“ क़ुरआन सीखना और सिखाना सबसे अच्छा कर्म है ” |
2 |
2888 سے 2889 |
|
“ क़ुरआन की शिक्षा देने वालों का महान स्थान ، एक आयत पढ़ाने का बदला ” |
1 |
2890 |
|
“ क़ुरआन पढ़ने वाले और उसके माता-पिता की फ़ज़ीलत ” |
2 |
2891 سے 2892 |
|
“ क़ुरआन पढ़ने और सीखने का हुक्म ” |
1 |
2893 |
|
“ विद्वान वह है जो पहली सात सूरतों को समझता है ” |
1 |
2894 |
|
“ क़ुरआन क्या है ” |
1 |
2895 |
|
“ अल्लाह तआला की ओर जाने का सबसे अच्छा तरीक़ा क़ुरआन है ” |
1 |
2895 |
|
“ क़ुरआन के बारे में झगड़ा नहीं करना चाहिए ” |
1 |
2896 |
|
“ एक ही सूरत बहुत थी ” |
1 |
2897 |
|
“ क़ुरआन चमड़े के अंदर हो तो आग नहीं जलाती है ” |
1 |
2898 |
|
“ क़ुरआन हमारा मार्गदर्शक है ” |
1 |
2899 |
|
“ आसमानी किताबें उतारे जाने की तारीखें ” |
1 |
2900 |
|
“ हर साल जिब्राइल अलैहिस्सलाम के साथ रसूल अल्लाह ﷺ का क़ुरआन पढ़ना ” |
1 |
2901 |
|
“ क़ुरआन के कारण सम्मान और अपमान ” |
1 |
2902 |
|
“ क़ुरआन पढ़ने वाले का सबसे अच्छा क़ुरआन पढ़ने का तरीक़ा ” |
1 |
2903 |
|
“ कब तक क़ुरआन पढ़ा जाना चाहिए ” |
1 |
2904 |
|
“ देख कर क़ुरआन पढने का मतलब अल्लाह और उसके रसूल ﷺ से मुहब्बत ” |
1 |
2905 |
|
“ क़ुरआन सिफ़ारिश करेगा ” |
2 |
2906 سے 2907 |
|
“ क़ुरआन दुनिया के लिए नहीं पढ़ना चाहिए और क़ुरआन सिखाने की मज़दूरी लेना कैसा है ” |
5 |
2908 سے 2912 |
|
“ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ना चाहिए ” |
2 |
2913 سے 2914 |
|
“ मधुर आवाज़ क़ुरआन की सुंदरता है ” |
2 |
2915 سے 2916 |
|
“ मधुर आवाज़ में क़ुरआन पढ़ने के कारण अशअरी लोगों की सराहना ” |
1 |
2917 |
|
“ क़ुरआन जल्दी जल्दी पानी पीने की तरह नहीं पढ़ना चाहिए ” |
1 |
2918 |
|
“ क़ुरआन को समझ कर पढ़ना चाहिए ” |
1 |
2919 |
|
“ सूरत अत-तकवीर सूरत अल-इंशिक़ाक़ और सूरत अल-इन्फ़ितार में क़यामत ” |
1 |
2920 |
|
“ ठहर ठहर कर क़ुरआन पढ़ना ” |
1 |
2921 |
|
“ जिन्नों का सूरत अर-रहमान की आयतों का जवाब देना ” |
1 |
2922 |
|
“ सज्दा तिलावत ( क़ुरआन में सज्दे की आयत ) की दुआ ” |
1 |
2923 |
|
“ दवात और क़लम ने भी आप ﷺ के साथ सज्दा किया ” |
1 |
2924 |
|
“ क़ुरआन के एक अक्षर पर दस नेकियां ” |
2 |
2925 سے 2926 |
|
“ अल्लाह को याद करने और क़ुरआन पढ़ने की वसीयत ” |
1 |
2927 |
|
“ सूरत अल-फ़ातेहा क़ुरआन का सबसे अफ़ज़ल भाग है ” |
1 |
2928 |
|
“ क्या बिस्मिल्लाह « بِسْمِ اللَّـه » सूरत अल-फ़ातेहा की आयत है ” |
1 |
2929 |
|
“ सूरत अल-बक़रह और सूरत आल-इमरान की फ़ज़ीलत ” |
2 |
2930 سے 2931 |
|
“ घर में सूरत अल-बक़रह पढ़ने से शैतान घर में नहीं घुसता ” |
1 |
2932 |
|
“ आयतुल-कुरसी पढ़ने से इंसान जिन्नों से सुरक्षित रहता है ” |
1 |
2933 |
|
“ सूरत आल-इमरान की आयत « إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ » की एहमियत ” |
1 |
2934 |
|
“ सूरत अल-कहफ़ की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2935 |
|
“ सूरत अल-मुल्क की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2936 |
|
“ सूरत अल-काफ़िरून की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2937 |
|
“ सूरत अल-इख़लास क़ुरआन का एक तिहाई भाग है ” |
1 |
2938 |
|
“ दस दफ़ा सूरत अल-इख़लास पढ़ने का सवाब ” |
1 |
2939 |
|
“ सूरत अल-फ़लक़ और सूरत अन-नास की फ़ज़ीलत ” |
3 |
2940 سے 2942 |
|
“ आप ﷺ पर जादू और उस का तोड़ ، नबियों और रसूलों पर जादू किया जा सकता है ” |
1 |
2943 |
|
“ क़ुरआन सात लहजों से पढ़ा जा सकता है ” |
6 |
2944 سے 2949 |
|
“ कितने दिन में पूरा क़ुरआन पढ़ा जा सकता है ” |
3 |
2950 سے 2952 |
|
“ आयत के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ का हज़रत अबी रज़ि अल्लाहु अन्ह से पूछना ” |
1 |
2953 |
|
“ वे आयतें जिन का पढ़ना मना कर दिया गया लेकिन हुक्म बाक़ी रहा ” |
5 |
2954 سے 2958 |
|
“ क़ुरआन पढ़ने पर सुकून और आराम का उतारा जाना ” |
1 |
2959 |
|
“ आप ﷺ हर समय अल्लाह को याद करते थे ” |
1 |
2960 |
|
“ अल्लाह को याद करने वाले शब्द अर्श के आस पास होते हैं ” |
1 |
2961 |
|
“ अल्लाह को याद करने वाले लोगों की सभा की फ़ज़ीलत और इनाम ” |
3 |
2962 سے 2964 |
|
“ अल्लाह को याद करना जन्नत में पेड़ लगाना है |
3 |
2965 سے 2967 |
|
“ फ़जर की नमाज़ से सूर्य निकलने तक और असर की नमाज़ से सूर्य डूबने तक अल्लाह को याद करने की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2968 |
|
“ फ़जर की नमाज़ से चाशत की नमाज़ तक लगातार अल्लाह को याद करने से अधिक अच्छे शब्द ” |
1 |
2969 |
|
“ अल्लाह को याद करने के सिवा हर चीज़ बेकार है ” |
1 |
2970 |
|
“ सबसे अच्छे शब्द ” |
2 |
2971 سے 2972 |
|
“ सबसे अफ़ज़ल शब्द ” |
1 |
2973 |
|
“ दिन रात कहे जाने वाले शब्दों से अफ़ज़ल शब्द ” |
1 |
2974 |
|
“ हेर ऊँची जगह पर “ अल्लाहु अकबर ” « اللهُ أَكْبَرُ » कहना ” |
1 |
2975 |
|
“ इंसान के लिए एक सेवक रखने से अच्छे शब्द ، सोन से पहले के शब्द ” |
1 |
2976 |
|
“ शैतान से सुरक्षित रहने के शब्द ، आप ﷺ पर शैतानों का हमला लेकिन ... ” |
1 |
2977 |
|
“ वे शब्द जिन के माध्यम से अपने से पहले वालों का ( स्थान ) मिल जाए और बाद वाले तुम्हारे ( दर्जे ) तक न पहुंच सकें ” |
2 |
2978 سے 2979 |
|
“ वे शब्द जो जीवन के अंतिम दिनों में पढ़े जाएं ” |
1 |
2980 |
|
“ अल्लाह को याद करने वाले को अल्लाह तआला भी याद करता है ” |
1 |
2981 |
|
“ अल्लाह को याद करने वाली सभाएं जन्नत का बाग़ है ” |
1 |
2982 |
|
“ जिस सभा में अल्लाह को याद किया जाता है उसकी ग़नीमत ( लाभ ) जन्नत है ” |
1 |
2983 |
|
“ ला हौल वला क़ुव्व्ता इल्ला बिल्लाह « لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَٰهِ » की फ़ज़ीलत ” |
3 |
2984 سے 2986 |
|
“ रोज़ाना एक हज़ार नेकियां ” |
1 |
2987 |
|
“ दुनिया और उस में जो कुछ है उस पर लाअनत है सिवाए अल्लाह की याद और उसे सिखाने और सीखने वाले के ” |
1 |
2988 |
|
“ वज़न में भारी शब्द ” |
1 |
2989 |
|
“ बाक़ी रहने वाली नेकियाँ ” |
1 |
2990 |
|
“ सौ सौ दफ़ा “ सुब्हान अल्लाह ” “ अल-हमदु लिल्लाह ” “ अल्लाहु अकबर ” “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” कहने का बड़ा सवाब ” |
1 |
2991 |
|
“ कलमा तौहीद “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” मुक्ति दिलाता है ” |
1 |
2992 |
|
“ अल-हमदु लिल्लाहि कसीरा ” « الحَمْدُ لِلَّهِ كَثِيرًا » का सवाब ” |
1 |
2993 |
|
“ अल्लाह की याद कंजूसी ، कायरता और चिंता का इलाज है ” |
1 |
2994 |
|
“ जो अल्लाह को याद करना पसंद करते हैं, वे आगे निकल जाएंगे ” |
1 |
2995 |
|
“ अल्लाह को याद करना भी सदक़ह है ” |
1 |
2996 |
|
“ तस्बीह पढ़ने से अल्लाह की तअरीफ़ और अल्लाह की बढ़ाई बयान करने से पाप पेड़ के पत्तों की झड़ जाते हैं ” |
1 |
2997 |
|
“ आप ﷺ को उम्मतियों के दरूद भेजने का कैसे पता चलता है ” |
1 |
2998 |
|
“ आप ﷺ की ओर से दरूद और सलाम का जवाब ” |
1 |
2999 |
|
“ आप ﷺ पर दरूद और सलाम भेजने की फ़ज़ीलत ” |
4 |
3000 سے 3003 |
|
“ जुमआ के दिन आप ﷺ पर बहुत दरूद भेने का हुक्म ، क्या नबियों और रसूलों के शरीर क़ब्रों में ठीक हैं ” |
2 |
3004 سے 3005 |
|
“ मुहम्मद ﷺ का नाम सुन कर दरूद न भेजने वाला जन्नत के रस्ते से भटक गया ” |
1 |
3006 |
|
“ दुआ स्वीकार की जाए इसके लिए दरूद की एहमियत ” |
1 |
3007 |
|
“ जन्नत का दर्जा वसीले की दुआ करना ” |
2 |
3008 سے 3009 |
|
“ सारे नबियों और रसूलों पर दरूद और सलाम भेजा जाए ” |
1 |
3010 |
|
“ जितना अधिक हो सके अल्लाह से मांगो ” |
2 |
3011 سے 3012 |
|
“ फ़रिश्तों की दुआएं कैसे पाई जा सकती हैं किसी के पीछे उस के लिए की गई दुआ स्वीकार की जाती है ” |
1 |
3013 |
|
“ वे दुआएं जो आप ﷺ किया करते थे ” |
23 |
3014 سے 3036 |
|
“ वह दुआ जो सभा का कफ़्फ़ारह है ” |
1 |
3037 |
|
“ अल्लाह ग़ुस्सा करता है यदि उसको याद न किया जाए ” |
1 |
3038 |
|
“ क्या दुआ भाग्य बदल सकती है ? ” |
1 |
3039 |
|
“ अफ़ज़ल दुआ ” |
1 |
3040 |
|
“ भलाई की दुआ करना ” |
1 |
3041 |
|
“ दुख को टालने की दुआ ” |
1 |
3042 |
|
“ दुखी इंसान का दुख दूर करने की दुआ ” |
1 |
3043 |
|
“ घबराहट के समय की दुआ ” |
2 |
3044 سے 3045 |
|
“ दुख और तकलीफ़ के समय की दुआ ” |
2 |
3046 سے 3046 |
|
“ मुसीबत के समय हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की दुआ पढ़ी जाए ” |
1 |
3047 |
|
“ किसी बस्ती में जाने की दुआ ” |
1 |
3048 |
|
“ बज़ार में जाने की दुआ ” |
1 |
3049 |
|
“ किसी को मुसीबत में देखे तो यह दुआ पढ़े ” |
1 |
3050 |
|
“ यात्रा में सेहरी खाते समय की दुआ ” |
1 |
3051 |
|
“ तेज़ हवा चलते समय की दुआ ” |
2 |
3052 سے 3053 |
|
“ भयानक हवा चलते समय की दुआ ” |
1 |
3054 |
|
“ वुज़ू करने के बाद की दुआ ” |
2 |
3055 سے 3056 |
|
“ सेना को भेजते समय की दुआ ” |
1 |
3057 |
|
“ ईमान को ताज़ा करने की दुआ और कारण ” |
1 |
3058 |
|
“ सवारी पर सवार होते समय की दुआ ” |
1 |
3059 |
|
“ अच्छी या बुरी चीज़ देखते समय की दुआ ” |
1 |
3060 |
|
“ हिलाल यानि पहले दिन का चाँद देखने की दुआ ” |
1 |
3061 |
|
“ चाँद से शरण लेना और उसका कारण ” |
1 |
3062 |
|
“ बारिश के लिए उलटे हाथों दुआ करना ” |
1 |
3063 |
|
“ किन लोगों की दुआ स्वीकार की जाती है ” |
2 |
3064 سے 3065 |
|
“ दुआ करना अफ़ज़ल इबादत है ” |
1 |
3066 |
|
“ रिज़्क़ में तंगी हो तो उस समय की दुआ ” |
1 |
3067 |
|
“ ग़ुस्सा दूर करने की दुआ ” |
1 |
3068 |
|
“ क़र्ज़ चुकाने की दुआ ” |
1 |
3069 |
|
“ लैलतुल क़द्र ( शब क़द्र ) की दुआ ” |
1 |
3070 |
|
“ किसी स्थान पर ठहरन के लिए तंबू लगाते समय की दुआ ” |
1 |
3071 |
|
“ मुर्ग़े की अज़ान और गधे की आवाज़ सुनते समय की दुआ ” |
1 |
3072 |
|
“ बुरे सपनों को दूर करने की दुआ ” |
1 |
3073 |
|
“ कठिनाइयों में दुआ कब स्वीकार की जाती है ? ” |
1 |
3074 |
|
“ नमाज़ से संबंधित दुआएं और दुआ इस्तफ़तह ” |
1 |
3075 |
|
“ नमाज़ के बाद पढ़ने वाले शब्द ” |
8 |
3076 سے 3083 |
|
“ अल्लाह की तारीफ़ करने वाले लोग अफ़ज़ल हैं ” |
1 |
3084 |
|
“ अल्लाह को अपनी तारीफ़ पसंद है ” |
1 |
3085 |
|
“ वे शब्द जो अल्लाह को पसंद हैं या पसंद नहीं हैं ” |
1 |
3086 |
|
“ सभी प्राणियों द्वारा की गई अल्लाह तआला की तारीफ़ को कहने का ढंग ” |
1 |
3087 |
|
“ अल्लाह की विशेषताओं पर आधारित दुआएं और उनका अच्छा नतीजा ” |
1 |
3088 |
|
“ यदि पूरी कोशिश के साथ दुआ करनी है तो ” |
2 |
3089 سے 3090 |
|
“ सुबह और शाम को पढ़ने वाले शब्द और सय्यदुल इस्तग़फ़ार ” |
10 |
3091 سے 3100 |
|
“ सोते समय की दुआएं और उसका ढंग ” |
9 |
3101 سے 3109 |
|
“ मज़लूम की बद-दुआ स्वीकार की जाती है ” |
3 |
3110 سے 3112 |
|
“ दुआ करते समय दुआ के स्वीकार हो जाने का विश्वास होना चाहिए ” |
1 |
3113 |
|
“ दम करना और उसके प्रकार ” |
6 |
3114 سے 3119 |
|
“ क्या दाग़ना और दम करवाना विश्वास के विपरीत है ? ” |
1 |
3120 |
|
“ तअवीज़ गंडा करना ” |
4 |
3121 سے 3124 |
|
“ अल्लाह ताला के नाम से नसीहत की जाए तो बाज़ आजाना चाहिए ” |
1 |
3125 |
|
“ जन्नत अल-फ़िरदौस मांगना और उसका कारण ” |
1 |
3126 |
|
“ एक स्थायी बुरे पड़ोसी से बचने की शरण मांगना ” |
1 |
3127 |
|
“ नज़र लग जाना सच है ” |
1 |
3128 |
|
“ इसमे आज़म ” |
2 |
3129 سے 3130 |
|
“ शुक्र करने के अफ़ज़ल शब्द ” |
1 |
3131 |
|
“ जुमा के दिन की वह घड़ी जब दुआ स्वीकार की जाती है ” |
1 |
3132 |
|
“ या ज़ल जलालि वल इकराम ” «يَا ذَا الجَلَالِ وَالإِكْرَام » ” |
1 |
3133 |
|
“ हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु अन्ह के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ” |
2 |
3134 سے 3135 |
|
“ बदर वालों के लिए नबी ﷺ की दुआ और उसका फल ” |
1 |
3136 |
|
“ अल्लाह के जीव को देख कर बनाने वाले यानि अल्लाह को याद करना ” |
1 |
3137 |
|
“ ज़िना की अनुमति मांगने वाले को समझाने का नबी ﷺ का तरीक़ा और उसके लिए दुआ ” |
1 |
3138 |
|
“ अल्लाह तआला के दोस्तों की निशानियां ” |
2 |
3139 سے 3140 |
|
“ वज़न में भारी शब्द ” |
1 |
3141 |
|
“ क़ुरैश के सरदारों के लिए आप ﷺ की बद-दुआ और उसका स्वीकार हो जाना ” |
1 |
3142 |
|
“ ग़रीबी ، भुकमरी ، रुस्वाई और अत्याचार से अल्लाह की शरण मांगना ” |
1 |
3143 |
|
“ आधी रात में की गई दुआ स्वीकार की जाती है |
1 |
3144 |
|
“ आप ﷺ की उम्मत के लिए दुआ और उसका स्वीकार हो जाना |
1 |
3145 |
|
“ अच्छे लोग और अच्छे कर्म |
1 |
3146 |
|
“ शिर्क के सिवा सारे पाप क्षमा किये जा सकते हैं |
1 |
3147 |
|
“ तोबा और रहमत का दरवाज़ा |
1 |
3148 |
|
“ भाषण देने वाले कितने प्रकार के हैं |
1 |
3149 |
|
“ सहाबा के ईमान की हालत |
1 |
3150 |
|
“ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम और आप ﷺ की नम्रता |
1 |
3151 |
|
“ इस्लाम की हालत में मिलने वाला जीवन बहुत अनमोल है |
1 |
3152 |
|
“ सात सात दफ़ा जन्नत मांगना और जहन्नम से शरण मांगनी चाहिए ” |
1 |
3153 |
|
“ अस्तग़फ़ार की फ़ज़ीलत ” |
1 |
3154 |
|
“ आप ﷺ का सौ सौ दफ़ा क्षमा मांगना ” |
1 |
3155 |
|
“ उठते ، बैठते और लेटते समय अल्लाह को याद करना चाहिए वरना .. ” |
7 |
3156 سے 3162 |
|
“ औरतों को सलाम करना ” |
1 |
3163 |
|
“ नमाज़ में क़याम यानि खड़े रहने के बीच दुआ करना ठीक है ” |
1 |
3164 |
|
“ बिस्मिल्लाह ” « بِسْمِ اللَّـه » की बरकत और आप ﷺ का चमतकार ” |
1 |
3165 |
|
“ शैतान से शरण मांगी जाए और उसे गली न दी जाए ” |
1 |
3166 |
|
“ क़यामत के दिन कुछ लोगों की परीक्षा और अल्लाह का हुक्म न मानने की सज़ा ” |
1 |
3167 |
|
“ नबी ﷺ के हुक्म को मानने की मिसाल ” |
1 |
3168 |
|