फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2134. “ रसूल अल्लाह ﷺ की फ़ज़ीलतें और तारीफ़ और आप ﷺ जन्नत के दरवाज़े पर सबसे पहले दस्तक देंगे ”
2135. “ रसूल अल्लाह ﷺ को पूरे पूरे और मुहर बंद शब्द दिए गए ”
2136. “ रसूल अल्लाह ﷺ की बद दुआ भी रहमत और पवित्रता का कारण बनजाती थी ”
2137. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने अपने ऊपर लगे आरोपों का कैसे जवाब दिया ? ”
2138. “ रसूल अल्लाह ﷺ की रहमदिली ”
2139. “ रसूल अल्लाह ﷺ को नबी बनाने का फ़ैसला कब किया गया ”
2140. “ रसूल अल्लाह ﷺ का मज़ाक़ भी सच्चाई से भरा होता था ”
2141. “ रसूल अल्लाह ﷺ रहमत थे ”
2142. “ रसूल अल्लाह ﷺ दुश्मनों के लिए भी रहमत थे ”
2143. “ ऊंट अपने मालिक के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ से शिकायत करता है ”
2144. “ दुनिया और आसमान की हर चीज़ जानती है कि रसूल अल्लाह ﷺ अल्लाह के रसूल हैं सिवाए ... ”
2145. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अंगूठी की छवि ”
2146. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचारक और बांटने वाले थे ”
2147. “ रसूल अल्लाह ﷺ बनि किनानह से थे ”
2148. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी है ”
2149. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत का हिसाब किताब सबसे पहले होगा ”
2150. “ रसूल अल्लाह ﷺ सबसे अधिक तक़वा वाले थे ”
2151. “ रसूल अल्लाह ﷺ आदम की औलाद के सरदार हैं ”
2152. “ पेड़ और पत्थर भी रसूल अल्लाह ﷺ को सलाम करते थे ”
2153. “ रसूल अल्लाह ﷺ की शान में झूठ से काम नहीं लेना चाहिए ”
2154. “ रसूल अल्लाह ﷺ का “ आतिकह ” के बारे में बताना ”
2155. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ को उम्मत का दुरुद पहुँचाते हैं ”
2156. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ के ख़िलाफ़ कुरैश सरदारों की योजना ، लेकिन असफल रहे ”
2157. “ यदि अबू जहल रसूल अल्लाह ﷺ की गर्दन रौंदता तो ”
2158. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी होगी ”
2159. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचार करने वाले थे ، तकलीफ़ देने वाले नहीं ”
2160. “ प्रचार के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह ”
2161. “ अच्छे कामों के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह, मज़लूमों की सहायता करने की उनकी इच्छा ”
2162. “ रसूल अल्लाह ﷺ अपने मक़सद पर डटे रहे ”
2164. “ रसूल अल्लाह ﷺ सच ही बोला करते थे ”
2165. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने कसरा को इस्लाम की ओर बुलाया ”
2166. “ रसूल अल्लाह ﷺ का रूप-रंग ”
2167. “ रसूल अल्लाह ﷺ की नींद का बयान ”
2168. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने भूख से अपने पेट पर पत्थर बांधा ”
2169. “ हज़रत इब्राहिम ، हज़रत मूसा ، हज़रत ईसा अलैहिमुस्सलाम और रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ूबियाँ ”
2170. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ास ख़ूबियाँ ”
2171. “ क़ुरआन मजीद के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का भेद-भाव ”
2172. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने इबलीस की हार ”
2173. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सपने में देखना ”
2174. “ उम्महातुल मोमिनीन यानि रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों की फ़ज़ीलत ”
2175. “ रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार के पक्ष में एक अच्छे आदमी की फ़ज़ीलत ”
2176. “ जन्नत की चार अफ़ज़ल औरतें ”
2177. “ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा के लिए क्षमा की दुआ ”
2178. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2179. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह को सिद्दीक़ क्यूँ कहा जाता है ”
2180. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह अफ़ज़ल ख़लीफ़ा थे ”
2181. “ हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2182. “ रसूल अल्लाह ﷺ के वैवाहिक और पारिवारिक रिश्तों का बयान ”
2183. “ हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2184. “ हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2185. “ हज़रत फ़ातिमा रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2186. “ हज़रत ज़ैनब रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2187. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2188. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनके माता पिता का सम्मान ”
2189. “ हज़रत हुसैन की शहादत की भविष्यवाणी ، हज़रत हसन रज़ी अल्लाह अन्हुमा के क़त्ल का बयान ”
2190. “ अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2191. “ अल्लाह की किताब और अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की एहमियत ”
2192. “ हज़रत आसियह और हज़रत मरयम अलैहिमुस्सलाम की फ़ज़ीलत ”
2193. “ हज़रत जआफ़र अबू तालिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2194. “ सहाबा की फ़ज़ीलत ”
2195. “ साहब को बुरा कहने वाले पर लाअनत ”
2196. “ रसूल अल्लाह ﷺ के साथ रहने की फ़ज़ीलत ”
2197. “ सहाबा रज़ि अल्लाह अन्हुम की विशेषताएं ”
2198. “ कुछ क़बीलों की विशेषताएं ”
2199. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सहाबा का समय सबसे अच्छा था ”
2200. “ महाजिरों की फ़ज़ीलत ”
2201. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अन्सारी सहाबा से मुहब्बत ”
2202. “ अन्सारियों की फ़ज़ीलत ”
2203. “ अन्सारियों का घर यानि माता पिता का घर ”
2204. “ एक अन्सारी की मेज़बानी ”
2205. “ सहाबा ، ताबईन और उनके बाद वालों की फ़ज़ीलत ”
2206. “ बिन देखे रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान लाने वालों की फ़ज़ीलत ”
2207. “ हिन्द की जंग के साथियों और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का साथ देने वालों की फ़ज़ीलत ”
2208. “ हज़रत उसामा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2209. “ हज़रत बिलाल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2210. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सेवक के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआएं और उनका फल ”
2211. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2212. “ हज़रत अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहु अन्ह को अनुमति देने का एक विशेष ढंग ”
2213. “ अब्दुल्ला बिन मसऊद सुन्नत के पाबंद थे और अल्लाह को याद करने वाली सभा को बुरा कहने का कारण ”
2214. “ हज़रत हिशाम और हज़रत अमरो रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2215. “ हज़रत अबू सुफ़ियान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2216. “ बदर वालों की फ़ज़ीलत ”
2217. “ कौन कौन और क्या क्या अफ़ज़ल है ”
2218. “ क़िब्तियों के साथ अच्छा व्यवहार करने की नसिहत ”
2219. “ उम्मत की परीक्षा और रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2220. “ हज़रत उसामा की फ़ज़ीलत ”
2221. “ हज़रत सव्वाद से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत का बयान ”
2222. “ क़ुरैशियों की फ़ज़ीलत ”
2223. “ एक क़ुरैशी दो ग़ैर क़ुरैशियों के बराबर क्यूँ ”
2224. “ क़ुरैशी औरतों की विशेषता और फ़ज़ीलत ”
2225. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने क़ुरैश साथियों को तरजीह दी ”
2226. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सबसे पहले क़बीला क़ुरेशा ख़तम होगा ”
2227. “ असलम और ग़िफ़ार क़बीले के लिए दुआ ”
2228. “ कुछ और अरबी क़बीलों की फ़ज़ीलत ”
2229. “ नख़अ क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2230. “ हज़रमोत क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2231. “ अब्दुलक़ैस क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2232. “ अज़दी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2233. “ दहिया कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम के रूप बहुत मिलते जुलते हैं ”
2234. “ बाद में आने वाले उम्मतियों से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत ”
2235. “ हज़रत अरक़म रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2236. “ हज़रत अबु दहदाह रज़ि अल्लाहु अन्ह का लाभदायक व्यापार ”
2237. “ बिना हिसाब किताब के जन्नत में जाने वाले उम्मती ”
2238. “ जुमा के दिन की फ़ज़ीलत ”
2239. “ हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2240. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में डांट डपट या उनकी फ़ज़ीलत ”
2241. “ हज़रत हुज़ैफ़ा और उनकी मां रज़ि अल्लाहु अन्हुम के पक्ष में दुआ ”
2242. “ मुसलामनों के पक्ष में क्षमा की दुआ ”
2243. “ हज़रत सअद बिन अबि वक़ास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2244. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2245. “ हज़रत जअफ़र और हज़रत ज़ैद रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2246. “ हज़रत ख़ालिद बिन वलीद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2247. “ मुस्लिम उम्मत गुमराह करने पर सहमत नहीं हो सकती ”
2248. “ पंद्रह शअबान की रात की फ़ज़ीलत ”
2249. “ अल्लाह के दोस्तों की विशेषताएं ”
2250. “ कवि के रूप में हज़रत हस्सान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2251. “ हज़रत हन्ज़लह रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2252. “ हज़रत मआज़ बिन जबल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2253. “ बुराई का इन्कार करने वाले मुसलमानों की फ़ज़ीलत ”
2254. “ मोमिन की मिसाल खजूर जैसी क्यूँ है ? ”
2255. “ क़बीला मुज़िर की फ़ज़ीलत ”
2256. “ हज़रत सफ़ीना रज़ि अल्लाहु अन्ह की पहचान ”
2257. “ हज़रत अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2258. “ हज़रत जरीर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2259. “ हज़रत तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2260. “ चोट लगे तो बिस्मिल्लाह कहना चाहिए ”
2261. “ चार बहने सहाबियात हैं ”
2262. “ हज़रत अबु उमामह रज़ि अल्लाहु अन्ह का चमत्कार ”
2263. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने अतीत को याद करना ”
2264. “ क़ुरआन के चार शिक्षक ”
2265. “ हज़रत सालिम रज़ि अल्लाहु अन्ह एक अच्छे क़ारी ”
2266. “ दहयह कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम की एकरूपता और उरवह बिन मसऊद सक़फ़ी और ईसा अलैहिस्सलाम की एकरूपता है ”
2267. “ हज़रत ज़ैद बिन हारिसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2268. “ हज़रत हारिसा बिन नअमान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2269. वरक़ा की फ़ज़ीलत ”
2270. “ हातिम इसाई ”
2271. “ हिजरत के बाद किस चीज़ पर बैअत होगी ”
2272. “ हज़रत अमरो बिन हरिस रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2273. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2274. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की इमान लाने की कहानी ، सच्चाई की तलाश में हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की यात्रा ”
2275. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने जंग के मामलों में अपने सहाबा से सलाह ली ”
2276. “ हज़रत ज़ुबैर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2277. “ हज़रत हम्ज़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2278. “ हर ज़माने में आगे बढ़जाने वाले पाए जाएंगे ”
2279. “ हज़रत अम्मार रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2281. “ हज़रत हातिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2282. “ हज़रत अबू तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2283. “ अबू तालिब के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2284. “ हज़रत अबू मूसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की क़ौम की फ़ज़ीलत ”
2285. “ बदर और हुदैबियाह में भाग लेने वालों की फ़ज़ीलत ”
2286. “ मुसलमान की फ़ज़ीलत ”
2287. “ मोमिन की पवित्रता कअबे से अधिक है ”
2288. “ मतलब ”
2289. “ सूरत फ़ातेहा की अंतिम आयत की तफ़्सीर ”
2290. “ हज़रत अबू उबेदा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2291. “ एक समूह सच्चाई पर सदा खड़ा रहेगा ”
2292. “ सहाबा की बरकतें ”
2293. “ मुस्लिम उम्मत की आयु ، रसूल अल्लाह ﷺ के समय के लोगों का एक सदी में ख़त्म होना ”
2294. “ हज़रत अबू हुरैरा की खजूरों में बरकत के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2295. “ हज़रत अबू हिन्द रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2296. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने हज़रत सफ़ियह को कैसे राज़ी किया ? ”
2297. “ एक सदी के लिए अब्दुल्ला बिन बसर रज़ि अल्लाहु अन्ह का जीवन ”
2298. “ हज़रत अबू ज़र हज़रत उनेस रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनकी क़ौम ग़िफ़ार के ईमान लाने की घटना ”
2299. “ हज़रत ज़ैद बिन अमरो रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2300. “ हज़रत हारिसा बिन सराक़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2301. “ मदीना मुनव्वरा की फ़ज़ीलत ”
2302. “ मदीना मुनव्वरा के लिए बरकत की दुआ ”
2303. “ मदीने में बसने वालों के अधिकार ”
2304. “ मक्का मुकर्रमा और मदिना मुनव्वरा की पवित्रता का बयान ”
2305. “ हिजाज़ वालों की फ़ज़ीलत और पूरब के लोगों की निंदा ”
2306. “ शाम यानि सीरिया और वहां बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2307. “ हज़रत सअद बिन मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह के चमत्कार और शहादत ”
2308. “ यमन में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2309. “ ओवेस रहमहुल्लाह की फ़ज़ीलत ”
2310. “ अदन अबयन के बारह हज़ार लोगों के द्वारा रसूल अल्लाह ﷺ की सहायता ”
2311. “ ओमान में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2312. “ अजमी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2313. “ बनी अबू अलआस की निंदा ”
2314. “ हकम बिन अबू अलआस पर लअनत ”
2315. “ सबसे बड़े दो बदनसीब ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
المناقب والمثالب
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
سیدنا عمر فاروق رضی اللہ عنہ کے فضائل و مناقب
“ हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3252
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- (اللهم! اعز الإسلام بعمر بن الخطاب خاصة).- (اللهم! أعزّ الإسلام بعمر بن الخطاب خاصةً).
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اے اللہ! عمر بن خطاب کے ذریعے اسلام کو غلبہ نصیب فرما۔
حدیث نمبر: 3253
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-" لو كان بعدي نبي لكان عمر".-" لو كان بعدي نبي لكان عمر".
سیدنا عقبہ بن عامر رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر میرے بعد کوئی نبی ہوتا تو وہ عمر ہوتا۔
حدیث نمبر: 3254
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-" رايتني دخلت الجنة، فإذا انا بالرميصاء امراة ابي طلحة، وسمعت خشفا امامي، فقلت: من هذا يا جبريل؟ قال: هذا بلال".-" رأيتني دخلت الجنة، فإذا أنا بالرميصاء امرأة أبي طلحة، وسمعت خشفا أمامي، فقلت: من هذا يا جبريل؟ قال: هذا بلال".
سیدنا جابر رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں نے خواب میں دیکھا کہ میں جنت میں داخل ہوا، اچانک وہاں میری نگاہ ابوطلحہ کی بیوی رمیصا پر پڑی اور مجھے اپنے سامنے والی جانب سے کسی کے حرکت کرنے کی آواز سنائی دی، میں نے کہا: جبریل! یہ کون ہے؟ اس نے کہا: یہ بلال ہے۔ پھر میں نے ایک سفید محل دیکھا، اس کے صحن میں ایک لڑکی بھی موجود تھی۔ میں نے پوچھا: یہ کس کا محل ہے؟ اس نے جواب دیا: یہ عمر بن خطاب کا ہے۔ میں نے چاہا کہ اس میں داخل ہو جاؤں اور (‏‏‏‏اندر سے) دیکھ لوں، لیکن عمر! مجھے تیری غیرت یاد آ گئی۔ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! میرے ماں باپ آپ پر قربان ہوں، کیا میں آپ پر غیرت کر سکتا ہوں؟۔
حدیث نمبر: 3255
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-" من منع فضل مائه او فضل كلئه منعه الله فضله يوم القيامة".-" من منع فضل مائه أو فضل كلئه منعه الله فضله يوم القيامة".
سیدنا انس رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں جنت میں داخل ہوا، اچانک سونے کا ایک محل دیکھا۔ میں نے پوچھا: یہ محل کس کا ہے؟ انہوں نے کہا ایک قریشی جوان کا ہے۔ مجھے خیال تھا کہ یہ میرا ہی ہو گا (‏‏‏‏کیونکہ میں قریشی ہوں)۔ بہرحال میں نے پوچھا: وہ قریشی کون ہے؟ انہوں نے کہا: یہ عمر بن خطاب رضی اللہ عنہ کا ہے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: عمر! اگر تیری غیرت و حمیت کا مسئلہ نہ ہوتا تو میں اس میں ضرور داخل ہو جاتا۔ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! کیا میں آپ پر غیرت کھا سکتا ہوں؟۔
حدیث نمبر: 3256
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- (بينما انا نائم؛ رايت الناس يعرضون علي وعليهم قمص؛ منها ما يبلغ الثدي، ومنها ما يبلغ اسفل من ذلك؛ فعرض علي عمر وعليه قميص يجره، قالوا: فما اولته يا رسول الله؟! قال: الدين).- (بينما أنا نائم؛ رأيت الناس يُعرَضُونَ عليّ وعليهم قُمُصٌ؛ منها ما يَبْلُغُ الثَّديَّ، ومنها ما يبلغ أسفل من ذلك؛ فعُرِضَ عليَّ عُمَرُ وعليه قميص يَجُرُّهُ، قالوا: فما أوّلتَهُ يا رسول الله؟! قال: الدِّين).
ابوامامہ بن سہل بن حنیف ایک صحابی رسول سے روایت کرتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں سو رہا تھا، اچانک کیا دیکھتا ہوں کہ لوگ مجھ پر اس حال میں پیش کئے جانے لگے کہ انہوں نے قمیصیں پہنی ہوئی تھیں، کسی کی قمیص سینے تک تھی، کسی کی اس سے نیچے تک، اتنے میں عمر کو پیش کیا گیا، ان کی قمیص تو (‏‏‏‏اتنی لمبی تھی کہ) گھسٹ رہی تھی۔ صحابہ نے پوچھا: اے اللہ کے رسول! اس خواب کی تعبیر کیا ہے؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (‏‏‏‏قمیصوں سے مراد) دین ہے۔
حدیث نمبر: 3257
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-" ابو بكر وعمر سيدا كهول اهل الجنة من الاولين والآخرين".-" أبو بكر وعمر سيدا كهول أهل الجنة من الأولين والآخرين".
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوبکر اور عمر پہلے اور پچھلے لوگوں میں سے جنت میں داخل ہونے والے عمر رسیدہ لوگوں کے سردار ہیں۔ یہ حدیث سیدنا علی بن ابوطالب، سیدنا انس بن مالک، سیدنا ابوجحیفہ، سیدنا جابر بن عبداللہ اور سیدنا ابوسعید خدری رضی اللہ عنہم سے مروی ہے۔
حدیث نمبر: 3258
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-" هذان السمع والبصر. يعني ابا بكر وعمر".-" هذان السمع والبصر. يعني أبا بكر وعمر".
سیدنا عبداللہ بن حنطب رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے سیدنا ابوبکر اور سیدنا عمر رضی اللہ عنہما کو دیکھ کر فرمایا: یہ (‏‏‏‏میری امت کے) کان اور آنکھیں ہیں۔
حدیث نمبر: 3259
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-" إن الشيطان ليفرق منك يا عمر!".-" إن الشيطان ليفرق منك يا عمر!".
عبداللہ بن بریدہ اپنے باپ سے روایت کرتے ہیں کہ جب رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ایک غزوے سے واپس آئے تو سیاہ رنگ کی ایک لونڈی آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آئی اور کہا: میں نے نذر مانی تھی کہ اگر اللہ تعالیٰ نے آپ کو فاتح لوٹایا تو میں آپ کے پاس دف بجاؤں گی۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر نذر مانی ہے تو ٹھیک ہے (‏‏‏‏دف بجا لے) وگرنہ نہیں۔ اس نے دف بجانا شروع کیا، ابوبکر رضی اللہ عنہ آئے، وہ بجاتی رہی، دوسرے صحابہ آئے، وہ اسی حالت پر رہی۔ لیکن جب عمر رضی اللہ عنہ آئے تو اس نے دف چھپانے کے لیے اسے اپنے نیچے رکھ دیا اور دوپٹا اوڑھ لیا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: عمر! شیطان تجھ سے ڈرتا ہے۔ میں اور یہ لوگ یہاں بیٹھے تھے (‏‏‏‏یہ دف بجاتی رہی) لیکن جب تم داخل ہوئے تو اس نے ایسے ایسے کر دیا۔
حدیث نمبر: 3260
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- (بينما انا على بئر انزع منها؛ جاءني ابو بكر وعمر، فاخذ ابو بكر الدلو، فنزع ذنوبا او ذنوبين، وفي نزعه ضعف، والله يغفر له! ثم اخذها ابن الخطاب من يد ابي بكر، فاستحالت في يده غربا، فلم ار عبقريا من الناس يفري فريه، فنزع، حئى ضرب الناس بعطن ). جاء من حديث ابن عمر، وابي هريرة، وابي الطفيل. اما حديث ابن عمر؛ فرواه عنه اثنان: اولهما ة سالم - ولده-:- (بينما أنا على بئر أَنْزِعُ منها؛ جاءني أبو بكر وعمر، فأخذ أبو بكر الدلو، فنزع ذنوباً أو ذنوبين، وفي نزعه ضعف، والله يغفر له! ثم أخذها ابن الخطاب من يد أبي بكر، فاستحالت في يده غرباً، فلم أر عبقرياً من الناس يفري فريه، فنزع، حئى ضرب الناس بعطن ٍ). جاء من حديث ابن عمر، وأبي هريرة، وأبي الطفيل. أما حديث ابن عمر؛ فرواه عنه اثنان: أولهما ة سالم - ولده-:
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں (‏‏‏‏خواب میں) ایک کنویں سے پانی کھینچ رہا تھا، میرے پاس ابوبکر آئے، انہوں نے ڈول پکڑا اور ایک دو ڈول کھینچے، اس کے کھینچنے میں کمزوری محسوس ہو رہی تھی اور اللہ تعالیٰ اسے بخش دے گا۔ پھر ابوبکر کے ہاتھ سے عمر ابن خطاب نے (‏‏‏‏وہ ڈول) پکڑ لیا، پھرتو وہ بہت بڑا ڈول ثابت ہوا، میں نے ایسا قوی (‏‏‏‏اور باکمال) آدمی نہیں دیکھا جو اس طرح کام کرتا ہو، انہوں نے اتنا پانی کھینچا کہ لوگ اپنے اونٹوں کو سیراب کر کے پانی کے پاس ٹھہر گئے۔ یہ حدیث سیدنا عبداللہ بن عمر، سیدنا ابوہریرہ اور سیدنا ابو طفیل رضی اللہ عنہم سے مروی ہے۔
حدیث نمبر: 3261
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-" إن من اصحابي من لا يراني بعد ان افارقه".-" إن من أصحابي من لا يراني بعد أن أفارقه".
سیدہ ام سلمہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ میرے پاس عبدالرحمٰن بن عوف رضی اللہ عنہ آئے اور کہا: امی جان! میں قریش کا امیر ترین آدمی ہوں، مجھے ڈر لگ رہا ہے کہ کہیں یہ کثرت مال مجھے ہلاک نہ کر دے۔ انہوں نے کہا: میرے بیٹے! خرچ کیا کرو، کیونکہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے سنا: میرے بعض صحابہ ایسے بھی ہیں جو میری مفارقت کے بعد مجھے نہیں ملیں گے۔ وہ وہاں سے نکل پڑے، سیدنا عمر رضی اللہ عنہ کو ملے، (‏‏‏‏اور انہیں یہ حدیث سنائی)۔ سیدنا عمر، سیدہ ام سلمہ کے پاس آئے اور کہا: اﷲ کی قسم! کیا میں بھی ان میں سے ہوں؟ انہوں نے کہا: نہیں۔ لیکن آپ کے بعد کسی کو خبر نہیں دوں گی۔
حدیث نمبر: 3262
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-" اخر عني يا عمر! إني خيرت فاخترت وقد قيل (لي): * (استغفر لهم او لا تستغفر لهم إن تستغفر لهم سبعين مرة فلن يغفر الله لهم) *. لو اعلم اني لو زدت على السبعين غفر له لزدت".-" أخر عني يا عمر! إني خيرت فاخترت وقد قيل (لي): * (استغفر لهم أو لا تستغفر لهم إن تستغفر لهم سبعين مرة فلن يغفر الله لهم) *. لو أعلم أني لو زدت على السبعين غفر له لزدت".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں: میں نے سیدنا عمر بن خطاب رضی اللہ عنہ کو کہتے ہوئے سنا کہ جب عبداللہ بن ابی (‏‏‏‏منافق) مرا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو اس کی نماز جنازہ کے لیے بلایا گیا، آپ صلی الله علیہ وسلم تشریف لےگئے اور جب نماز کے ارادے سے کھڑے ہوئے تو میں گھوم کر آپ صلی الله علیہ و سلم کے سامنے کھڑا ہو گیا اور کہا: اے الله کے رسول! کیا الله تعالیٰ کے دشمن عبداللہ بن ابی کی نماز جنازہ (‏‏‏‏پڑھنے لگے ہیں)، جس نے فلاں فلاں دن ایسے ایسے کہا تھا؟ ان دنوں کو شمار بھی کیا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم جواباً مسکرا دیے۔ جب میں نے بہت زیادہ اصرار کیا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: عمر! پیچھے ہٹ جاؤ، مجھے اختیار دیا گیا اور میں نے (‏‏‏‏ ‏‏‏‏اس اختیار کو) قبول کر لیا، مجھے (‏‏‏‏ ‏‏‏‏اللہ تعالیٰ کی طرف سے) کہا گیا ہے: ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ اے محمد! آپ ان کے لیے بخشش طلب کریں یا نہ کریں، اگر آپ ستر دفعہ بھی بخشش طلب کریں تو پھر بھی اللہ تعالیٰ ان کو ہرگز معاف نہیں کرے گا۔ (‏‏‏‏سورۃ التوبہ: ۸۰) اگر مجھے علم ہوتا کہ ستر سے زائد دفعہ بخشش طلب کرنے سے اسے بخش دیا جائے گا تو میں زیادہ دفعہ کر دیتا۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے نماز پڑھائی، اس کی میت کے ساتھ چلے اور فارغ ہونے تک اس کی قبر پر کھڑے رہے۔ مجھے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم پر جرات کرنے پر بڑا تعجب ہو رہا تھا، اللہ اور اس کا رسول ہی بہتر جانتے ہیں۔ اللہ کی قسم! تھوڑے وقت کے بعد ہی یہ دو آیات نازل ہوئیں: ‏‏‏‏ اے محمد! منافقوں میں سے جو بھی مرے، آپ نہ کبھی اس کی نماز جنازہ پڑھائیں اور نہ اس کی قبر پر کھڑے ہوں، انہوں نے اللہ اور اس کے رسول کے ساتھ کفر کیا ہے اور فسق کی حالت میں مرے ہیں۔ (‏‏‏‏سوره توبہ: ٨٤) (‏‏‏‏ان آیات کے نزول کے بعد) آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے نہ کسی منافق کی نماز جنازہ پڑھی اور نہ اس کی قبر پر کھڑے ہوئے، یہاں تک کہ فوت ہو گئے۔
حدیث نمبر: 3263
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-" اقتدوا باللذين من بعدي من اصحابي ابي بكر وعمر، واهتدوا بهدي عمار، وتمسكوا بعهد ابن مسعود".-" اقتدوا باللذين من بعدي من أصحابي أبي بكر وعمر، واهتدوا بهدي عمار، وتمسكوا بعهد ابن مسعود".
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میرے بعد ابوبکر اور عمر کی پیروی کرنا، عمار کی سیرت اختیار کرنا اور ابن مسعود کے عہد کو تھام لینا۔ یہ حدیث سیدنا عبداللہ بن مسعود، سیدنا حذیفہ بن یمان، سیدنا انس بن مالک اور سیدنا عبداللہ بن عمر رضی اللہ عنہم سے روایت کی گئی ہے۔
حدیث نمبر: 3264
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- (إيه يا ابن الخطاب! والذي نفسي بيده! ما لقيك الشيطان سالكا فجا؛ إلا سلك فجا غير فجك).- (إيه يا ابن الخطّاب! والذي نفسي بيده! ما لَقِيكَ الشيطانُ سالكاً فجّاً؛ إلا سلك فجّاً غير فجك).
محمد بن سعد اپنے باپ سے روایت کرتے ہیں کہ سیدنا عمر بن خطاب رضی اللہ عنہ نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آنے کی اجازت طلب کی، اس وقت آپ کے پاس قریشی عورتیں بیٹھی تھیں، وہ آپ سے سوال کر رہی تھیں، کثرت کا مطالبہ کر رہی تھیں اور بلند آواز میں (‏‏‏‏ اپنے مطالبات کا) اظہار کر رہی تھیں۔ جب سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے اندر آنے کی اجازت لی تو انھوں نے جلدی جلدی پردہ کر لیا۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے سیدنا عمر رضی اللہ عنہ کو اجازت دی، جب وہ داخل ہوئے تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم ہنس رہے تھے۔ انہوں نے کہا: اے اللہ کے رسول! میرے ماں باپ آپ پر قربان ہوں اور اللہ تعالیٰ آپ کو ہنساتا رہے (‏‏‏‏بھلا مسکرانے کی وجہ کیا ہے)؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: مجھے ان عورتوں پر بڑا تعجب ہو رہا ہے، یہ میرے پاس بیٹھی تھیں، جب انہوں نے تمہاری آواز سنی تو جلدی جلدی پردہ کر لیا۔ انہوں نے کہا: اے اللہ کے رسول! آپ اس بات کے زیادہ مستحق ہیں کہ آپ سے ڈرا جائے۔ پھر وہ ان عورتوں پر متوجہ ہوئے اور کہا: اپنے نفسوں کے دشمنو! کیا تم مجھ سے ڈرتی ہو اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے نہیں ڈرتی؟ انہوں نے کہا: تم رسول اللہ کی بہ نسبت زیادہ سخت رو ہو۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابن خطاب! بس کرو۔ اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! جب شیطان تجھے کسی گلی میں چلتے دیکھتا ہے تو وہ (‏‏‏‏تجھ سے خوفزدہ ہو کر) دوسری گلی میں چلا جاتا ہے۔
حدیث نمبر: 3265
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-" ابو بكر وعمر من هذا الدين كمنزلة السمع والبصر من الراس".-" أبو بكر وعمر من هذا الدين كمنزلة السمع والبصر من الرأس".
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہما بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: دین اسلام میں ابوبکر اور عمر کی اہمیت سر میں کان اور آنکھ کی سی ہے۔
حدیث نمبر: 3266
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-" اثبت حراء، فإنه ليس عليك إلا نبي او صديق او شهيد".-" اثبت حراء، فإنه ليس عليك إلا نبي أو صديق أو شهيد".
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: حرا! تھم جا، نہیں ہے تجھ پر مگر نبی یا صدیق یا شہید۔ یہ حدیث سیدنا سعید بن زید، سیدنا عثمان بن عفان، سیدنا انس بن مالک، سیدنا بریدہ بن حصیب اور سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہم سے روایت کی گئی ہے۔

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