विभिन्न
1. ज़िक्र की फ़ज़ीलत ( पुण्य )
2. नींद से जागने के बाद की दुआएं
3. कपड़ा पहनने की दुआ
4. नया वस्त्र पहनने की दुआ
5. नया वस्त्र पहनने वाले को किया दुआ दी जाए
6. वस्त्र उतारे तो किया दुआ पढ़े
7. शौचालय में जाने की दुआ
8. शौचालय से निकलने की दुआ
9. वुज़ू शुरू करते समय किया पढ़े
10. वुज़ू समाप्त करने के बाद किया पढ़े
11. घर से निकलते समय किया पढ़ना चाहिए
12. घर में प्रवेश करते समय की दुआ
13. मस्जिद की तरफ़ जाने की दुआ
14. मस्जिद में प्रवेश करते समय की दुआ
15. मस्जिद से निकलने की दुआ
16. अज़ान के अज़्कार
17. दुआए इस्तफ़्ताह
18. सूरत अल्फ़ातिहा
19. रुकू की दुआएं
20. रुकू से उठने की दुआएं
21. सज्दे की दुआएं
22. जलसा इस्तराहत ( दो सजदों के बीच ) की दुआएं
23. सज्दा तिलावत की दुआएं
24. तशाहहुद
25. नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्ल्म पर दरूद पढ़ना
26. सलाम फेरने से पहले आख़री तशाहहुद में दुआएं
27. सलाम फेरने के बाद के अज़कार
28. फ़जर की नमाज़ के बाद ये दुआ पढ़े
29. नमाज़ इस्तेख़ारा की दुआ
30. सुबह और शाम के अज़कार
31. शाम के समय ये दुआ पढ़े
32. सोते समय की दुआएं
33. रात करवट बदलते समय की दुआएं
34. नींद में घबराहट और डरजाने के समय की दुआ
35. बुरा सपना देखने वाला किया करे
36. क़ुनूत और वित्र की दुआएं
37. नमाज़ वित्र से सलाम फेरने के बाद का ज़क्र
38. शोक और फ़िक्र की दुआ
39. बेचैनी की दुआ
40. दुश्मन और शासक से मिलते समय की दुआ
41. जिसे शासक के अत्याचार का डर हो उस के लिए दुआ
42. दुश्मन के लिए बद दुआ
43. जब किसी से ख़तरा हो तो किया कहे
44. जिसे ईमान में शक होने लगे उस की दुआ
45. क़र्ज़ चुकाने की दुआ
46. नमाज़ या क़ुरान पढ़ते समय वहम आने की दुआ
47. जिस पर कोई मुश्किल आन पड़े उस के लिए दुआ
48. जिस से कोई पाप हो जाये वो किय कहे और किया करे
49. शैतान और अस का वहम दूर करने की दुआएं
50. बुरी घटना या बेबसी की दुआ
51. बच्चे के जन्म पर बधाई की दुआ
52. बच्चों को किन शब्दों के साथ शरण दी जाए
53. रोगी से मिलते समय की दुआ
54. रोगी की सेवा करने का पुण्य
55. जीवन से निराश रोगी के लिए दुआ
56. रोगी को कलमा «ला इलाहा इल्लल्लाह» पढ़ने को कहना
57. जिस को मुसीबत पहुँचे उस की दुआ
58. मृतक की ऑंखें बंद करते समय की दुआ
59. नमाज़ जनाज़ा की दुआएं
60. नमाज़ जनाज़ा में बच्चे के लिए दुआ
61. मृत्यु पर शोक व्यक्त करने की दुआ
62. मृतक को क़ब्र में रखते समय की दुआ
63. मृतक को दफ़्न करने के बाद की दुआ
64. क़ब्रस्तान में प्रवेश करते समय की दुआ
65. हवा चलते समय की दुआएं
66. बदल गरजने की दुआ
67. बारिश की दुआएं
68. बारिश बरसते समय की दुआ
69. बारिश बरसने के बाद का ज़िक्र
70. आकाश पर घटा छाजाने की दुआ
71. चाँद देखने की दुआ
72. रोज़ा खोलते समय की दुआ
73. खाने से पहले की दुआ
74. खाना ख़त्म करने के बाद की दुआ
75. खाना खिलाने वाले के लिए दुआ
76. जो वेक्ति कुछ खिलाए पिलाये उस के लिए दुआ
77. इफ़्तार कराने वाले के लिए दुआ
78. रोज़ेदार की दुआ जब खाना सामने हो और वो रोज़ा न खोले
79. रोज़ेदार को जब कोई गली दे तो वो किया कहे
80. पहला फल देखने की दुआ
81. छींक की दुआ
82. शादी करने वाले के लिए दुआ
83. शादी करने और सवारी ख़रीदने वाले केलिए दुआ
84. पत्नि के साथ संभोग करने से पहले की दुआ
85. क्रोध के समय की दुआ
86. पीड़ित को देखते समय की दुआ
87. सभा में किया कहा जाये
88. सभा के कफ़्फ़ारे की दुआ
89. जो तुम्हारे साथ अच्छा करे उस के लिए दुआ
90. दज्जाल से सुरक्षित रहने की दुआ
91. जो व्येक्ति कहे कि में तुम से अल्लाह के वास्ते प्यार करता हूँ
92. जो व्येक्ति तुम को अपना माल दे उस के लिए दुआ
93. उधार चुकाते समय की दुआ
94. किसी को अल्लाह का साझी बनाने ( शिर्क ) के डर की दुआ
95. जो व्येक्ति तुम्हें « बारक अल्लाह » कहे उस के लिए दुआ
96. बद शगुनी से घिन आने की दुआ
97. सवार होते समय की दुआ
98. यात्रा की दुआ
99. बस्ती में प्रवेश करते समय की दुआ
100. बाज़ार में प्रवेश करते समय की दुआ
101. सवारी से गिरते समय की दुआ
102. यात्री की बस्ती में रहने वाले के लिए दुआ
103. बस्ती में रहने वाले की यात्री के लिए दुआ
104. यात्रा में तस्बीह और तक्बीर करना
105. सुबह के समय यात्री की दुआ
106. यात्रा में या यात्रा के सिवा किसी भी पड़ाव पे दुआ
107. यात्रा से लोट आने की दुआ
108. ख़ुश करने वाला या अच्छा न लगने वाला मामला हो तो किया कहे
109. नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्ल्म पर दरूद पढ़ने की फ़ज़ीलत ( पुण्य )
110. जाने और अनजाने को सलाम करना
111. जो वेक्ति मुसल्मान न हो वो सलाम करे तो किया कहे
112. मुर्ग़े की आवाज़ और गधे की आवाज़ सुनने पर दुआ
113. रात को कुत्ते के भोंकने पर दुआ
114. जिस को तुम ने बुरा भला कहा उस के लिए दुआ
115. जब एक मुसल्मान दुसरे मुसल्मान की ताअरीफ़ करे तो किया कहे
116. अपनी ताअरीफ़ सुने तो किया कहे
117. हज या उम्रा का अहराम बांधने वाला तलबिया कैसे कहे
118. जब हज्र अस्वद के पास आए तो तक्बीर कहे
119. रुकुन यमानी और हज्र अस्वद जे बीच की दुआ
120. सफ़ा और मरवाह पे ठहरने की दुआ
121. अराफ़ात के दिन की दुआ
122. मशअर हराम के पास की दुआ
123. शैतान को कंकरी मारते समय हर कंकरी पे तक्बीर पढ़ना
124. आश्चर्य और ख़ुश करने वाले काम के समय की दुआ
125. अच्छी सुचना मिले तो किया करे
126. शरीर में दर्द महसूस करने वाला किया करे और किया कहे
127. अपनी नज़र लगने का डर हो तो किया करे
128. घबराहट के समय किया कहे
129. क़ुरबानी करते समय किया कहे
130. शैतान के धोके और बहकावे से बचने की दुआ
131. इस्तग़फ़ार और तोबा का बयान
132. तक्बीर और तस्बीह और प्रशंसा आदि की फ़ज़ीलत ( पुण्य )
133. नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्ल्म तस्बीह कैसे करते थे
134. और दूसरे अच्छे काम

مختصر حصن المسلم کل احادیث 276 :حدیث نمبر
مختصر حصن المسلم
मुख़्तसर हिसनुल मुस्लिम
متفرق
متفرق
विभिन्न
دعائے استفتاح
दुआए इस्तफ़्ताह
حدیث نمبر: 35
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اللٰهم باعد بيني وبين خطاياي كما باعدت بين المشرق والمغرب، اللٰهم نقني من خطاياي كما ينقى الثوب الابيض من الدنس، اللٰهم اغسلني من خطاياي بالثلج والماء والبرد اللّٰهُمَّ بَاعِدْ بَيْنِي وَبَيْنَ خَطَايَايَ كَمَا بَاعَدْتَ بَيْنَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ، اللّٰهُمَّ نَقِّنِي مِنْ خَطَايَايَ كَمَا يُنَقَّى الثَّوْبُ الْأَبْيَضُ مِنَ الدَّنَسِ، اللّٰهُمَّ اغْسِلْنِي مِنْ خَطَايَايَ بِالثَّلْجِ وَالْمَاءِ وَالْبَرَدِ
اے اللہ! میرے اور میری خطاؤں کے درمیان اس طرح دوری فرما دے جس طرح تو نے مشرق اور مغرب کے درمیان دوری پیدا کی ہے۔ اے اللہ مجھے میری خطاؤں سے اس طرح صاف کر دے جس طرح سفید کپڑا میل کچیل سے صاف کیا جاتا ہے، اے اللہ مجھے میری خطاؤں سے برف، پانی اور اولوں کے ساتھ دھو ڈال۔ [ صحيح بخاري:744، صحيح مسلم:598]
حدیث نمبر: 36
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سبحانك اللٰهم وبحمدك وتبارك اسمك، وتعالى جدك، ولا إله غيرك سبحانك اللٰهم وبحمدك وتبارك اسمك، وتعالى جدك، ولا إله غيرك سُبْحَانَكَ اللّٰهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَ، وَتَعَالَى جَدُّكَ، وَلَا إِلَهَ غَيْرَكَ سُبْحَانَكَ اللّٰهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَ، وَتَعَالَى جَدُّكَ، وَلَا إِلَهَ غَيْرَكَ
اے اللہ! تو اپنی تعریف کے ساتھ پاک ہے، تیرا نام بابرکت ہے، تیری شان بلند ہے اور تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں۔ [ صحيح، سنن ابي داؤد:775، سنن ترمذي:242، سنن ابن ماجه:804]
حدیث نمبر: 37
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وجهت وجهي للذي فطر السماوات والارض حنيفا، وما انا من المشركين، إن صلاتي، ونسكي، ومحياي، ومماتي لله رب العالمين، لا شريك له، وبذلك امرت وانا من المسلمين، اللٰهم انت الملك لا إله إلا انت انت ربي، وانا عبدك، ظلمت نفسي، واعترفت بذنبي، فاغفر لي ذنوبي جميعا، إنه لا يغفر الذنوب إلا انت، واهدني لاحسن الاخلاق لا يهدي لاحسنها إلا انت، واصرف عني سيئها لا يصرف عني سيئها إلا انت، لبيك وسعديك والخير كله في يديك، والشر ليس إليك، انا بك وإليك، تباركت وتعاليت، استغفرك واتوب إليك وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِي فَطَرَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ حَنِيفًا، وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِكِينَ، إِنَّ صَلَاتِي، وَنُسُكِي، وَمَحْيَايَ، وَمَمَاتِي لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ، لَا شَرِيكَ لَهُ، وَبِذَلِكَ أُمِرْتُ وَأَنَا مِنَ الْمُسْلِمِينَ، اللّٰهُمَّ أَنْتَ الْمَلِكُ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ أَنْتَ رَبِّي، وَأَنَا عَبْدُكَ، ظَلَمْتُ نَفْسِي، وَاعْتَرَفْتُ بِذَنْبِي، فَاغْفِرْ لِي ذُنُوبِي جَمِيعًا، إِنَّهُ لَا يَغْفِرُ الذُّنُوبَ إِلَّا أَنْتَ، وَاهْدِنِي لِأَحْسَنِ الْأَخْلَاقِ لَا يَهْدِي لِأَحْسَنِهَا إِلَّا أَنْتَ، وَاصْرِفْ عَنِّي سَيِّئَهَا لَا يَصْرِفُ عَنِّي سَيِّئَهَا إِلَّا أَنْتَ، لَبَّيْكَ وَسَعْدَيْكَ وَالْخَيْرُ كُلُّهُ فِي يَدَيْكَ، وَالشَّرُّ لَيْسَ إِلَيْكَ، أَنَا بِكَ وَإِلَيْكَ، تَبَارَكْتَ وَتَعَالَيْتَ، أَسْتَغْفِرُكَ وَأَتُوبُ إِلَيْكَ
میں نے اپنا چہرہ یکسو ہو کر اس ذات کی طرف متوجہ کر لیا جس نے آسمانوں اور زمین کو نئے سرے سے پیدا کیا، اور میں مشرکین میں سے نہیں ہوں، بے شک میری نماز، میری قربانی، میرا زندہ رہنا اور میرا مرنا اللہ رب العالمین کے لئے ہے، جس کا کوئی شریک نہیں، مجھے اسی بات کا حکم دیا گیا ہے اور میں مطیع و فرمانبرداروں میں سے ہوں، اے اللہ! تو ہی بادشاہ ہے تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں، تو میرا رب ہے اور میں تیرا بندہ، میں نے اپنی جان پر ظلم کیا، میں اپنے گناہوں کا اعتراف کرتا ہوں، میرے تمام گناہ بخش دے۔ کیونکہ تیرے علاوہ کوئی بھی گناہوں کو نہیں بخش سکتا، مجھے بہترین اخلاق کی ہدایت دے، تیرے علاوہ بہترین اخلاق کی ہدایت کوئی نہیں دے سکتا۔ مجھ سے برا اخلاق ہٹا دے، تیرے علاوہ مجھ سے برا اخلاق کوئی دور نہیں کر سکتا، میں حاضر ہوں، تیرا فرمانبردار ہوں، اور بھلائی تمام کی تمام تیرے ہاتھ میں ہے، جبکہ برائی تیری طرف سے نہیں، میں تیری مدد سے (کھڑا) ہوں اور تیری طرف (متوجہ) ہوں، تو بابرکت ہے، بلند ہے میں تجھ سے بخشش طلب کرتا ہوں اور تیری طرف رجوع کرتا ہوں۔ [ صحيح مسلم:771]
حدیث نمبر: 38
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اللٰهم رب جبرائيل، وميكائيل، وإسرافيل، فاطر السماوات والارض، عالم الغيب والشهادة، انت تحكم بين عبادك فيما كانوا فيه يختلفون، اهدني لما اختلف فيه من الحق بإذنك، إنك تهدي من تشاء إلى صراط مستقيم اللّٰهُمَّ رَبَّ جَبْرَائِيلَ، وَمِيكَائِيلَ، وَإِسْرَافِيلَ، فَاطِرَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ، عَالِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ، أَنْتَ تَحْكُمُ بَيْنَ عِبَادِكَ فِيمَا كَانُوا فِيهِ يَخْتَلِفُونَ، اهْدِنِي لِمَا اخْتُلِفَ فِيهِ مِنَ الْحَقِّ بِإِذْنِكَ، إِنَّكَ تَهْدِي مَنْ تَشَاءُ إِلَى صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ
اے اللہ، جبرائیل، میکائیل اور اسرافیل کے رب، آسمانوں اور زمینوں کو نئے سرے سے پیدا کرنے والے، غیب اور حاضر کا علم رکھنے والے تو اپنے بندوں کے درمیان فیصلہ کرے گا جس معاملے میں(بھی) یہ اختلاف کرتے ہیں، تو مجھے اختلافی باتوں میں حق (سچائی) کی ہدایت دے، یقیناً تو جسے چاہتا ہےصراط مستقیم کی طرف ہدایت دے دیتا ہے۔ [ صحيح مسلم:770]
حدیث نمبر: 39
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اللٰه اكبر كبيرا، اللٰه اكبر كبيرا، اللٰه اكبر كبيرا، والحمد للٰه كثيرا، والحمد للٰه كثيرا، والحمد للٰه كثيرا، وسبحان الله بكرة واصيلا، «اعوذ بالله من الشيطان الرجيم من نفخه ونفثه وهمزه اللّٰهُ أَكْبَرُ كَبِيرًا، اللّٰهُ أَكْبَرُ كَبِيرًا، اللّٰهُ أَكْبَرُ كَبِيرًا، وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ كَثِيرًا، وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ كَثِيرًا، وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ كَثِيرًا، وَسُبْحَانَ اللهِ بُكْرَةً وَأَصِيلًا، «أَعُوذُ بِاللهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ مِنْ نَفْخِهِ وَنَفْثِهِ وَهَمْزِهِ
اللہ سب سے بڑا ہے، بہت بڑا، اللہ سب سے بڑا ہے، بہت بڑا، اللہ سب سے بڑا ہے، بہت بڑا، تمام تعریفات اللہ کے لئے ہیں، بہت زیادہ، تمام تعریفات اللہ کے لئے ہیں، بہت زیادہ، تمام تعریفات اللہ کے لئے ہیں، بہت زیادہ، اور صبح و شام اللہ ہی کی تقدیس و پاکی بیان کی جاتی ہے میں اللہ کی پناہ میں آتا ہوں، شیطان مردود سے، اس کے مغرور بنانے سے، اس کے تھوک سے اور اس کے چوکا لگانے سے۔ [ اسناده حسن، سنن ابي داؤد:764، سنن ابن ماجه:807]
حدیث نمبر: 40
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اللٰهم لك الحمد، انت نور السموات والارض فيهن، ولك الحمد، انت قيم السموات والارض ومن فيهن، ولك الحمد، انت رب السماوات والارض ومن فيهن, ولك الحمد، ملك السماوات والارض ومن فيهن, ولك الحمد، انت ملك السماوات والارض ولك الحمد, ولك الحمد، انت الحق، ووعدك الحق، وقولك الحق، ولقاؤك الحق، والجنة الحق، والنار الحق، والنبيون الحق، ومحمد الحق، اللهم لك اسلمت، وعليك توكلت، وبك آمنت، وإليك انبت، وبك خاصمت، وإليك حاكمت، فاغفر لي ما قدمت وما اخرت، وما اسررت وما اعلنت، انت المقدم وانت المؤخر، لا إله إلا انتاللّٰهُمَّ لَكَ الحَمْدُ، أَنْتَ نُورُ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ فِيهِنَّ، وَلَكَ الحَمْدُ، أَنْتَ قَيِّمُ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ وَمَنْ فِيهِنَّ، وَلَكَ الْحَمْدُ، أَنْتَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَنْ فِيهِنَّ, وَلَكَ الْحَمْدُ، مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَنْ فِيهِنَّ, وَلَكَ الْحَمْدُ، أَنْتَ مَلِكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَلَكَ الْحَمْدُ, وَلَكَ الحَمْدُ، أَنْتَ الحَقُّ، وَوَعْدُكَ الحَقُّ، وَقَوْلُكَ الحَقُّ، وَلِقَاؤُكَ الحَقُّ، وَالجَنَّةُ الحَقُّ، وَالنَّارُ الحَقُّ، وَالنَّبِيُّونَ الحَقُّ، وَمُحَمَّدٌ الحَقُّ، اللَّهُمَّ لَكَ أَسْلَمْتُ، وَعَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ، وَبِكَ آمَنْتُ، وَإِلَيْكَ أَنَبْتُ، وَبِكَ خَاصَمْتُ، وَإِلَيْكَ حَاكَمْتُ، فَاغْفِرْ لِي مَا قَدَّمْتُ وَمَا أَخَّرْتُ، وَمَا أَسْرَرْتُ وَمَا أَعْلَنْتُ، أَنْتَ المُقَدِّمُ وَأَنْتَ المُؤَخِّرُ، لاَ إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ
نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم جب رات تہجد کے لئے اٹھتے تو یہ دعا پڑھتے: اے اللہ تیرے لئے ہی تمام تعریفات ہیں، تو آسمانوں، زمین اور جو کچھ ان میں ہے سب کا نور ہے، تیرے لئے ہی تعریف ہے، تو آسمانوں، زمین اور جو ان میں ہے سب کا قائم رکھنے والا ہے، تیرے لئے ہی تعریف ہے تو آسمانوں، زمین اور جو ان میں ہے سب کا پروردگار ہے، تیرے لئے ہی تعریف ہے، تیرے لئے آسمانوں، زمین اور جو کچھ ان میں ہے سب کی بادشاہت ہے۔ تیرے لئے ہی تعریف ہے، تو آسمانوں اور زمین کا رب ہے، تیرے لئے ہی تعریف ہے، تو حق ہے، تیرا وعدہ حق ہے، تیرا قول حق ہے، تیری ملاقات حق ہے، جنت حق ہے، آگ حق ہے، تمام انبیاء حق ہیں، محمد صلی اللہ علیہ وسلم حق ہیں اور قیامت حق ہے۔ اے اللہ میں تیرا فرمانبردار ہوا، تجھ ہی پر بھروسہ کیا، تجھ پر ہی ایمان لایا، تیری طرف ہی رجوع کیا، تیری مدد کے ساتھ (تیرے دشمنوں سے) جھگڑا کیا، تیری طرف ہی فیصلہ لے کر آیا، مجھے بخش دے جو میں نے پہلے کیا اور جو میں نے بعد میں کیا، جو میں نے پوشیدہ کیا اور جو میں نے اعلانیہ کیا۔ تو ہی بھلائی اور نیکی کے کاموں میں آگے کرنے والا ہے اور تو ہی پیچھے کرنے والا، تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں، تو ہی میرا معبود ہے تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں۔ [ صحيح بخاري:6317، صحيح مسلم:769، بلفظ مختلف]

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