नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम जब रात तहज्जुद की नमाज़ के लिए उठते तो ये दुआ पढ़ते: “ऐ अल्लाह तेरे लिए ही सारी ताअरीफ़ें हैं, तू आसमानों, ज़मीन और जो कुछ इन में है सब की रोशनी है, तेरे लिए ही ताअरीफ़ है, तू आसमानों, ज़मीन और जो इन में है सब को थामने वाला है, तेरे लिए ही ताअरीफ़ है तू आसमानों, ज़मीन और जो इन में है सब का ईश्वर है, तेरे लिए ही ताअरीफ़ है, तेरे लिए आसमानों, ज़मीन और जो कुछ इन में है सब की बादशाहत है । तेरे लिए ही ताअरीफ़ है, तू आसमानों और ज़मीन का रब है, तेरे लिए ही ताअरीफ़ है, तू सच्च है, तेरा वादा सच्चा है, तेरा कहा सच्च है, तुझ से मिलना सच्च है, स्वर्ग सच्च है, आग सच्च है, सारे अंबिया सच्चे हैं, मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम सच्चे हैं और क़यामत सच्च है । ऐ अल्लाह मैं तेरा आज्ञाकारी हुआ, तुझ ही पर भरोसा किया, तुझ पर ही ईमान लाया, तेरी ओर ही लौट जाना है, तेरी सहायता के साथ (तेरे दुश्मनों से) झगड़ा किया, तेरी तरफ़ ही फ़ैसला ले कर आया, तू क्षमा कर दे मैं ने जो पहले किया और जो मैं ने बाद में किया, जो मैं ने छुप कर किया और जो मैं ने दिखा कर किया । तू ही भलाई और अच्छे कामों में आगे करने वाला है और तू ही पीछे करने वाला, तेरे सिवा कोई सच्चा ईश्वर नहीं, तू ही मेरा ईश्वर है तेरे सिवा कोई सच्चा ईश्वर नहीं ।” [सहीह बुख़ारी: 6317, सहीह मुस्लिम: 769, بلفظ مختلف]