الحدود والمعاملات والاحكام حدود، معاملات، احکام सीमाएं, मामले, नियम 813. خلیفہ معاف نہیں کر سکتا 813. “ ख़लीफ़ह क्षमा नहीं कर सकता ” 814. مومن سے قتال کرنا کفر اور اس کو برا بھلا کہنا فسق ہے 814. “ मोमिन को क़त्ल करना कुफ़्र है और उस को बुराभला कहना ग़लत है ” 815. مومن کے قاتل کی توبہ قبول ہے یا نہیں؟ 815. “ मोमिन के क़ातिल की तौबा स्वीकार की जाती है या नहीं ? ” 816. ذمی کو قتل کرنے والا جنت سے محروم 816. “ ज़िम्मि( यानि जिस से समझौता हो ) को क़त्ल करने वाला जन्नत में नहीं जाएगा ” 817. نبی کے قاتل و مقتول کو سخت سزا ہو گی؟ 817. “ जिस को नबी ने क़त्ल किया और नबी के क़ातिल को सख़्त सज़ा होगी ” 818. ابلیس انسانی قتل پر اپنے چیلوں کو انعام دیتا ہے 818. “ इब्लीस यानि बड़ा शैतान इन्सान को क़त्ल करने पर अपने चेलों को इनाम देता है ” 819. صرف اللہ تعالیٰ کے لیے قتل کرنا درست ہے 819. “ केवल अल्लाह तआला के लिए क़त्ल करना ठीक है ” 820. مقتول کے لواحقین کو دو اختیار حاصل ہیں 820. “ जिसे क़त्ल किया गया उसके परिवार के पास दो विकल्प हैं ” 821. بھانجا بھی ماموؤں کی قوم میں سے ہوتا ہے 821. “ भान्जा भी मामा की क़ौम में गिना जाता है ” 822. اپنے گناہوں پر پردہ ڈالنا 822. “ अपने पापों पर पर्दा डालना ” 823. غیرمحرم عورت کو چھونا حرام ہے 823. “ नामेहरम औरत को छूना हराम है ” 824. حد کا نفاذ، کفارہ گناہ ہے 824. “ हद का लागु होना पाप का कफ़्फ़ारह है ” 825. شرعی حد نافذ کرنے کی اہمیت 825. “ शरई हद लागु करने की एहमियत ” 826. ہمسائے کی بیوی سے بدکاری کرنا یا اس کے گھر سے چوری کرنا سنگین جرم ہے 826. “ पड़ोसी की पत्नी के साथ ज़िना करना या उसके घर में चोरी करना गंभीर पाप है ” 827. زنا کی حد 827. “ ज़िना की हद ” 828. اگر کوئی زانی سو کوڑے برداشت نہ کر سکے تو 828. “ यदि कोई ज़िना करने वाला सौ कोड़े न झेल सके ” 829. غلاموں اور لونڈیوں کو بھی زنا کی حد لگائی جائے 829. “ ग़ुलामों और लौंडियों को भी ज़िना की हद लगाना चाहिये ” 830. حدشدہ زانی مرد و زن اپنے جیسوں سے شادی کرتے ہیں 830. “ सज़ा पा चुके ज़िना करने वाले लोग अपने जैसे ही से शादी करते हैं ” 831. کیا چار دفعہ جرم کا اعتراف کرنا ضروری ہے؟ 831. “ क्या चार बार अपने पाप को मान लेना ज़रूरी है ” 832. شراب، جوا اور ڈھول باجے حرام ہیں 832. “ शराब ، जुआ और ढोल बाजे हराम हैं ” 833. شراب کی خرید و فرخت حرام ہے 833. “ शराब ख़रीदना और बेचना हराम है ” 834. شراب کی حد 834. “ शराब की हद ( सज़ा ) ” 835. شراب برائیوں کی جڑ ہے، شراب کی نہوست 835. “ शराब बुराई की जड़ है ، शराब मनहूस है ” 836. حد والے گناہ سے توبہ کی اہمیت، ٹیکس وصول کرنا بڑا گناہ ہے 836. “ हद वाले पाप से तौबा की एहमियत ، टैक्स इकट्ठा करना पाप है ” 837. اختلاف کی صورت میں راستے کی چوڑائی سات ہاتھ رکھی جائے 837. “ मतभेद के कारण रस्ते की चौड़ाई सात हाथ रखी जाए ” 838. اللہ تعالیٰ اور آقا دونوں کے حقوق ادا کرنے والے غلام کی فضیلت 838. “ अल्लाह तआला और अपने मालिक का हक़ पूरा करने वाले ग़ुलाम की फ़ज़ीलत ” 839. وہ قسم ممنوع ہے، جس سے اہل و عیال کو تکلیف ہوتی ہے 839. “ वह क़सम खाना मना है जिस से परिवार को तकलीफ़ पहुंचे ” 840. ایک سے زائد فریقوں میں فیصلہ کیسے کیا جائے؟ 840. “ दो झगड़ा करने वालों के बीच फ़ैसला कैसे किया जाए ” 841. فیصلہ کرتے وقت انصاف کرنا 841. “ फ़ैसला करते समय नियाए करना ” 842. نفاذ حدود کے لیے قریب و بعید کا لحاظ نہ کیا جائے 842. “ हद लागु करते समय रिश्तेदारी और रस्ते की दूरी को न देखा जाए ” 843. شرعی حد روکنے کے لیے سفارش کرنا حرام ہے 843. “ शरई हद को रोकने के लिए सिफ़ारिश करना हराम है ” 844. منقہ اور کھجور کی مکس نبیذ کا حکم 844. “ मुनक़्क़ा और खजूर की मिला कर बनाई हुई नबीज़ का हुक्म ” 845. شفعہ کا حق کب ساقط ہو جاتا ہے؟ 845. “ पड़ोस का हक़ कब ख़त्म हो जाता है ” 846. لوگوں کو سزائیں دینے والوں کو سخت سزا ہو گی 846. “ लोगों को सख़्त सज़ा देने वालों को सख़्त सज़ा होगी ” 847. کیا بلا اجازت کسی کے باغ سے پھل کھانا جائز ہے؟ 847. “ क्या बिना अनुमति के किसी के बाग़ से फल खाया जा सकता है ” 848. اگر کسی کے مویشی دوسرے کے باغ میں گھس جائیں تو . . . 848. “ अगर किसी के जानवर दूसरे के बाग़ में घुस जाएं ” 849. صاحب حیثیت لوگوں کی غلطیاں معاف کرنا 849. “ माननीय लोगों की भूलचूक क्षमा करदेना चाहिए ” 850. طویل عمر والے بہتریں لوگ ہیں 850. “ लम्बी आयु वाले अच्छे लोग हैं ” 851. بہترین گواہ 851. “ सबसे अच्छे गवाह ” 852. استفادہ کے بعد عاریہ اور منحہ کے طور پر لی ہوئی چیز واپس کر دینا 852. “ लाभ उठाने के बाद अस्थायी रूप से ली हुई चीज़ वापस करना ” 853. ذمی پر ظلم کرنے والے کے لیے وعید 853. “ ज़िम्मि पर ज़ुल्म करने वाले के लिए चेतावनी ” 854. ہر کوئی اپنے جرم کا ذمہ دار خود ہو گا 854. “ हर कोई अपने पापों का ख़ुद बोझ उठाए गए ” 855. مسلمان کی بےعزتی کرنا سب سے بڑی زیادتی ہے 855. “ एक मुसलमान का अपमान करना सबसे बड़ी ज़ियादती है ” 856. قرض دار کو اللہ تعالیٰ کی معیت حاصل ہوتی ہے 856. “ क़र्ज़दार के साथ अल्लाह तआला होता है ” 857. میدان حشر میں قرضوں کے معاملات کا تصفیہ 857. “ हष्र के मैदान में क़र्ज़ के मामलों का निपटारा ” 858. اگر قرض خواہ قرضے چکانے کا عزم رکھتا ہو تو . . . 858. “ यदि क़र्ज़दार क़र्ज़ चुकाना चाहता हो ” 859. آگ کے ساتھ عذاب دینا منع ہے 859. “ आग से जलाकर सज़ा देना मना है ” 860. پرندوں کو تکلیف دینا بھی منع ہے 860. “ पक्षियों को नुकसान पहुंचाना भी मना है ” 861. مشرکوں کے ساتھ کیا گیا معاہدہ پورا کرنا 861. “ मुशरिकों के साथ किया गया समझौता पूरा करना ” 862. ظالم کو ظلم سے نہ روکنے کا وبال 862. “ ज़ालिम को ज़ुल्म से न रोकने का बोझ ” 863. لوٹ مار اور ڈاکہ زنی منع ہے 863. “ लूटपाट और डकैती करना मना है ” 864. حدود سے تجاوز کرنا منع ہے، بدعات کا وبال 864. “ हदों से आगे बढ़ना मना है ، बिदअतों का बोझ ” 865. روزے کی حالت میں بیوی کا بوسہ لینا 865. “ रोज़े की हालत में पत्नी का चुंबन लेना ” 866. حاکم کا فیصلہ حرام کو حلال نہیں کر سکتا 866. “ सरदार का फ़ैसला हराम को हलाल नहीं कर सकता ” 867. معیار خدا تقوی ہے، نہ کہ صدارت و سربراہی 867. “ तक़वा ही कसौटी है किसी का पद या दर्जा नहीं ” 868. حلت و حرمت کے باب میں نبوی فیصلے کی اہمیت 868. “ हलाल और हराम के मामले में नबी के फ़ैसले की एहमियत ” 869. کیا حلت و حرمت کے معاملات میں دل کا فیصلہ معتبر ہے؟ 869. “ क्या हलाला और हराम का फ़ैसला दिल कर सकता है ” 870. زمین پر ناجائز قبضے کا انجام بد 870. “ ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े का नतीजा बुरा है ” 871. مہمان، میزبان سے اپنا حق وصول کر سکتا ہے 871. “ मेहमान मेज़बान से अपना हक़ ले सकता है ” 872. بلاد مشرکین میں سکونت اختیار کرنا منع ہے 872. “ मुशरिकों के देश में रहना मना है ” 873. سوگ کی مدت تین دن ہے 873. “ शोक की अवधि तीन दिन है ” 874. مومنوں کی ارواح کا مقام 874. “ मोमिनों की आत्मा की जगह ” 875. بےصبری کا انجام 875. “ बेसब्री का नतीजा ” 876. کنویں کا احاطہ 876. “ कुँए की दूरी ” 877. جائز کھیل 877. “ जाइज़ खेल ” 878. زیادتی کرنے والے کا جواب کیسے دیا جائے؟ 878. “ ज़्यादती करने वाले को जवाब कैसे दिया जाए ” 879. ہر مسلمان پناہ دے سکتا ہے، خیانت اور دھوکہ بازی کا انجام 879. “ हर मुसलमान शरण दे सकता है ، ख़यानत और धोखाधड़ी का नतीजा ” 880. خیانت باعث رسوائی ہے 880. “ ख़यानत रुस्वाई का कारण है ” 881. معاہدے کی پاسداری کرنا 881. “ समझौते का पालन करना ” 882. امان دینے کے بعد قتل کر دینا بدترین دھوکہ ہے 882. “ शरण देने के बाद क़त्ल करदेना धोका है ” 883. گمشدہ چیز کا حکم 883. “ खोई हुई चीज़ के बारे में ” 884. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی قسم کے الفاظ 884. “ रसूल अल्लाह ﷺ की क़सम के शब्द ” 885. بہتر چیز کی خاطر قسم کا کفارہ ادا کرنا 885. “ अच्छा करने के लिये क़सम का कफ़्फ़ारह देना चाहिए ” 886. نامناسب کام پر اٹھائی ہوئی قسم کو کیسے پورا کیا جائے؟ 886. “ अनुचित काम पर ली गई क़सम को कैसे पूरा करें? ” 887. جھوٹی قسم کا انجام جہنم ہے 887. “ झूठी क़सम का नतीजा जहन्नम है ” 888. دل کے ثابت قدم رہنے کی دعا اور وجہ 888. “ दिल को मज़बूती से जमाए रखने की दुआ और कारण ” 889. ام المؤمنین سیدہ حفصہ رضی اللہ عنہا کو طلاق اور پھر رجوع 889. “ हज़रत हफ़सह रज़ि अल्लाहु अन्हा को तलाक़ और फिर रुजू ” 890. بیوہ ہونے والی حاملہ کی عدت 890. “ गर्भवती महिला की इददत ” 891. سانپ کو ایک ضرب ہی کافی ہے 891. “ सांप को एक चोट ही काफ़ी है ” 892. یہود و نصاری کو جزیرہ عرب سے نکالنا 892. “ यहूदियों और ईसाईयों को जज़ीरह अरब से निकलना ” 893. ممنوعہ نام 893. “ वे नाम जो रखना मना हैं ” 894. دماغی چوٹ میں قصاص کی مقدار 894. “ दिमाग़ी चोट पर कितना क़सास ” 895. یہودی و نصاریٰ سے مشابہت اختیار کرنا اور محض اشارے کے ذریعے سلام کرنا 895. “ यहूदियों और ईसाईयों की एकरूपता अपनाना ، इशारे से सलाम करना ” 896. وہ امور مباح ہیں، جن سے شریعت نے خاموشی اختیار کی ہے 896. “ वे मामले माफ़ हैं जिनसे शरिअत खामोश है ” 897. نومولود بچہ کب وارث بنتا ہے؟ 897. “ नवजात बच्चा कब वारिस बनता है ” 898. جس کے ہاتھ پر اسلام قبول کیا ہو، وہ بھی وارث بن سکتا ہے 898. “ जिसके हाथ पर इस्लाम स्वीकार किया हो वह भी वारिस बन सकता है ” 899. غیر وارثوں سے معاہدہ میراث منسوخ ہو گیا 899. “ जो वारिस नहीं उनसे विरासत का समझौता रद्द हो गया ” 900. حاکم کے دو ہم راز اور ان کی ذمہ داری 900. “ हाकिम के दो हमराज़ और उनकी ज़िम्मेदारी ” 901. خلاف شریعت امور کو روکنا باعث نجات اور نہ روکنا باعث ہلاکت ہے 901. “ शरिअत के ख़िलाफ़ मामलों को रोकना मुक्ति का कारण है और न रोकना हलाकत है ” 902. اللہ تعالیٰ کی دلیل کی عزت کرنا 902. “ अल्लाह तआला की दलील का सम्मान करना ” 903. مردہ زمین آباد کرنے کا اجر و ثواب 903. “ बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाने का बदला ” 904. زمین پر ناجائز قبضے کا انجام 904. “ ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े का नतीजा ” 905. غیر باپ کی طرف نسبت کرنے کا وبال 905. “ पिता के बदले किसी दूसरे की ओर वंश को जोड़ने का बोझ ” 906. امانت میں رکھی گئی چیز کی ضمانت کس پر ہے؟ 906. “ अमानत पर रखी गई चीज़ की ज़मानत किस पर है ” 907. باطل پر ظالم کی مدد کرنے کا انجام 907. “ ज़ालिम का सहयोग करने का नतीजा ” 908. عمریٰ اور رقبیٰ کی تعریف اور ان کے احکام 908. “ उमरा और रुक़बा का परिचय और नियम ” 909. شریعت کی نافرمانی میں خلیفہ کی کوئی اطاعت نہیں 909. “ शरिअत के ख़िलाफ़ हाकिम की आज्ञाकारी नहीं ” 910. اس چھت پر سونا منع ہے، جس پر آڑ نہ ہو 910. “ उस छत पर सोना मना है जिस पर आड़ न हो ” 911. غلام کا غیر آقا سے تعلق رکھنا منع ہے 911. “ ग़ुलाम का मालिक के बदले किसी दूसरे से संबंध रखना मना है ” 912. گھڑ دوڑ کے دوران جانبدارانہ شور مچانا منع ہے 912. “ घुड़दौड़ के बीच शोर मचाना मना है ” 913. سفارش کی وجہ سے ہدیہ قبول کرنا منع ہے 913. “ सिफ़ारिश के रूप में उपहार लेना मना है ” 914. تلوار سونتنے والے کا خون رائیگاں ہے 914. “ तलवार चलाने वालों का खून बेकार है ” 915. غلام کو ظالم آقا سے قصاص دلوایا جائے گا 915. “ ग़ुलाम को ज़ालिम मालिक से क़सास दिलाया जाएगा ” 916. مظلوم کے لیے انتقام لینے کا اصول 916. “ मज़लूम के लिये बदला लेने के नियम ” 917. مخابرہ 917. “ मुख़ाबरह ” 918. آگ کی وجہ سے ہونے والا نقصان رائیگاں ہو گا 918. “ आग के कारण नुक़सान बेकार है ” 919. اولاد والدین کو ہدیہ دے سکتی ہے 919. “ औलाद माता पिता को दान दे सकती है ” 920. زنا کی اولاد تین افراد کی شر ہے 920. “ ज़िना की औलाद तीन लोगों की बुराई है ” 921. شریعت میں اہل مکہ کا وزن اور اہل مدینہ کا ماپ معتبر ہے 921. “ मक्का के लोगों का वज़न और मदीने के लोगों का माप शरीयत में मान्य है ” 922. بیٹا باپ کی کمائی ہے 922. “ बेटा पिता की कमाई है ” 923. رضاعت کب ثابت ہوتی ہے؟ 923. “ रज़ाअत यानि कितना बार दूध पीना मान्य है ” 924. نمازی کو مارنا منع ہے 924. “ नमाज़ी को मारना मना है ” 925. بلاوجہ جانور کو نشانہ بنانا ناجائز ہے 925. “ बिना कारण जानवर को निशाना बनाना मना है ” 926. کسی کو ضرر دینا ناجائز ہے 926. “ किसी को नुक़सान पहुंचना मना है ” 927. ہر زمان و مکان میں مسلمان کو تکلیف سے بچایا جائے 927. “ मुसलमानों को हर समय और हर जगह तकलीफ़ से बचाना चाहिए ” 928. بوقت غم رونا جائز ہے 928. “ शोक के समय रोना जाइज़ है ” 929. کسی کی ہیبت حق گوئی سے روکنے نہ پائے 929. “ किसी का डर और रोब सच बोलने से न रोक पाए ” |
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा الحدود والمعاملات والاحكام حدود، معاملات، احکام सीमाएं, मामले, नियम دماغی چوٹ میں قصاص کی مقدار “ दिमाग़ी चोट पर कितना क़सास ”
سیدنا طلحہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”دماغی چوٹ کا قصاص نہیں ہے۔“
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