الاخلاق والبروالصلة اخلاق، نیکی کرنا، صلہ رحمی अख़लाक़, नेकी करना और रहमदिली 1579. فقاہت فی الدین اور حسن اخلاق کن لوگوں کی صفات ہیں 1579. “ दीन का ज्ञान और अच्छा अख़लाक़ किन लोगों में होते हैं ” 1580. فقاہت فی الاسلام کی برتری 1580. “ इस्लाम में दीन के ज्ञान का दर्जा ” 1581. صحابہ کے مابین رشتہ اخوت 1581. “ सहाबा के बीच भाईचारे का रिश्ता ” 1582. راستوں میں بیٹھنے کے حقوق 1582. “ रस्ते को उसका हक़ दिया करो ” 1583. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کا صحابہ کو کنیت سے پکارنا 1583. “ रसूल अल्लाह ﷺ का सहाबा को कुन्नियत से पुकारना ” 1584. شرم و حیا کے فقدان کا انجام 1584. “ शर्म की कमी का नतीजा ” 1585. شرم و حیا کی فضیلت 1585. “ शर्म की फ़ज़ीलत ” 1586. اللہ تعالیٰ سے کیسے شرمایا جائے؟ 1586. “ अल्लाह तआला से कैसे शर्म की जाए ” 1587. بے مقصد گفتگو اور بخل کا انجام 1587. “ बेकार बातों और कंजूसी का नतीजा ” 1588. جھگڑالو شخص اللہ تعالیٰ کو ناپسند ہوتا ہے 1588. “ झगड़ालू व्यक्ति को अल्लाह तआला पसंद नहीं करता है ” 1589. چغل خوری کا مفہوم 1589. “ चुग़ली का क्या मतलब है ” 1590. غیبت کا مفہوم 1590. “ ग़ीबत का क्या मतलब है ” 1591. غیبت کی مثالیں 1591. “ ग़ीबत की मिसालें ” 1592. عذاب سے نجات دلانے والے اور جنت میں داخل کرنے والے اعمال 1592. “ अज़ाब से बचाने वाले और जन्नत में लेजाने वाले कर्म ” 1593. صلہ رحمی 1593. “ रहमदिली यानि सहानुभूति ” 1594. صلہ رحمی کو بحال رکھنے کا ایک طریقہ 1594. “ रहमदिली यानि सहानुभूति से काम लेते रहने का ढंग ” 1595. قطع رحمی کی نحوستیں 1595. “ रहमदिली यानि सहानुभूति से काम न लेने की बुराइयां ” 1596. قطع تعلقی کی سنگینی 1596. “ संबंध तोड़ने की गंभीरता ” 1597. حسن اخلاق اور اس کی فضیلت 1597. “ अच्छा अख़लाक़ और उसकी फ़ज़ीलत ” 1598. حسن اخلاق کی نبوی مثالیں 1598. “ नबियों के अच्छे अख़लाक़ की मिसालें ” 1599. درجہ بدرجہ قرابتداروں سے حسن سلوک کا حکم 1599. “ रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करने का हुक्म ” 1600. تقویٰ اور حسن اخلاق کا فائدہ اور زبان اور شرمگاہ کا وبال 1600. “ तक़वा और अच्छे अख़लाक़ का लाभ ، ज़बान और गुप्तअंगों का बोझ ” 1601. بدخلقی اللہ تعالیٰ کو ناپسند ہے 1601. “ बुरा अख़लाक़ अल्लाह तआला को पसंद नहीं ” 1602. غیظ و غضب سے اجتناب کرنے کی نصیحت 1602. “ ग़ुस्सा करने से बचने की नसीहत ” 1603. مذموم غصے کا علاج 1603. “ बुरे ग़ुस्से का इलाज ” 1604. پہلوان کون؟ 1604. “ पहलवान कौन है ” 1605. اگر کسی سے کسی کی حق تلفی ہو جائے تو دونوں کا انداز کیا ہونا چاہیے؟ 1605. “ किसी का किसी के द्वारा हक़ मारा जाए तो फिर दोनों क्या करें ” 1606. خاموشی بہترین عمل ہے 1606. “ चुप रहना सबसे अच्छा कर्म है ” 1607. حفاظت زبان کی تلقین اور اس کے وبال کا تذکرہ 1607. “ ज़बान की सुरक्षा की नसीहत और उसका बोझ ” 1608. غلاموں اور خادموں کے حقوق 1608. “ ग़ुलामों और सेवकों के अधिकार ” 1609. محب کا محبوب کو اپنی محبت کی خبر دینا 1609. “ जिस से प्यार हो तो उसको अपने प्यार के बारे में बताना ” 1610. محب اپنے محبوب کے ساتھ ہو گا 1610. इन्सान उसके साथ होगा जिस से प्यार करता है 1611. اللہ تعالیٰ کے لیے محبت کا صلہ 1611. अल्लाह तआला के लिए प्यार करने का बदला 1612. اللہ تعالیٰ کے لیے کسی کی زیارت کا صلہ 1612. अल्लाह तआला के लिए किसी से मिलने का बदला 1613. نرمی کی فضیلت 1613. नरमी की फ़ज़ीलत 1614. قیدیوں سے نرمی برتنا 1614. क़ैदियों से नरम व्यवहार करना 1615. عورتوں سے نرمی کرنا 1615. औरतों से नरम व्यवहार करना 1616. وفائے عہد اور نرم مزاجی کی فضیلت 1616. वादा पूरा करना और नरम व्यवहार की फ़ज़ीलत 1617. نرم و گداز دلوں کی فضیلت 1617. नरम दिल की फ़ज़ीलत 1618. رحمدلی اور درگزر کرنے کی فضیلت 1618. रहमदिली और क्षमा करने की फ़ज़ीलत 1619. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی اہل و عیال کے ساتھ رحمدلی 1619. “ अपने परिवार के साथ नबी ﷺ की रहमदिली ” 1620. مسلمان کا خواب اور خواب کی اقسام 1620. “ मुसलमान का सपना और सपनों के प्रकार ” 1621. جھوٹا خواب بیان کرنا بھی جھوٹ ہے 1621. “ झूठा सपना बताना भी झूठ है ” 1622. مسلمان پر اسلحہ سونتنا ملعون فعل ہے 1622. “ मुसलमान पर हथियार उठाना अपराध है ” 1623. سوئے ظن کو طول دینا 1623. “ बुरे गुमान को देर तक रखना ” 1624. مصافحہ کی فضیلت 1624. “ हाथ मिलाने की फ़ज़ीलत ” 1625. فوت شدہ والدین کی طرف سے حج کرنا 1625. “ मरे हुए माता-पिता की ओर से हज्ज करना ” 1626. چھ اعمال کی ضمانت پر جنت کی ضمانت 1626. “ छह कर्मों की ज़मानत पर जन्नत की ज़मानत ” 1627. والدین کی عظمت 1627. “ माता-पिता की महानता ” 1628. والدین کے حکم پر بیوی کو طلاق 1628. “ माता-पिता के कहने पर पत्नी को तलाक ” 1629. والدین کی رضامندی، اللہ تعالیٰ کی خوشنودی کے لیے معیار 1629. “ माता-पिता को ख़ुश रकना यानि अल्लाह को ख़ुश करना ” 1630. والدین کے نافرمان، شرابی، احسان جتلانے والے اور دیوث کی مذمت 1630. “ माता-पिता की अवज्ञाकारी न करने वाले ، शराबी ، एहसान जतलाने वाले और बेशर्म की निंदा ” 1631. برائی کا اثر زائل کرنا 1631. “ बुराई के प्रभाव को मिटाना ” 1632. سلام عام کرنا، کھانا کھلانا اور اللہ تعالیٰ سے شرمانا 1632. “ सलाम को फैलाना ، खाना खिलाना ओर अल्लाह से शर्माना ” 1633. سلام میں پہل کرنے والا افضل ہے 1633. “ पहले सलाम करने वाला अफ़ज़ल है ” 1634. سلام نہ کرنے والا انتہائی بخیل ہے 1634. सलाम न करने वाला बहुत कंजूस होता है ” 1635. بچوں کو سلام کہنا 1635. “ बच्चों को सलाम करना ” 1636. مؤمن کو خوش کرنا عظیم عمل ہے 1636. “ मोमिन को ख़ुश करना एक महान कर्म है ” 1637. صلح کروانا بھی صدقہ ہے 1637. “ मेल-मिलाप करवाना भी एक सदक़ह है ” 1638. نرم مزاج اور ہر دلعزیز لوگوں کی فضیلت 1638. “ नरम स्वभाव और लोकप्रिय लोगों की फ़ज़ीलत ” 1639. افضل لوگوں کا بیویوں کے ساتھ رویہ 1639. “ अच्छे लोगों का अपनी पत्नियों के साथ व्यवहार ” 1640. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی بعثت کا مقصد 1640. “ रसूल अल्लाह ﷺ की नबवत का कारण ” 1641. میاں بیوی ایک دوسرے کے ہم راز ہیں 1641. “ पति-पत्नी एक दुसरे का राज़ रखने वाले होते हैं ” 1642. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی انصار صحابہ سے محبت 1642. “ रसूल अल्लाह ﷺ का अन्सारी साहबा से प्यार ” 1643. جھوٹ سنگین جرم ہے 1643. “ झूठ बोलना एक गंभीर अपराध है ” 1644. بطور مذاق جھوٹ بولنا منع ہے 1644. “ मज़ाक़ के तौर पर भी झूठ बोलना मना है ” 1645. اسلام میں لوگوں کی اقسام 1645. “ इस्लाम में लोगों के प्रकार ” 1646. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم، فرزندان امت کے باپ اور زوجات رسول ان کی مائیں ہیں 1646. “ रसूल अल्लाह ﷺ उम्मत के पिता और उनकी पत्नियां उम्मत की मां हैं ” 1647. نبی کا ظاہر اور باطن یکساں ہوتا ہے 1647. “ नबी अंदर से और बाहर से भी एक जैसा होता है ” 1648. سات مامورات نبویہ 1648. “ नबी की और से सात मामलों का हुक्म ” 1649. انبیا کی عاجزی و انکساری 1649. “ नबियों की नरम दिली ” 1650. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی عاجزی 1650. “ रसूल अल्लाह की नरम दिली ” 1651. عاجزی و انکساری کی فضیلت 1651. “ नरम दिली की फ़ज़ीलत ” 1652. عاجزی و انکساری اختیار کرنا 1652. “ नरम दिली को अपनाना ” 1653. عاجزی و انکساری کی علامتیں 1653. “ नरम दिली की निशानियां ” 1654. کلمہ طیبہ سے گناہوں کے اثرات زائل ہو جاتے ہیں 1654. “ कालिमा तय्यबा से पापों के प्रभाव मिट जाते हैं ” 1655. ایمان، اللہ تعالیٰ کی محبت کی دلیل ہے 1655. “ ईमान अल्लाह तआला से प्यार का सबूत है ” 1656. اللہ تعالیٰ کی طرف سے مہلت کا انجام 1656. “ अल्लाह तआला की ओर से दी गई आसानी का नतीजा ” 1657. گفتگو میں تصنع 1657. “ मुंह बनाकर बातचीत करना ” 1658. جہنمی اور جنتی لوگوں کی صفات 1658. “ जहन्नमी ओर जन्नती लोगों की विशेषताएं ” 1659. ہر عروج کو زوال ہے 1659. “ हर उठान में गिरावट है ” 1660. مؤمنانہ صفات اور منافقانہ خصائل اور دونوں کے تقاضے 1660. “ मोमिन की अच्छाइयां और मुनाफ़िक़ की बुराइयां ” 1661. والدین کے حق میں اولاد کی دعا کی برکتیں 1661. “ माता-पिता के लिए बच्चों की दुआ की बरकत ” 1662. دلوں کو دلوں سے راہ ہوتی ہے 1662. “ दिल से दिल तक रस्ता होता है ” 1663. مسئولیت و امارت 1663. “ ज़िम्मेदारी और सरदारी ” 1664. بندگان خدا کا صبر و تحمل اور رحم و کرم 1664. “ अल्लाह के बंदों का सब्र ، सहनशीलता और रहम दिली ” 1665. اللہ اور اس کے رسول کا محبوب بننا کیسے ممکن ہے؟ 1665. “ अल्लाह और उसके रसूल का प्रिय होना कैसे संभव है ? ” 1666. اللہ تعالیٰ کے اولیا کی صفات 1666. “ अल्लाह के दोस्तों की निशानियां ” 1667. تصنع اور تکلف سے گفتگو کرنا ناپسندیدہ ہے 1667. “ बनावट से बात चीत करना पसंद नहीं किया गया ” 1668. زیادہ آزمائشوں میں مبتلا ہونے والے لوگ 1668. “ वे लोग जो सबसे अधिक आज़माइश में हैं ” 1669. بڑی مفسدت سے بچنے کے لیے چھوٹی مفسدت کا ارتکاب کرنا درست ہے 1669. “ बड़ी बुराई से बचने के लिए छोटी बुराई कर लेना ठीक है ” 1670. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ہر کسی کا مطالبہ پورا کرنے والے تھے 1670. “ नबी ﷺ सभी की मांग पूरी करते थे ” 1671. اچانک پہنچنے والی تکلیف پر ”بسم اللہ“ پڑھنا چاہئے 1671. “ दर्द के अचानक शुरू होने पर “ बिस्मिल्लाह ” « بِسْمِ اللَّـه » पढ़ना चाहिए ” 1672. حکمرانوں کے حقوق ادا کرنا 1672. “ शासकों के हक़ का भुगतान करना ” 1673. نیک و بد ہم نشینوں کی مثال 1673. “ अच्छे और बुरे साथियों की मिसाल ” 1674. کھانا کھلانا جنت کا سبب ہے 1674. “ खाना खिलाना जन्नत का कारण है ” 1675. گھروں کی آبادی اور عمروں میں اضافہ 1675. “ घरों की आबादी और आयु में वृद्धि ” 1676. غلام سے پردہ ضروری نہیں 1676. “ ग़ुलाम से पर्दा ज़रूरी नहीं है ” 1677. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی مصلحت پسندی 1677. “ रसूल ﷺ की अच्छी नीति ” 1678. آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا کی رضا مندی یا ناراضگی کی علامت 1678. “ आप ﷺ का हज़रत आयशा की ख़ुशी या नाराज़गी को पहचान जाना ” 1679. عوام الناس کی تعریف یا مذمت کی اہمیت 1679. “ आम आदमी की तअरीफ़ और निंदा की एहमियत ” 1680. چھ مجرم 1680. “ छह अपराधी ” 1681. بدکلامی کا نتیجہ 1681. “ बुरी भाषा का नतीजा ” 1682. میدان حشر میں حقوق العباد میں کی گئی کم و کاست کا تصفیہ 1682. “ क़यामत के दिन जीवों के अधिकारों में कमियों का निपटान ” 1683. سخت دل لوگ خسارے میں 1683. “ घाटे में रहने वाले कठोर लोग ” 1684. دنیا میں ہی مظلوم سے معذرت کر نا 1684. “ दुनिया में जिन पर ज़ुल्म किया उन लोगों से माफ़ी मांगना ” 1685. متقی، ہدایت یافتہ، حاکم، عالم، معزز، غنی اور حقیر لوگوں کی علامات 1685. “ पवित्र ، सीधा रस्ता पाने वाले ، शासक, विद्वान ، सम्माननीय ، धनी और नीच लोगों की निशानियां ” 1686. مسلمان سے لڑنا کفر اور اس کو گالی دینا فسق ہے 1686. “ एक मुसलमान से लड़ना कुफ्ऱ है और उसे गाली देना दुर्व्यवहार है ” 1687. ہر انسان کا نصیب اس کی گردن میں ہے 1687. “ हर इंसान की नियति उसकी गर्दन में है ” 1688. سفید بالوں کو رنگنا 1688. “ सफ़ेद बालों का रंगना ” 1689. اولاد سے مساوی سلوک کرنا 1689. “ बच्चों के साथ एक जैसा व्यवहार करना ” 1690. منافق کی علامتیں 1690. “ मुनाफ़िक़ की निशानियां ” 1691. قیلولہ کرنے کا حکم اور وجہ 1691. “ क़ेलुला करने ( यानि दोपहर खाने के बाद सोने ) का हुक्म और कारण ” 1692. یتیم کی کفالت کا اجر و ثواب 1692. “ अनाथ के पालन पोषण का सवाब और बदला ” 1693. کیا شعر و شاعری قابل نفرت ہے 1693. “ क्या कविता कहना नफ़रत वाली बात है ” 1694. گھر والوں سے اجازت لینے کا طریقہ 1694. “ परिवार से अनुमति कैसे लें ” 1695. دستک دینے کا طریقہ 1695. “ दस्तक कैसे दें ” 1696. اجازت سے پہلے کسی کے گھر میں جھانکنا منع ہے 1696. “ बिना अनुमति किसी के घर में झांकना मना है ” 1697. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پیچھے فرشتوں کا چلنا 1697. “ आप ﷺ के पीछे फ़रिश्तों का चलना ” 1698. فاسق کے بیانات کی تحقیق کرنا 1698. “ झूठे लोगों के बयानों की जाँच करें ” 1699. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم صحابہ کی معاونت کرنا 1699. “ रसूल अल्लाह ﷺ अपने साथियों का सहयोग करते थे ” 1700. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی شفاعت کیسے ممکن ہے؟ 1700. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हिमायत कैसे संभव है ” 1701. دربار نبوی میں لوگوں کا احترام 1701. “ रसूल अल्लाह ﷺ के दरबार में लोगों का सम्मान ” 1702. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا ضعیف صحابہ کا خیال رکھنا 1702. “ रसूल अल्लाह ﷺ कमज़ोर सहाबा का ध्यान रखते थे ” 1703. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کا اپنی ضروریات خود پوری کرنا 1703. “ रसूल अल्लाह ﷺ का अपनी ज़रूरतें ख़ुद पूरी करना ” 1704. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کا خندق کھودنے میں خود شریک ہونا 1704. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने खाई खोदने में ख़ुद भाग लिया ” 1705. ابتدائے رات کو بچوں کی حفاظت کرنا 1705. “ बच्चों को रात के पहले समय में सुरक्षा देना ” 1706. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا حسن و حسین رضی اللہ عنہما کا خیال رکھنا 1706. “ रसूल अल्लाह ﷺ का हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा का ध्यान रखना ” 1707. افضل لوگوں کی صفات 1707. अफ़ज़ल लोगों की विशेषताएँ ” 1708. پڑوسیوں کے حقوق 1708. पड़ोसियों के अधिकार ” 1709. کسی پر لعنت کرنا کبیرہ گناہ ہے 1709. “ किसी पर लाअनत भेजना बड़ा पाप है ” 1710. اللہ تعالیٰ کے ہاں ملعون لوگ 1710. “ वे लोग जिन पर अल्लाह तआला की लाअनत ” 1711. انصار کی میزبانی کا اعلیٰ انداز 1711. “ अन्सारियों का मेज़बानी करने का अच्छा तरीक़ा ” 1712. آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر ابلیس کا حملہ اور ناکامی 1712. “ आप ﷺ पर शैतान का हमला और असफलता ” 1713. چھوٹوں سے پیار اور بڑوں کا احترام 1713. “ छोटों से प्यार करो और बड़े लोगों का सम्मान करो ” 1714. مسجد میں قبلہ والی سمت میں تھوکنا 1714. “ मस्जिद में क़िब्ले की दिशा में थूकना ” 1715. امت مسلمہ کے حق میں ضرر رسان امور 1715. “ मुसलमानो के लिए हानिकारक मामले ” 1716. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا بعض افراد کے بارے میں سوئے ظن رکھنا 1716. “ नबी ﷺ को कुछ लोगों पर शक था ” 1717. حسن صحبت 1717. “ अच्छी संगत ” 1718. اصل بے اولاد کون؟ 1718. “ असल में बिना औलाद कौन है ” 1719. بغاوت اور قطع رحمی سنگین جرائم ہیں 1719. “ विद्रोह और बेरहमी गंभीर अपराध हैं ” 1720. غرور و تکبر اللہ تعالیٰ کو ناپسند ہے 1720. “ घमंड और अहंकार अल्लाह तआला को पसंद नहीं ” 1721. غرور و تکبر کا وبال 1721. “ घमंड और अहंकार का बोझ ” 1722. خود پسندی و خود سری کا وبال 1722. “ स्वार्थ का बोझ ” 1723. ہرکس و ناکس کے لیے امور خیر کا تعین 1723. “ आग से बचाने वाले कर्म ” 1724. مسلمان کا قرضہ ادا کرنا افضل عمل ہے 1724. “ मुसलमान का क़र्ज़ चुकाना अच्छा कर्म है ” 1725. مسلمان کا مال ناحق غصب کرنے کا انجام 1725. “ मुसलमानों के माल पर नाजाइज़ क़ब्ज़ा करने का नतीजा ” 1726. مسلمان کے سفید بالوں کی فضیلت 1726. “ मुसलमान के सफ़ेद बालों की फ़ज़ीलत ” 1727. مدینہ منورہ میں سکونت اختیار کرنے کی فضیلت 1727. “ मदीने में रहने की फ़ज़ीलत ” 1728. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف جھوٹی بات منسوب کرنا 1728. “ रसूल ًअल्लाह ﷺ के साथ झूठी बातों को जोड़ना ” 1729. مومن بھولا بھالا ہوتا ہے 1729. “ मोमिन भोला भाला होता है ” 1730. مکر و فریب کا انجام جنہم ہے 1730. “ धोखे का अंत जहन्नम है ” 1731. مومن کی صفات 1731. “ मोमिन की विशेषताएँ ” 1732. انصار کی فضیلت 1732. “ अन्सारियों की फ़ज़ीलत ” 1733. قبل از قیامت ظاہر ہونے والی برائیاں 1733. “ क़यामत से पहले होने वाली बुराइयां ” 1734. سبیل اللہ کی اقسام 1734. “ अल्लाह तआला के लिए करने वाले कर्म ” 1735. اجر کب ملتا ہے؟ 1735. “ बदला कब मिलता है ” 1736. مہمان نوازی سے محروم، خیر و بھلائی سے محروم 1736. “ मेहमान की मेज़बानी न करने का मतलब भलाई न पाना 1737. بندہ کب تک یتیم رہتا ہے؟ 1737. “ बंदा अनाथ कब तक रहता है ” 1738. حسد، خیر و بھلائی کا دشمن ہے 1738. “ हसद ( यानि जलन ) भलाई की दुश्मन है ” 1739. دلوں کو راہ راست پر لانے کے لیے زبان کا کردار 1739. “ दिलों को सच्चे रस्ते पर लाने के लिए भाषा की एहमियत ” 1740. امہات المؤمنین کے حق میں مہربان لوگ سچے اور صابر تھے 1740. “ मोमिनों की माताओं के लिए दयालु लोग सच्चे और सब्र करने वाले थे ” 1741. دورخا آدمی امانتدار نہیں ہوتا 1741. “ दो मुंह वाला ( यानि दोग़ला ) आदमी भरोसेमंद नहीं होता ” 1742. مومن لعن طعن کرنے والا نہیں ہوتا 1742. “ मोमिन लाअनत करने वाला नहीं होता ” 1743. خاوند کا بیوی کی تمنائیں پوری کرنا، گانے اور موسیقی کی حقیقت اور حکم 1743. “ पति का पत्नी की इच्छाओं को पूरा करना ، गीतों और संगीत की हक़ीक़त और हुक्म ” 1744. جنتی اور جہنمی افراد کی اقسام 1744. “ जन्नती और जहन्नमी लोगों के प्रकार ” 1745. دنیوی نعمتیں رضائے ربانی کی دلیل نہیں 1745. “ दुनिया की नेमतें रब्ब की ख़ुशी का सबूत नहीं हैं ” |
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा الاخلاق والبروالصلة اخلاق، نیکی کرنا، صلہ رحمی अख़लाक़, नेकी करना और रहमदिली اللہ تعالیٰ سے کیسے شرمایا جائے؟ “ अल्लाह तआला से कैसे शर्म की जाए ”
سیدنا سعید بن زید انصاری رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ ایک آدمی نے کہا: اے الله کے رسول! مجھے نصیحت فرمائیں۔ آپ صلی الله علیہ وسلم نے فرمایا: ”میں تجھے نصیحت کرتا ہوں کہ تو الله تعالیٰ سے اس طرح شرم کر جس طرح تو اپنی قوم کے نیکوکار شخص سے شرماتا ہے۔“
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