क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
1960. “ क़ुरआन सीखना और सिखाना सबसे अच्छा कर्म है ”
1961. “ क़ुरआन की शिक्षा देने वालों का महान स्थान ، एक आयत पढ़ाने का बदला ”
1962. “ क़ुरआन पढ़ने वाले और उसके माता-पिता की फ़ज़ीलत ”
1963. “ क़ुरआन पढ़ने और सीखने का हुक्म ”
1964. “ विद्वान वह है जो पहली सात सूरतों को समझता है ”
1965. “ क़ुरआन क्या है ”
1966. “ अल्लाह तआला की ओर जाने का सबसे अच्छा तरीक़ा क़ुरआन है ”
1967. “ क़ुरआन के बारे में झगड़ा नहीं करना चाहिए ”
1968. “ एक ही सूरत बहुत थी ”
1969. “ क़ुरआन चमड़े के अंदर हो तो आग नहीं जलाती है ”
1970. “ क़ुरआन हमारा मार्गदर्शक है ”
1971. “ आसमानी किताबें उतारे जाने की तारीखें ”
1972. “ हर साल जिब्राइल अलैहिस्सलाम के साथ रसूल अल्लाह ﷺ का क़ुरआन पढ़ना ”
1973. “ क़ुरआन के कारण सम्मान और अपमान ”
1974. “ क़ुरआन पढ़ने वाले का सबसे अच्छा क़ुरआन पढ़ने का तरीक़ा ”
1975. “ कब तक क़ुरआन पढ़ा जाना चाहिए ”
1976. “ देख कर क़ुरआन पढने का मतलब अल्लाह और उसके रसूल ﷺ से मुहब्बत ”
1977. “ क़ुरआन सिफ़ारिश करेगा ”
1978. “ क़ुरआन दुनिया के लिए नहीं पढ़ना चाहिए और क़ुरआन सिखाने की मज़दूरी लेना कैसा है ”
1979. “ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ना चाहिए ”
1980. “ मधुर आवाज़ क़ुरआन की सुंदरता है ”
1981. “ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ने के कारण अशअरी लोगों की सराहना ”
1982. “ क़ुरआन जल्दी जल्दी पानी पीने की तरह नहीं पढ़ना चाहिए ”
1983. “ क़ुरआन को समझ कर पढ़ना चाहिए ”
1984. “ सूरत अत-तकवीर सूरत अल-इंशिक़ाक़ और सूरत अल-इन्फ़ितार में क़यामत ”
1985. “ ठहर ठहर कर क़ुरआन पढ़ना ”
1986. “ जिन्नों का सूरत अर-रहमान की आयतों का जवाब देना ”
1987. “ सज्दा तिलावत ( क़ुरआन में सज्दे की आयत ) की दुआ ”
1988. “ दवात और क़लम ने भी आप ﷺ के साथ सज्दा किया ”
1989. “ क़ुरआन के एक अक्षर पर दस नेकियां ”
1990. “ अल्लाह को याद करने और क़ुरआन पढ़ने की वसीयत ”
1991. “ सूरत अल-फ़ातेहा क़ुरआन का सबसे अफ़ज़ल भाग है ”
1992. “ क्या बिस्मिल्लाह « بِسْمِ اللَّـه » सूरत अल-फ़ातेहा की आयत है ”
1993. “ सूरत अल-बक़रह और सूरत आल-इमरान की फ़ज़ीलत ”
1994. “ घर में सूरत अल-बक़रह पढ़ने से शैतान घर में नहीं घुसता ”
1995. “ आयतुल-कुरसी पढ़ने से इंसान जिन्नों से सुरक्षित रहता है ”
1996. “ सूरत आल-इमरान की आयत « إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ » की एहमियत ”
1997. “ सूरत अल-कहफ़ की फ़ज़ीलत ”
1998. “ सूरत अल-मुल्क की फ़ज़ीलत ”
1999. “ सूरत अल-काफ़िरून की फ़ज़ीलत ”
2000. “ सूरत अल-इख़लास क़ुरआन का एक तिहाई भाग है ”
2001. “ दस दफ़ा सूरत अल-इख़लास पढ़ने का सवाब ”
2002. “ सूरत अल-फ़लक़ और सूरत अन-नास की फ़ज़ीलत ”
2003. “ आप ﷺ पर जादू और उस का तोड़ ، नबियों और रसूलों पर जादू किया जा सकता है ”
2004. “ क़ुरआन सात लहजों से पढ़ा जा सकता है ”
2005. “ कितने दिन में पूरा क़ुरआन पढ़ा जा सकता है ”
2006. “ आयत के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ का हज़रत अबी रज़ि अल्लाहु अन्ह से पूछना ”
2007. “ वे आयतें जिन का पढ़ना मना कर दिया गया लेकिन हुक्म बाक़ी रहा ”
2008. “ क़ुरआन पढ़ने पर सुकून और आराम का उतारा जाना ”
2009. “ आप ﷺ हर समय अल्लाह को याद करते थे ”
2010. “ अल्लाह को याद करने वाले शब्द अर्श के आस पास होते हैं ”
2011. “ अल्लाह को याद करने वाले लोगों की सभा की फ़ज़ीलत और इनाम ”
2012. “ अल्लाह को याद करना जन्नत में पेड़ लगाना है
2013. “ फ़जर की नमाज़ से सूर्य निकलने तक और असर की नमाज़ से सूर्य डूबने तक अल्लाह को याद करने की फ़ज़ीलत ”
2014. “ फ़जर की नमाज़ से चाशत की नमाज़ तक लगातार अल्लाह को याद करने से अधिक अच्छे शब्द ”
2015. “ अल्लाह को याद करने के सिवा हर चीज़ बेकार है ”
2016. “ सबसे अच्छे शब्द ”
2017. “ सबसे अफ़ज़ल शब्द ”
2018. “ दिन रात कहे जाने वाले शब्दों से अफ़ज़ल शब्द ”
2019. “ हेर ऊँची जगह पर “ अल्लाहु अकबर ” « اللهُ أَكْبَرُ » कहना ”
2020. “ इंसान के लिए एक सेवक रखने से अच्छे शब्द ، सोन से पहले के शब्द ”
2021. “ शैतान से सुरक्षित रहने के शब्द ، आप ﷺ पर शैतानों का हमला लेकिन ... ”
2022. “ वे शब्द जिन के माध्यम से अपने से पहले वालों का ( स्थान ) मिल जाए और बाद वाले तुम्हारे ( दर्जे ) तक न पहुंच सकें ”
2023. “ वे शब्द जो जीवन के अंतिम दिनों में पढ़े जाएं ”
2024. “ अल्लाह को याद करने वाले को अल्लाह तआला भी याद करता है ”
2025. “ अल्लाह को याद करने वाली सभाएं जन्नत का बाग़ है ”
2026. “ जिस सभा में अल्लाह को याद किया जाता है उसकी ग़नीमत ( लाभ ) जन्नत है ”
2027. “ ला हौल वला क़ुव्व्ता इल्ला बिल्लाह « لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَٰهِ » की फ़ज़ीलत ”
2028. “ रोज़ाना एक हज़ार नेकियां ”
2029. “ दुनिया और उस में जो कुछ है उस पर लाअनत है सिवाए अल्लाह की याद और उसे सिखाने और सीखने वाले के ”
2030. “ वज़न में भारी शब्द ”
2031. “ बाक़ी रहने वाली नेकियाँ ”
2032. “ सौ सौ दफ़ा “ सुब्हान अल्लाह ” “ अल-हमदु लिल्लाह ” “ अल्लाहु अकबर ” “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” कहने का बड़ा सवाब ”
2033. “ कलमा तौहीद “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” मुक्ति दिलाता है ”
2034. “ अल-हमदु लिल्लाहि कसीरा ” « الحَمْدُ لِلَّهِ كَثِيرًا » का सवाब ”
2035. “ अल्लाह की याद कंजूसी ، कायरता और चिंता का इलाज है ”
2036. “ जो अल्लाह को याद करना पसंद करते हैं, वे आगे निकल जाएंगे ”
2037. “ अल्लाह को याद करना भी सदक़ह है ”
2038. “ तस्बीह पढ़ने से अल्लाह की तअरीफ़ और अल्लाह की बढ़ाई बयान करने से पाप पेड़ के पत्तों की झड़ जाते हैं ”
2039. “ आप ﷺ को उम्मतियों के दरूद भेजने का कैसे पता चलता है ”
2040. “ आप ﷺ की ओर से दरूद और सलाम का जवाब ”
2041. “ आप ﷺ पर दरूद और सलाम भेजने की फ़ज़ीलत ”
2042. “ जुमआ के दिन आप ﷺ पर बहुत दरूद भेने का हुक्म ، क्या नबियों और रसूलों के शरीर क़ब्रों में ठीक हैं ”
2043. “ मुहम्मद ﷺ का नाम सुन कर दरूद न भेजने वाला जन्नत के रस्ते से भटक गया ”
2044. “ दुआ स्वीकार की जाए इसके लिए दरूद की एहमियत ”
2045. “ जन्नत का दर्जा वसीले की दुआ करना ”
2046. “ सारे नबियों और रसूलों पर दरूद और सलाम भेजा जाए ”
2047. “ जितना अधिक हो सके अल्लाह से मांगो ”
2048. “ फ़रिश्तों की दुआएं कैसे पाई जा सकती हैं किसी के पीछे उस के लिए की गई दुआ स्वीकार की जाती है ”
2049. “ वे दुआएं जो आप ﷺ किया करते थे ”
2050. “ वह दुआ जो सभा का कफ़्फ़ारह है ”
2051. “ अल्लाह ग़ुस्सा करता है यदि उसको याद न किया जाए ”
2052. “ क्या दुआ भाग्य बदल सकती है ? ”
2053. “ अफ़ज़ल दुआ ”
2054. “ भलाई की दुआ करना ”
2055. “ दुख को टालने की दुआ ”
2056. “ दुखी इंसान का दुख दूर करने की दुआ ”
2057. “ घबराहट के समय की दुआ ”
2058. “ दुख और तकलीफ़ के समय की दुआ ”
2059. “ मुसीबत के समय हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ पढ़ी जाए ”
2060. “ किसी बस्ती में जाने की दुआ ”
2061. “ बज़ार में जाने की दुआ ”
2062. “ किसी को मुसीबत में देखे तो यह दुआ पढ़े ”
2063. “ यात्रा में सेहरी खाते समय की दुआ ”
2064. “ तेज़ हवा चलते समय की दुआ ”
2065. “ भयानक हवा चलते समय की दुआ ”
2066. “ वुज़ू करने के बाद की दुआ ”
2067. “ सेना को भेजते समय की दुआ ”
2068. “ ईमान को ताज़ा करने की दुआ और कारण ”
2069. “ सवारी पर सवार होते समय की दुआ ”
2070. “ अच्छी या बुरी चीज़ देखते समय की दुआ ”
2071. “ हिलाल यानि पहले दिन का चाँद देखने की दुआ ”
2072. “ चाँद से शरण लेना और उसका कारण ”
2073. “ बारिश के लिए उलटे हाथों दुआ करना ”
2074. “ किन लोगों की दुआ स्वीकार की जाती है ”
2075. “ दुआ करना अफ़ज़ल इबादत है ”
2076. “ रिज़्क़ में तंगी हो तो उस समय की दुआ ”
2077. “ ग़ुस्सा दूर करने की दुआ ”
2078. “ क़र्ज़ चुकाने की दुआ ”
2079. “ लैलतुल क़द्र ( शब क़द्र ) की दुआ ”
2080. “ किसी स्थान पर ठहरन के लिए तंबू लगाते समय की दुआ ”
2081. “ मुर्ग़े की अज़ान और गधे की आवाज़ सुनते समय की दुआ ”
2082. “ बुरे सपनों को दूर करने की दुआ ”
2083. “ कठिनाइयों में दुआ कब स्वीकार की जाती है ? ”
2084. “ नमाज़ से संबंधित दुआएं और दुआ इस्तफ़तह ”
2085. “ नमाज़ के बाद पढ़ने वाले शब्द ”
2086. “ अल्लाह की तारीफ़ करने वाले लोग अफ़ज़ल हैं ”
2087. “ अल्लाह को अपनी तारीफ़ पसंद है ”
2088. “ वे शब्द जो अल्लाह को पसंद हैं या पसंद नहीं हैं ”
2089. “ सभी प्राणियों द्वारा की गई अल्लाह तआला की तारीफ़ को कहने का ढंग ”
2090. “ अल्लाह की विशेषताओं पर आधारित दुआएं और उनका अच्छा नतीजा ”
2091. “ यदि पूरी कोशिश के साथ दुआ करनी है तो ”
2092. “ सुबह और शाम को पढ़ने वाले शब्द और सय्यदुल इस्तग़फ़ार ”
2093. “ सोते समय की दुआएं और उसका ढंग ”
2094. “ मज़लूम की बद-दुआ स्वीकार की जाती है ”
2095. “ दुआ करते समय दुआ के स्वीकार हो जाने का विश्वास होना चाहिए ”
2096. “ दम करना और उसके प्रकार ”
2097. “ क्या दाग़ना और दम करवाना विश्वास के विपरीत है ? ”
2098. “ तअवीज़ गंडा करना ”
2099. “ अल्लाह ताला के नाम से नसीहत की जाए तो बाज़ आजाना चाहिए ”
2100. “ जन्नत अल-फ़िरदौस मांगना और उसका कारण ”
2101. “ एक स्थायी बुरे पड़ोसी से बचने की शरण मांगना ”
2102. “ नज़र लग जाना सच है ”
2103. “ इसमे आज़म ”
2104. “ शुक्र करने के अफ़ज़ल शब्द ”
2105. “ जुमा के दिन की वह घड़ी जब दुआ स्वीकार की जाती है ”
2106. “ या ज़ल जलालि वल इकराम ” «يَا ذَا الجَلَالِ وَالإِكْرَام ‏‏ » ”
2107. “ हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु अन्ह के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ”
2108. “ बदर वालों के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ”
2109. “ अल्लाह के जीव को देख कर बनाने वाले यानि अल्लाह को याद करना ”
2110. “ ज़िना की अनुमति मांगने वाले को समझाने का नबी ﷺ का तरीक़ा और उसके लिए दुआ ”
2111. “ अल्लाह तआला के दोस्तों की निशानियां ”
2112. “ वज़न में भारी शब्द ”
2113. “ क़ुरैश के सरदारों के लिए आप ﷺ की बद-दुआ और उसका स्वीकार हो जाना ”
2114. “ ग़रीबी ، भुकमरी ، रुस्वाई और अत्याचार से अल्लाह की शरण मांगना ”
2115. “ आधी रात में की गई दुआ स्वीकार की जाती है
2116. “ आप ﷺ की उम्मत के लिए दुआ और उसका स्वीकार हो जाना
2117. “ अच्छे लोग और अच्छे कर्म
2118. “ शिर्क के सिवा सारे पाप क्षमा किये जा सकते हैं
2119. “ तोबा और रहमत का दरवाज़ा
2120. “ भाषण देने वाले कितने प्रकार के हैं
2121. “ सहाबा के ईमान की हालत
2122. “ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम और आप ﷺ की नम्रता
2123. “ इस्लाम की हालत में मिलने वाला जीवन बहुत अनमोल है
2124. “ सात सात दफ़ा जन्नत मांगना और जहन्नम से शरण मांगनी चाहिए ”
2125. “ अस्तग़फ़ार की फ़ज़ीलत ”
2126. “ आप ﷺ का सौ सौ दफ़ा क्षमा मांगना ”
2127. “ उठते ، बैठते और लेटते समय अल्लाह को याद करना चाहिए वरना .. ”
2128. “ औरतों को सलाम करना ”
2129. “ नमाज़ में क़याम यानि खड़े रहने के बीच दुआ करना ठीक है ”
2130. “ बिस्मिल्लाह ” « بِسْمِ اللَّـه » की बरकत और आप ﷺ का चमतकार ”
2131. “ शैतान से शरण मांगी जाए और उसे गली न दी जाए ”
2132. “ क़यामत के दिन कुछ लोगों की परीक्षा और अल्लाह का हुक्म न मानने की सज़ा ”
2133. “ नबी ﷺ के हुक्म को मानने की मिसाल ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
فضائل القرآن والادعية والاذكار والرقي
فضائل قرآن، دعا ئیں، اذکار، دم
क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
صبح و شام کے اذکار . . . سیدالاستغفار
“ सुबह और शाम को पढ़ने वाले शब्द और सय्यदुल इस्तग़फ़ार ”
حدیث نمبر: 3091
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-" الا ادلك على سيد الاستغفار؟ اللهم انت ربي لا إله إلا انت خلقتني وانا عبدك وابن عبدك وانا على عهدك ووعدك ما استطعت، اعوذ بك من شر ما صنعت، وابوء لك بنعمتك علي، واعترف بذنوبي، فاغفر لي ذنوبي إنه لا يغفر الذنوب إلا انت، لا يقولها احد حين يمسي إلا وجبت له الجنة".-" ألا أدلك على سيد الاستغفار؟ اللهم أنت ربي لا إله إلا أنت خلقتني وأنا عبدك وابن عبدك وأنا على عهدك ووعدك ما استطعت، أعوذ بك من شر ما صنعت، وأبوء لك بنعمتك علي، وأعترف بذنوبي، فاغفر لي ذنوبي إنه لا يغفر الذنوب إلا أنت، لا يقولها أحد حين يمسي إلا وجبت له الجنة".
سیدنا شداد بن اوس رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کیا میں تجھے سیدالاستغفار بتلا دوں؟ (‏‏‏‏ وہ یہ ہے:) اے اللہ! تو میرا ربّ ہے، تو نے مجھے پیدا کیا، میں تیرا بندہ اور تیرے بندے کا بیٹا ہوں اور میں اپنی استطاعت کے مطابق تیرے عہد و پیمان پر ہوں، میں تیری پناہ چاہتا ہوں اس برائی سے جو میں نے کی، میں اپنے آپ پر تیری نعمت کا اقرار کرتا ہوں اور اپنے گناہوں کا بھی اعتراف کرتا ہوں، بلاشبہ کوئی بھی گناہوں کو نہیں بخش سکتا مگر تو ہی۔ جو آدمی شام کے وقت یہ دعا پڑھے گا اس کے لیے جنت واجب ہو جائے گی۔
حدیث نمبر: 3092
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-" إذا اصبحتم فقولوا: اللهم بك اصبحنا وبك امسينا وبك نحيا وبك نموت (وإليك النشور) وإذا امسيتم فقولوا: اللهم بك امسينا وبك اصبحنا وبك نحيا وبك نموت وإليك المصير".-" إذا أصبحتم فقولوا: اللهم بك أصبحنا وبك أمسينا وبك نحيا وبك نموت (وإليك النشور) وإذا أمسيتم فقولوا: اللهم بك أمسينا وبك أصبحنا وبك نحيا وبك نموت وإليك المصير".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب تم صبح کرو تو کہو: اے اللہ! تیری قدرت سے ہم نے صبح کی اور شام کی، تیری قدرت سے ہم جی رہے ہیں اور تیری قدرت سے مریں گے اور تیری ہی طرف اکٹھا ہونا ہے۔ اور جب تم شام کرو تو کہو: اے اللہ! تیری قدرت سے ہم نے شام کی اور صبح کی اور تیری قدرت سے ہم جی رہے ہیں اور تیری قدرت سے ہم مریں گے اور تیری طرف ہی لوٹنا ہے۔
حدیث نمبر: 3093
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-" كان إذا اصبح قال: اللهم بك اصبحنا وبك امسينا وبك نحيا وبك نموت وإليك النشور وإذا امسى قال: اللهم بك امسينا وبك اصبحنا وبك نحيا وبك نموت وإليك المصير".-" كان إذا أصبح قال: اللهم بك أصبحنا وبك أمسينا وبك نحيا وبك نموت وإليك النشور وإذا أمسى قال: اللهم بك أمسينا وبك أصبحنا وبك نحيا وبك نموت وإليك المصير".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم بوقت صبح یہ دعا پڑھتے: اے اللہ! تیرے ساتھ ہم نے صبح کی اور تیرے ساتھ ہم نے شام کی اور تیرے ساتھ ہم زندہ ہیں اور تیرے ساتھ ہم مریں گے اور تیری ہی طرف اٹھ کر جانا ہے۔ اور شام کے وقت یہ دعا پڑھتے: اے اللہ! ہم نے تیرے ساتھ شام کی اور تیرے ساتھ ہم نے صبح کی اور تیری قدرت کے ساتھ ہم زندہ ہیں اور تیری قدرت کے ساتھ ہم مریں گے اور تیری ہی طرف لوٹ کر جانا ہے۔
حدیث نمبر: 3094
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-" من قال في يوم مائتي مرة [مائة إذا اصبح، ومائة إذا امسى]:" لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير"، لم يسبقه احد كان قبله ولا يدركه احد كان بعده إلا من عمل افضل من عمله".-" من قال في يوم مائتي مرة [مائة إذا أصبح، ومائة إذا أمسى]:" لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير"، لم يسبقه أحد كان قبله ولا يدركه أحد كان بعده إلا من عمل أفضل من عمله".
عمرو بن شعیب اپنے باپ سے، وہ ان کے دادا سیدنا عبداللہ بن عمرو رضی اللہ عنہ سے روایت کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس نے صبح کو سو (۱۰۰) دفعہ اور شام کو سو (‏‏‏‏۱۰۰) دفعہ یعنی کل دو سو (‏‏‏‏۲۰۰) دفعہ یہ کلمہ پڑھا: «لاَ إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ، لَهُ المُلْكُ، وَلَهُ الحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ» اللہ ہی معبود برحق ہے، وہ اکیلا ہے، اس کا کوئی شریک نہیں، بادشاہت اسی کی ہے، ساری تعریف اسی کے لیے ہے اور وہ ہر چیز پر قادر ہے۔ تو (‏‏‏‏مقام و مرتبہ کے لحاظ) اس سے پہلے والے اس سے سبقت لے سکیں گے نہ بعد والے اس کے (‏‏‏‏مقام تک) رسائی حاصل کر سکیں گے، ہاں وہ آدمی جو اس سے زیادہ عمل کرے گا۔
حدیث نمبر: 3095
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-" ما يمنعك ان تسمعي ما اوصيك (به)؟ (ان) تقولي إذا اصبحت وإذا امسيت: يا حي يا قيوم برحمتك استغيث، واصلح لي شاني كله، ولا تكلني إلى نفسي طرفة عين ابدا".-" ما يمنعك أن تسمعي ما أوصيك (به)؟ (أن) تقولي إذا أصبحت وإذا أمسيت: يا حي يا قيوم برحمتك أستغيث، وأصلح لي شأني كله، ولا تكلني إلى نفسي طرفة عين أبدا".
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے سیدہ فاطمہ رضی اللہ عنہا کو فرمایا: کون سا مانع ہے جو تجھے میری وصیت نہیں سننے دیتا؟ تو صبح و شام یہ دعا پڑ ھا کر: اے زندہ رہنے والے! اپنے بل پر قائم رہ کر اپنے ماسوا چیزوں کی حفاظت کرنے والے! میں تیری رحمت کے ذریعے تجھے مدد کے لیے پکارتی ہوں (‏‏‏‏پکارتا ہوں)، تو میرے تمام معاملات کو سنوار دے اور مجھے لمحہ بھر کے لیے بھی میرے سپرد نہ کر۔
حدیث نمبر: 3096
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-" كان [يعلمنا] إذا اصبح [احدنا ان] يقول: اصبحنا على فطرة الإسلام، وكلمة الإخلاص، ودين نبينا محمد صلى الله عليه وسلم، وملة ابينا إبراهيم حنيفا [مسلما] وما كان من المشركين".-" كان [يعلمنا] إذا أصبح [أحدنا أن] يقول: أصبحنا على فطرة الإسلام، وكلمة الإخلاص، ودين نبينا محمد صلى الله عليه وسلم، وملة أبينا إبراهيم حنيفا [مسلما] وما كان من المشركين".
عبداللہ بن عبدالرحمٰن بن ابزی اپنے باپ سے روایت کرتے ہیں، وہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے ہمیں صبح کے وقت یہ دعا پڑھنے کی تعلیم دی: ہم نے فطرت اسلام، کلمہ اخلاص، اپنے نبی محمد صلی اللہ علیہ وسلم کے دین، اپنے باپ ابراہیم علیہ السلام کی ملت پر صبح کی، (‏‏‏‏وہ ابراہیم) جو یکسو مسلمان تھے اور مشرک نہ تھے۔
حدیث نمبر: 3097
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-" من قال حين يصبح: لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد يحيي ويميت وهو على كل شيء قدير - عشر مرات، كتب الله له بكل واحدة قالها عشر حسنات وحط عنه بها عشر سيئات ورفعه الله بها عشر درجات وكن له كعشر رقاب وكن له مسلحة من اول النهار إلى آخره، ولم يعمل يؤمئذ عملا يقهرهن، فإن قالها حين يمسي، فكذلك".-" من قال حين يصبح: لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد يحيي ويميت وهو على كل شيء قدير - عشر مرات، كتب الله له بكل واحدة قالها عشر حسنات وحط عنه بها عشر سيئات ورفعه الله بها عشر درجات وكن له كعشر رقاب وكن له مسلحة من أول النهار إلى آخره، ولم يعمل يؤمئذ عملا يقهرهن، فإن قالها حين يمسي، فكذلك".
سیدنا ابوایوب انصاری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس نے صبح کے وقت دس دفعہ یہ دعا پڑھی: «لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ، وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ، وَلَهُ الْحَمْدُ، يُحْيِي وَيُمِيتُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ» اللہ ہی معبود برحق ہے، وہ اکیلا ہے، اس کا کوئی شریک نہیں، بادشاہت اسی کی ہے، ساری تعریف اسی کے لیے ہے، وہ زندہ کرتا ہے اور مارتا ہے اور وہ ہر چیز پر قادر ہے۔ تو اللہ تعالیٰ ہر ایک بار کے بدلے اس کے لیے دس نیکیاں لکھے گا، دس برائیاں معاف کرے گا، دس درجے بلند کرے گا، یہ کلمات اس کے لیے دس غلاموں کو آزاد کرنے (‏‏‏‏کے ثواب) کے برابر ہوں گے، اور اس کی صبح سے شام تک حفاظت کریں گے اور اس دن اس آدمی کا کوئی عمل، اس عمل پر غالب نہیں آ سکے گا۔ اگر بوقت شام یہ ذکر کیا تو یہی ثواب ملے گا۔
حدیث نمبر: 3098
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-" من قال إذا اصبح:" رضيت بالله ربا وبالإسلام دينا وبمحمد نبيا"، فانا الزعيم لآخذن بيده حتى ادخله الجنة".-" من قال إذا أصبح:" رضيت بالله ربا وبالإسلام دينا وبمحمد نبيا"، فأنا الزعيم لآخذن بيده حتى أدخله الجنة".
صحابی رسول سیدنا منذر رضی اللہ عنہ، جو افریقہ میں تھے، بیان کرتے ہیں کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو یہ فرماتے سنا: جس آدمی نے بوقت صبح یہ دعا پڑھی: میں اللہ کے رب ہونے، اسلام کے دین ہونے اور محمد (‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) کے رسول ہونے پر راضی ہوں۔ تو میں (‏‏‏‏محمد) اس بات کا ضامن و کفیل ہوں کہ اس کا ہاتھ پکڑے رکھوں گا، یہاں تک کہ اسے جنت میں داخل کر دوں گا۔
حدیث نمبر: 3099
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-" امرنا صلى الله عليه وسلم ان نقول إذا اصبحنا وإذا امسينا وإذا اضطجعنا على فرشنا:" اللهم فاطر السماوات والارض عالم الغيب والشهادة، انت رب كل شيء، والملائكة يشهدون انك لا إله إلا انت، فإنا نعوذ بك من شر انفسنا ومن شر الشيطان الرجيم وشركه، وان نقترف على انفسنا سوءا او نجره إلى مسلم".-" أمرنا صلى الله عليه وسلم أن نقول إذا أصبحنا وإذا أمسينا وإذا اضطجعنا على فرشنا:" اللهم فاطر السماوات والأرض عالم الغيب والشهادة، أنت رب كل شيء، والملائكة يشهدون أنك لا إله إلا أنت، فإنا نعوذ بك من شر أنفسنا ومن شر الشيطان الرجيم وشركه، وأن نقترف على أنفسنا سوءا أو نجره إلى مسلم".
سیدنا ابومالک اشعری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے حکم دیا کہ ہم صبح کو، شام کو اور بستر پر لیٹتے وقت کہیں: اے اللہ! جو زمین و آسمان کو پیدا کرنے والا اور مخفی و ظاہر چیزوں کو جاننے والا ہے، تو ہر چیز کا پروردگار ہے اور فرشتے گواہی دیتے ہیں کہ تو ہی معبود برحق ہے، ہم تیری پناہ چاہتے ہیں اپنے نفسوں کے شر سے، شیطان کے شر سے، اس کی دعوت شرک سے اور اس بات سے کہ ہم اپنے نفسوں پر کسی برائی کا ارتکاب کریں یا کسی مسلمان کو اس میں مبتلا کر دیں۔
حدیث نمبر: 3100
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-" قل:" اللهم عالم الغيب والشهادة فاطر السماوات والارض، رب كل شيء ومليكه اشهد ان لا إله إلا انت اعوذ بك من شر نفسي وشر الشيطان وشركه". قله إذا اصبحت وإذا امسيت وإذا اخذت مضجعك".-" قل:" اللهم عالم الغيب والشهادة فاطر السماوات والأرض، رب كل شيء ومليكه أشهد أن لا إله إلا أنت أعوذ بك من شر نفسي وشر الشيطان وشركه". قله إذا أصبحت وإذا أمسيت وإذا أخذت مضجعك".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! مجھے ایسی دعا کا حکم دیں، جسے میں صبح و شام پڑھا کروں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یوں کہا کر: اے اللہ! غائب و حاضر کو جاننے والے! آسمانوں اور زمین کو پیدا کرنے والے! ہر چیز کے رب اور مالک! میں گواہی دیتا ہوں کہ نہیں کوئی معبود برحق مگر تو ہی، میں تیری پناہ چاہتا ہوں اپنے نفس کے شر سے اور شیطان کے شر اور اس کے شرک سے۔ جب تو صبح کرے اور شام کرے اور اپنے بستر پر لیٹے تو یہ دعا پڑھا کر۔

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