जन्नत और जहन्नम
2560. “ अल्लाह तआला का ख़ुश होना जन्नत की सबसे बड़ी नेमत ”
2561. “ जन्नत अल-फ़िरदौस मांगनी चाहिए ”
2562. “ बिना हिसाब के जन्नत में जाने वालों की संख्या ”
2563. “ जन्नत में जाने वाला पहला समूह ”
2564. “ जन्नत में जाने वाले अंतिम व्यक्ति का हाल ”
2565. “ ज़र्रा बराबर ईमान वाला भी जहन्नम से बाहर आ जाएगा ”
2566. “ जन्नत में जीवन कैसा होगा ”
2567. “ जन्नत और दुनिया की तुलना ”
2568. “ जन्नत वाले सदा जागते हैं ”
2569. “ जन्नत कितनी बड़ी है ”
2570. “ जन्नत में आधे लोग रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत के होंगे ”
2571. “ जन्नत के लोगों के आनंद की एक झलक ”
2572. “ जन्नत का घोड़ा ”
2573. “ मोमिन के आराम के लिए उनके बच्चों को इनाम ”
2574. “ सदक़ह और उधार दिए जाने का सवाब ”
2575. “ अपनी आँखों के कारण जहन्नम की आग से कौन सुरक्षित रहेगा ? ”
2576. “ जन्नत की हूरों का गीत ”
2577. “ जन्नत के लोगों का संभोग करना ”
2578. “ जन्नत में जाने वाली सभी औरतें कुंवारी होंगी ”
2579. “ तलवारें जन्नत की कुंजी हैं ”
2580. “ जन्नत की लम्बी लम्बी छाया ”
2581. “ जन्नत के बाज़ार ”
2582. “ जन्नत में मोमिन का तम्बू ”
2583. “ जन्नत के दरवाज़े की चौड़ाई ”
2584. “ जन्नत के दर्जे ”
2585. “ जन्नत में कितनी जन्नतें हैं ”
2586. “ जन्नत कैसे बनाई गई ”
2587. “ जन्नत में सोने के महल ”
2588. “ तूबा क्या है ”
2589. “ दुनिया की और जन्नत की चीज़ों में क्या समानता है ? ”
2590. “ जन्नत के पेड़ों में कांटों की जगह रंग बिरंगे खाने होंगे ”
2591. “ फ़िरदौस जन्नत का सबसे ऊँचा भाग है ”
2592. “ रसूल अल्लाह ﷺ मिम्बर के पाए जन्नत में गढ़े हुए हैं , बूतहान की घाटी जन्नत का एक बग़ीचा ”
2593. “ जन्नत की मिट्टी ”
2594. “ जन्नत की कंघी और आग में जलने वाली लकड़ी ”
2595. “ जन्नत के लोगों का पहला खाना ”
2596. “ मुसलमानों के मरने वाले नाबालिग़ बच्चे अपने माता-पिता के जन्नत का कारण बनेंगे ”
2597. “ शहीद का अच्छा अंत ”
2598. “ शहीदों का बरज़ख़ी जीवन और उनका अंत अच्छा ”
2599. “ जन्नत की छोटी सी भी नेमत दुनिया और उसकी सब चीज़ों पर भरी है ”
2600. “ दुनिया में जन्नत की चीज़ें ”
2601. “ होज़ पर आने वालों की बड़ी संख्या ”
2602. “ सूरत अल-कोसर की तफ़्सीर ”
2603. “ जहन्नम से बचने और जन्नत में जाने के लिए किस तरह का जीवन गुज़ारना चाहिए ? ”
2604. “ जन्नती और जहन्नमी लोगों की आयु और शरीर ”
2605. “ जहन्नमी आदमी का एक दांत ओहद पहाड़ के बराबर का होगा ”
2606. “ समय से पहले रोज़ा तोड़ने वालों , कुफ़्र की हालत में मरने वालों , ज़िना करने वालों और अपने बच्चों को दूध न पिलाने वाली औरतों का अंत ”
2607. “ जन्नत और जहन्नम में जाने वाले लोग लिखे जा चुके हैं ”
2608. “ मोमिन को मारना या मारने की कोशिश एक गंभीर अपराध है ”
2609. “ मोमिनों का अल्लाह तआला से उन भाइयों के लिए बहस करना जो जहन्नम चले जाएंगे , आख़िरकार वे लोग जहन्नम से बाहर आजाएंगे , क्या नमाज़ी , हाजी और रोज़ेदार भी जहन्नम में जाएंगे ”
2610. “ जहन्नम में कुछ लोगों के अज़ाब की हालत ”
2611. “ मोमिनों और मुशरिकों के नाबालिग़ बच्चों का अंत ”
2612. “ जन्नत में औरतें कम जाएंगी ”
2613. “ जन्नत में ग़रीब लोग और जहन्नम में औरतें अधिक होंगी ”
2614. “ औरतों का जहन्नम में जाने का कारण ”
2615. “ कमज़ोर और मज़लूम लोग जन्नत में और अभिमानी और घमंडी लोग जहन्नम में ”
2616. “ काफ़िर सदा के लिए जहन्नम में रहेंगे ”
2617. “ किसी उम्मत को रहमत या अज़ाब देने का अल्लाह तआला का तरीक़ा ”
2618. “ जहन्नमी ख़ून के आंसू रोएंगे ”
2619. “ जहन्नम का सबसे हल्का अज़ाब ”
2620. “ जहन्नम में गर्म पानी का अज़ाब ”
2621. “ जहन्नम की गहराई ”
2622. “ जहन्नम कितनी बड़ी है ”
2623. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत के बारह मुनाफ़िक़ और उनका बुरा अंत ”
2624. “ जहन्नम के सांप बिच्छू और उनका ज़हर ”
2625. “ जहन्नम के कैसे कैसे अज़ाब ”
2626. “ आदम की औलाद का अंत कैसा ”
2627. “ जन्नत और जहन्नम के दरवाज़ों की संख्या ”
2628. “ सूर्य और चाँद नरक में होंगे ”
2629. “ लोगों को पीटने वालों और नंगी और आधी-नंगी औरतों का बुरा अंत ”
2630. “ जहन्नम के लोग जन्नत में अपना स्थान देखेंगे और जन्नत के लोग जहन्नम में अपना स्थान देखेंगे ”
2631. “ जन्नत में न जाने वालों की निशानियां ”
2632. “ जहन्नमी व्यक्ति का दुर्भाग्य ”
2633. “ जन्नत और जहन्नम का बंदे के लिए सिफ़ारिश करना ”
2634. “ हर व्यक्ति के लिए दोनों में से एक ठिकाना तय किया जा चूका है ”
2635. “ सदा रोज़ा रखने वाले का बुरा अंत ”
2636. “ क़यामत के दिन आदम की सारी औलाद रसूल अल्लाह ﷺ के झंडे तले होगी ”
2637. “ जन्नत सबसे अच्छा है और जहन्नम सबसे बुरा ठिकाना ”
2638. “ दूसरों को दीन समझाना और ख़ुद अमल न करने वालों का बुरा अंत ”
2639. “ सरकशी , शिर्क और क़त्ल गंभीर अपराध हैं ”
2640. “ हर कोई एक बार जहन्नम में जाएगा ”
2641. “ काफ़िरों की जहन्नम से मुक्त होने की आशा ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
الجنة والنار
جنت اور جہنم
जन्नत और जहन्नम
جنت میں داخل ہونے والے آخری فرد اور ادنیٰ مرتبت جنتی کی کیفیت
“ जन्नत में जाने वाले अंतिम व्यक्ति का हाल ”
حدیث نمبر: 3928
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-" آخر من يدخل الجنة رجل، فهو يمشي مرة ويكبو مرة وتسفعه النار مرة، فإذا ما جاوزها التفت إليها، فقال: تبارك الذي نجاني منك، لقد اعطاني الله شيئا ما اعطاه احدا من الاولين والآخرين. فترفع له شجرة، فيقول: اي رب ادنني من هذه الشجرة لاستظل بظلها، واشرب من مائها، فيقول الله عز وجل: يا ابن آدم! لعلي إن اعطيتكها سالتني غيرها؟ فيقول: لا يا رب، ويعاهده ان لا يساله غيرها، وربه يعذره لانه يرى ما لا صبر له عليه، فيدنيه منها، فيستظل بظلها، ويشرب من مائها. ثم ترفع له شجرة هي احسن من الاولى، فيقول: اي رب ادنني من هذه لاشرب من مائها، واستظل بظلها، لا اسالك غيرها. فيقول: يا ابن آدم! الم تعاهدني ان لا تسالني غيرها؟ - فيقول -: لعلي إن ادنيتك منها تسالني غيرها؟ فيعاهده ان لا يساله غيرها، وربه يعذره لانه يرى ما لا صبر له عليه، فيدنيه منها، فيستظل بظلها ويشرب من مائها. ثم ترفع له شجرة عند باب الجنة هي احسن من الاوليين، فيقول: اي رب ادنني من هذه لاستظل بظلها واشرب من مائها، لا اسالك غيرها. فيقول: يا ابن آدم! الم تعاهدني ان لا تسالني غيرها؟ قال: بلى يا رب، هذه لا اسالك غيرها، وربه يعذره لانه يرى ما لا صبر له عليه، فيدنيه منها، فإذا ادناه منها فيسمع اصوات اهل الجنة، فيقول: اي رب ادخلنيها! فيقول: يا ابن آدم! ما يصريني منك؟ ايرضيك ان اعطيك الدنيا ومثلها معها؟ قال: يا رب! اتستهزئ مني وانت رب العالمين؟ - فضحك ابن مسعود، فقال: الا تسالوني مم اضحك؟ فقالوا: مم تضحك؟ قال: هكذا ضحك رسول الله صلى الله عليه وسلم، فقالوا: مم تضحك يا رسول الله؟ قال: من ضحك رب العالمين حين قال: اتستهزئ مني وانت رب العالمين؟ - فيقول: إني لا استهزئ منك، ولكني على ما اشاء قادر. (وفي رواية: قدير).-" آخر من يدخل الجنة رجل، فهو يمشي مرة ويكبو مرة وتسفعه النار مرة، فإذا ما جاوزها التفت إليها، فقال: تبارك الذي نجاني منك، لقد أعطاني الله شيئا ما أعطاه أحدا من الأولين والآخرين. فترفع له شجرة، فيقول: أي رب أدنني من هذه الشجرة لأستظل بظلها، وأشرب من مائها، فيقول الله عز وجل: يا ابن آدم! لعلي إن أعطيتكها سألتني غيرها؟ فيقول: لا يا رب، ويعاهده أن لا يسأله غيرها، وربه يعذره لأنه يرى ما لا صبر له عليه، فيدنيه منها، فيستظل بظلها، ويشرب من مائها. ثم ترفع له شجرة هي أحسن من الأولى، فيقول: أي رب أدنني من هذه لأشرب من مائها، وأستظل بظلها، لا أسألك غيرها. فيقول: يا ابن آدم! ألم تعاهدني أن لا تسألني غيرها؟ - فيقول -: لعلي إن أدنيتك منها تسألني غيرها؟ فيعاهده أن لا يسأله غيرها، وربه يعذره لأنه يرى ما لا صبر له عليه، فيدنيه منها، فيستظل بظلها ويشرب من مائها. ثم ترفع له شجرة عند باب الجنة هي أحسن من الأوليين، فيقول: أي رب أدنني من هذه لأستظل بظلها وأشرب من مائها، لا أسألك غيرها. فيقول: يا ابن آدم! ألم تعاهدني أن لا تسألني غيرها؟ قال: بلى يا رب، هذه لا أسألك غيرها، وربه يعذره لأنه يرى ما لا صبر له عليه، فيدنيه منها، فإذا أدناه منها فيسمع أصوات أهل الجنة، فيقول: أي رب أدخلنيها! فيقول: يا ابن آدم! ما يصريني منك؟ أيرضيك أن أعطيك الدنيا ومثلها معها؟ قال: يا رب! أتستهزئ مني وأنت رب العالمين؟ - فضحك ابن مسعود، فقال: ألا تسألوني مم أضحك؟ فقالوا: مم تضحك؟ قال: هكذا ضحك رسول الله صلى الله عليه وسلم، فقالوا: مم تضحك يا رسول الله؟ قال: من ضحك رب العالمين حين قال: أتستهزئ مني وأنت رب العالمين؟ - فيقول: إني لا أستهزئ منك، ولكني على ما أشاء قادر. (وفي رواية: قدير).
سیدنا انس رضی اللہ عنہ، سیدنا عبداللہ بن مسعود رضی اللہ عنہ سے بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: سب سے آخر میں جنت میں داخل ہونے والے آدمی کی کیفیت یہ ہو گی کہ وہ (‏‏‏‏ ‏‏‏‏جہنم سے نکلنے کے لیے) چلتے چلتے منہ کے بل گرے گا، آگ اس کے چہرے کو جھلستی رہے گی۔ جب وہ جہنم سے گزر جائے گا تو اسے مخاطب ہو کر کہے گا: وہ ذات بابرکت ہے جس نے مجھے تجھ سے نجات دلائی اور مجھے (‏‏‏‏تجھ سے آزاد کر کے) جو کچھ عطا کیا وہ پہلوں اور پچھلوں میں سے کسی کو نہیں دیا۔ اتنے میں اسے ایک درخت نظر آئے گا، وہ کہے گا: میرے ربّ! مجھے اس درخت کے قریب پہنچا دے تاکہ میں اس کا سایہ حاصل کر سکوں اور وہاں کا پانی پی سکوں۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: اے آدم کے بیٹے! (‏‏‏‏پہلے یہ معاہدہ کر کہ) اگر میں تیرا یہ مطالبہ پورا کر دوں، تو تو کسی اور چیز کا سوال نہیں کرے گا؟ وہ کہے گا: نہیں، اے میرے ربّ! وہ اللہ تعالیٰ سے عہد و پیمان کرے گا کہ مزید کسی چیز کا مطالبہ نہیں کرے گا، لیکن (‏‏‏‏آگے چل کر) اس کا ربّ اس کو معذور سمجھے گا کیونکہ وہ جانتا ہے کہ یہ (‏‏‏‏بندہ) صبر نہیں کر سکے گا۔ اللہ تعالیٰ اسے اس درخت کے قریب کر دے گا، وہ اس کے سائے میں آرام کرے گا اور پانی پیئے گا۔ اتنے میں اسے اس درخت کی بہ نسبت ایک اور خوبصورت درخت نظر آئے گا۔ وہ کہے گا: ‪‬ اے میرے ربّ! مجھے فلاں درخت کے قریب کر دے، تاکہ میں اس کا پانی پی سکوں اور اس کے سائے میں آرام کر سکوں اور میں وعدہ کرتا ہوں کہ مزید کوئی سوال نہیں کروں گا۔ اللہ تعالیٰ ٰ فرمائے گا: ابن آدم! کیا تو نے مجھ سے مزید مطالبہ نہ کرنے کا معاہدہ نہیں کیا تھا؟ اب اگر میں تجھے اس درخت تک پہنچا دوں، تو تو مزید کوئی مطالبہ تو نہیں کرے گا؟ وہ آئندہ کوئی سوال نہ کرنے کا عہد و پیمان کرے گا۔ لیکن اس کا ربّ اسے آئندہ بھی معذور سمجھے گا کیونکہ اسے علم ہے کہ وہ صبر نہیں کر سکے گا۔ اللہ تعالیٰ اسے (‏‏‏‏دوسرے) درخت کے پاس پہنچا دے گا، وہ اس کے سائے میں بیٹھے گا اور وہاں کا پانی پئیے گا۔ اتنے میں اسے پہلے دونوں درختوں سے حسین تیسرا درخت دکھائی دے گا، جو جنت کے دروازے کے قریب ہو گا۔ وہ (‏‏‏‏عدم صبری کا مظاہرہ کرتے ہوئے) دعا کرے گا: اے میرے ربّ! مجھے اس درخت کے قریب کر دے، تاکہ میں اس کا سایہ حاصل کر سکوں اور وہاں کا پانی پی سکوں اور مزید میں تجھ سے کوئی سوال نہیں کروں گا۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: ابن آدم! کیا تو نے مجھ سے پہلے یہ معاہدہ نہیں کیا تھا کہ مزید کسی چیز کا مطالبہ نہیں کرے گا؟ وہ کہے گا: کیوں نہیں، اے میرے ربّ! بس یہی مطالبہ ہے، اس کے بعد کسی چیز کی سوال نہیں کروں گا، لیکن اس کا ربّ اسے معذور سمجھے گا، کیونکہ وہ (‏‏‏‏آئندہ) ایسی چیزیں دیکھے گا جن پر صبر نہیں کر سکے گا۔ اللہ تعالیٰ اسے (‏‏‏‏اس تیسرے درخت کے) قریب کر دے گا۔ جب وہ اس کے قریب پہنچے گا تو جنت والوں کی آوازیں سنے گا اور کہے گا: اے میرے ربّ! مجھے جنت میں داخل ہی کر دے۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: کون سی چیز مجھے تیری دعا قبول کرنے سے روک سکتی ہے؟ (‏‏‏‏ میں تو قادر مطلق ہوں۔ اے میرے بندے!) اگر میں تجھے دنیا اور اس کی مثل ایک اور دنیا کے برابر دے دوں تو تو راضی ہو جائے گا؟ وہ بندہ کہے گا: اے میرے رب! تو جہانوں کا پالنہار ہونے کے باوجود مجھ سے مذاق کرتا ہے؟ (‏‏‏‏یہ تجھے زیب نہیں دیتا) ‏‏‏‏ سیدنا عبداللہ بن مسعود رضی اللہ عنہ ہنس پڑے اور کہا: کیا تم لوگ مجھ سے میرے ہنسنے کے بارے میں دریافت نہیں کرتے؟ انہوں نے کہا: اچھا، ہنسنے کی کیا وجہ ہے؟ بتاؤ۔ انہوں نے کہا: (‏‏‏‏در اصل) رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم اس مقام پر اسی طرح ہنسے تھے، صحابہ (‏‏‏‏رضوان اللہ عنہم اجمعین) نے پوچھا: اے اللہ کے رسول! آپ کیوں ہنسے ہو؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا جب اس بندے نے کہا: (‏‏‏‏اے اللہ!) تو جہانوں کا پالنہار ہونے کے باوجود مجھ سے مذاق کرتا ہے؟ تو اللہ تعالیٰ ہنس پڑے، اس لیے میں بھی ہنس پڑا۔ پھر اللہ تعالیٰ نے فرمایا: میں تجھ سے مذاق نہیں کر رہا، میں تو جو چاہتا ہوں، وہ کرنے پر قادر ہوں۔
حدیث نمبر: 3929
Save to word مکررات اعراب Hindi
- (إن ادنى اهل الجنة منزلة: رجل صرف الله وجهه عن النار قبل الجنة، ومثل له شجرة ذات ظل، فقال: اي رب! قدمني إلى هذه الشجرة؛ فاكون في ظلها! فقال الله: هل عسيت إن فعلت ان تسالني غيرها؟ قال: لا وعزتك! فقدمه الله إليها، ومثل له شجرة ذات ظل وثمر، فقال: اي رب! قدمني إلى هذه الشجرة؛ اكون في ظلها، وآكل من ثمرها! فقال الله له: هل عسيت إن اعطيتك ذلك ان تسالني غيره؟ فيقول: لا وعزتك! فيقدمه الله إليها، فتمثل له شجرة اخرى ذات ظل وثمر وماء، فيقول: اي رب! قدمني إلى هذه الشجرة؛ اكون في ظلها، وآكل من ثمرها، واشرب من مائها! فيقول له: هل عسيت إن فعلت ان تسالني غيره؟ فيقول: لا وعزتك! لا اسالك غيره. فيقدمه الله إليها، فيبرز له باب الجنة، فيقول: اي رب! قدمني إلى باب الجنة؟ فاكون تحت نجاف الجنة، وانظر إلى اهلها! فيقدمه الله إليها، فيرى اهل الجنة وما فيها، فيقول: اي رب! ادخلني الجنة. قال: فيدخله الله الجنة، قال: فإذا دخل الجنة قال: هذا لي؟! قال: فيقول الله عز وجل له: تمن! فيتمنى، ويذكره الله: سل من كذا وكذا؛ حتى إذا انقطعت به الاماني؛ قال الله عز وجل: هو لك، وعشرة امثاله. قال: ثم يدخل الجنة، يدخل عليه زوجتاه من الحور العين، فيقولان له: الحمد لله الذي احياك لنا، واحيانا لك! فيقول: ما اعطي احد مثل ما اعطيت! قال: وادنى اهل النار عذابا؟ ينعل من نار بنعلين؛ يغلي دماغه من حرارة نعليه).- (إنّ أدنَى أهلِ الجنَّةِ منزلةً: رجلٌ صرفَ اللهُ وجهَه عن النارِ قِبَل الجنةِ، ومثّل له شجرةً ذاتَ ظلٍّ، فقالَ: أيْ ربِّ! قدِّمني إلى هذه الشجرةِ؛ فأكونَ في ظلِّها! فقال الله: هل عسيتَ إن فعلتُ أن تسألني غيرها؟ قال: لا وعزَّتكَ! فقدَّمه اللهُ إليها، ومثّل له شجرةً ذاتَ ظلٍّ وثَمرٍ، فقال: أيْ ربِّ! قدّمني إلى هذِه الشجرةِ؛ أكونُ في ظلّها، وآكلُ من ثَمَرها! فقال اللهُ له: هل عسيْتَ إن أعطيتُك ذلكَ أن تسأَلني غيرَه؟ فيقولُ: لا وعزَّتك! فيقدِّمه اللهُ إليها، فتُمثّل له شجرةٌ أخرى ذات ظلٍّ وثمرٍ وماءٍ، فيقولُ: أيْ ربّ! قدّمني إلى هذه الشّجرةِ؛ أكونُ في ظلّها، وآكلُ من ثمرها، وأشربُ من مائها! فيقولُ له: هل عسيتَ إن فعلتُ أن تسأَلني غيرَه؟ فيقولُ: لا وعزَّتك! لا أسأَلكَ غيرَه. فيقدِّمه اللهُ إليها، فيبرز له بابُ الجنّةِ، فيقولُ: أيْ ربِّ! قدّمني إلى بابِ الجنّة؟ فأكونَ تحتَ نجافِ الجنّة، وأَنظرَ إلى أهلها! فيقدّمه اللهُ إليها، فيرَى أهلَ الجنّةِ وما فيها، فيقولُ: أيْ ربِّ! أدْخِلني الجنّةَ. قال: فيدخلُه اللهُ الجنّةَ، قال: فإذا دخلَ الجنّةَ قال: هذا لي؟! قال: فيقولُ الله عزّ وجلّ له: تمنَّ! فيتمنَّى، ويذكِّره اللهُ: سلْ من كذا وكذا؛ حتّى إذا انقطعت به الأمانيُّ؛ قال اللهُ عزّ وجلّ: هو لكَ، وعشَرةُ أمثالهِ. قال: ثمّ يدخلُ الجنّةَ، يدخلُ عليه زوجتَاه من الحورِ العين، فيقولانِ له: الحمْدُ لله الذي أَحياك لنا، وأحيانا لكَ! فيقولُ: ما أُعطِيَ أحدٌ مثْلَ ما أُعطيتُ! قال: وأَدنى أهلِ النّار عذَاباً؟ يُنْعَلُ من نارٍ بنعلينِ؛ يغْلي دماغُه من حرارةِ نعْلَيه).
سیدنا ابوسعید خدری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏اہل جنت میں سب سے ادنیٰ مقام والے آدمی کی تفصیل یہ ہے۔ اللہ تعالیٰ اس کا رخ جہنم سے پھیر کر جنت کی طرف کریں گے، اسے ایک سایہ دار درخت کی شبیہ نظر آئے گی۔ وہ کہے گا: اے میرے ربّ! مجھے اس درخت تک پہنچا دے، تاکہ میں اس کے سائے میں آرام کر سکوں۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: اگر میں ایسے کر دوں تو تو مزید کسی چیز کا سوال تو نہیں کرے گا؟ وہ کہے گا: تیری عزت کی قسم! نہیں کروں گا۔ اللہ تعالیٰ اسے اس درخت تک پہنچا دے گا۔ اتنے میں اسے سایہ دار اور پھل دار درخت نظر آئے گا، وہ کہے گا: اے میرے ربّ! مجھے اس درخت تک آگے لے جا، تاکہ اس کا سایہ حاصل کر سکوں اور اس کا پھل کھا سکوں۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: اگر میں تیرا یہ مطالبہ بھی پورا کر دوں تو تو مزید سوال تو نہیں کرے گا؟ وہ کہے گا: تیری عزت کے قسم نہیں۔ اللہ تعالیٰ اسے وہاں تک پہنچا دے گا۔ اسے وہاں سے سائے، پھل اور پانی والے درخت کی شبیہ دکھائی دے گی، وہ کہے گا: اے میرے ربّ! مجھے اس درخت تک آگے لے جا، تاکہ اس کے سائے میں آرام کر سکوں، اس کا پھل کھا سکوں اور وہاں کا پانی پی سکوں۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: اگر میں ایسا کر دوں تو تو مزید تو کسی چیز کا مطالبہ نہیں کرے گا؟ وہ کہے گا: تیری عزت کی قسم! نہیں کروں گا۔ اللہ تعالیٰ اسے اس درخت تک پہنچا دیں گے۔ وہاں سے اسے جنت کا دروازہ دکھائی دے گا، وہ کہے گا: اے میرے ربّ! مجھے باب جنت تک لے جا، تاکہ جنت کے شیڈ کے نیچے بیٹھ سکوں اور جنتیوں کو دیکھ سکوں۔ اللہ تعالیٰ اسے جنت کے دروازے کے پاس پہنچا دے گا۔ وہ جنت کے لوگوں اور نعمتوں کو دیکھے گا اور کہے گا: اے میرے رب! مجھے جنت میں داخل ہی کر دے۔ اللہ تعالیٰ اسے جنت میں داخل کر دے گا۔ جب وہ جنت میں داخل ہو گا تو پوچھے گا: یہ جگہ میری ہے؟ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: تو تمنا کر۔ وہ تمنا کرے گا اور اللہ تعالیٰ اسے یاد کرائیں گے کہ اس قسم کی نعمتوں کی آرزوئیں کرتا جا، یہاں تک کہ اس کی تمناؤں کی انتہا ہو جائے گی۔ اللہ تعالیٰ فرمائے گا: تجھے تیری تمنا اور اس کا دس گنامزید ملے گا۔ پھر وہ جنت میں (‏‏‏‏اپنے محل میں) داخل ہو گا، دو آہوچشم حوریں اس کے پاس آ کر کہیں گی: ہر قسم کی تعریف اس اللہ کے لیے ہے جس نے تجھے ہمارے لیے اور ہمیں تیرے لیے زندہ کیا۔ وہ کہے گا: جو کچھ مجھے ملا، یہ کسی جنتی کو نہیں دیا گیا۔ اور اہل جہنم میں سب سے کم عذاب والا وہ شخص ہو گا جسے آگ کے دو جوتے پہنائے جائیں گے اور ان کی حرارت کی وجہ سے اس کا دماغ ابلنا شروع ہو جائے گا۔ ‏‏‏‏

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