क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
1960. “ क़ुरआन सीखना और सिखाना सबसे अच्छा कर्म है ”
1961. “ क़ुरआन की शिक्षा देने वालों का महान स्थान ، एक आयत पढ़ाने का बदला ”
1962. “ क़ुरआन पढ़ने वाले और उसके माता-पिता की फ़ज़ीलत ”
1963. “ क़ुरआन पढ़ने और सीखने का हुक्म ”
1964. “ विद्वान वह है जो पहली सात सूरतों को समझता है ”
1965. “ क़ुरआन क्या है ”
1966. “ अल्लाह तआला की ओर जाने का सबसे अच्छा तरीक़ा क़ुरआन है ”
1967. “ क़ुरआन के बारे में झगड़ा नहीं करना चाहिए ”
1968. “ एक ही सूरत बहुत थी ”
1969. “ क़ुरआन चमड़े के अंदर हो तो आग नहीं जलाती है ”
1970. “ क़ुरआन हमारा मार्गदर्शक है ”
1971. “ आसमानी किताबें उतारे जाने की तारीखें ”
1972. “ हर साल जिब्राइल अलैहिस्सलाम के साथ रसूल अल्लाह ﷺ का क़ुरआन पढ़ना ”
1973. “ क़ुरआन के कारण सम्मान और अपमान ”
1974. “ क़ुरआन पढ़ने वाले का सबसे अच्छा क़ुरआन पढ़ने का तरीक़ा ”
1975. “ कब तक क़ुरआन पढ़ा जाना चाहिए ”
1976. “ देख कर क़ुरआन पढने का मतलब अल्लाह और उसके रसूल ﷺ से मुहब्बत ”
1977. “ क़ुरआन सिफ़ारिश करेगा ”
1978. “ क़ुरआन दुनिया के लिए नहीं पढ़ना चाहिए और क़ुरआन सिखाने की मज़दूरी लेना कैसा है ”
1979. “ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ना चाहिए ”
1980. “ मधुर आवाज़ क़ुरआन की सुंदरता है ”
1981. “ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ने के कारण अशअरी लोगों की सराहना ”
1982. “ क़ुरआन जल्दी जल्दी पानी पीने की तरह नहीं पढ़ना चाहिए ”
1983. “ क़ुरआन को समझ कर पढ़ना चाहिए ”
1984. “ सूरत अत-तकवीर सूरत अल-इंशिक़ाक़ और सूरत अल-इन्फ़ितार में क़यामत ”
1985. “ ठहर ठहर कर क़ुरआन पढ़ना ”
1986. “ जिन्नों का सूरत अर-रहमान की आयतों का जवाब देना ”
1987. “ सज्दा तिलावत ( क़ुरआन में सज्दे की आयत ) की दुआ ”
1988. “ दवात और क़लम ने भी आप ﷺ के साथ सज्दा किया ”
1989. “ क़ुरआन के एक अक्षर पर दस नेकियां ”
1990. “ अल्लाह को याद करने और क़ुरआन पढ़ने की वसीयत ”
1991. “ सूरत अल-फ़ातेहा क़ुरआन का सबसे अफ़ज़ल भाग है ”
1992. “ क्या बिस्मिल्लाह « بِسْمِ اللَّـه » सूरत अल-फ़ातेहा की आयत है ”
1993. “ सूरत अल-बक़रह और सूरत आल-इमरान की फ़ज़ीलत ”
1994. “ घर में सूरत अल-बक़रह पढ़ने से शैतान घर में नहीं घुसता ”
1995. “ आयतुल-कुरसी पढ़ने से इंसान जिन्नों से सुरक्षित रहता है ”
1996. “ सूरत आल-इमरान की आयत « إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ » की एहमियत ”
1997. “ सूरत अल-कहफ़ की फ़ज़ीलत ”
1998. “ सूरत अल-मुल्क की फ़ज़ीलत ”
1999. “ सूरत अल-काफ़िरून की फ़ज़ीलत ”
2000. “ सूरत अल-इख़लास क़ुरआन का एक तिहाई भाग है ”
2001. “ दस दफ़ा सूरत अल-इख़लास पढ़ने का सवाब ”
2002. “ सूरत अल-फ़लक़ और सूरत अन-नास की फ़ज़ीलत ”
2003. “ आप ﷺ पर जादू और उस का तोड़ ، नबियों और रसूलों पर जादू किया जा सकता है ”
2004. “ क़ुरआन सात लहजों से पढ़ा जा सकता है ”
2005. “ कितने दिन में पूरा क़ुरआन पढ़ा जा सकता है ”
2006. “ आयत के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ का हज़रत अबी रज़ि अल्लाहु अन्ह से पूछना ”
2007. “ वे आयतें जिन का पढ़ना मना कर दिया गया लेकिन हुक्म बाक़ी रहा ”
2008. “ क़ुरआन पढ़ने पर सुकून और आराम का उतारा जाना ”
2009. “ आप ﷺ हर समय अल्लाह को याद करते थे ”
2010. “ अल्लाह को याद करने वाले शब्द अर्श के आस पास होते हैं ”
2011. “ अल्लाह को याद करने वाले लोगों की सभा की फ़ज़ीलत और इनाम ”
2012. “ अल्लाह को याद करना जन्नत में पेड़ लगाना है
2013. “ फ़जर की नमाज़ से सूर्य निकलने तक और असर की नमाज़ से सूर्य डूबने तक अल्लाह को याद करने की फ़ज़ीलत ”
2014. “ फ़जर की नमाज़ से चाशत की नमाज़ तक लगातार अल्लाह को याद करने से अधिक अच्छे शब्द ”
2015. “ अल्लाह को याद करने के सिवा हर चीज़ बेकार है ”
2016. “ सबसे अच्छे शब्द ”
2017. “ सबसे अफ़ज़ल शब्द ”
2018. “ दिन रात कहे जाने वाले शब्दों से अफ़ज़ल शब्द ”
2019. “ हेर ऊँची जगह पर “ अल्लाहु अकबर ” « اللهُ أَكْبَرُ » कहना ”
2020. “ इंसान के लिए एक सेवक रखने से अच्छे शब्द ، सोन से पहले के शब्द ”
2021. “ शैतान से सुरक्षित रहने के शब्द ، आप ﷺ पर शैतानों का हमला लेकिन ... ”
2022. “ वे शब्द जिन के माध्यम से अपने से पहले वालों का ( स्थान ) मिल जाए और बाद वाले तुम्हारे ( दर्जे ) तक न पहुंच सकें ”
2023. “ वे शब्द जो जीवन के अंतिम दिनों में पढ़े जाएं ”
2024. “ अल्लाह को याद करने वाले को अल्लाह तआला भी याद करता है ”
2025. “ अल्लाह को याद करने वाली सभाएं जन्नत का बाग़ है ”
2026. “ जिस सभा में अल्लाह को याद किया जाता है उसकी ग़नीमत ( लाभ ) जन्नत है ”
2027. “ ला हौल वला क़ुव्व्ता इल्ला बिल्लाह « لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَٰهِ » की फ़ज़ीलत ”
2028. “ रोज़ाना एक हज़ार नेकियां ”
2029. “ दुनिया और उस में जो कुछ है उस पर लाअनत है सिवाए अल्लाह की याद और उसे सिखाने और सीखने वाले के ”
2030. “ वज़न में भारी शब्द ”
2031. “ बाक़ी रहने वाली नेकियाँ ”
2032. “ सौ सौ दफ़ा “ सुब्हान अल्लाह ” “ अल-हमदु लिल्लाह ” “ अल्लाहु अकबर ” “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” कहने का बड़ा सवाब ”
2033. “ कलमा तौहीद “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” मुक्ति दिलाता है ”
2034. “ अल-हमदु लिल्लाहि कसीरा ” « الحَمْدُ لِلَّهِ كَثِيرًا » का सवाब ”
2035. “ अल्लाह की याद कंजूसी ، कायरता और चिंता का इलाज है ”
2036. “ जो अल्लाह को याद करना पसंद करते हैं, वे आगे निकल जाएंगे ”
2037. “ अल्लाह को याद करना भी सदक़ह है ”
2038. “ तस्बीह पढ़ने से अल्लाह की तअरीफ़ और अल्लाह की बढ़ाई बयान करने से पाप पेड़ के पत्तों की झड़ जाते हैं ”
2039. “ आप ﷺ को उम्मतियों के दरूद भेजने का कैसे पता चलता है ”
2040. “ आप ﷺ की ओर से दरूद और सलाम का जवाब ”
2041. “ आप ﷺ पर दरूद और सलाम भेजने की फ़ज़ीलत ”
2042. “ जुमआ के दिन आप ﷺ पर बहुत दरूद भेने का हुक्म ، क्या नबियों और रसूलों के शरीर क़ब्रों में ठीक हैं ”
2043. “ मुहम्मद ﷺ का नाम सुन कर दरूद न भेजने वाला जन्नत के रस्ते से भटक गया ”
2044. “ दुआ स्वीकार की जाए इसके लिए दरूद की एहमियत ”
2045. “ जन्नत का दर्जा वसीले की दुआ करना ”
2046. “ सारे नबियों और रसूलों पर दरूद और सलाम भेजा जाए ”
2047. “ जितना अधिक हो सके अल्लाह से मांगो ”
2048. “ फ़रिश्तों की दुआएं कैसे पाई जा सकती हैं किसी के पीछे उस के लिए की गई दुआ स्वीकार की जाती है ”
2049. “ वे दुआएं जो आप ﷺ किया करते थे ”
2050. “ वह दुआ जो सभा का कफ़्फ़ारह है ”
2051. “ अल्लाह ग़ुस्सा करता है यदि उसको याद न किया जाए ”
2052. “ क्या दुआ भाग्य बदल सकती है ? ”
2053. “ अफ़ज़ल दुआ ”
2054. “ भलाई की दुआ करना ”
2055. “ दुख को टालने की दुआ ”
2056. “ दुखी इंसान का दुख दूर करने की दुआ ”
2057. “ घबराहट के समय की दुआ ”
2058. “ दुख और तकलीफ़ के समय की दुआ ”
2059. “ मुसीबत के समय हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ पढ़ी जाए ”
2060. “ किसी बस्ती में जाने की दुआ ”
2061. “ बज़ार में जाने की दुआ ”
2062. “ किसी को मुसीबत में देखे तो यह दुआ पढ़े ”
2063. “ यात्रा में सेहरी खाते समय की दुआ ”
2064. “ तेज़ हवा चलते समय की दुआ ”
2065. “ भयानक हवा चलते समय की दुआ ”
2066. “ वुज़ू करने के बाद की दुआ ”
2067. “ सेना को भेजते समय की दुआ ”
2068. “ ईमान को ताज़ा करने की दुआ और कारण ”
2069. “ सवारी पर सवार होते समय की दुआ ”
2070. “ अच्छी या बुरी चीज़ देखते समय की दुआ ”
2071. “ हिलाल यानि पहले दिन का चाँद देखने की दुआ ”
2072. “ चाँद से शरण लेना और उसका कारण ”
2073. “ बारिश के लिए उलटे हाथों दुआ करना ”
2074. “ किन लोगों की दुआ स्वीकार की जाती है ”
2075. “ दुआ करना अफ़ज़ल इबादत है ”
2076. “ रिज़्क़ में तंगी हो तो उस समय की दुआ ”
2077. “ ग़ुस्सा दूर करने की दुआ ”
2078. “ क़र्ज़ चुकाने की दुआ ”
2079. “ लैलतुल क़द्र ( शब क़द्र ) की दुआ ”
2080. “ किसी स्थान पर ठहरन के लिए तंबू लगाते समय की दुआ ”
2081. “ मुर्ग़े की अज़ान और गधे की आवाज़ सुनते समय की दुआ ”
2082. “ बुरे सपनों को दूर करने की दुआ ”
2083. “ कठिनाइयों में दुआ कब स्वीकार की जाती है ? ”
2084. “ नमाज़ से संबंधित दुआएं और दुआ इस्तफ़तह ”
2085. “ नमाज़ के बाद पढ़ने वाले शब्द ”
2086. “ अल्लाह की तारीफ़ करने वाले लोग अफ़ज़ल हैं ”
2087. “ अल्लाह को अपनी तारीफ़ पसंद है ”
2088. “ वे शब्द जो अल्लाह को पसंद हैं या पसंद नहीं हैं ”
2089. “ सभी प्राणियों द्वारा की गई अल्लाह तआला की तारीफ़ को कहने का ढंग ”
2090. “ अल्लाह की विशेषताओं पर आधारित दुआएं और उनका अच्छा नतीजा ”
2091. “ यदि पूरी कोशिश के साथ दुआ करनी है तो ”
2092. “ सुबह और शाम को पढ़ने वाले शब्द और सय्यदुल इस्तग़फ़ार ”
2093. “ सोते समय की दुआएं और उसका ढंग ”
2094. “ मज़लूम की बद-दुआ स्वीकार की जाती है ”
2095. “ दुआ करते समय दुआ के स्वीकार हो जाने का विश्वास होना चाहिए ”
2096. “ दम करना और उसके प्रकार ”
2097. “ क्या दाग़ना और दम करवाना विश्वास के विपरीत है ? ”
2098. “ तअवीज़ गंडा करना ”
2099. “ अल्लाह ताला के नाम से नसीहत की जाए तो बाज़ आजाना चाहिए ”
2100. “ जन्नत अल-फ़िरदौस मांगना और उसका कारण ”
2101. “ एक स्थायी बुरे पड़ोसी से बचने की शरण मांगना ”
2102. “ नज़र लग जाना सच है ”
2103. “ इसमे आज़म ”
2104. “ शुक्र करने के अफ़ज़ल शब्द ”
2105. “ जुमा के दिन की वह घड़ी जब दुआ स्वीकार की जाती है ”
2106. “ या ज़ल जलालि वल इकराम ” «يَا ذَا الجَلَالِ وَالإِكْرَام ‏‏ » ”
2107. “ हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु अन्ह के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ”
2108. “ बदर वालों के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ”
2109. “ अल्लाह के जीव को देख कर बनाने वाले यानि अल्लाह को याद करना ”
2110. “ ज़िना की अनुमति मांगने वाले को समझाने का नबी ﷺ का तरीक़ा और उसके लिए दुआ ”
2111. “ अल्लाह तआला के दोस्तों की निशानियां ”
2112. “ वज़न में भारी शब्द ”
2113. “ क़ुरैश के सरदारों के लिए आप ﷺ की बद-दुआ और उसका स्वीकार हो जाना ”
2114. “ ग़रीबी ، भुकमरी ، रुस्वाई और अत्याचार से अल्लाह की शरण मांगना ”
2115. “ आधी रात में की गई दुआ स्वीकार की जाती है
2116. “ आप ﷺ की उम्मत के लिए दुआ और उसका स्वीकार हो जाना
2117. “ अच्छे लोग और अच्छे कर्म
2118. “ शिर्क के सिवा सारे पाप क्षमा किये जा सकते हैं
2119. “ तोबा और रहमत का दरवाज़ा
2120. “ भाषण देने वाले कितने प्रकार के हैं
2121. “ सहाबा के ईमान की हालत
2122. “ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम और आप ﷺ की नम्रता
2123. “ इस्लाम की हालत में मिलने वाला जीवन बहुत अनमोल है
2124. “ सात सात दफ़ा जन्नत मांगना और जहन्नम से शरण मांगनी चाहिए ”
2125. “ अस्तग़फ़ार की फ़ज़ीलत ”
2126. “ आप ﷺ का सौ सौ दफ़ा क्षमा मांगना ”
2127. “ उठते ، बैठते और लेटते समय अल्लाह को याद करना चाहिए वरना .. ”
2128. “ औरतों को सलाम करना ”
2129. “ नमाज़ में क़याम यानि खड़े रहने के बीच दुआ करना ठीक है ”
2130. “ बिस्मिल्लाह ” « بِسْمِ اللَّـه » की बरकत और आप ﷺ का चमतकार ”
2131. “ शैतान से शरण मांगी जाए और उसे गली न दी जाए ”
2132. “ क़यामत के दिन कुछ लोगों की परीक्षा और अल्लाह का हुक्म न मानने की सज़ा ”
2133. “ नबी ﷺ के हुक्म को मानने की मिसाल ”

سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
فضائل القرآن والادعية والاذكار والرقي
فضائل قرآن، دعا ئیں، اذکار، دم
क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
اذکار بعد از نماز
“ नमाज़ के बाद पढ़ने वाले शब्द ”
حدیث نمبر: 3076
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-" اقرءوا المعوذات في دبر كل صلاة".-" اقرءوا المعوذات في دبر كل صلاة".
سیدنا عقبہ بن عامر رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ہر نماز کے بعد معوّذات (‏‏‏‏سورۃ الفلق اور سورۃ الناس) پڑھا کرو۔
حدیث نمبر: 3077
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-" اللهم اغفر لي وتب علي إنك انت التواب الغفور [مائة مرة]".-" اللهم اغفر لي وتب علي إنك أنت التواب الغفور [مائة مرة]".
ایک انصاری رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو نماز کے آخر میں (‏‏‏‏یا اس کے بعد) یہ دعا سو دفعہ پڑھے ہوئے سنا: اے اللہ! تو مجھے بخش دے، میری توبہ قبول کر، بیشک تو توبہ قبول کرنے والا، بخشنے ولا ہے۔
حدیث نمبر: 3078
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-" من قال في دبر صلاة الغداة:" لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد يحيي ويميت بيده الخير وهو على كل شيء قدير" مئة مرة، وهو ثان رجليه، كان يومئذ افضل اهل الارض عملا إلا من قال مثل ما قال او زاد على ما قال".-" من قال في دبر صلاة الغداة:" لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد يحيي ويميت بيده الخير وهو على كل شيء قدير" مئة مرة، وهو ثان رجليه، كان يومئذ أفضل أهل الأرض عملا إلا من قال مثل ما قال أو زاد على ما قال".
سیدنا ابوامامہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس نے بعد از نماز فجر سو (‏‏‏‏۱۰۰) دفعہ یہ کلمہ کہا، اس حال میں اس کے پاؤں مڑے ہوئے ہوں (‏‏‏‏یعنی تشہد کی وضع پر بیٹھا ہو): «لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ، وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ، وَلَهُ الْحَمْدُ، يُحْيِي وَيُمِيتُ، بِيَدِهِ الْخَيْرُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ» نہیں کوئی معبود برحق مگر اللہ، وہ اکیلا ہے، اس کا کوئی شریک نہیں، بادشاہت اسی کی ہے، ساری تعریف اسی کے لیے ہے، وہ زندہ کرتا ہے اور مارتا ہے، اس کے ہاتھ میں بھلائی ہے اور وہ ہر چیز پر قادر ہے۔ تو وہ عمل کے لحاظ سے اہل زمین میں سب سے زیادہ افضل ہو گا، ہاں وہ آدمی جس نے اس کے برابر یا اس سے زیادہ عمل کیا (‏‏‏‏تو اس کا مقام اس کے برابر یا اس سے زیادہ ہو گا)۔
حدیث نمبر: 3079
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- (الا احدثكم بامر إن اخذتم به ادركتم من سبقكم، ولم يدرككم احد بعدكم، وكنتم خير من انتم بين ظهرانيه- إلا من عمل مثله-؟! تسبحون وتحمدون وتكبرون خلف كل صلاة ثلاثة وثلاثين).- (ألا أحدثكم بأمر إن أخذتم به أدركتم من سبقكم، ولم يدرككم أحد بعدكم، وكنتم خير من أنتم بين ظهرانَيه- إلا من عمل مثله-؟! تسبِّحون وتحْمَدون وتكبِّرون خلف كل صلاة ثلاثة وثلاثين).
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کیا میں تمہیں ایسی چیز نہ بتلاؤں جس کے ذریعے تم اپنے سے پہلوں کو پالو گے، بعد والے تمہارے (‏‏‏‏مرتبے کو) نہ پہنچ سکیں گے اور تم تمام لوگوں میں بہترین قرار پاؤ گے، مگر وہی شخص جو اسی طرح کا عمل کرے گا۔ (‏‏‏‏ ‏‏‏‏عمل یہ ہے) تم لوگ ہر نماز کے بعد «سبحان الله»، «الحمد لله» اور «الله اكبر» تینتیس تینتیس دفعہ کہا کرو۔ یہ حدیث سیدنا ابوہریرہ، سیدنا ابوذر، سیدنا ابودردا، سیدنا ابن عباس اور سیدنا ابن عمر رضی اللہ عنہم سے مروی ہے۔ سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کی حدیث، جسے ان سے ابوصالح نے روایت ہے، فقراء لوگ، نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آئے اور عرض کیا کہ بلند درجے اور ہمیشہ رہنے والی نعمتیں تو مالدار لوگ لے گئے، وہ نماز تو ہماری طرح پڑھتے ہیں اور روزہ بھی ہماری طرح رکھتے ہیں۔ لیکن ان کے لیے مالوں سے حاصل ہونے والی فضیلت زیادہ ہے، وہ حج کرتے ہیں، عمرہ کرتے ہیں، جہاد کرتے ہیں اور صدقہ کرتے ہیں۔ راوی کہتا ہے: . . . (‏‏‏‏اوپر والی حدیث ذکر کی) (‏‏‏‏تسبیحات کی تعداد کے بارے میں) ہم اختلاف میں پڑھ گئے، کوئی کہتا کہ تینتیس دفعہ «سبحان الله» تینتیس دفعہ «الحمد لله» اور چونتیس دفعہ «الله اكبر» کہنا ہے (‏‏‏‏اور کوئی کچھ اور کہتا)۔ میں آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس گیا اور (‏‏‏‏سارا مسئلہ ذکر کیا تو) آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: «سبحان الله»، «الحمد لله» اور «الله اكبر» میں سے ہر ایک تینتیس تینتیس بار کہنا ہے۔
حدیث نمبر: 3080
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-" يا ابا ذر الا اعلمك كلمات تدرك بهن من سبقك ولا يلحقك من خلفك إلا من اخذ بمثل عملك؟ تكبر الله دبر كل صلاة ثلاثا وثلاثين، وتحمده ثلاثا وثلاثين وتسبحه ثلاثا وثلاثين وتختمها بـ (لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير)".-" يا أبا ذر ألا أعلمك كلمات تدرك بهن من سبقك ولا يلحقك من خلفك إلا من أخذ بمثل عملك؟ تكبر الله دبر كل صلاة ثلاثا وثلاثين، وتحمده ثلاثا وثلاثين وتسبحه ثلاثا وثلاثين وتختمها بـ (لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير)".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں سیدنا ابوذر رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! اجر و ثواب تو مالدار لے گئے ہیں، (‏‏‏‏وہ اس طرح کہ) وہ نماز تو ہماری طرح پڑھتے ہیں اور روزہ بھی ہماری طرح رکھتے ہیں، لیکن ان کے پاس زائد مال ہیں، وہ صدقہ کرتے ہیں اور ہمارے پاس مال نہیں کہ ہم صدقہ کریں۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوذر! کیا میں تجھے ایسے کلمات نہ سکھا دوں کہ جن کے ذریعے تو سبقت لے جانے والے پہلے لوگوں کو پالے گا اور بعد میں آنے والوں میں سے کوئی بھی تیرے مقام کو نہیں پہنچ سکے گا، البتہ وہ شخص جو تیری طرح عمل کرے گا۔ ہر نماز کے بعد تینتیس دفعہ «الله اكبر»، تینتیس دفعہ «الحمد لله» اور تینتیس دفعہ «سبحان الله» اور آخر میں یہ کلمہ پڑھے: «لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير» نہیں کوئی معبود برحق مگر اللہ تعالیٰ، وہ اکیلا ہے، اس کا کوئی شریک نہیں، بادشاہت اسی کی ہے، ساری تعریف اسی کے لیے ہے اور وہ ہر چیز پر قادر ہے۔ جو آدمی یہ عمل کرے گا اس کے گناہ بخش دیے جائیں گے اگرچہ وہ سمندر کی جھاگ کے برابر ہوں۔
حدیث نمبر: 3081
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-" معقبات لا يخيب قائلهن او فاعلهن دبر كل صلاة مكتوبة: ثلاث وثلاثون تسبيحة وثلاث وثلاثون تحميدة واربع وثلاثون تكبيرة".-" معقبات لا يخيب قائلهن أو فاعلهن دبر كل صلاة مكتوبة: ثلاث وثلاثون تسبيحة وثلاث وثلاثون تحميدة وأربع وثلاثون تكبيرة".
سیدنا کعب بن عجرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ہر فرضی نماز کے بعد پڑھے جانے والے کچھ کلمات ہیں کہ ان کو کہنے والا یا کرنے والا نامراد نہیں ہوتا اور وہ تنتیس دفعہ «سبحان الله» تنتیس دفعہ «الحمد لله» اور چونتیس دفعہ «الله اكبر» کہنا ہے۔
حدیث نمبر: 3082
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-" من سبح الله في دبر كل صلاة ثلاثا وثلاثين وحمد الله ثلاثا وثلاثين وكبر الله ثلاثا وثلاثين، فتلك تسع وتسعون، ثم قال تمام المائة: لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير، غفرت له خطاياه وإن كانت مثل زبد البحر".-" من سبح الله في دبر كل صلاة ثلاثا وثلاثين وحمد الله ثلاثا وثلاثين وكبر الله ثلاثا وثلاثين، فتلك تسع وتسعون، ثم قال تمام المائة: لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير، غفرت له خطاياه وإن كانت مثل زبد البحر".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس نے ہر نماز کے بعد تینتیس دفعہ «سبحان الله» تینتیس دفعہ «الحمد لله» اور چونتیس دفعہ «الله اكبر» کہا، یہ کل ننانوے (‏‏‏‏ ‏‏‏‏۹۹) کلمات ہو گئے۔ سوویں دفعہ کہا: «لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير» اللہ ہی معبود برحق ہے، وہ اکیلا ہے، اس کا کوئی شریک نہیں، بادشاہت اسی کی ہے، ساری تعریف اس کے لیے ہے اور وہ ہر چیز پر قادر ہے۔ تو اس کے گناہ معاف کر دیے جائیں گے اگرچہ وہ سمندر کی جھاگ کے برابر ہوں۔
حدیث نمبر: 3083
Save to word مکررات اعراب Hindi
- (كان يقول في دبر الصلاة إذا سلم قبل ان يقوم، يرفع بذلك صوته: لا إله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك، وله الحمد، وهو على كل شيء قدير، ولا حول ولا قوة إلا بالله، لا إله إلا الله، [و] لا نعبد إلا إياه، له النعمة، وله الفضل، وله الثناء الحسن، لا إله إلا الله مخلصين له الدين، ولو كره الكافرون).- (كانَ يقولُ في دُبُرِ الصَّلاةِ إذا سلَّم قبْلَ أنْ يقومَ، يرفعُ بذلكَ صوتَه: لا إلهَ إلا اللهُ وحدَه لا شريكَ لَهُ، لَهُ الملكُ، وله الحمدُ، وهو على كلِّ شيءٍ قديرٌ، ولا حولَ ولا قوةَ إلا بالله، لا إلهَ إلا اللهُ، [و] لا نعبدُ إلا إيَّاهُ، له النعمةُ، وله الفضلُ، وله الثناءُ الحسنُ، لا إله إلا اللهُ مخلصينَ لَهُ الدِّينَ، ولو كَرِهَ الكافِرُونَ).
سیدنا عبداللہ بن زبیر رضی اللہ عنہما کہتے ہیں: جب رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نماز سے سلام پھیرتے تو کھڑے ہونے سے پہلے بآواز بلند یہ دعا پڑھتے: نہیں کوئی معبود برحق مگر اللہ تعالیٰ، وہ اکیلا ہے، اس کا کوئی شریک نہیں، بادشاہت اسی کے لیے ہے، تعریف اسی کے لیے ہے اور وہ ہر چیز پر قادر ہے اور برائی سے بچنے کی طاقت اور نیکی کرنے کی قوت نہیں مگر اسی کی توفیق سے، وہی معبود برحق ہے، ہم نہیں عبادت کرتے مگر اسی کی، احسان اور فضل اسی کا ہے، ثنائے حسن اسی کے لیے ہے، نہیں کوئی معبود مگر وہی، ہم اسی کے لیے بندگی کو خالص کرنے والے ہیں، اگرچہ کافر لوگ ناپسند کریں۔

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