क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
1960. “ क़ुरआन सीखना और सिखाना सबसे अच्छा कर्म है ”
1961. “ क़ुरआन की शिक्षा देने वालों का महान स्थान ، एक आयत पढ़ाने का बदला ”
1962. “ क़ुरआन पढ़ने वाले और उसके माता-पिता की फ़ज़ीलत ”
1963. “ क़ुरआन पढ़ने और सीखने का हुक्म ”
1964. “ विद्वान वह है जो पहली सात सूरतों को समझता है ”
1965. “ क़ुरआन क्या है ”
1966. “ अल्लाह तआला की ओर जाने का सबसे अच्छा तरीक़ा क़ुरआन है ”
1967. “ क़ुरआन के बारे में झगड़ा नहीं करना चाहिए ”
1968. “ एक ही सूरत बहुत थी ”
1969. “ क़ुरआन चमड़े के अंदर हो तो आग नहीं जलाती है ”
1970. “ क़ुरआन हमारा मार्गदर्शक है ”
1971. “ आसमानी किताबें उतारे जाने की तारीखें ”
1972. “ हर साल जिब्राइल अलैहिस्सलाम के साथ रसूल अल्लाह ﷺ का क़ुरआन पढ़ना ”
1973. “ क़ुरआन के कारण सम्मान और अपमान ”
1974. “ क़ुरआन पढ़ने वाले का सबसे अच्छा क़ुरआन पढ़ने का तरीक़ा ”
1975. “ कब तक क़ुरआन पढ़ा जाना चाहिए ”
1976. “ देख कर क़ुरआन पढने का मतलब अल्लाह और उसके रसूल ﷺ से मुहब्बत ”
1977. “ क़ुरआन सिफ़ारिश करेगा ”
1978. “ क़ुरआन दुनिया के लिए नहीं पढ़ना चाहिए और क़ुरआन सिखाने की मज़दूरी लेना कैसा है ”
1979. “ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ना चाहिए ”
1980. “ मधुर आवाज़ क़ुरआन की सुंदरता है ”
1981. “ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ने के कारण अशअरी लोगों की सराहना ”
1982. “ क़ुरआन जल्दी जल्दी पानी पीने की तरह नहीं पढ़ना चाहिए ”
1983. “ क़ुरआन को समझ कर पढ़ना चाहिए ”
1984. “ सूरत अत-तकवीर सूरत अल-इंशिक़ाक़ और सूरत अल-इन्फ़ितार में क़यामत ”
1985. “ ठहर ठहर कर क़ुरआन पढ़ना ”
1986. “ जिन्नों का सूरत अर-रहमान की आयतों का जवाब देना ”
1987. “ सज्दा तिलावत ( क़ुरआन में सज्दे की आयत ) की दुआ ”
1988. “ दवात और क़लम ने भी आप ﷺ के साथ सज्दा किया ”
1989. “ क़ुरआन के एक अक्षर पर दस नेकियां ”
1990. “ अल्लाह को याद करने और क़ुरआन पढ़ने की वसीयत ”
1991. “ सूरत अल-फ़ातेहा क़ुरआन का सबसे अफ़ज़ल भाग है ”
1992. “ क्या बिस्मिल्लाह « بِسْمِ اللَّـه » सूरत अल-फ़ातेहा की आयत है ”
1993. “ सूरत अल-बक़रह और सूरत आल-इमरान की फ़ज़ीलत ”
1994. “ घर में सूरत अल-बक़रह पढ़ने से शैतान घर में नहीं घुसता ”
1995. “ आयतुल-कुरसी पढ़ने से इंसान जिन्नों से सुरक्षित रहता है ”
1996. “ सूरत आल-इमरान की आयत « إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ » की एहमियत ”
1997. “ सूरत अल-कहफ़ की फ़ज़ीलत ”
1998. “ सूरत अल-मुल्क की फ़ज़ीलत ”
1999. “ सूरत अल-काफ़िरून की फ़ज़ीलत ”
2000. “ सूरत अल-इख़लास क़ुरआन का एक तिहाई भाग है ”
2001. “ दस दफ़ा सूरत अल-इख़लास पढ़ने का सवाब ”
2002. “ सूरत अल-फ़लक़ और सूरत अन-नास की फ़ज़ीलत ”
2003. “ आप ﷺ पर जादू और उस का तोड़ ، नबियों और रसूलों पर जादू किया जा सकता है ”
2004. “ क़ुरआन सात लहजों से पढ़ा जा सकता है ”
2005. “ कितने दिन में पूरा क़ुरआन पढ़ा जा सकता है ”
2006. “ आयत के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ का हज़रत अबी रज़ि अल्लाहु अन्ह से पूछना ”
2007. “ वे आयतें जिन का पढ़ना मना कर दिया गया लेकिन हुक्म बाक़ी रहा ”
2008. “ क़ुरआन पढ़ने पर सुकून और आराम का उतारा जाना ”
2009. “ आप ﷺ हर समय अल्लाह को याद करते थे ”
2010. “ अल्लाह को याद करने वाले शब्द अर्श के आस पास होते हैं ”
2011. “ अल्लाह को याद करने वाले लोगों की सभा की फ़ज़ीलत और इनाम ”
2012. “ अल्लाह को याद करना जन्नत में पेड़ लगाना है
2013. “ फ़जर की नमाज़ से सूर्य निकलने तक और असर की नमाज़ से सूर्य डूबने तक अल्लाह को याद करने की फ़ज़ीलत ”
2014. “ फ़जर की नमाज़ से चाशत की नमाज़ तक लगातार अल्लाह को याद करने से अधिक अच्छे शब्द ”
2015. “ अल्लाह को याद करने के सिवा हर चीज़ बेकार है ”
2016. “ सबसे अच्छे शब्द ”
2017. “ सबसे अफ़ज़ल शब्द ”
2018. “ दिन रात कहे जाने वाले शब्दों से अफ़ज़ल शब्द ”
2019. “ हेर ऊँची जगह पर “ अल्लाहु अकबर ” « اللهُ أَكْبَرُ » कहना ”
2020. “ इंसान के लिए एक सेवक रखने से अच्छे शब्द ، सोन से पहले के शब्द ”
2021. “ शैतान से सुरक्षित रहने के शब्द ، आप ﷺ पर शैतानों का हमला लेकिन ... ”
2022. “ वे शब्द जिन के माध्यम से अपने से पहले वालों का ( स्थान ) मिल जाए और बाद वाले तुम्हारे ( दर्जे ) तक न पहुंच सकें ”
2023. “ वे शब्द जो जीवन के अंतिम दिनों में पढ़े जाएं ”
2024. “ अल्लाह को याद करने वाले को अल्लाह तआला भी याद करता है ”
2025. “ अल्लाह को याद करने वाली सभाएं जन्नत का बाग़ है ”
2026. “ जिस सभा में अल्लाह को याद किया जाता है उसकी ग़नीमत ( लाभ ) जन्नत है ”
2027. “ ला हौल वला क़ुव्व्ता इल्ला बिल्लाह « لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَٰهِ » की फ़ज़ीलत ”
2028. “ रोज़ाना एक हज़ार नेकियां ”
2029. “ दुनिया और उस में जो कुछ है उस पर लाअनत है सिवाए अल्लाह की याद और उसे सिखाने और सीखने वाले के ”
2030. “ वज़न में भारी शब्द ”
2031. “ बाक़ी रहने वाली नेकियाँ ”
2032. “ सौ सौ दफ़ा “ सुब्हान अल्लाह ” “ अल-हमदु लिल्लाह ” “ अल्लाहु अकबर ” “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” कहने का बड़ा सवाब ”
2033. “ कलमा तौहीद “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” मुक्ति दिलाता है ”
2034. “ अल-हमदु लिल्लाहि कसीरा ” « الحَمْدُ لِلَّهِ كَثِيرًا » का सवाब ”
2035. “ अल्लाह की याद कंजूसी ، कायरता और चिंता का इलाज है ”
2036. “ जो अल्लाह को याद करना पसंद करते हैं, वे आगे निकल जाएंगे ”
2037. “ अल्लाह को याद करना भी सदक़ह है ”
2038. “ तस्बीह पढ़ने से अल्लाह की तअरीफ़ और अल्लाह की बढ़ाई बयान करने से पाप पेड़ के पत्तों की झड़ जाते हैं ”
2039. “ आप ﷺ को उम्मतियों के दरूद भेजने का कैसे पता चलता है ”
2040. “ आप ﷺ की ओर से दरूद और सलाम का जवाब ”
2041. “ आप ﷺ पर दरूद और सलाम भेजने की फ़ज़ीलत ”
2042. “ जुमआ के दिन आप ﷺ पर बहुत दरूद भेने का हुक्म ، क्या नबियों और रसूलों के शरीर क़ब्रों में ठीक हैं ”
2043. “ मुहम्मद ﷺ का नाम सुन कर दरूद न भेजने वाला जन्नत के रस्ते से भटक गया ”
2044. “ दुआ स्वीकार की जाए इसके लिए दरूद की एहमियत ”
2045. “ जन्नत का दर्जा वसीले की दुआ करना ”
2046. “ सारे नबियों और रसूलों पर दरूद और सलाम भेजा जाए ”
2047. “ जितना अधिक हो सके अल्लाह से मांगो ”
2048. “ फ़रिश्तों की दुआएं कैसे पाई जा सकती हैं किसी के पीछे उस के लिए की गई दुआ स्वीकार की जाती है ”
2049. “ वे दुआएं जो आप ﷺ किया करते थे ”
2050. “ वह दुआ जो सभा का कफ़्फ़ारह है ”
2051. “ अल्लाह ग़ुस्सा करता है यदि उसको याद न किया जाए ”
2052. “ क्या दुआ भाग्य बदल सकती है ? ”
2053. “ अफ़ज़ल दुआ ”
2054. “ भलाई की दुआ करना ”
2055. “ दुख को टालने की दुआ ”
2056. “ दुखी इंसान का दुख दूर करने की दुआ ”
2057. “ घबराहट के समय की दुआ ”
2058. “ दुख और तकलीफ़ के समय की दुआ ”
2059. “ मुसीबत के समय हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ पढ़ी जाए ”
2060. “ किसी बस्ती में जाने की दुआ ”
2061. “ बज़ार में जाने की दुआ ”
2062. “ किसी को मुसीबत में देखे तो यह दुआ पढ़े ”
2063. “ यात्रा में सेहरी खाते समय की दुआ ”
2064. “ तेज़ हवा चलते समय की दुआ ”
2065. “ भयानक हवा चलते समय की दुआ ”
2066. “ वुज़ू करने के बाद की दुआ ”
2067. “ सेना को भेजते समय की दुआ ”
2068. “ ईमान को ताज़ा करने की दुआ और कारण ”
2069. “ सवारी पर सवार होते समय की दुआ ”
2070. “ अच्छी या बुरी चीज़ देखते समय की दुआ ”
2071. “ हिलाल यानि पहले दिन का चाँद देखने की दुआ ”
2072. “ चाँद से शरण लेना और उसका कारण ”
2073. “ बारिश के लिए उलटे हाथों दुआ करना ”
2074. “ किन लोगों की दुआ स्वीकार की जाती है ”
2075. “ दुआ करना अफ़ज़ल इबादत है ”
2076. “ रिज़्क़ में तंगी हो तो उस समय की दुआ ”
2077. “ ग़ुस्सा दूर करने की दुआ ”
2078. “ क़र्ज़ चुकाने की दुआ ”
2079. “ लैलतुल क़द्र ( शब क़द्र ) की दुआ ”
2080. “ किसी स्थान पर ठहरन के लिए तंबू लगाते समय की दुआ ”
2081. “ मुर्ग़े की अज़ान और गधे की आवाज़ सुनते समय की दुआ ”
2082. “ बुरे सपनों को दूर करने की दुआ ”
2083. “ कठिनाइयों में दुआ कब स्वीकार की जाती है ? ”
2084. “ नमाज़ से संबंधित दुआएं और दुआ इस्तफ़तह ”
2085. “ नमाज़ के बाद पढ़ने वाले शब्द ”
2086. “ अल्लाह की तारीफ़ करने वाले लोग अफ़ज़ल हैं ”
2087. “ अल्लाह को अपनी तारीफ़ पसंद है ”
2088. “ वे शब्द जो अल्लाह को पसंद हैं या पसंद नहीं हैं ”
2089. “ सभी प्राणियों द्वारा की गई अल्लाह तआला की तारीफ़ को कहने का ढंग ”
2090. “ अल्लाह की विशेषताओं पर आधारित दुआएं और उनका अच्छा नतीजा ”
2091. “ यदि पूरी कोशिश के साथ दुआ करनी है तो ”
2092. “ सुबह और शाम को पढ़ने वाले शब्द और सय्यदुल इस्तग़फ़ार ”
2093. “ सोते समय की दुआएं और उसका ढंग ”
2094. “ मज़लूम की बद-दुआ स्वीकार की जाती है ”
2095. “ दुआ करते समय दुआ के स्वीकार हो जाने का विश्वास होना चाहिए ”
2096. “ दम करना और उसके प्रकार ”
2097. “ क्या दाग़ना और दम करवाना विश्वास के विपरीत है ? ”
2098. “ तअवीज़ गंडा करना ”
2099. “ अल्लाह ताला के नाम से नसीहत की जाए तो बाज़ आजाना चाहिए ”
2100. “ जन्नत अल-फ़िरदौस मांगना और उसका कारण ”
2101. “ एक स्थायी बुरे पड़ोसी से बचने की शरण मांगना ”
2102. “ नज़र लग जाना सच है ”
2103. “ इसमे आज़म ”
2104. “ शुक्र करने के अफ़ज़ल शब्द ”
2105. “ जुमा के दिन की वह घड़ी जब दुआ स्वीकार की जाती है ”
2106. “ या ज़ल जलालि वल इकराम ” «يَا ذَا الجَلَالِ وَالإِكْرَام ‏‏ » ”
2107. “ हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु अन्ह के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ”
2108. “ बदर वालों के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ”
2109. “ अल्लाह के जीव को देख कर बनाने वाले यानि अल्लाह को याद करना ”
2110. “ ज़िना की अनुमति मांगने वाले को समझाने का नबी ﷺ का तरीक़ा और उसके लिए दुआ ”
2111. “ अल्लाह तआला के दोस्तों की निशानियां ”
2112. “ वज़न में भारी शब्द ”
2113. “ क़ुरैश के सरदारों के लिए आप ﷺ की बद-दुआ और उसका स्वीकार हो जाना ”
2114. “ ग़रीबी ، भुकमरी ، रुस्वाई और अत्याचार से अल्लाह की शरण मांगना ”
2115. “ आधी रात में की गई दुआ स्वीकार की जाती है
2116. “ आप ﷺ की उम्मत के लिए दुआ और उसका स्वीकार हो जाना
2117. “ अच्छे लोग और अच्छे कर्म
2118. “ शिर्क के सिवा सारे पाप क्षमा किये जा सकते हैं
2119. “ तोबा और रहमत का दरवाज़ा
2120. “ भाषण देने वाले कितने प्रकार के हैं
2121. “ सहाबा के ईमान की हालत
2122. “ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम और आप ﷺ की नम्रता
2123. “ इस्लाम की हालत में मिलने वाला जीवन बहुत अनमोल है
2124. “ सात सात दफ़ा जन्नत मांगना और जहन्नम से शरण मांगनी चाहिए ”
2125. “ अस्तग़फ़ार की फ़ज़ीलत ”
2126. “ आप ﷺ का सौ सौ दफ़ा क्षमा मांगना ”
2127. “ उठते ، बैठते और लेटते समय अल्लाह को याद करना चाहिए वरना .. ”
2128. “ औरतों को सलाम करना ”
2129. “ नमाज़ में क़याम यानि खड़े रहने के बीच दुआ करना ठीक है ”
2130. “ बिस्मिल्लाह ” « بِسْمِ اللَّـه » की बरकत और आप ﷺ का चमतकार ”
2131. “ शैतान से शरण मांगी जाए और उसे गली न दी जाए ”
2132. “ क़यामत के दिन कुछ लोगों की परीक्षा और अल्लाह का हुक्म न मानने की सज़ा ”
2133. “ नबी ﷺ के हुक्म को मानने की मिसाल ”

سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
فضائل القرآن والادعية والاذكار والرقي
فضائل قرآن، دعا ئیں، اذکار، دم
क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
سوتے وقت کی دعائیں اور آداب
“ सोते समय की दुआएं और उसका ढंग ”
حدیث نمبر: 3101
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-" كان لا ينام حتى يقرا * (الم، تنزيل) * السجدة و * (تبارك الذي بيده الملك) *".-" كان لا ينام حتى يقرأ * (ألم، تنزيل) * السجدة و * (تبارك الذي بيده الملك) *".
سیدنا جابر رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم اس وقت تک نہیں سوتے تھے، جب تک سورۂ السجدہ «الم تنزيل» اور سورۂ الملک «تبارك الذى بيده الملك» کی تلاوت نہ کر لیتے تھے۔
حدیث نمبر: 3102
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-" كان لا ينام حتى يقرا الزمر وبني إسرائيل".-" كان لا ينام حتى يقرأ الزمر وبني إسرائيل".
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا بیان کرتی ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم جب تک سورۂ زمر اور سورۂ بنی اسرائیل کی تلاوت نہیں کر لیتے، اس وقت تک سوتے نہیں تھے۔
حدیث نمبر: 3103
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- (من قال إذا اوى إلى فراشه: الحمد لله الذي كفاني وآواني. الحمد لله الذي اطعمني وسقاني. الحمد لله الذي من علي وافضل، اللهم! إني اسالك بعزتك ان تنجيني من النار؛ فقد حمد الله بجميع محامد الخلق كلهم).- (من قال إذا أوَى إلى فراشه: الحمد لله الذي كفاني وآواني. الحمد لله الذي أطعمني وسقاني. الحمد لله الذي مَنَّ عليَّ وأفضلَ، اللهم! إنِّي أسألك بعزَّتك أنْ تُنَجِّيَني من النّار؛ فقدْ حَمِدَ الله بجميع محامدِ الخلقِ كلِّهم).
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس آدمی نے بستر پر لیٹ کر یہ دعا پڑھی: ساری تعریف اس اللہ کے لیے ہے جس نے مجھے کفایت کیا اور جگہ دی، ساری تعریف اس اللہ کے لیے ہے جس نے مجھے کھلایا اور ساری تعریف اس اللہ کی ہے جس نے مجھ پر احسان کیا اور مہر بانی کی۔ اے اللہ میں تجھ سے تیری عزت کے واسطے سے سوال کرتا ہوں کہ تو مجھے آگ سے نجات دیدے۔ تو اس نے تمام مخلوقات کی بیان کردہ اللہ تعالیٰ کی تعریفات کہ ڈالیں۔
حدیث نمبر: 3104
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- (ما من مسلم يبيت على ذكر [الله] طاهرا، فيتعار من الليل، فيسال الله خيرا من [امر] الدنيا والآخرة؛ إلا اعطاه إياه).- (ما مِن مُسلمٍ يبيتُ على ذِكر [الله] طاهراً، فيتعارُّ مِنَ الليل، فيسألُ الله خيراً مِن [أمرِ] الدُّنيا والآخرِة؛ إلاّ أعطاهُ إياه).
سیدنا معاذ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جو مسلمان باوضو ہو کر اور اللہ تعالیٰ کا ذکر کر کے رات کو سو جاتا ہے، وہ رات کے کسی حصے میں اٹھ کر جب بھی اللہ تعالیٰ سے دنیا و آخرت کی خیر و بھلائی کا سوال کرتا ہے تو اللہ تعالیٰ اسے دے دیتا ہے۔
حدیث نمبر: 3105
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- (كان يقول حين يريد ان ينام: اللهم! فاطر السماوات والارض! عالم الغيب والشهادة! رب كل شيء! وإله كل شيء! اشهد ان لا إله إلا انت، وحدك لا شريك لك، وان محمدا عبدك ورسولك، والملائكة يشهدون، اللهم! إني اعوذ بك من الشيطان وشركه، واعوذ بك ان اقرف على نفسي إثما، او ارده إلى مسلم).- (كان يقولُ حينَ يريدُ أنْ ينامَ: اللهمَ! فاطرَ السماواتِ والأرضِ! عالمَ الغيبِ والشهادةِ! ربَّ كلّ شيءٍ! وإله كلِّ شيءٍ! أشهدُ أنْ لا إلهَ إلا أنتَ، وحدَك لا شريكَ لك، وأنَّ محمّداً عبدُك ورسولُك، والملائكة يشهدون، اللهم! إنِّي أعوذُ بك من الشيطانِ وشِرْكِه، وأعوذُ بك أن أقرِفَ على نفْسي إثْماً، أو أردَّه إلى مسلم).
سیدنا عبداللہ بن عمرو رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم جب سونے کا ارادہ کرتے تو فرماتے: اے اللہ! آسمان و زمین کے پیدا کرنے والے! غائب و حاضر کو جاننے والے! ہر چیز کے ربّ! ہر چیز کے معبود برحق! میں گواہی دیتا ہوں کہ تو ہی معبود برحق ہے، تو اکیلا ہے، تیرا کوئی شریک نہیں، اور یہ کہ محمد (‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) تیرے بندے اور رسول ہیں اور اس بات پر فرشتے بھی گواہی دیتے ہیں۔ اے اللہ! میں تیری پناہ چاہتا ہوں شیطان اور اس کے شرک سے اور میں تیری پناہ طلب کرتا ہوں اس بات سے کہ میں اپنے نفس پر برائی کا ارتکاب کروں یا کسی مسلمان کے حق میں برائی کروں۔
حدیث نمبر: 3106
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-" كان يتوسد يمينه عند المنام، ثم يقول: رب قني عذابك يوم تبعث عبادك".-" كان يتوسد يمينه عند المنام، ثم يقول: رب قني عذابك يوم تبعث عبادك".
سیدنا برا بن عازب رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سوتے وقت دایاں ہاتھ سر کے نیچے رکھتے اور یہ دعا پڑھتے: اے میرے رب! جس دن تو اپنے بندوں کو اٹھائے گا، اس دن مجھے اپنےعذاب سے بچانا۔
حدیث نمبر: 3107
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-" كان إذا اراد ان ينام وضع يده تحت خده الايمن، ويقول: اللهم قني عذابك يوم تبعث عبادك".-" كان إذا أراد أن ينام وضع يده تحت خده الأيمن، ويقول: اللهم قني عذابك يوم تبعث عبادك".
سیدنا برا بن عازب رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ جب رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سوتے تو اپنا ہاتھ دائیں رخسار کے نیچے رکھتے اور یہ دعا پڑھتے: اے اللہ! جس دن تو اپنے بندوں کو اٹھائے گا، اس دن مجھے اپنے عذاب سے بچانا۔ یہ حدیث سیدنا حذیفہ بن یمان رضی اللہ عنہ اور سیدہ حفصہ بنت عمر رضی اللہ عنہا سے بھی مروی ہے۔
حدیث نمبر: 3108
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-" كان إذا اراد ان ينام وهو جنب توضا، وإذا اراد ان ياكل غسل يديه".-" كان إذا أراد أن ينام وهو جنب توضأ، وإذا أراد أن يأكل غسل يديه".
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم جب جنابت کی حالت میں سونا چاہتے تو وضو کر لیتے اور اگر اس حالت میں کھانا پینا چاہتے تو ہاتھ دھو لیتے تھے۔
حدیث نمبر: 3109
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-" كان إذا اوى إلى فراشه نام على شقه الايمن، ثم قال: اللهم اسلمت نفسي إليك ووجهت وجهي إليك وفوضت امري إليك والجات ظهري إليك رغبة ورهبة إليك لا ملجا ولا منجا منك إلا إليك، آمنت بكتابك الذي انزلت ونبيك الذي ارسلت، وقال صلى الله عليه وسلم:" من قالهن ثم مات تحت ليلته مات على الفطرة".-" كان إذا أوى إلى فراشه نام على شقه الأيمن، ثم قال: اللهم أسلمت نفسي إليك ووجهت وجهي إليك وفوضت أمري إليك وألجأت ظهري إليك رغبة ورهبة إليك لا ملجأ ولا منجأ منك إلا إليك، آمنت بكتابك الذي أنزلت ونبيك الذي أرسلت، وقال صلى الله عليه وسلم:" من قالهن ثم مات تحت ليلته مات على الفطرة".
سیدنا برا بن عازب رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم جب اپنے بستر پر لیٹتے تو دائیں پہلو پر لیٹتے اور یہ دعا پڑھتے تھے: اے اللہ! میں نے اپنے نفس کو تیرے تابع کر دیا، اپنا چہرہ تیری طرف پھیر لیا، اپنا کام تیرے سپرد کر دیا، اپنی پشت تیری طرف جھکائی، تیری طرف رغبت کرتے ہوئے اور تجھ سے ڈرتے ہوئے، نہ تجھ سے پناہ کی کوئی جگہ ہے اور نہ بھاگ کر جانے کی مگر تیری ہی طرف، میں ایمان لایا تیری کتاب پر جو تو نے نازل کی اور تیرے نبی پر جو تو نے بھیجا۔ نیز آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جو آدمی یہ کلمات کہے اور اسی رات کو مر جائے تو وہ فطرت اسلام پر مر ے گا۔

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