ज़कात के बारे में
1. “ ज़कात का वाजिब होना शरिअत से साबित है ”
2. “ ज़कात न देना बहुत बड़ा पाप है ”
3. “ जिस धन पर ज़कात दी जाती है वह कन्ज़ ( जिस ख़जाने की निंदा की गई है ) नहीं है ”
4. “ शुद्ध कमाई से सदक़ा ( दान ) देना चाहिए ”
5. “ लोगों के मना करने से पहले सदक़ा ( दान ) दें ”
6. “ नबी ﷺ ने कहा, "आग से बचो, भले ही वह खजूर के टुकड़े या किसी छोटे सदक़े ( दान ) के माध्यम से हो ”
7. “ कौन सा सदक़ा ( दान ) अफ़ज़ल है ? ”
8. “ अधिक सदक़ा करने वालों की फ़ज़ीलत ”
9. “ जब कोई व्यक्ति अनजाने में किसी धनी व्यक्ति को सदक़ा ( दान ) देता है ”
10. “ जब कोई व्यक्ति अपने पुत्र को अनजाने में सदक़ा ( दान ) देता है ”
11. “ जो व्यक्ति अपने सेवक को सदक़ा ( दान ) देने का हुक्म दे और ख़ुद न दे ”
12. “ अतिरिक्त धन से सदक़ा देना चाहिए ”
13. “ दान के लिए प्रोत्साहन और इसके लिए सिफ़ारिश करना ( बड़े सवाब का काम है ) ”
14. “ जितना हो सके सदक़ा देना बेहतर है ”
15. “ जो व्यक्ति इस्लाम में आने से पहले सदक़ा दे ”
16. “ सेवक को सवाब तब होता है जब वह अपने मालिक के हुक्म से सदक़ा देता है और उसका इरादा घर को ख़राब करने का नहीं होता है ”
17. “ अल्लाह ताला का कहना कि “ जो कोई सदक़ा करेगा और परहेज़गारी करेगा .... “ फरिश्तों कि दुआ कि ऐ अल्लाह, हर ख़र्च करने वाले को उसके ख़र्च करने का बदला देदे ” के बारे में ”
18. “ सदक़ा देने वाले और कंजूस कि मिसाल ”
19. “ हर मुसलमान पर सदक़ा ( वाजिब ) है, जो न कर सकता हो, तो उसे नेक काम करना चाहिए ”
20. “ ( ग़रीब को ) कितनी ज़कात या सदक़ा देना चाहिए ? ”
21. “ ज़कात में नक़दी के बदले दौलत और साधन देना ”
22. “ अलग अलग माल को जमा न किया जाए और जमा किये हुए माल को अलग न किया जाए ”
23. “ जो माल दो भागीदारों का हो वो दोनों ज़कात देने के बाद आपस में बराबर बराबर समझ लें ”
24. “ ऊंट की ज़कात देना फ़र्ज़ है ”
25. “ जिस पर ज़कात में एक साल कि ऊंटनी देना वाजिब हो और वह उसके पास न हो ”
26. “ बकरियों की ज़कात देना भी फ़र्ज़ है ”
27. “ ज़कात में ख़राब जानवर को नहीं लेना चाहिए ”
28. “ ज़कात में लोगों का बढ़िया माल न लिया जाए ”
29. “ अपने रिश्तेदारों पर ज़कात ख़र्च करना ”
30. “ एक मुसलमान पर अपने घोड़े के लिए ज़कात फ़र्ज़ नहीं है ”
31. “ अनाथों को सदक़ा देना बहुत सवाब का काम है ”
32. “ ज़कात पति और अनाथों को देना जायज़ है जो उसकी देखरेख में हैं ”
33. “ अल्लाह ताला का कहना कि, " और ( ज़कात ख़र्च की जानी चाहिए ) ग़ुलामों और देनदारों को बचाने के लिए और जो अल्लाह के रस्ते में हैं "
34. “ मांगने से बचना बड़े सवाब और लाभ की बात है ”
35. “ जिसे अल्लाह बिना मांगे और बिना लालच के कुछ देता है, उसे स्वीकार करना चाहिए ”
36. “ जो लोगों से धन बढ़ाने के लिए मांगता है ”
37. “ मांगने से बचने के लिए कितना माल बहुत है ”
38. “ पकने से पहले ज़कात के लिए खजूरन अंदाज़ा करना ”
39. “ बारिश से मिलने वाली पैदावार पर अशर ( दसवां भाग ) वाजिब है ”
40. “ खजूर की ज़कात तब ली जानी चाहिए जब तारीखें टूट जाएँ और क्या ज़कात के लिए बच्चे को कुछ खजूरें लेने के लिए छोड़ना जायज़ है ? ”
41. “ क्या खुद कि सदक़ा में दी हुई चीज़ खरीदना जायज़ है ? ”
42. “ रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों की लौंडियों और ग़ुलामों को ज़कात देना ”
43. “ जब सदक़ा की हालत बदल जाती है ”
44. “ अमीरों से सदक़ा लेना चाहिए और गरीबों पर ख़र्च करना चाहिए, चाहे वे कहीं भी हों ”
45. “ इमाम का सदक़ा देने वाले के लिए दुआ करना और रहमत मांगना सुन्नत है ”
46. “ समंदर से जो निकाला जाए उस पर ज़कात है या नहीं ? ”
47. “ ज़मीन में गड़े हुए ख़ज़ाने पर ख़ुमुस ( पांचवां भाग ) वाजिब है ”
48. “ अल्लाह तआला का कहना है कि “ ज़कात वसूल करने वालों को भी ज़कात में से दिया जाएगा ” और उन से हिसाब लिया जाएगा ”
49. “ इमाम का सदक़े के ऊंटों को दाग़ना ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
زکوٰۃ کے بیان میں
ज़कात के बारे में
یتیموں کو خیرات دینا بہت ثواب کا کام ہے۔
“ अनाथों को सदक़ा देना बहुत सवाब का काम है ”
حدیث نمبر: 743
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سیدنا ابو سعید خدری ٰ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ ایک دن رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم منبر پر بیٹھے اور ہم لوگ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے اردگرد بیٹھ گئے پس آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں اپنے بعد جن باتوں کا خوف تمہارے لیے کرتا ہوں ان میں سے ایک بات یہ ہے کہ تم پر دنیا کی تازگی اور اس کی آرائش کھول دی جائے گی۔ تو ایک شخص نے عرض کی کہ یا رسول اللہ! (مال کی زیادتی سے کیا خرابی ہو گی؟ مال تو اتنی اچھی چیز ہے) کیا اچھی چیز بھی برائی پیدا کرے گی؟ (یہ سن کر) نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم خاموش ہو گئے تو اس سے کہا گیا کہ تجھے کیا ہو گیا ہے کہ تو نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے گفتگو کرتا ہے حالانکہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم تجھ سے کلام نہیں فرماتے۔ پھر ہم کو یہ خیال ہوا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر وحی اتر رہی ہے (اس لیے آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے سکوت فرمایا ہے چنانچہ جب وحی اتر چکی تو) کہتے ہیں کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنے چہرے سے پسینہ پونچھا اور فرمایا: سائل کہاں ہے؟ گویا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اس (کے سوال) کو پسند فرمایا: پس آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا (ہاں یہ صحیح ہے کہ) اچھی چیز پر برائی نہیں پیدا کرتی مگر (بے موقع استعمال سے برائی پیدا ہوتی ہے) دیکھو فصل ربیع کے ساتھ ایسی گھاس بھی پیدا ہوتی ہے جو (اپنے چرنے والے جانور کو) کو مار ڈالتی ہے یا بیمار کر دیتی ہے۔ مگر اس سبزی کو چرنے والوں میں سے جو چر لے یہاں تک کہ جب اس کے دونوں کوکھیں بھر جائیں تو وہ آفتاب کے سامنے ہو جائے پھر لید کرے اور پیشاب کرے اور (اس کے بعد پھر) چرے (ایک دم بےانتہا نہ چرتا چلا جائے تو وہ نہیں مرتا) اور بیشک یہ مال ایک خوشگوار سبزہ زار ہے پس کیا اچھا مال ہے مسلمان کا کہ وہ اس میں سے مسکین کو اور یتیم کو اور مسافر کو دے۔ یا اسی قسم کی کوئی اور بات نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمائی: اور بیشک جو شخص اس مال کو ناحق لے گا وہ اس شخص کے مثل ہو گا جو کھائے اور سیر نہ ہو اور وہ مال اس پر قیامت کے دن اس کے خلاف گواہی دے گا۔

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