यात्रा, जिहाद, जंग और जानवरों के साथ नरमी करना
1345. “ जिहाद की फ़ज़ीलत ”
1346. “ शहादत की तकलीफ़ ”
1347. “ शहीद की दुनिया में लौटने की इच्छा और उसका कारण ”
1348. “ जिहाद के लिए यात्रा की फ़ज़ीलत ”
1349. “ साथियों और छोटी बड़ी सेनाओं की अच्छी संख्या ”
1350. “ शहीदों के प्रकार ”
1351. “ अल्लाह के रास्ते में निकलने वालों की संपत्ति की सुरक्षा की ज़मानत ”
1352. “ यदि जिहाद दुनिया के लिए है ، तो सवाब ? ”
1353. “ ग़ाज़ी को तैयार करने और उनके परिवार का समर्थन करने की फ़ज़ीलत ”
1354. “ साफ़ नियत से शहादत की इच्छा करना ”
1355. “ विजय के नियम ”
1356. “ विजय और इसकी भविष्यवाणियाँ ”
1357. “ जिहाद छोड़ना हलाकत है ”
1358. “ जिहाद न करने वालों का बोझ ”
1359. “ अफ़ज़ल जिहाद के रूप ”
1360. “ एक ज़ालिम राजा के सामने सच बोलना अफ़ज़ल जिहाद क्यों है ? ”
1361. “ असली जिहाद और जिहाद का लक्ष्य ”
1362. “ कमज़ोर लोगों का दर्जा और स्थान ”
1363. “ हुनेन की लड़ाई और मारे गए काफ़िरों से छिना हुआ माल ”
1364. “ जानवरों के अधिकार ”
1365. “ हर जीव के साथ भलाई करना ”
1366. “ जानवरों को दुख देना अज़ाब का कारण है ”
1367. “ जानवर को आग से दाग़ना मना है ”
1368. “ जानवरों के गले में घंटियाँ बांधना मना है ”
1369. “ मस्जिद में कविताएँ पढ़ना सही है ، लेकिन... ”
1370. “ शुक्र करने के लिए और जिहाद में मज़बूत रहने के लिए कविता में दुआ करना ”
1371. “ जिहाद में भाग लेना औरतों के लिए कैसा है ? औरतों का सेना के साथ चिकित्सकों के रूप में जाना ”
1372. “ मुशरिकों को जज़ीरह अरब से निकालना ”
1373. “ प्रतिनिधिमंडल के साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए ”
1374. “ रात में यात्रा करने की नसीहत ”
1375. “ यात्रा में जल्दी चलने की नसीहत ”
1376. “ अकेले यात्रा करने से मना कर दिया ”
1377. “ जो इस्लाम स्वीकार करता है ، वह अपनी संपत्ति का अधिक हक़दार होता है ”
1378. “ घर से निकलते और प्रवेश करते समय दो रकअत नमाज़ पढ़ना ”
1379. “ बहुतायत धन का संकट ”
1380. “ तीन यात्रियों को जमाअत से नमाज़ पढ़नी चाहिए ”
1381. “ उन जगहों से कैसे गुज़रें जहां अज़ाब हुआ हो ”
1382. “ दमिश्क़ के लोग दीन के समर्थक ”
1383. “ तीरंदाज़ी की नसीहत ”
1384. “ अच्छे घोड़ों की निशानियां ”
1385. “ जिहाद के लिए घोड़ों की देखभाल करना ”
1386. “ घुड़दौड़ के लिए कम खिलाना ”
1387. “ जिहादी यात्रा में चौकीदारी और उसकी फ़ज़ीलत ”
1388. “ विदाई के समय इस्लाम के नियम ”
1389. “ रसूल को परेशान करने वाले और रसूल को मारने वाले दोनों को अल्लाह का अज़ाब ”
1390. “ यात्री को मोज़ों पर सात दिनों के लिए मसह करने की अनुमति ”
1391. “ कविता के माध्यम से दुश्मन की निंदा ”
1392. “ अल्लाह के लिए ”
1393. “ हज भी अल्लाह के लिए है ”
1394. “ मुसीबत के समय में सबसे अच्छे लोग ”
1395. “ कुछ लोग मजबूरी में इस्लाम स्वीकार करते हैं ، लेकिन... ”
1396. “ रात को सोते समय की दुआ ”
1397. “ जिहाद शुरू करने का सबसे अच्छा समय ، न्हावन्द की घटना और मुजाहिदों की जीत ईरान पर ”
1398. “ अशअरी लोगों का बलिदान ”
1399. “ शहीद ، विद्वान ، क़ारी और दानी ، जो दिखावा करते थे ”
1400. “ हिजरत एक अनोखी प्रक्रिया है ”
1401. “ हिजरत और जिहाद ज़रूरी हैं
1402. “ हब्शह की हिजरत ”
1403. “ हिजरत की यात्रा में मरने वाले की फ़ज़ीलत ”
1404. “ लड़ाई के दौरान पहचान के लिए विशेष निशान ”
1405. “ मुशरिकों से सहायता न लीजाए ”
1406. “ जीत पर डफ़ बजाने की नज़र पूरी करना ”
1407. “ मोमिन ، शैतानों को थका देता है ”
1408. “ हीरा स्थान की जीत की भविष्यवाणी ”
1409. “ आख़िरत की सफलता की तुलना में विजय का कोई अर्थ नहीं ”
1410. “ वादा न तोड़ने की महान मिसाल ”
1411. “ यात्रा में रोज़ा रखना ”
1412. “ माता-पिता ، यात्रियों और मज़लूम की दुआ स्वीकार की जाती है ”
1413. “ यात्रा अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है ”
1414. “ माले ग़नीमत हलाल होगया ”
1415. “ माले ग़नीमत का बटवारा ख़लीफ़ा और इमाम के हुक्म से होगा ”
1416. “ तौहीद हर कार्रवाई की शर्त है , कार्रवाई छोटी लेकिन सवाब बड़ा है ”
1417. “ सरदारी हर तरह से हानिकारक है ”
1418. “ लड़ाई के बीच औरत और सेवक को नहीं मारना चाहिए ”
1419. “ फ़ज्र की नमाज़ के बाद थोड़ी पैदल यात्रा करना ”
1420. “ जिहाद के बीच घायल होने वाली उंगली पर नबी ﷺ का कहना ”
1421. “ आप के झंडों ﷺ का रंग ”
1422. “ लड़ने का सबसे अच्छा समय ”
1423. “ हर कोई अपनी क़ौम के झंडे के नीचे होगा ”
1424. “ गुरुवार से यात्रा शुरू करना ”
1425. “ बनि क़ुरैज़ के बारे में हज़रत सअद रज़ि अल्लाहु अन्ह का फ़ैसला ”
1426. “ लड़ाई के दौरान हज़रत अबू बक्र और हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हुमा के साथ हज़रत जिब्रईल और मिकाईल का होना ”
1427. “ बद्र की लड़ाई के लिए अन्सारियों की सलाह और जिहाद की भावना ”
1428. “ बद्र वालों की फ़ज़ीलत ”
1429. “ ख़ंदक़ की लड़ाई के बाद मुशरिक चढ़ाई नहीं कर सके ”
1430. “ बनि हवाज़िन के प्रतिनिधिमंडल का आना और उन पर रसूल अल्लाह ﷺ का एहसान ”
1431. “ नम्रता ऊंचाई का और घमंड रुस्वाई का कारण कैसे बनता है ”
1432. “ क्षमा करने का बदला और सवाब ”
1433. “ संभोग के लिए घोड़ा अस्थायी रूप से देने का सवाब ”
1434. “ बुरे शगुन के कारण किसी भी काम को छोड़ना नहीं चाहिए ”
1435. “ रात में मुसलमानों पर तीर चलाने वाले की निंदा ”
1436. “ अल्लाह की सहायता सब्र पर और आसानी कठिनाई पर आधारित है ”
1437. “ लड़ने से पहले इस्लाम की दावत देना ज़रूरी है ”
1438. “ हर मुसलमान शरण दे सकता है ”
1439. “ तबूक की लड़ाई के समय पर बहाना बनाने वालों का राज़ खुल गया ”

سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
السفر والجهاد والغزو والرفق بالحيوان
سفر، جہاد، غزوہ اور جانور کے ساتھ نرمی برتنا
यात्रा, जिहाद, जंग और जानवरों के साथ नरमी करना
حیوانات کے حقوق
“ जानवरों के अधिकार ”
حدیث نمبر: 2074
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-" اتقوا الله في هذه البهائم المعجمة، فاركبوها صالحة وكلوها صالحة".-" اتقوا الله في هذه البهائم المعجمة، فاركبوها صالحة وكلوها صالحة".
سہل بن حنظلیہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ایک اونٹ کے پاس سے گزرے، جس کی پشت (اس کی لاغری کی وجہ سے) اس کے پیٹ سے لگی ہوئی تھی، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ان بے زبان جانوروں کے بارے میں اللہ تعالیٰ سے ڈرو، پس تم ان پر سواری بھی اس حال میں کرو کہ یہ ٹھیک ہوں اور ان کو چھوڑ دیا کرو اس حال میں کہ یہ تندرست ہوں۔
حدیث نمبر: 2075
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-" افلا قبل هذا! اتريد ان تميتها موتتين؟!".-" أفلا قبل هذا! أتريد أن تميتها موتتين؟!".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ایک آدمی کے پاس سے گزرے، جو اپنا پاؤں بکری کے پہلو پر رکھ کر چھری تیز کر رہا تھا اور وہ اسے کن انکھیوں سے دیکھ رہی تھی۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ کام پہلے کیوں نہیں کر لیا؟ کیا تو اسے دو دفعہ ذبح کرنا چاہتا ہے؟
حدیث نمبر: 2076
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-" افلا تتقي الله في هذه البهيمة التي ملكك الله إياها؟! فإنه شكا إلي انك تجيعه وتدئبه".-" أفلا تتقي الله في هذه البهيمة التي ملكك الله إياها؟! فإنه شكا إلي أنك تجيعه وتدئبه".
سیدنا عبداللہ بن جعفر رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے سواری پر اپنے پیچھے بٹھا لیا اور میرے ساتھ رازداری سے ایک بات کی جو میں کسی سے بیان نہیں کروں گا اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو قضائے حاجت کے لیے کسی اونچی چیز (دیوار، ٹیلہ وغیرہ) یا کھجور کے جھنڈ کے ساتھ پردہ کرنا سب سے زیادہ پسند تھا۔ سو آپ صلی اللہ علیہ وسلم ایک انصاری آدمی کے باغ میں داخل ہوئے تو وہاں ایک اونٹ تھا۔ پس جب اونٹ نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو دیکھا، تو بلبلایا اور اس کی آنکھوں سے آنسو جاری ہو گئے۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم اس کے پاس آئے اور اس کی کوہان اور کان کے عقبی حصے پر ہاتھ پھیرا تو اس کو قرار آ گیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: اس اونٹ کا مالک کون ہے؟ یہ اونٹ کس کا ہے؟ پس ایک نوجوان انصاری آپ کے پاس آیا اور کہا: اے اللہ کے رسول! یہ میرا ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کیا تو اس جانور کے بارے میں، جس کا اللہ نے تجھ کو مالک بنایا ہے، اللہ سے نہیں ڈرتا؟ کیونکہ اس نے مجھ سے شکایت کی ہے کہ تو اسے بھوکا رکھتا ہے اور (مشقت زیادہ لے کر) تھکا دیتا ہے۔
حدیث نمبر: 2077
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-" اركبوا هذه الدواب سالمة وايتدعوها سالمة ولا تتخذوها كراسي".-" اركبوا هذه الدواب سالمة وايتدعوها سالمة ولا تتخذوها كراسي".
سیدنا معاذ بن انس رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ان جانوروں پر سوار ہو، اس حال میں کہ یہ صحت مند ہوں اور ان کو صحت و سالمیت کی حالت میں ہی چھوڑ دیا کرو اور ان کو کرسیاں نہ بنا لو (یعنی خوامخواہ ان پر نہ بیٹھے رہو)۔
حدیث نمبر: 2078
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-" من فجع هذه بولدها؟! ردوا ولدها إليها".-" من فجع هذه بولدها؟! ردوا ولدها إليها".
عبدالرحمٰن بن عبداللہ اپنے باپ سے روایت کرتے ہیں، وہ کہتے ہیں کہ ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ ایک سفر میں تھے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم اپنی بشری حاجت کے لیے تشریف لے گئے، ہم نے (چڑیا کی طرح کا) ایک سرخ پرندہ دیکھا، اس کے ساتھ اس کے دو بچے تھے، ہم نے ان بچوں کو پکڑ لیا۔ تو وہ پرندہ (ان کے گرد منڈلانے اور) اپنے بازو پھڑپھڑانے لگا، اتنے میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم تشریف لے آئے اور پوچھا: اس پرندے کو اس کے بچوں کی وجہ سے کس نے رنج پہنچایا ہے؟ اسے اس کے بچے لوٹا دو۔ پھر آپ نے چیونٹیوں کی ایک بستی دیکھی جس کو ہم نے جلا دیا تھا، آپ نے پوچھا: یہ بستی کس نے جلائی ہے؟ ہم نے جواب دیا: ہم نے (جلائی ہے)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: آگ کا عذاب دینا تو آگ کے رب کو ہی سزاوار ہے۔
حدیث نمبر: 2079
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-" إذا رجعت إلى بيتك فمرهم فليحسنوا غذاء رباعهم ومرهم فليقلموا اظفارهم ولا يبطوا بها ضروع مواشيهم إذا حلبوا".-" إذا رجعت إلى بيتك فمرهم فليحسنوا غذاء رباعهم ومرهم فليقلموا أظفارهم ولا يبطوا بها ضروع مواشيهم إذا حلبوا".
سیدنا سوادہ بن ربیع رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا اور آپ سے سوال کیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے میرے لیے کچھ اونٹنیوں کا حکم دیا اور مجھے فرمایا: جب تو اپنے گھر پہنچے تو انہیں کہنا کہ موسم بہار میں پیدا ہونے والے ان کے بچوں کو اچھی غذا دیں گے، نیز انہیں کہنا کہ وہ اپنے ناخن تراش لیں تاکہ دودھ دوہتے وقت مویشیوں کے تھنوں کو تکلیف نہ ہو۔
حدیث نمبر: 2080
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-" عليك بالخيل فارتبطها، الخيل معقود في نواصيها الخير".-" عليك بالخيل فارتبطها، الخيل معقود في نواصيها الخير".
سیدنا سوادہ بن ربیع رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے میرے لیے کچھ اونٹوں کا حکم دیا اور مجھ سے فرمایا: اپنے بیٹوں کو حکم دینا کہ اپنے ناخن کاٹ دیں تاکہ اونٹنیوں اور دوسرے مویشیوں کے تھنوں کو تکلیف نہ ہو، اور انہیں یہ بھی کہنا کہ وہ دودھ دوہیں اور ان کے بچوں کے لیے بھی چھوڑیں، کہیں ایسا نہ ہو کہ قحط سالی کی وجہ سے وہ لاغر و کمزور ہو جائیں۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: تیرے پاس کوئی مال ہے؟ میں نے کہا: جی ہاں، میرے پاس مال، گھوڑے اور غلام ہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: گھوڑوں کو پالنے کا اہتمام کیے رکھ، ان کو سرحدی حفاظت کے لیے تیار رکھ۔ گھوڑے کی پیشانی کے ساتھ خیر وابستہ ہے۔
حدیث نمبر: 2081
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-" إذا اخصبت الارض فانزلوا عن ظهركم واعطوا حقه من الكلا وإذا اجدبت الارض فامضوا عليها وعليكم بالدلجة، فإن الارض تطوى بالليل".-" إذا أخصبت الأرض فانزلوا عن ظهركم وأعطوا حقه من الكلأ وإذا أجدبت الأرض فامضوا عليها وعليكم بالدلجة، فإن الأرض تطوى بالليل".
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب سرسبز و شاداب زمین آ جائے تو سواری سے نیچے اتر آیا کرو اور اسے چرنے دیا کرو اور جب قحط زدہ زمین آ جائے تو سوار ہو جایا کرو اور رات کو سفر کیا کرو کیونکہ رات کو زمین کی مسافت مختصر ہو جاتی ہے۔
حدیث نمبر: 2082
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-" إياكم ان تتخذوا ظهور دوابكم منابر، فإن الله تعالى إنما سخرها لكم لتبلغكم إلى بلد لم تكونوا بالغيه إلا بشق الانفس، وجعل لكم الارض فعليها فاقضوا حاجاتكم".-" إياكم أن تتخذوا ظهور دوابكم منابر، فإن الله تعالى إنما سخرها لكم لتبلغكم إلى بلد لم تكونوا بالغيه إلا بشق الأنفس، وجعل لكم الأرض فعليها فاقضوا حاجاتكم".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اپنی سواریوں کی پیٹھوں کو منبر سمجھ کر (ان پر) بیٹھے ہی نہ رہا کرو، کیونکہ اللہ تعالیٰ نے ان کو تمہارے لیے مسخر کیا ہے تاکہ یہ تمہیں ایسے شہر میں پہنچا دیں جہاں تم بغیر آدھی جان کئے پہنچ ہی نہیں سکتے تھے۔ اللہ تعالیٰ نے تمہارے لیے زمین بنائی ہے، اس پر اپنی حاجتیں پوری کیا کرو۔
حدیث نمبر: 2083
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-" لو غفر لكم ما تاتون إلى البهائم لغفر لكم كثيرا".-" لو غفر لكم ما تأتون إلى البهائم لغفر لكم كثيرا".
سیدنا ابودردا رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جو تم چوپائیوں سے (‏‏‏‏ظلم) کرتے ہو، اگر وہ بخش دیا جائے، (‏‏‏‏تو سمجھ لو کہ) بہت کچھ معاف کر دیا گیا ہے۔
حدیث نمبر: 2084
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-" اخروا الاحمال (على الإبل) فإن اليد معلقة، والرجل موثقة".-" أخروا الأحمال (على الإبل) فإن اليد معلقة، والرجل موثقة".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اونٹوں سے بوجھ اتار دیا کرو، کیونکہ (اس حالت میں) ان کے ہاتھ بھی بندھے ہوتے ہیں اور ٹانگیں بھی بندھی ہوتی ہیں۔
حدیث نمبر: 2085
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-" إذا سرتم في ارض خصبة، فاعطوا الدواب حقها او حظها، وإذا سرتم في ارض جدبة فانجوا عليها، وعليكم بالدلجة، فإن الارض تطوى بالليل، وإذا عرستم، فلا تعرسوا على قارعة الطريق فإنها ماوى كل دابة".-" إذا سرتم في أرض خصبة، فأعطوا الدواب حقها أو حظها، وإذا سرتم في أرض جدبة فانجوا عليها، وعليكم بالدلجة، فإن الأرض تطوى بالليل، وإذا عرستم، فلا تعرسوا على قارعة الطريق فإنها مأوى كل دابة".
سیدنا انس رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب تم سبزہ زاروں میں سفر کر رہے ہو تو جانوروں کو ان کا حق دیا کرو (یعنی ان کو چرنے دیا کرو) اور جب قحط زدہ زمین سے گزر ہو رہا ہو تو تیز چلا کرو اور رات کو سفر کیا کرو کیونکہ رات میں زمین کی مسافت مختصر ہو جاتی ہے۔ جب تم کہیں پڑاؤ ڈالو تو وسط راہ میں ڈیرہ مت لگایا کرو، کیونکہ (ایسے مقامات رات کو) ہر قسم کے جانوروں کا ٹھکانہ ہوتے ہیں۔

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