अख़लाक़ के बारे में
1. “ अच्छे अख़लाक़ के बारे में ”
2. “ सभा में बैठने के नियम ”
3. “ मेहमान के और मेज़बानी के नियम ”
4. “ ज़बान की सुरक्षा ”
5. “ बद गुमानी, जासूसी और चुग़ली की निंदा ”
6. “ पड़ोसी के हक़ ( अधिकार ) ”
7. “ तीन लोगों के होते हुए दो लोगों की आपस में कानाफूसी करना मना है ”
8. “ दूसरों का ध्यान रखने की फ़ज़ीलत ”
9. “ तीन दिन से ज़्याद नाराज़ रहना जाइज़ नहीं ”
10. “ ग़ुस्से पर क़ाबू पाने की एहमियत ”
11. “ किसी भी चीज़ को बाँटते समय दाएं तऱफ से शुरू करे ”
12. “ ग़रीब या कंगाल कौन हे ”
13. “ रस्ते में से चोट पहुंचाने वाली चीज़ हटाने की फ़ज़ीलत ”
14. “ औलाद के साथ बराबर का व्यवहार करना चाहिए ”
15. “ सोने से पहले करने वाले काम ”
16. “ मांगने वाले को देना चाहिए ”
17. “ वह ग़ुलाम जिन को दुगना सवाब मिलता है ”
18. “ जो मुसलमान न हो तो उस के सलाम का जवाब ”
19. “ अपने मुसलमान भाई को काफ़िर कहना ”
20. “ किसी के घर जाने के नियम ”
21. “ जानवरों से अच्छा व्यवहार करने की फ़ज़ीलत ”
22. “ अपने भाई से बातचीत बंद करने की निंदा ”
23. “ ग़लत अफ़वाहों की निंदा ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
اخلاق و آداب سے متعلق مسائل
अख़लाक़ के बारे में
اپنے بھائی سے بائیکاٹ کرنے والے کی مذمت
“ अपने भाई से बातचीत बंद करने की निंदा ”
حدیث نمبر: 484
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443- وبه: ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”تفتح ابواب ا لجنة يوم الاثنين ويوم الخميس، فيغفر لكل عبد لا يشرك بالله شيئا إلا رجلا كانت بينه وبين اخيه شحناء، فيقال: انظروا هذين حتى يصطلحا.“443- وبه: أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”تفتح أبواب ا لجنة يوم الاثنين ويوم الخميس، فيغفر لكل عبد لا يشرك بالله شيئا إلا رجلا كانت بينه وبين أخيه شحناء، فيقال: أنظروا هذين حتى يصطلحا.“
اور اسی سند کے ساتھ (سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے) روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جنت کے دروازے پیر اور جمعرات کو کھولے جاتے ہیں پھر ہر اس (مسلمان) بندے کی مغفرت کر دی جاتی ہے جو اللہ کے ساتھ کسی چیز میں شرک نہیں کرتا تھا سوائے اس آدمی کے جو اپنے اور اپنے بھائی کے درمیان دشمنی رکھتا ہے۔ پھر کہا جاتا ہے: ان دونوں کو پیچھے ہٹاؤ (مہلت دو) حتیٰ کہ یہ صلح کر لیں۔

تخریج الحدیث: «443- الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 908/2 ح 1751، ك 47 ب 4 ح 17) التمهيد 262/21، الاستذكار: 1683، و أخرجه مسلم (2565) من حديث مالك به.»

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