पवित्रता और वुज़ू
268. “ जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने वुज़ू की शिक्षा दी ”
269. “ मिस्वाक की एहमियत ”
270. “ वुज़ू एक तिहाई नमाज़ है ”
271. “ रसूल अल्लाह ﷺ सामान्य बरतनों से वुज़ू कर लेते थे ”
272. “ वुज़ू का तरीक़ा ”
273. “ वुज़ू में भी पानी फ़ुज़ूल ख़र्च हो सकता है ”
274. “ वुज़ू के बाद गुप्तअंग पर एक चुल्लू पानी छिड़कना ”
275. “ अधूरा वुज़ू हलाकत का कारण है ”
276. “ वुज़ू में उँगलियों का ख़िलाल करना ”
277. “ मोज़ों पर मसह करना और उस की अवधि ”
278. “ जागने के बाद वुज़ू करते समय तीन बार नाक झाड़ना ”
279. “ कान सिर का भाग हैं ”
280. “ रात को वुज़ू करके सोने की फ़ज़ीलत ”
281. “ वुज़ू के बाद कपड़े या तोलिये से पोछना ”
282. “ ग़ुस्ल यानि नहाने और वुज़ू के लिए कितना पानी हो ”
283. “ मोमिन ही वुज़ू बनाए रखता है ”
284. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत के वुज़ू वाले अंग चमकदार होंगे और अंगों को बताई गई हद से ज़्यादा धोना केसा है ”
285. “ तयम्मुम के लिए दिनों की कोई संख्या नहीं ”
286. “ तयम्मुम का तरीक़ा ”
287. “ पानी मिलने से पहले तयम्मुम करना और करण ”
288. “ मिट्टी से तयम्मुम करने के नियम ”
289. “ माहवारी के कपड़े कैसे पवित्र करें ? ”
290. “ वुज़ू टूटने का कारण ”
291. “ क्या आग पर पकी हुई चीज़ खाने से वुज़ू टूट जाता है ”
292. “ वुज़ू वाजिब होने की हालतें ”
293. “ मल करते समय पर्दा करने और बातचीत न करने के बारे में ”
294. “ मल करने के नियम ”
295. “ मल करते समय क़िब्ले की तरफ़ मुंह और पीठ न करना और उस का सवाब ”
296. “ पत्थरों से इस्तंजा करने के नियम ”
297. “ मल करने वाले को सलाम नहीं किया जाए ”
298. “ शौचालय में जाने की दुआ ”
299. “ मस्जिद की तरफ़ नमाज़ के लिए वुज़ू करके जाने का सवाब ”
300. “ नमाज़ के लिए वुज़ू करने के बाद उँगलियों में उँगलियाँ डालना मना है ”
301. “ औरत का ख़तना ”
302. “ औरत या मर्द सपना देखे या एहतलाम हो जाए तो किस हालत में ग़ुस्ल वाजिब है ”
303. “ नमाज़ पढ़ते समय यदि वुज़ू टूट जाए तो कैसे निकले ”
304. “ इस्लाम स्वीकार करने के बाद सिर मुंडवाना और ख़तना करना ”
305. “ इस्तहाज़ा: ( माहवारी का ख़ून ज़्यादा दिन होना ) के बारे में ”
306. “ अल्लाह तआला को याद किया जाए तो पवित्र होकर ”
307. “ रसूल अल्लाह ﷺ शौचालय से निकल कर वुज़ू करते थे ”
308. “ रसूल अल्लाह ﷺ ख़ुश्बू लगाते थे ”
309. “ जनाबत: ( संभोग करने के बाद ) ग़ुस्ल के बचे हुए पानी को उपयोग में लाया जा सकता है ”
310. “ मस्जिद की तरफ़ आने वाला अल्लाह तआला का मेहमान है और ... ”
311. “ क्या बैठ कर पेशाब करना ज़रूरी है ”
312. “ समुद्र का पानी पवित्र है ”
313. “ औरत संभोग के बाद ग़ुस्ल यानि नहाते समय तीन चुल्लू पानी सिर पर डाले ”
314. “ माहवारी औरत का हज्ज के लिए ग़ुस्ल करना यानि नहाना ”
315. “ मरे हुए जानवर से कोई लाभ न उठाया जाए लेकिन ... ”
316. “ घर में पेशाब पड़ा रहना न चाहिए ”

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सिलसिला अहादीस सहीहा
الطهارة والوضوء
طہارت اور وضو کا بیان
पवित्रता और वुज़ू
آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی امت کے وضو والے اعضاء چمکتے ہوں گے، وضو والے اعضاء کو مقررہ حد سے زیادہ دھونا کیسا ہے
“ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत के वुज़ू वाले अंग चमकदार होंगे और अंगों को बताई गई हद से ज़्यादा धोना केसा है ”
حدیث نمبر: 422
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- (إن حوضي لابعد من ايلة إلى عدن، والذي نفسي بيده لآنيته اكثر من عدد النجوم، ولهو اشد بياضا من اللبن، واحلى من العسل. والذي نفسي بيده! إني لاذود عنه الرجال كما يذود الرجل الإبل الغريبة عن حوضه. قيل: يا رسول الله! اتعرفنا؟ قال: نعم، تردون علي غرا محجلين؛ من اثر الوضوء، ليست لاحد غيركم).- (إنّ حوضي لأبعدُ من أيلة إلى عدن، والذي نفسي بيده لآنيتهُ أكثر من عدد النجوم، ولهو أشد بياضاً من اللبن، وأحلى من العسل. والذي نفسي بيده! إني لأذود عنه الرجال كما يذود الرجل الإبل الغريبة عن حوضه. قيل: يا رسول الله! أتعرفنا؟ قال: نعم، تردون علي غراً محجلين؛ من أثر الوضوء، ليست لأحد غيركم).
سیدنا حذیفہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: بیشک میرے حوض (کی وسعت) ایلہ سے عدن تک کی مسافت سے زیادہ ہے، اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! اس کے پیالے ستاروں کی تعداد سے زیادہ ہیں، (اس کا پانی) دودھ سے زیادہ سفید اور شہد سے زیادہ میٹھا ہے۔ اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! میں کچھ لوگوں کو اپنے حوض سے یوں دھتکاروں گا، جیسے کوئی آدمی اجنبی اونٹ کو اپنے حوض سے ہٹاتا ہے۔ کہا گیا: اے اللہ کے رسول! کیا آپ ہم کو پہچان لیں گے؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ہاں! تم میرے پاس اس حال میں آؤ گے کہ وضو کے اثر کی وجہ سے تمہاری پیشانی، دونوں ہاتھ اور دونوں پاؤں چمکتے ہوں گے، یہ علامت (ومنقبت) کسی اور کی نہیں ہو گی۔
حدیث نمبر: 423
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-" تبلغ الحلية من المؤمن حيث يبلغ الوضوء".-" تبلغ الحلية من المؤمن حيث يبلغ الوضوء".
ابوحازم کہتے ہیں: میں سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کے پیچھے تھا، انہوں نے نماز کے لیے وضو کیا، (بازو دھوتے وقت) اپنے ہاتھ کو بغلوں تک کھینچا۔ میں نے کہا: ابوہریرہ! یہ کون سا وضو ہے؟ انہوں نے کہا: بنو فروخ! تم بھی ادھر موجود ہو؟ اگر مجھے معلوم ہوتا کہ تم لوگ یہاں ہو تو میں اس طرح وضو نہ کرتا۔ میں نے تو اپنے خلیل صلی اللہ علیہ وسلم کو یہ فرماتے ہوئے سنا: مومن کا زیور وہاں تک پہنچتا ہے، جہاں تک وضو (کا پانی) پہنچتا ہے۔
حدیث نمبر: 424
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-" ما من امتي من احد إلا وانا اعرفه يوم القيامة. قالوا: وكيف تعرفهم يا رسول الله في كثرة الخلائق؟ قال: ارايت لو دخلت صيرة فيها خيل دهم بهم وفيها فرس اغر محجل، اما كنت تعرفه منها؟ قال: بلى. قال: فإن امتي يومئذ غر من السجود، محجلون من الوضوء".-" ما من أمتي من أحد إلا وأنا أعرفه يوم القيامة. قالوا: وكيف تعرفهم يا رسول الله في كثرة الخلائق؟ قال: أرأيت لو دخلت صيرة فيها خيل دهم بهم وفيها فرس أغر محجل، أما كنت تعرفه منها؟ قال: بلى. قال: فإن أمتي يومئذ غر من السجود، محجلون من الوضوء".
سیدنا عبداللہ بن بسر مازنی رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں اپنی امت کے ہر فرد کو قیامت والے دن پہچان لوں گا۔ صحابہ نے عرض کی: اے اللہ کے رسول! آپ انہیں کیسے پہچانیں گے، حالانکہ مخلوقات بکثرت ہوں گی؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر تو کسی اصطبل میں داخل ہو اور وہاں کالے سیاہ گھوڑے ہوں، لیکن ان میں ایک گھوڑے کی پیشانی اور ٹانگیں سفید ہوں تو آیا تو اس گھوڑے کو پہچان لے گا؟ اس نے کہا: کیوں نہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تو پھر سجدہ کرنے کی وجہ سے میری امت کی پیشانی اور وضو کرنے کی وجہ سے ہاتھ پاؤں چمکتے ہوں گے۔ (اس امتیازی علامت کی وجہ سے میں انہیں پہچان لوں گا)۔

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