हज्ज के मसले
1. “ हज्ज मबरुर की फ़ज़ीलत ( अच्छाई ) ”
2. “ हज्ज कितनी तरह किया जा सकता है ”
3. “ हज्ज करने के तऱीके का ध्यान रखना ज़रूरी है ”
4. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज्ज इफ़राद किया था ”
5. “ तवाफ़ की शुरुआत हजर अस्वद से होगी ”
6. “ तवाफ़ करते समय हतीम के अंदर से गुज़रना जाइज़ नहीं ”
7. “ सवारी पर तवाफ़ करना जाइज़ है ”
8. “ उमरह की नियत के साथ बाद में हज्ज की नियत करना ”
9. “ एहराम बाँधने से पहले ख़ुश्बू लगाना जाइज़ है ”
10. “ एहराम बाँधने और लब्बेक कहने से पहले कोई चीज़ हराम नहीं होती है ”
11. “ एहराम बाँधने के बाद निकाह और सगाई के बारे में ”
12. “ एहराम बाँधने के बाद सर धोना जाइज़ है ”
13. “ जिस के पास क़ुरबानी का जानवर न हो और वह हज्ज के महीने में बैतुल्लाह पहुंच जाए ”
14. “ अगर हज्ज पर जाने वाली औरत बच्चा जन्मे तो... ”
15. “ एहराम बांधने के बाद शिकार मना है ”
16. “ एहराम वालों के लिए शिकार किये हुऐ जानवर का उपहार ”
17. “ एहराम की हालत में कौन से जानवरों को मारा जा सकता है ”
18. “ एहराम की हालत में मना किये गए काम ”
19. “ तल्बियह कहने की जगहें ”
20. “ मदीने में रहने वालों को ज़ुल हलिफ़ह से तल्बियह कहना चाहिए ”
21. “ तल्बियह के शब्द ”
22. “ मिना से अराफ़ात जाते हुए लब्बेक या तकबीरें कहना ”
23. “ अराफ़ात से मुज़दलफ़ा जाते हुए तेज़ चलना चाहिए ”
24. “ सफ़ा और मरवाह के बीच सेई करना यानि दौड़ना ”
25. “ अराफ़ात के दिन हाजी को रोज़ा रखना मना है ”
26. “ सफ़ा और मरवह पर दुआ ”
27. “ मुज़दलफ़ा में मग़रिब और ईशा की नमाज़ें जमा करना ”
28. “ हज्ज में ज़रूरी अमल भूल जाए या न करे तो दम देना ज़रूरी है ”
29. “ औरत को अगर माहवारी हो जाए तो तवाफ़ नहीं करे गी ”
30. “ जो औरत तवाफ़ अफ़ाज़ह कर चुकी हो और माहवारी हो जाए ”
31. “ मर्दों के लिए सर मुंडवाना अच्छा है ”
32. “ मजबूरी में सर पहले मुंडवाने पर कफ़्फ़ारह ”
33. “ ( मजबूरी में ) कंकरियां जल्दी या देर से मारना जाइज़ है ”
34. “ हज्ज बदल के बारे में ”
35. “ उमरह की फ़ज़ीलत (अच्छाई ) ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
حج کے مسائل
हज्ज के मसले
مزدلفہ میں مغرب اور عشاء کی نمازیں جمع کرنا
“ मुज़दलफ़ा में मग़रिब और ईशा की नमाज़ें जमा करना ”
حدیث نمبر: 327
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190- مالك عن موسى بن عقبة عن كريب مولى ابن عباس عن اسامة بن زيد انه سمعه يقول: دفع رسول الله صلى الله عليه وسلم من عرفة، حتى إذا كان بالشعب نزل فبال ثم توضا ولم يسبغ الوضوء، فقلت له: الصلاة، فقال: ”الصلاة امامك.“ فركب. فلما جاء المزدلفة نزل فتوضا واسبغ الوضوء، ثم اقيمت الصلاة فصلى المغرب، ثم اناخ كل إنسان بعيره فى منزله، ثم اقيمت العشاء فصلاها، ولم يصل بينهما شيئا.190- مالك عن موسى بن عقبة عن كريب مولى ابن عباس عن أسامة بن زيد أنه سمعه يقول: دفع رسول الله صلى الله عليه وسلم من عرفة، حتى إذا كان بالشعب نزل فبال ثم توضأ ولم يسبغ الوضوء، فقلت له: الصلاة، فقال: ”الصلاة أمامك.“ فركب. فلما جاء المزدلفة نزل فتوضأ وأسبغ الوضوء، ثم أقيمت الصلاة فصلى المغرب، ثم أناخ كل إنسان بعيره فى منزله، ثم أقيمت العشاء فصلاها، ولم يصل بينهما شيئا.
سیدنا اسامہ بن زید رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم عرفات سے واپس لوٹے حتیٰ کہ جب (مزدلفہ سے پہلے) ایک گھاٹی پر اترے تو پیشاب کیا، پھر وضو کیا اور پورا وضو نہ کیا۔ میں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے کہا: نماز پڑھیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: نماز آگے ہے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم سوار ہوئے اور جب مزدلفہ میں پہنچے تو اتر کر وضو کیا اور پورا وضو کیا، پھر نماز کی اقامت کہی گئی تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مغرب کی نماز پڑھی، پھر ہر انسان نے اپنے اونٹ کو اپنے مقام پر بٹھا دیا۔ پھر عشاء کی اقامت کہی گئی تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے عشاء کی نماز پڑھی اور ان دونوں نمازوں کے درمیان کوئی نماز نہیں پڑھی۔

تخریج الحدیث: «190- متفق عليه، الموطأ (رواية يحييٰ بن يحييٰ 400/1، 401 ح 925، ك 20 ب 65 ح 197) التمهيد 156/13، الاستذكار:865، و أخرجه البخاري (139) ومسلم (1280) من حديث مالك به.»
حدیث نمبر: 328
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وبه عن عدي بن ثابت الانصاري ان عبدالله بن يزيد الخطم اخبره ان ابا ايوب الانصاري اخبره انه صلى مع رسول الله صلى الله عليه وسلم فى حجة الوداع المغرب والعشاء بالمزدلفة جميعا.وبه عن عدي بن ثابت الانصاري ان عبدالله بن يزيد الخطم اخبره ان ابا ايوب الانصاري اخبره انه صلى مع رسول الله صلى الله عليه وسلم فى حجة الوداع المغرب والعشاء بالمزدلفة جميعا.
سیدنا ابوایوب الانصاری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ انہوں نے حجتہ الوداع میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ مزدلفہ میں مغرب اور عشاء کی نمازیں جمع کر کے پڑھیں۔

تخریج الحدیث: «488- الموطأ (رواية يحيٰي بن يحيٰي 401/1 ح 926، ك 20 ب 65 ح 198) التمهيد 225/23، الاستذكار: 866، و أخرجه البخاري (4414) من حديث مالك به.»

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