फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2134. “ रसूल अल्लाह ﷺ की फ़ज़ीलतें और तारीफ़ और आप ﷺ जन्नत के दरवाज़े पर सबसे पहले दस्तक देंगे ”
2135. “ रसूल अल्लाह ﷺ को पूरे पूरे और मुहर बंद शब्द दिए गए ”
2136. “ रसूल अल्लाह ﷺ की बद दुआ भी रहमत और पवित्रता का कारण बनजाती थी ”
2137. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने अपने ऊपर लगे आरोपों का कैसे जवाब दिया ? ”
2138. “ रसूल अल्लाह ﷺ की रहमदिली ”
2139. “ रसूल अल्लाह ﷺ को नबी बनाने का फ़ैसला कब किया गया ”
2140. “ रसूल अल्लाह ﷺ का मज़ाक़ भी सच्चाई से भरा होता था ”
2141. “ रसूल अल्लाह ﷺ रहमत थे ”
2142. “ रसूल अल्लाह ﷺ दुश्मनों के लिए भी रहमत थे ”
2143. “ ऊंट अपने मालिक के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ से शिकायत करता है ”
2144. “ दुनिया और आसमान की हर चीज़ जानती है कि रसूल अल्लाह ﷺ अल्लाह के रसूल हैं सिवाए ... ”
2145. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अंगूठी की छवि ”
2146. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचारक और बांटने वाले थे ”
2147. “ रसूल अल्लाह ﷺ बनि किनानह से थे ”
2148. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी है ”
2149. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत का हिसाब किताब सबसे पहले होगा ”
2150. “ रसूल अल्लाह ﷺ सबसे अधिक तक़वा वाले थे ”
2151. “ रसूल अल्लाह ﷺ आदम की औलाद के सरदार हैं ”
2152. “ पेड़ और पत्थर भी रसूल अल्लाह ﷺ को सलाम करते थे ”
2153. “ रसूल अल्लाह ﷺ की शान में झूठ से काम नहीं लेना चाहिए ”
2154. “ रसूल अल्लाह ﷺ का “ आतिकह ” के बारे में बताना ”
2155. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ को उम्मत का दुरुद पहुँचाते हैं ”
2156. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ के ख़िलाफ़ कुरैश सरदारों की योजना ، लेकिन असफल रहे ”
2157. “ यदि अबू जहल रसूल अल्लाह ﷺ की गर्दन रौंदता तो ”
2158. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी होगी ”
2159. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचार करने वाले थे ، तकलीफ़ देने वाले नहीं ”
2160. “ प्रचार के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह ”
2161. “ अच्छे कामों के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह, मज़लूमों की सहायता करने की उनकी इच्छा ”
2162. “ रसूल अल्लाह ﷺ अपने मक़सद पर डटे रहे ”
2164. “ रसूल अल्लाह ﷺ सच ही बोला करते थे ”
2165. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने कसरा को इस्लाम की ओर बुलाया ”
2166. “ रसूल अल्लाह ﷺ का रूप-रंग ”
2167. “ रसूल अल्लाह ﷺ की नींद का बयान ”
2168. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने भूख से अपने पेट पर पत्थर बांधा ”
2169. “ हज़रत इब्राहिम ، हज़रत मूसा ، हज़रत ईसा अलैहिमुस्सलाम और रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ूबियाँ ”
2170. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ास ख़ूबियाँ ”
2171. “ क़ुरआन मजीद के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का भेद-भाव ”
2172. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने इबलीस की हार ”
2173. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सपने में देखना ”
2174. “ उम्महातुल मोमिनीन यानि रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों की फ़ज़ीलत ”
2175. “ रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार के पक्ष में एक अच्छे आदमी की फ़ज़ीलत ”
2176. “ जन्नत की चार अफ़ज़ल औरतें ”
2177. “ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा के लिए क्षमा की दुआ ”
2178. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2179. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह को सिद्दीक़ क्यूँ कहा जाता है ”
2180. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह अफ़ज़ल ख़लीफ़ा थे ”
2181. “ हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2182. “ रसूल अल्लाह ﷺ के वैवाहिक और पारिवारिक रिश्तों का बयान ”
2183. “ हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2184. “ हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2185. “ हज़रत फ़ातिमा रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2186. “ हज़रत ज़ैनब रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2187. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2188. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनके माता पिता का सम्मान ”
2189. “ हज़रत हुसैन की शहादत की भविष्यवाणी ، हज़रत हसन रज़ी अल्लाह अन्हुमा के क़त्ल का बयान ”
2190. “ अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2191. “ अल्लाह की किताब और अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की एहमियत ”
2192. “ हज़रत आसियह और हज़रत मरयम अलैहिमुस्सलाम की फ़ज़ीलत ”
2193. “ हज़रत जआफ़र अबू तालिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2194. “ सहाबा की फ़ज़ीलत ”
2195. “ साहब को बुरा कहने वाले पर लाअनत ”
2196. “ रसूल अल्लाह ﷺ के साथ रहने की फ़ज़ीलत ”
2197. “ सहाबा रज़ि अल्लाह अन्हुम की विशेषताएं ”
2198. “ कुछ क़बीलों की विशेषताएं ”
2199. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सहाबा का समय सबसे अच्छा था ”
2200. “ महाजिरों की फ़ज़ीलत ”
2201. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अन्सारी सहाबा से मुहब्बत ”
2202. “ अन्सारियों की फ़ज़ीलत ”
2203. “ अन्सारियों का घर यानि माता पिता का घर ”
2204. “ एक अन्सारी की मेज़बानी ”
2205. “ सहाबा ، ताबईन और उनके बाद वालों की फ़ज़ीलत ”
2206. “ बिन देखे रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान लाने वालों की फ़ज़ीलत ”
2207. “ हिन्द की जंग के साथियों और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का साथ देने वालों की फ़ज़ीलत ”
2208. “ हज़रत उसामा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2209. “ हज़रत बिलाल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2210. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सेवक के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआएं और उनका फल ”
2211. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2212. “ हज़रत अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहु अन्ह को अनुमति देने का एक विशेष ढंग ”
2213. “ अब्दुल्ला बिन मसऊद सुन्नत के पाबंद थे और अल्लाह को याद करने वाली सभा को बुरा कहने का कारण ”
2214. “ हज़रत हिशाम और हज़रत अमरो रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2215. “ हज़रत अबू सुफ़ियान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2216. “ बदर वालों की फ़ज़ीलत ”
2217. “ कौन कौन और क्या क्या अफ़ज़ल है ”
2218. “ क़िब्तियों के साथ अच्छा व्यवहार करने की नसिहत ”
2219. “ उम्मत की परीक्षा और रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2220. “ हज़रत उसामा की फ़ज़ीलत ”
2221. “ हज़रत सव्वाद से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत का बयान ”
2222. “ क़ुरैशियों की फ़ज़ीलत ”
2223. “ एक क़ुरैशी दो ग़ैर क़ुरैशियों के बराबर क्यूँ ”
2224. “ क़ुरैशी औरतों की विशेषता और फ़ज़ीलत ”
2225. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने क़ुरैश साथियों को तरजीह दी ”
2226. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सबसे पहले क़बीला क़ुरेशा ख़तम होगा ”
2227. “ असलम और ग़िफ़ार क़बीले के लिए दुआ ”
2228. “ कुछ और अरबी क़बीलों की फ़ज़ीलत ”
2229. “ नख़अ क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2230. “ हज़रमोत क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2231. “ अब्दुलक़ैस क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2232. “ अज़दी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2233. “ दहिया कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम के रूप बहुत मिलते जुलते हैं ”
2234. “ बाद में आने वाले उम्मतियों से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत ”
2235. “ हज़रत अरक़म रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2236. “ हज़रत अबु दहदाह रज़ि अल्लाहु अन्ह का लाभदायक व्यापार ”
2237. “ बिना हिसाब किताब के जन्नत में जाने वाले उम्मती ”
2238. “ जुमा के दिन की फ़ज़ीलत ”
2239. “ हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2240. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में डांट डपट या उनकी फ़ज़ीलत ”
2241. “ हज़रत हुज़ैफ़ा और उनकी मां रज़ि अल्लाहु अन्हुम के पक्ष में दुआ ”
2242. “ मुसलामनों के पक्ष में क्षमा की दुआ ”
2243. “ हज़रत सअद बिन अबि वक़ास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2244. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2245. “ हज़रत जअफ़र और हज़रत ज़ैद रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2246. “ हज़रत ख़ालिद बिन वलीद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2247. “ मुस्लिम उम्मत गुमराह करने पर सहमत नहीं हो सकती ”
2248. “ पंद्रह शअबान की रात की फ़ज़ीलत ”
2249. “ अल्लाह के दोस्तों की विशेषताएं ”
2250. “ कवि के रूप में हज़रत हस्सान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2251. “ हज़रत हन्ज़लह रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2252. “ हज़रत मआज़ बिन जबल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2253. “ बुराई का इन्कार करने वाले मुसलमानों की फ़ज़ीलत ”
2254. “ मोमिन की मिसाल खजूर जैसी क्यूँ है ? ”
2255. “ क़बीला मुज़िर की फ़ज़ीलत ”
2256. “ हज़रत सफ़ीना रज़ि अल्लाहु अन्ह की पहचान ”
2257. “ हज़रत अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2258. “ हज़रत जरीर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2259. “ हज़रत तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2260. “ चोट लगे तो बिस्मिल्लाह कहना चाहिए ”
2261. “ चार बहने सहाबियात हैं ”
2262. “ हज़रत अबु उमामह रज़ि अल्लाहु अन्ह का चमत्कार ”
2263. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने अतीत को याद करना ”
2264. “ क़ुरआन के चार शिक्षक ”
2265. “ हज़रत सालिम रज़ि अल्लाहु अन्ह एक अच्छे क़ारी ”
2266. “ दहयह कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम की एकरूपता और उरवह बिन मसऊद सक़फ़ी और ईसा अलैहिस्सलाम की एकरूपता है ”
2267. “ हज़रत ज़ैद बिन हारिसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2268. “ हज़रत हारिसा बिन नअमान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2269. वरक़ा की फ़ज़ीलत ”
2270. “ हातिम इसाई ”
2271. “ हिजरत के बाद किस चीज़ पर बैअत होगी ”
2272. “ हज़रत अमरो बिन हरिस रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2273. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2274. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की इमान लाने की कहानी ، सच्चाई की तलाश में हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की यात्रा ”
2275. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने जंग के मामलों में अपने सहाबा से सलाह ली ”
2276. “ हज़रत ज़ुबैर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2277. “ हज़रत हम्ज़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2278. “ हर ज़माने में आगे बढ़जाने वाले पाए जाएंगे ”
2279. “ हज़रत अम्मार रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2281. “ हज़रत हातिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2282. “ हज़रत अबू तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2283. “ अबू तालिब के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2284. “ हज़रत अबू मूसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की क़ौम की फ़ज़ीलत ”
2285. “ बदर और हुदैबियाह में भाग लेने वालों की फ़ज़ीलत ”
2286. “ मुसलमान की फ़ज़ीलत ”
2287. “ मोमिन की पवित्रता कअबे से अधिक है ”
2288. “ मतलब ”
2289. “ सूरत फ़ातेहा की अंतिम आयत की तफ़्सीर ”
2290. “ हज़रत अबू उबेदा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2291. “ एक समूह सच्चाई पर सदा खड़ा रहेगा ”
2292. “ सहाबा की बरकतें ”
2293. “ मुस्लिम उम्मत की आयु ، रसूल अल्लाह ﷺ के समय के लोगों का एक सदी में ख़त्म होना ”
2294. “ हज़रत अबू हुरैरा की खजूरों में बरकत के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2295. “ हज़रत अबू हिन्द रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2296. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने हज़रत सफ़ियह को कैसे राज़ी किया ? ”
2297. “ एक सदी के लिए अब्दुल्ला बिन बसर रज़ि अल्लाहु अन्ह का जीवन ”
2298. “ हज़रत अबू ज़र हज़रत उनेस रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनकी क़ौम ग़िफ़ार के ईमान लाने की घटना ”
2299. “ हज़रत ज़ैद बिन अमरो रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2300. “ हज़रत हारिसा बिन सराक़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2301. “ मदीना मुनव्वरा की फ़ज़ीलत ”
2302. “ मदीना मुनव्वरा के लिए बरकत की दुआ ”
2303. “ मदीने में बसने वालों के अधिकार ”
2304. “ मक्का मुकर्रमा और मदिना मुनव्वरा की पवित्रता का बयान ”
2305. “ हिजाज़ वालों की फ़ज़ीलत और पूरब के लोगों की निंदा ”
2306. “ शाम यानि सीरिया और वहां बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2307. “ हज़रत सअद बिन मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह के चमत्कार और शहादत ”
2308. “ यमन में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2309. “ ओवेस रहमहुल्लाह की फ़ज़ीलत ”
2310. “ अदन अबयन के बारह हज़ार लोगों के द्वारा रसूल अल्लाह ﷺ की सहायता ”
2311. “ ओमान में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2312. “ अजमी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2313. “ बनी अबू अलआस की निंदा ”
2314. “ हकम बिन अबू अलआस पर लअनत ”
2315. “ सबसे बड़े दो बदनसीब ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
المناقب والمثالب
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
ایک جماعت حق پر قائم رہے گی
“ एक समूह सच्चाई पर सदा खड़ा रहेगा ”
حدیث نمبر: 3477
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-" لا يزال طائفة من امتي ظاهرين حتى ياتيهم امر الله وهم ظاهرون".-" لا يزال طائفة من أمتي ظاهرين حتى يأتيهم أمر الله وهم ظاهرون".
سیدنا مغیرہ بن شعبہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری امت کا ایک گروہ (‏‏‏‏حق پر) غالب رہے گا، حتیٰ کہ اللہ تعالیٰ کا امر آ پہنچے گا اور وہ غالب ہوں گے۔
حدیث نمبر: 3478
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-" لا تزال امة من امتي ظاهرين على الحق لا يضرهم من خالفهم حتى ياتي امر الله وهم ظاهرون على الناس".-" لا تزال أمة من أمتي ظاهرين على الحق لا يضرهم من خالفهم حتى يأتي أمر الله وهم ظاهرون على الناس".
عبداللہ بن عامر یحصبی کہتے ہیں میں نے سیدنا معاویہ رضی اللہ عنہ کو کہتے سنا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی احادیث بیان کرنے سے اجتناب کرو، صرف وہی احادیث بیان کرو جو سیدنا عمر رضی اللہ عنہ کے زمانے میں روایت کی جاتی تھیں، کیونکہ ان کے دور میں لوگ اللہ تعالیٰ سے زیادہ ڈرنے والے تھے۔ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو یہ فرماتے سنا: میری امت کی ایک جماعت حق پر قائم دائم رہے گی، اس کا مخالف اسے کوئی نقصان نہیں پہنچا سکے گا، حتیٰ کہ اللہ کا حکم آ جائے گا اور وہ لوگوں پر غالب ہوں گے۔
حدیث نمبر: 3479
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-" لا تزال طائفة من امتي ظاهرين على الحق حتى تقوم الساعة".-" لا تزال طائفة من أمتي ظاهرين على الحق حتى تقوم الساعة".
سیدنا عمر بن خطاب رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری امت کا ایک گروہ قیامت کے برپا ہونے تک حق پر قائم رہے گا۔
حدیث نمبر: 3480
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-" لا تزال طائفة من امتي ظاهرين على الحق لا يضرهم من خذلهم حتى ياتي امر الله وهم كذلك".-" لا تزال طائفة من أمتي ظاهرين على الحق لا يضرهم من خذلهم حتى يأتي أمر الله وهم كذلك".
سیدنا ثوبان رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری امت میں سے ایک جماعت حق پر قائم دائم رہے گی، ان کو رسوا کرنے والے انہیں کوئی نقصان نہیں پہنچا سکیں گے، یہاں تک کہ اللہ تعالیٰ کا امر آ پہنچے گا اور وہ اسی حالت پر ہوں گے۔
حدیث نمبر: 3481
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-" لا تزال طائفة من امتي ظاهرين على الناس يرفع (¬1) الله قلوب اقوام يقاتلونهم، ويرزقهم الله منهم حتى ياتي امر الله عز وجل وهم على ذلك، الا إن عقر دار المؤمنين الشام، والخيل معقود في نواصيها الخير إلى يوم القيامة".-" لا تزال طائفة من أمتي ظاهرين على الناس يرفع (¬1) الله قلوب أقوام يقاتلونهم، ويرزقهم الله منهم حتى يأتي أمر الله عز وجل وهم على ذلك، ألا إن عقر دار المؤمنين الشام، والخيل معقود في نواصيها الخير إلى يوم القيامة".
جبیر بن نفیر سے روایت ہے کہ سیدنا سلمہ بن نفیل رضی اللہ عنہ نے ان کو بتایا کہ اس نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آ کر کہا: میں نے گھوڑے کو اکتا دیا ہے، اسلحہ پھینک دیا ہے اور لڑائی اپنے ہتھیار رکھ چکی ہے، اب کوئی جہاد نہیں ہو گا۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اب جہاد کا حکم آیا ہے، میری امت کا ایک گروہ لوگوں پر غالب رہے گا، اللہ تعالیٰ کچھ لوگوں کے دل اسلام سے منحرف کر دے گا، وہ گروہ ان سے لڑے گا اور اللہ تعالیٰ ان کو ان سے (‏‏‏‏مال غنیمت کے ذریعے) رزق دے گا، حتیٰ کہ اللہ تعالیٰ کا امر آ جائے گا اور وہ اسی حالت پر ہوں گے۔ آگاہ رہو! مومنوں کے گھروں کی اصل شام میں ہے اور روز قیامت تک گھوڑوں کی پیشانیوں میں خیر و بھلائی لکھ دی گئی ہے۔
حدیث نمبر: 3482
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-" لا تزال طائفة من امتي قوامة على امر الله، لا يضرها من خالفها".-" لا تزال طائفة من أمتي قوامة على أمر الله، لا يضرها من خالفها".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری امت کا ایک گروہ اللہ کے حکم پر قائم دائم رہے گا، اس کے مخالفین اسے کوئی نقصان نہیں پہنچا سکیں گے۔
حدیث نمبر: 3483
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-" لا تزال طائفة من امتي يقاتلون على الحق حتى ياتي امر الله".-" لا تزال طائفة من أمتي يقاتلون على الحق حتى يأتي أمر الله".
سیدنا زید بن ارقم رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تعالیٰ کا امر آنے تک میری امت کا ایک گروہ حق پر قتال کرتا رہے گا۔ اے اہل شام! میرا خیال ہے کہ وہ تم لوگ ہو۔
حدیث نمبر: 3484
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- (لا تزال من امتي عصابة قوامة على امر الله عز وجل، لا يضرها من خالفها؛ تقاتل اعداءها، كلما ذهب حرب نشب حرب قوم آخرين، يزيغ الله قلوب قوم ليرزقهم منه، حتى تاتيهم الساعة، كانها قطع الليل المظلم، فيفزعون لذلك؛ حتى يلبسوا له ابدان الدروع، وقال رسول الله - صلى الله عليه وسلم -: هم اهل الشام، ونكت رسول الله - صلى الله عليه وسلم - بإصبعه؛ يومئ بها إلى الشام حتى اوجعها).- (لا تزالُ من أمَّتي عِصابةٌ قوَّامةٌ على أمْرِ الله عزّ وجلّ، لا يضرُّها من خالفَها؛ تقاتلُ أعداءها، كلما ذهبَ حربٌ نشِبَ حربُ قومٍ آًخرين، يزيغُ اللهُ قلوب قوم ليرزقَهم منه، حتى تأتيهم الساعةُ، كأنّها قطعُ الليلِ المظلمِ، فيفزعونَ لذلك؛ حتّى يلبسُوا له أبدانَ الدُّروع، وقال رسول الله - صلى الله عليه وسلم -: همْ أهلُ الشّامِ، ونكَتَ رسولُ اللهِ - صلى الله عليه وسلم - بإصبعِه؛ يومئُ بها إلى الشّامِ حتّى أوجَعها).
عمیر بن اسود اور کثیر بن مرہ حضرمی کہتے ہیں کہ سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ اور ابن سمط کہتے تھے کہ مسلمان زمین میں قیامت کے برپا ہونے تک موجود رہیں گے، کیونکہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏میری امت کی ایک جماعت اللہ کے حکم پر قائم دائم رہے گی، اس کا مخالف اسے کوئی نقصان نہیں پہنچا سکے گا، وہ اپنے دشمنوں سے جہاد کرتی رہے گی، جب کبھی ایک لڑائی ختم ہو گی تو دوسری جنگ چھڑ جائے گی، اللہ تعالیٰ لوگوں کے دلوں کو راہ راست سے ہٹاتا رہے گا تاکہ ان سے (‏‏‏‏مال غنیمت کے ذریعے) ان کو رزق دیتا رہے، حتیٰ کہ قیامت آ جائے گی، گویا کہ وہ اندھیری رات کے ٹکڑے ہوں گے، اس وجہ سے وہ گھبرا جائیں گے، حتیٰ کہ وہ چھوٹی چھوٹی زرہیں پہنیں گے اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ اہل شام ہیں۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے شام کی طرف اشارہ کرتے ہوئے اپنی انگلی کے ذریعے زمین کو کریدا (‏‏‏‏یعنی شام کی طرف خط کھینچا)، حتیٰ کہ آپ کو تکلیف بھی ہوئی۔
حدیث نمبر: 3485
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-" لا تزال طائفة من امتي يقاتلون على الحق، ظاهرين على من ناواهم حتى يقاتل آخرهم المسيح الدجال".-" لا تزال طائفة من أمتي يقاتلون على الحق، ظاهرين على من ناوأهم حتى يقاتل آخرهم المسيح الدجال".
سیدنا عمران بن حصین رضی اللہ عنہما سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری امت کی ایک جماعت حق پر جہاد کرتی رہے گی، دشمنی کرنے والوں پر غالب رہے گی، حتیٰ کہ ان کے آخری افراد مسیح دجال کے ساتھ لڑیں گے۔
حدیث نمبر: 3486
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-" لا تزال طائفة من امتي يقاتلون على الحق ظاهرين إلى يوم القيامة، قال: فينزل عيسى بن مريم صلى الله عليه وسلم فيقول اميرهم: تعال صل لنا، فيقول: لا، إن بعضكم على بعض امراء، تكرمة الله على هذه الامة".-" لا تزال طائفة من أمتي يقاتلون على الحق ظاهرين إلى يوم القيامة، قال: فينزل عيسى بن مريم صلى الله عليه وسلم فيقول أميرهم: تعال صل لنا، فيقول: لا، إن بعضكم على بعض أمراء، تكرمة الله على هذه الأمة".
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری امت کی ایک جماعت حق پر قتال کرتی ہوئی روز قیامت تک غالب رہے گی، جب عیسیٰ بن مریم علیہ السلام نازل ہوں گے تو ان کا امیر ان سے کہے گا آؤ، ہمیں نماز پڑھاؤ۔ وہ کہیں گے نہیں، تم ہی ایک دوسرے کے امیر بن سکتے ہو، (‏‏‏‏ ‏‏‏‏میں جماعت نہیں کراؤں گا) یہ اللہ تعالیٰ کی طرف سے اس امت کی عزت افزائی ہے۔
حدیث نمبر: 3487
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- (لا تزال من امتي عصابة قوامة على امر الله عز وجل، لا يضرها من خالفها؛ تقاتل اعداءها، كلما ذهب حرب نشب حرب قوم آخرين، يزيغ الله قلوب قوم ليرزقهم منه، حتى تاتيهم الساعة، كانها قطع الليل المظلم، فيفزعون لذلك؛ حتى يلبسوا له ابدان الدروع، وقال رسول الله - صلى الله عليه وسلم -: هم اهل الشام، ونكت رسول الله - صلى الله عليه وسلم - بإصبعه؛ يومئ بها إلى الشام حتى اوجعها).- (لا تزالُ من أمَّتي عِصابةٌ قوَّامةٌ على أمْرِ الله عزّ وجلّ، لا يضرُّها من خالفَها؛ تقاتلُ أعداءها، كلما ذهبَ حربٌ نشِبَ حربُ قومٍ آًخرين، يزيغُ اللهُ قلوب قوم ليرزقَهم منه، حتى تأتيهم الساعةُ، كأنّها قطعُ الليلِ المظلمِ، فيفزعونَ لذلك؛ حتّى يلبسُوا له أبدانَ الدُّروع، وقال رسول الله - صلى الله عليه وسلم -: همْ أهلُ الشّامِ، ونكَتَ رسولُ اللهِ - صلى الله عليه وسلم - بإصبعِه؛ يومئُ بها إلى الشّامِ حتّى أوجَعها).
عمیر بن اسود اور کثیر بن مرہ حضرمی کہتے ہیں کہ سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ اور ابن سمط کہتے تھے کہ مسلمان زمین میں قیامت برپا ہونے تک موجود رہیں گے، کیونکہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری امت کی ایک جماعت اللہ کے حکم پر قائم دائم رہے گی، اس کا مخالف اسے کوئی نقصان نہیں پہنچا سکے گا، وہ اپنے دشمنوں سے جہاد کرتی رہے گی، جب کبھی ایک لڑائی ختم ہو گی تو دوسری جنگ چھڑ جائے گی، اللہ تعالیٰ لوگوں کے دلوں کو راہ راست سے ہٹاتا رہے گا تاکہ ان سے (‏‏‏‏مال غنیمت کے ذریعے) ان کو رزق دیتا رہے، حتیٰ کہ قیامت آ جائے گی، گویا کہ وہ اندھیری رات کے ٹکڑے ہوں گے، اس وجہ سے وہ گھبرا جائیں گے، حتیٰ کہ وہ چھوٹی چھوٹی زرہیں پہنیں گے۔ اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ اہل شام ہیں۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے شام کی طرف اشارہ کرتے ہوئے اپنی انگلی کے ذریعے زمین کو کریدا (‏‏‏‏یعنی شام کی طرف خط کھینچا)، حتیٰ کہ آپ کو تکلیف بھی ہوئی۔
حدیث نمبر: 3488
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-" إذا فسد اهل الشام فلا خير فيكم، لا تزال طائفة من امتي منصورين لا يضرهم من خذلهم حتى تقوم الساعة".-" إذا فسد أهل الشام فلا خير فيكم، لا تزال طائفة من أمتي منصورين لا يضرهم من خذلهم حتى تقوم الساعة".
سیدنا معاویہ بن قرہ اپنے باپ سیدنا قرہ رضی اللہ عنہ سے روایت کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب اہل شام میں فساد پیدا ہو جائے گا تو تم میں بھی کوئی خیر باقی نہ رہے گی۔ میری امت کی ایک جماعت کی ہمیشہ مدد کی جاتی رہے گی، انہیں رسوا کرنے (کی ‏‏‏‏کوشش کرنے) والا قیامت برپا ہونے تک انہیں کوئی نقصان نہیں پہنچا سکے گا۔

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