“ निकाह रसूल अल्लाह ﷺ की सुन्नत है ” |
1 |
1426 |
|
“ शादी करने की प्रेरणा और उसका कारण ” |
1 |
1427 |
|
“ विवाह के लिए लड़की की सहमति ज़रूरी है ” |
8 |
1428 سے 1435 |
|
“ शादी से पहले लड़की को देख लेना चाहिए ” |
5 |
1436 سے 1440 |
|
“ शादी के लिए किसे चुना जाए ? ” |
1 |
1441 |
|
“ दूल्हा और दुल्हन के बीच समानता किस चीज़ पर निर्भर करती है ? ” |
2 |
1442 سے 1443 |
|
“ निकाह का एलान किया जाना चाहिए ” |
1 |
1444 |
|
“ सबसे अच्छा निकाह कौन सा है ” |
1 |
1445 |
|
“ आपसी प्रेम में, पति और पत्नी अपनी मिसाल आप हैं ” |
1 |
1446 |
|
“ पत्नियों के अधिकार ” |
3 |
1447 سے 1449 |
|
“ हज़रत फ़ातिमह से शादी के अवसर पर हज़रत अली को नबी की वसीयत ” |
1 |
1450 |
|
“ पत्नी से झूठ बोलना ठीक है लेकिन कब ? ” |
1 |
1451 |
|
“ पत्नी को उसके पती के विरुद्ध न बिगाड़ा जाए ” |
1 |
1452 |
|
“ आप ﷺ का अपनी पत्नियों का ध्यान रखना ” |
1 |
1453 |
|
“ पत्नी पर पति के अधिकार के बारे में ” |
5 |
1454 سے 1458 |
|
“ पति को तकलीफ़ देने वाली पत्नी के लिए हूरों की बद-दुआ ” |
1 |
1459 |
|
“ पत्नी को अपने पति का पालन अच्छे कर्मों में करना चाहिए ” |
1 |
1460 |
|
“ पत्नी का पति की अनुमति के बिना ख़र्च करना ” |
5 |
1461 سے 1465 |
|
“ पत्नी की जन्नत और जहन्नम पति पर निर्भर करती है ” |
1 |
1465 |
|
“ पती का शुक्र न करने वाली औरत को अल्लाह तआला रहमत की नज़र से नहीं देखता है ” |
1 |
1466 |
|
“ पत्नी अपने पती का कुफ़्र कैसे करती है ” |
1 |
1467 |
|
“ पति के पीछे दूसरों के लिए पत्नी का सजना संवरना ” |
1 |
1468 |
|
“ औरतों से संभोग किस ओर से किया जाए और उसका सवाब ” |
2 |
1469 سے 1470 |
|
“ औरतों के साथ उनके पीछे से संभोग करना मना है ” |
1 |
1471 |
|
“ अज़्ल करने यानि बच्चे के जन्म से बचने के बारे में ” |
1 |
1472 |
|
“ यदि संभोग की इच्छा हो तो सब से अच्छा उपाय पत्नी है ” |
2 |
1473 سے 1474 |
|
“ बच्चों के जन्म के लिए पति को संभोग के लिए प्रोत्साहित करना ” |
1 |
1475 |
|
“ औरत यदि घर के एक कोने में रहती है तो अल्लाह के क़रीब है ” |
1 |
1476 |
|
“ अल्लाह तआला के हाँ अच्छे नाम ” |
2 |
1477 سے 1478 |
|
“ नबियों और अच्छे लोगों जैसा नाम रखना ” |
2 |
1479 سے 1480 |
|
“ वे नाम जो रखना मना हैं ” |
2 |
1481 سے 1482 |
|
“ नाम बदलना ” |
7 |
1483 سے 1489 |
|
“ रात के पहले समय में बच्चों की सुरक्षा करना ” |
2 |
1490 سے 1491 |
|
“ बच्चा अपने और आदम के बीच वंश के किसी भी व्यक्ति के जैसा हो सकता है ” |
1 |
1492 |
|
“ दूसरी पत्नी के साथ तीन या सात रातें बिताना ” |
1 |
1493 |
|
“ विवाह आधे ईमान को पूरा करता है ” |
1 |
1494 |
|
“ विवाह न करने का अर्थ दुनिया से संमंध तोड़ देना है ” |
1 |
1495 |
|
“ जो विवाह नहीं कर सकता वह रोज़े रखे ” |
1 |
1496 |
|
“ दूर रहने के बाद रात में पत्नियों के पास न आया जाए ” |
1 |
1497 |
|
“ नेक पत्नी भलाई है और बुरी पत्नी बद-नसीबी है ” |
1 |
1498 |
|
“ नेक पत्नी की अच्छाइयां ” |
3 |
1499 سے 1501 |
|
“ कोमल स्वभाव और अच्छा स्वभाव, चिड़चिड़ापन नहीं ” |
2 |
1502 سے 1503 |
|
“ पती पत्नी के बीच गड़बड़ संभव है, लेकिन ... ” |
1 |
1504 |
|
“ पत्नी के साथ प्यार से रहना ” |
4 |
1505 سے 1508 |
|
“ औरतों के साथ अच्छा व्यवहार करने की वसीयत ” |
1 |
1509 |
|
“ नबी ﷺ ने अपनी पत्नियों का मनोरंजन किया ” |
1 |
1510 |
|
“ किसी कारण पत्नियों से दूरी बरतना ” |
1 |
1511 |
|
“ पत्नियों से “ इलाअ ” करना यानी पास न आने की क़सम उठाना ” |
1 |
1512 |
|
“ स्वाभाविक रूप से महिला के स्वभाव में टेढ़ापन ” |
1 |
1513 |
|
“ औरतों और अनाथ के अधिकारों के बारे में सख़्ती ” |
1 |
1514 |
|
“ वंश की तरह दूध पीते यानि रज़ाई रिश्ते भी हराम हो जाते हैं ” |
1 |
1515 |
|
“ औलाद के बीच न्याय करना ” |
4 |
1516 سے 1519 |
|
“ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा आख़िरत में भी रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नी होंगी ” |
1 |
1520 |
|
“ पत्नी जन्नत में अपने आख़री पति के साथ रहेगी ” |
1 |
1521 |
|
“ औलाद और उनका धन माता-पिता की कमाई है ” |
2 |
1522 سے 1523 |
|
“ अल्लाह तआला के सम्मान की आवश्यकता ” |
1 |
1524 |
|
“ पत्नियां जो पति की हैसियत से अधिक ख़र्चे की मांग करती हैं वे उम्माह की बेबादी का कारण हैं ، औरतों का सजना संवरना केसा है ” |
1 |
1525 |
|
“ हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह को दुसरे विवाह की अनुमति क्यों नहीं दी गई ? ” |
1 |
1526 |
|
“ कौन सी शर्तें मान्य नहीं हैं ? ” |
1 |
1527 |
|
“ गर्भवती महिला की इददत बच्चे को जन्म देने तक है ” |
1 |
1528 |
|
“ औरतें पुरुषों की तरह ही हैं ، एहतलाम के कारण ग़ुस्ल कब फ़र्ज़ होता है ” |
1 |
1529 |
|
“ रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों का आप ﷺ को प्राथमिकता देना ” |
2 |
1530 سے 1531 |
|
“ पति का अपनी पत्नी के दोस्तों की देखभाल करना ” |
1 |
1532 |
|
“ पत्नी का अपनी सोकन से बदला ” |
1 |
1533 |
|
“ कुंवारी औरतों को प्राथमिकता दें ” |
3 |
1534 سے 1536 |
|
“ आप ﷺ का बच्चों से अच्छा स्वभाव ” |
1 |
1537 |
|
“ औरतों का ईदगाह जाना ” |
3 |
1538 سے 1540 |
|
“ निकाह से पहले कोई तलाक़ नहीं है ” |
1 |
1541 |
|
“ हज़रत हफ़सह रज़ि अल्लाहु अन्हा को तलाक़ फिर रुजू ” |
1 |
1542 |
|
“ संभोग के बाद महर दिए बिना तलाक़ देना सबसे बड़ा पाप है ” |
1 |
1543 |
|
“ तलाक़ के समय कुछ माल आदि देना ” |
1 |
1544 |
|
“ बद-अख़लाक़ औरत को तलाक़ दे देनी चाहिए ” |
1 |
1545 |
|
“ कोई औरत अपनी सोकन की तलक़ा की मांग न करे ” |
1 |
1546 |
|
“ इबलीस यानि बड़ा शैतान तलाक़ कराने वाले शैतान की सराहना करता है ” |
1 |
1547 |
|
“ तीन तलाक़ के बाद पत्नी के ख़र्चे के लिए पति ज़िम्मेदार नहीं है ” |
1 |
1548 |
|
“ ख़ुलअ लेने वाली औरतें मुनाफ़िक़ हैं ” |
2 |
1549 سے 1550 |
|
“ ज़िना से पैदा हुए बच्चे दोषी नहीं हैं ” |
1 |
1551 |
|
“ बच्चे और पिता की वलाअ उसके असबह को मिलेगी ” |
1 |
1552 |
|
“ मरने वाले कम आयु के बच्चों के माता-पिता के लिए ख़ुशख़बरी है ، कम आयु के मरने वाले दो या तीन बच्चों के माता-पिता की फ़ज़ीलत ” |
5 |
1553 سے 1557 |
|
“ हर नवजात को शैतान द्वारा छुआ जाता है ” |
1 |
1558 |
|
“ बहनों और बेटियों की अच्छी ज़िम्मेदारी उठाने पर ख़ुशख़बरी ” |
10 |
1559 سے 1568 |
|
“ कितनी मात्रा की राशि का मालिक मांग नहीं सकता ? ” |
1 |
1569 |
|
“ अनाथ की ज़िम्मेदारी उठाने वाले का सवाब ” |
1 |
1570 |
|
“ अलग होने की स्थिति में बच्चों का हक़दार पिता होगा या मां ” |
1 |
1571 |
|
“ मुतअ हराम है ” |
3 |
1572 سے 1574 |
|
“ रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों को हज्ज के बाद घरों में रहने की नसीहत ” |
1 |
1575 |
|
“ अक़ीक़ह करना और नवजात को उसका ख़ून न लगाना ” |
1 |
1576 |
|
“ प्यार में छोटे नाम से बुलाना ” |
1 |
1577 |
|