“ ज़कात का वाजिब होना शरिअत से साबित है ” |
4 |
702 سے 705 |
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“ ज़कात न देना बहुत बड़ा पाप है ” |
2 |
706 سے 707 |
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“ जिस धन पर ज़कात दी जाती है वह कन्ज़ ( जिस ख़जाने की निंदा की गई है ) नहीं है ” |
1 |
708 |
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“ शुद्ध कमाई से सदक़ा ( दान ) देना चाहिए ” |
1 |
709 |
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“ लोगों के मना करने से पहले सदक़ा ( दान ) दें ” |
4 |
710 سے 713 |
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“ नबी ﷺ ने कहा, "आग से बचो, भले ही वह खजूर के टुकड़े या किसी छोटे सदक़े ( दान ) के माध्यम से हो ” |
2 |
714 سے 715 |
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“ कौन सा सदक़ा ( दान ) अफ़ज़ल है ? ” |
1 |
716 |
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“ अधिक सदक़ा करने वालों की फ़ज़ीलत ” |
1 |
717 |
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“ जब कोई व्यक्ति अनजाने में किसी धनी व्यक्ति को सदक़ा ( दान ) देता है ” |
1 |
718 |
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“ जब कोई व्यक्ति अपने पुत्र को अनजाने में सदक़ा ( दान ) देता है ” |
1 |
719 |
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“ जो व्यक्ति अपने सेवक को सदक़ा ( दान ) देने का हुक्म दे और ख़ुद न दे ” |
1 |
720 |
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“ अतिरिक्त धन से सदक़ा देना चाहिए ” |
2 |
721 سے 722 |
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“ दान के लिए प्रोत्साहन और इसके लिए सिफ़ारिश करना ( बड़े सवाब का काम है ) ” |
2 |
723 سے 724 |
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“ जितना हो सके सदक़ा देना बेहतर है ” |
1 |
725 |
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“ जो व्यक्ति इस्लाम में आने से पहले सदक़ा दे ” |
1 |
726 |
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“ सेवक को सवाब तब होता है जब वह अपने मालिक के हुक्म से सदक़ा देता है और उसका इरादा घर को ख़राब करने का नहीं होता है ” |
1 |
727 |
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“ अल्लाह ताला का कहना कि “ जो कोई सदक़ा करेगा और परहेज़गारी करेगा .... “ फरिश्तों कि दुआ कि ऐ अल्लाह, हर ख़र्च करने वाले को उसके ख़र्च करने का बदला देदे ” के बारे में ” |
1 |
728 |
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“ सदक़ा देने वाले और कंजूस कि मिसाल ” |
1 |
729 |
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“ हर मुसलमान पर सदक़ा ( वाजिब ) है, जो न कर सकता हो, तो उसे नेक काम करना चाहिए ” |
1 |
730 |
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“ ( ग़रीब को ) कितनी ज़कात या सदक़ा देना चाहिए ? ” |
1 |
731 |
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“ ज़कात में नक़दी के बदले दौलत और साधन देना ” |
1 |
732 |
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“ अलग अलग माल को जमा न किया जाए और जमा किये हुए माल को अलग न किया जाए ” |
1 |
733 |
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“ जो माल दो भागीदारों का हो वो दोनों ज़कात देने के बाद आपस में बराबर बराबर समझ लें ” |
1 |
734 |
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“ ऊंट की ज़कात देना फ़र्ज़ है ” |
1 |
735 |
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“ जिस पर ज़कात में एक साल कि ऊंटनी देना वाजिब हो और वह उसके पास न हो ” |
1 |
736 |
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“ बकरियों की ज़कात देना भी फ़र्ज़ है ” |
1 |
737 |
|
“ ज़कात में ख़राब जानवर को नहीं लेना चाहिए ” |
1 |
738 |
|
“ ज़कात में लोगों का बढ़िया माल न लिया जाए ” |
1 |
739 |
|
“ अपने रिश्तेदारों पर ज़कात ख़र्च करना ” |
2 |
740 سے 741 |
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“ एक मुसलमान पर अपने घोड़े के लिए ज़कात फ़र्ज़ नहीं है ” |
1 |
742 |
|
“ अनाथों को सदक़ा देना बहुत सवाब का काम है ” |
1 |
743 |
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“ ज़कात पति और अनाथों को देना जायज़ है जो उसकी देखरेख में हैं ” |
2 |
744 سے 745 |
|
“ अल्लाह ताला का कहना कि, " और ( ज़कात ख़र्च की जानी चाहिए ) ग़ुलामों और देनदारों को बचाने के लिए और जो अल्लाह के रस्ते में हैं " |
1 |
746 |
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“ मांगने से बचना बड़े सवाब और लाभ की बात है ” |
4 |
747 سے 750 |
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“ जिसे अल्लाह बिना मांगे और बिना लालच के कुछ देता है, उसे स्वीकार करना चाहिए ” |
1 |
751 |
|
“ जो लोगों से धन बढ़ाने के लिए मांगता है ” |
1 |
752 |
|
“ मांगने से बचने के लिए कितना माल बहुत है ” |
1 |
753 |
|
“ पकने से पहले ज़कात के लिए खजूरन अंदाज़ा करना ” |
1 |
754 |
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“ बारिश से मिलने वाली पैदावार पर अशर ( दसवां भाग ) वाजिब है ” |
1 |
755 |
|
“ खजूर की ज़कात तब ली जानी चाहिए जब तारीखें टूट जाएँ और क्या ज़कात के लिए बच्चे को कुछ खजूरें लेने के लिए छोड़ना जायज़ है ? ” |
1 |
756 |
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“ क्या खुद कि सदक़ा में दी हुई चीज़ खरीदना जायज़ है ? ” |
1 |
757 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों की लौंडियों और ग़ुलामों को ज़कात देना ” |
1 |
758 |
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“ जब सदक़ा की हालत बदल जाती है ” |
1 |
759 |
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“ अमीरों से सदक़ा लेना चाहिए और गरीबों पर ख़र्च करना चाहिए, चाहे वे कहीं भी हों ” |
1 |
760 |
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“ इमाम का सदक़ा देने वाले के लिए दुआ करना और रहमत मांगना सुन्नत है ” |
1 |
761 |
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“ समंदर से जो निकाला जाए उस पर ज़कात है या नहीं ? ” |
1 |
762 |
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“ ज़मीन में गड़े हुए ख़ज़ाने पर ख़ुमुस ( पांचवां भाग ) वाजिब है ” |
1 |
763 |
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“ अल्लाह तआला का कहना है कि “ ज़कात वसूल करने वालों को भी ज़कात में से दिया जाएगा ” और उन से हिसाब लिया जाएगा ” |
1 |
764 |
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“ इमाम का सदक़े के ऊंटों को दाग़ना ” |
1 |
765 |
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