अख़लाक़ के बारे में
1. “ अच्छे अख़लाक़ के बारे में ”
2. “ सभा में बैठने के नियम ”
3. “ मेहमान के और मेज़बानी के नियम ”
4. “ ज़बान की सुरक्षा ”
5. “ बद गुमानी, जासूसी और चुग़ली की निंदा ”
6. “ पड़ोसी के हक़ ( अधिकार ) ”
7. “ तीन लोगों के होते हुए दो लोगों की आपस में कानाफूसी करना मना है ”
8. “ दूसरों का ध्यान रखने की फ़ज़ीलत ”
9. “ तीन दिन से ज़्याद नाराज़ रहना जाइज़ नहीं ”
10. “ ग़ुस्से पर क़ाबू पाने की एहमियत ”
11. “ किसी भी चीज़ को बाँटते समय दाएं तऱफ से शुरू करे ”
12. “ ग़रीब या कंगाल कौन हे ”
13. “ रस्ते में से चोट पहुंचाने वाली चीज़ हटाने की फ़ज़ीलत ”
14. “ औलाद के साथ बराबर का व्यवहार करना चाहिए ”
15. “ सोने से पहले करने वाले काम ”
16. “ मांगने वाले को देना चाहिए ”
17. “ वह ग़ुलाम जिन को दुगना सवाब मिलता है ”
18. “ जो मुसलमान न हो तो उस के सलाम का जवाब ”
19. “ अपने मुसलमान भाई को काफ़िर कहना ”
20. “ किसी के घर जाने के नियम ”
21. “ जानवरों से अच्छा व्यवहार करने की फ़ज़ीलत ”
22. “ अपने भाई से बातचीत बंद करने की निंदा ”
23. “ ग़लत अफ़वाहों की निंदा ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
اخلاق و آداب سے متعلق مسائل
अख़लाक़ के बारे में
حسن اخلاق کا بیان
“ अच्छे अख़लाक़ के बारे में ”
حدیث نمبر: 458
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43- وبه: انها قالت: ما خير رسول الله صلى الله عليه وسلم فى امرين إلا اخذ ايسرهما ما لم يكن إثما. فإن كان إثما كان ابعد الناس منه. وما انتقم رسول الله صلى الله عليه وسلم لنفسه إلا ان تنتهك حرمة هي لله فينتقم لله بها.43- وبه: أنها قالت: ما خير رسول الله صلى الله عليه وسلم فى أمرين إلا أخذ أيسرهما ما لم يكن إثما. فإن كان إثما كان أبعد الناس منه. وما انتقم رسول الله صلى الله عليه وسلم لنفسه إلا أن تنتهك حرمة هي لله فينتقم لله بها.
اور اسی سند (کے ساتھ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا) سے روایت ہے، انہوں نے فرمایا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو جن دو کاموں میں اختیار دیا گیا تو آپ نے ان میں سے آسان کام ہی اختیار کیا بشرطیکہ وہ گناہ والا (ناجائز) کام نہ ہوتا اور اگر گناہ کا کام ہوتا تو آپ اس سے سب سے زیادہ دور رہنے والے ہوتے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنی جان کے لئے کسی سے کبھی انتقام نہیں لیا الا یہ کہ اللہ کی مقرر کردہ حرمت کی خلاف ورزی ہوتی ہو تو اس صورت میں آپ اللہ کے لئے اس کا انتقام لیتے تھے۔

تخریج الحدیث: «43- متفق عليه، الموطأ (رواية يحييٰ بن يحييٰ 902/2، 903 ح 1736، ك 47 ب 1 ح 2) التمهيد 146/8، الاستذكار: 1668، و أخرجه البخاري (3560) ومسلم (2327/77) من حديث مالك به.»

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