अख़लाक़ के बारे में
1. “ अच्छे अख़लाक़ के बारे में ”
2. “ सभा में बैठने के नियम ”
3. “ मेहमान के और मेज़बानी के नियम ”
4. “ ज़बान की सुरक्षा ”
5. “ बद गुमानी, जासूसी और चुग़ली की निंदा ”
6. “ पड़ोसी के हक़ ( अधिकार ) ”
7. “ तीन लोगों के होते हुए दो लोगों की आपस में कानाफूसी करना मना है ”
8. “ दूसरों का ध्यान रखने की फ़ज़ीलत ”
9. “ तीन दिन से ज़्याद नाराज़ रहना जाइज़ नहीं ”
10. “ ग़ुस्से पर क़ाबू पाने की एहमियत ”
11. “ किसी भी चीज़ को बाँटते समय दाएं तऱफ से शुरू करे ”
12. “ ग़रीब या कंगाल कौन हे ”
13. “ रस्ते में से चोट पहुंचाने वाली चीज़ हटाने की फ़ज़ीलत ”
14. “ औलाद के साथ बराबर का व्यवहार करना चाहिए ”
15. “ सोने से पहले करने वाले काम ”
16. “ मांगने वाले को देना चाहिए ”
17. “ वह ग़ुलाम जिन को दुगना सवाब मिलता है ”
18. “ जो मुसलमान न हो तो उस के सलाम का जवाब ”
19. “ अपने मुसलमान भाई को काफ़िर कहना ”
20. “ किसी के घर जाने के नियम ”
21. “ जानवरों से अच्छा व्यवहार करने की फ़ज़ीलत ”
22. “ अपने भाई से बातचीत बंद करने की निंदा ”
23. “ ग़लत अफ़वाहों की निंदा ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
اخلاق و آداب سے متعلق مسائل
अख़लाक़ के बारे में
مہمان اور میزبانی کے آداب
“ मेहमान के और मेज़बानी के नियम ”
حدیث نمبر: 460
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416- وعن سعيد بن ابى سعيد المقبري عن ابى شريح الكعبي ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”من كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليقل خيرا او ليصمت، ومن كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليكرم جاره، ومن كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليكرم ضيفه جائزته يوما وليلة، والضيافة ثلاثة ايام، فما كان بعد ذلك فهو صدقة، ولا يحل له ان يثوي عنده حتى يحرجه.“416- وعن سعيد بن أبى سعيد المقبري عن أبى شريح الكعبي أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”من كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليقل خيرا أو ليصمت، ومن كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليكرم جاره، ومن كان يؤمن بالله واليوم الآخر فليكرم ضيفه جائزته يوما وليلة، والضيافة ثلاثة أيام، فما كان بعد ذلك فهو صدقة، ولا يحل له أن يثوي عنده حتى يحرجه.“
سیدنا ابوشریح الکعبی رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جو شخص اللہ اور روز آخرت پر ایمان رکھتا ہے تو اسے چاہئیے کہ اپنے مہمان کا اکرام (عزت) کرے۔ مہمان کی بہترین دعوت ایک دن اور رات ہے اور ضیافت تین دن ہے۔ اس کے بعد جو ہو وہ صدقہ ہے اور مہمان کے لئے یہ حلال نہیں ہے کہ وہ میزبان کے پاس اتنا عرصہ ٹھہرا رہے کہ میزبان تنگ ہو جائے۔

تخریج الحدیث: «416- الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 929/2 ح 1792، ك 49 ب 10 ح 22 مطولا) التمهيد 35/21، الاستذكار: 1762، و أخرجه البخاري (6135) من حديث مالك به ومسلم (148 بعد ح 1762) من حديث سعيد المقبري به.»

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