحسن إلى محسنهم وليتجاوز عن مسيئهم ومن افزعهم، فقد افزع هذا الذي بين هاتين. واشار إلى نفسه صلى الله عليه وسلم".-" ألا إن الناس دثاري والأنصار شعاري لو سلك الناس واديا وسلكت الأنصار شعبة لاتبعت شعبة الأنصار ولولا الهجرة لكنت رجلا من الأنصار، فمن ولى أمر الأنصار، فليحسن إلى محسنهم وليتجاوز عن مسيئهم ومن أفزعهم، فقد أفزع هذا الذي بين هاتين. وأشار إلى نفسه صلى الله عليه وسلم".
سیدنا ابوقتادہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو منبر پر انصاریوں کے حق میں یہ فرماتے ہوئے سنا: عام لوگ فوقانی لباس ہیں اور انصاری تحتانی لباس (‏‏‏‏یعنی مخصوص) لوگ) ہیں، اگر لوگ ایک وادی میں اور انصار کسی دوسری گھاٹی میں چل رہے ہوں تو میں انصاریوں کی گھاٹی میں چلوں گا، اگر ہجرت نہ ہوتی تو میں بھی انصاریوں میں سے ہوتا، جو آدمی انصار کے معاملات کا والی بنے وہ ان کے نیک لوگوں کے ساتھ حسن سلوک سے پیش آئے اور غلطیاں کرنے والوں سے تجاوز کر جائے۔ جس نے ان کو خوفزدہ کیا اس نے ان دو پہلوؤں کے درمیان والی چیز کو خوفزدہ کر دیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنی طرف اشارہ کرتے ہوئے یہ جملہ ارشاد فرمایا۔
حدیث نمبر: 3337
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ـ (الا اخبركم بخير دور الانصار ـ او بخير الانصار ـ؟! قالوا: بلى يا رسول الله! قال: بنو النجار، ثم الذين يلونهم؛ بنو عبد الاشهل، ثم الذين يلونهم؛ بنو الحارث بن الخزرج، ثم الذين يلونهم؛ بنو ساعدة، ثم قال بيديه، فقبض اصابعه ثم بسطهن ـ كالرامي بيده ـ، قال: وفي دور الانصار كلها خير).ـ (أَلا أخبرُكم بخيْرِ دُورِ الأنصارِ ـ أو بخيْرِ الأنصار ِـ؟! قالوا: بلَى يا رسولَ الله! قال: بَنُو النّجارِ، ثمّ الذين يلونَهم؛ بَنُو عبدِ الأشهلِ، ثمّ الذين يلونَهم؛ بنُو الحارثِ بن الخزرجِ، ثمّ الذين يلونَهم؛ بنُو ساعدةَ، ثمّ قال بيدَيهِ، فقبضَ أصابِعه ثمّ بسطهُنَّ ـ كالرامي بيدهِ ـ، قال: وفي دُورِ الأنصارِ كلِّها خيرٌ).
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کیا میں تمہارے لیے انصار کے بہترین گھروں یا بہترین انصاریوں کا تعین نہ کر دوں۔ صحابہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! کیوں نہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: بنو نجار سب سے بہتر ہیں ان کے بعد بنو عبدالاشھل، ان کے بعد بنو حارث بن خزرج اور ان کے بعد بنو ساعدہ۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنی انگلیاں بند کیں اور کھولیں، جیسے کوئی چیز پھینک رہے ہیں اور فرمایا: سب انصاریوں کے گھروں میں خیر ہے۔ یہ حدیث سیدنا انس، سیدنا ابو ایسد ساعدی، سیدنا ابو حمید ساعدی اور سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے مروی ہے۔
حدیث نمبر: 3338
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(استوصوا بالانصار خيرا- او قال: معروفا-؛ اقبلوا من محسنهم، وتجاوزوا عن مسيئهم).(استوصوا بالأنصار خيرا- أو قال: معروفا-؛ اقبلوا من محسنهم، وتجاوزوا عن مسيئهم).
علی بن زید کہتے ہیں کہ انصار کے سردار کی طرف سے مصعب بن زبیر رضی اللہ عنہ کو کوئی (‏‏‏‏قابل اعتراض) بات پہنچی، انہوں نے اسے برا بھلا کہنے کا ارادہ کیا، اتنے میں سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ آ گئے اور اسے کہا: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے سنا: انصار صحابہ کے ساتھ بھلائی کرنے کی وصیت قبول کرو، ان میں سے نیکی کرنے والوں سے حسن سلوک کرو اور غلطی کرنے والوں سے درگزر کرو۔ (‏‏‏‏ یہ سن کر) سیدنا مصعب رضی اللہ عنہ نے اپنے آپ کو چارپائی سے نیچے گرا دیا اور اپنے رخسار کو زمین پر رکھ دیا اور کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کا ارشاد سر آنکھوں پر۔ پھر انصاری کو چھوڑ دیا۔
حدیث نمبر: 3339
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-" آية الإيمان حب الانصار وآية المنافق بغض الانصار".-" آية الإيمان حب الأنصار وآية المنافق بغض الأنصار".
سیدنا انس رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏انصار سے محبت ایمان کی علامت ہے اور ان سے بغض نفاق کی علامت ہے۔

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