الاضاحي والزبائح والاطعمة والاشربة والعقيقة والرفق بالحيوان قربانی، ذبیحوں، کھانے پینے، عقیقے اور جانوروں سے نرمی کرنے کا بیان क़ुरबानी, ज़ब्हा करना, खानापीना, अक़ीक़ा और जानवरों के साथ नरमी करना 1208. شراب کی حرمت 1208. “ शराब का हराम होना ” 1209. ہر نشہ آور چیز حرام ہے 1209. “ हर नशे वाली चीज़ हराम है ” 1210. شرابی کی شدید مذمت 1210. “ शराबी की कड़ी निंदा ” 1211. شراب کی وجہ سے نو افراد پر لعنت 1211. “ शराब के कारण नौ लोगों पर लाअनत ” 1212. شراب ہر شر کی بنیاد ہے 1212. “ शराब सभी बुराइयों की जड़ है ” 1213. شراب کس چیز سے بنائی جاتی ہے؟ 1213. “ शराब किस चीज़ से बनाई जाती है ” 1214. ایک دفعہ شراب پینے سے چالیس روز نماز قبول نہیں ہوتی 1214. “ एक बार शराब पीने के बाद चालीस दिनों तक नमाज़ स्वीकार नहीं की जाती ” 1215. کسی چیز کا نام تبدیل کرنے سے اس کا حکم نہیں بدلتا 1215. “ किसी चीज़ का नाम बदलने से उसका हुक्म नहीं बदलता ” 1216. نبیذ کتنی دیر تک استعمال کی جا سکتی ہے؟ 1216. “ नबीज़ का उपयोग कब तक किया जा सकता है ? ” 1217. نبیذ کب حرام ہوتی ہے؟ 1217. “ नबीज़ कब हराम होती है ” 1218. کس برتن میں آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے لیے نبیذ بنایا جاتا؟ 1218. “ किस बरतन में आप ﷺ के लिए नबीज़ बनाया जाता ” 1219. عقیقہ میں کتنے اور کون سے جانور ذبع کئے جائیں؟ 1219. “ अक़ीक़ह में कितने और कौन से जानवर ज़िब्हा किये जाएं ” 1220. عقیقہ والے نومولود کو خوشبو لگانا 1220. “ अक़ीक़ह वाले नवजात को ख़ुश्बू लगाना ” 1221. بڑے ہو کر اپنی طرف سے عقیقہ کرنا 1221. “ बड़े हो कर अपनी ओर से अक़ीक़ह करना ” 1222. بار بردار جانوروں کی راحت کا خیال رکھنا، سب سے پہلے اسلام نے جانداروں سے نرمی برتنے کی تعلیم دی 1222. “ पालतू जानवरों के आराम का ध्यान रखना ، इस्लाम ने सबसे पहले जानवरों से नरमी बरतने की शिक्षा दी ” 1223. جانور کو چہرے پر مارنا یا داغنا ملعون عمل ہے 1223. “ पालतू जानवरों के मुंह पर मारना या दाग़ना लाअनत वाला कर्म है ” 1224. ذبح ہونے والے جانور کے حقوق 1224. “ ज़िब्हा होने वाले जानवरों के अधिकार ” 1225. کھانے پینے کے آداب 1225. “ खाने पीने के नियम ” 1226. کھانے کی ابتداء و انتہا میں اللہ تعالیٰ کا ذکر کرنا 1226. “ खाने के शुरु में और अंत में अल्लाह को याद करना ” 1227. اگر آدمی کھانے کی ابتداء میں ”بسم اللہ“ پڑھنا بھول جائے 1227. “ यदि आदमी खाने के शुरू में बिस्मिल्लाह “ بسم اللہ ” पढ़ना भूल जाए ” 1228. برتن میں سانس لینا منع ہے 1228. “ बरतन में साँस लेना मना है ” 1229. کھڑے ہو کر پانی پینا کیسا ہے؟ 1229. “ खड़े हो कर पानी पीना केसा है ” 1230. زمزم کا پانی کھانے کا کھانا ہے 1230. “ ज़म ज़म का पानी भरपूर खाना है ” 1231. کھانے پینے کے بعد اللہ تعالیٰ کی حمد بیان کرنے کا صلہ 1231. “ खाने पीने के बाद अल्लाह तआला की ताअरीफ़ करने का बदला ” 1232. دودھ جیسی نعمت کے تقاضے 1232. “ दूध जैसी नेमत की आवश्यकता ” 1233. دودھ پینے کی دعا اور اس کی اہمیت 1233. “ दूध पीने की दुआ और उसकी एहमियत ” 1234. مشروب میں گرنے والی مکھی کو نکالنے کا طریقہ اور وجہ 1234. “ शर्बत में गिरने वाली मक्खी को निकालने का ढंग और क्यों ? ” 1235. کھانا کھانے کے بعد ہاتھ دھونا اور اس کی وجہ 1235. “ खाने के बाद हाथ धोना और क्यों ? ” 1236. چکناہٹ والی چیزوں کے بعد کلی کرنا 1236. “ चिकनी चीज़ों के बाद कुल्ला करना ” 1237. غلاموں اور خادموں کے حقوق 1237. “ ग़ुलामों और सेवकों के अधिकार ” 1238. دعوت قبول کرنا 1238. “ दावत स्वीकार करना चाहिए ” 1239. اگر روزہ دار کو دعوت دی جائے تو وہ کیا کہے 1239. “ यदि रोज़ेदार को दावत दी जाए तो वह क्या कहे ” 1240. شکار کے احکام 1240. “ शिकार के नियम ” 1241. سفر کے آداب 1241. “ यात्रा के नियम ” 1242. ہمسائیوں کے حقوق 1242. “ पड़ोसियों के अधिकार ” 1243. صدقے کا ہدیے میں تبدیل ہونا 1243. “ सदक़ह का उपहार में बदल जाना ” 1244. کھانا کھلانے، شیریں گفتگو کرنے اور اس کی ترغیب 1244. “ खाना खिलने और अच्छी बात करने की नसीहत ” 1245. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی کھجوروں میں معجزانہ برکت 1245. “ रसूल अल्लाह ﷺ की खजूरों में चमत्कारी बरकत ” 1246. مجبوری میں مردار کھانا جائز ہے 1246. “ मजबूरी में मरा हुआ खाना जाइज़ है ” 1247. چیز کے حلال ہونے کی تحقیق کرنا 1247. “ चीज़ के हलाल होने की जांच करना ” 1248. پانی ملا پتلا دودھ 1248. “ पानी मिला हुआ पतला दूध ” 1249. سونے اور چاندی کے برتن استعمال کرنا حرام ہیں 1249. “ सोने और चांदी के बर्तनों का उपयोग करना हराम है ” 1250. ٹوٹے ہوئے برتن میں کھانا پینا منع ہے 1250. “ टूटे हुए बर्तन में खाना या पीना मना है ” 1251. تمام برتنوں کے استعمال کی اجازت 1251. “ सभी बर्तनों का उपयोग करने की अनुमति ” 1252. ہر اچھے کام میں دائیں ہاتھ اور دائیں جانب کو مقدم کرنا 1252. “ हर अच्छे काम को दाहिने हाथ और दाहिनी ओर से करना ” 1253. آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے بدو لوگوں کے کھانے سے منع فرمایا 1253. “ आप ﷺ ने बदु लोगों के खाने से मना किया ” 1254. اکھٹا کھانا کھانے کی برکت 1254. “ साथ में खाना खाने की बरकत ” 1255. آپ صلی اللہ علیہ وسلم اور صحابہ کرام ایک بڑی صحنک میں اکٹھا کھانا کھاتے 1255. “ आप ﷺ और सहाबा कराम एक बड़े थाल में साथ में खाना खाते थे ” 1256. مردار سے استفادہ کرنا کیسا ہے؟ 1256. “ मरे हुए जानवर से लाभ उठाना केसा है ” 1257. مردار کا چمڑا پاک کیا جا سکتا ہے 1257. “ मरे हुए जानवर की खाल को साफ़ किया जा सकता है ” 1258. دو مردار اور دو خون حلال ہیں 1258. “ दो मरे हुए और दो ख़ून हलाल हैं ” 1259. اپنی قربانی کا گوشت کھانا 1259. “ अपनी क़ुरबानी का मांस खाना ” 1260. قربانی کا وقت 1260. “ क़ुरबानी का समय ” 1261. قربانی کا گوشت ذخیرہ کرنا درست ہے 1261. “ क़ुरबानी का मांस जमा करके रखना ठीक है ” 1262. ثرید بابرکت کھانا ہے 1262. “ सुरेद बरकत वाला खाना है ” 1263. صدقہ میں دیا جانے والا مال باقی ہے 1263. “ सदक़ह यानि दान में दिया गया धन बना रहता है ” 1264. کھجور کی خیر و برکت 1264. “ खजूर की अच्छाई और बरकत ” 1265. سرکہ کی خیر و برکت 1265. “ सिरके की अच्छाई और बरकत ” 1266. کھجور کی بہترین قسم ”برنی“ ہے 1266. “ सबसे अच्छी खजूर बरनी है ” 1267. جانور دوہتے وقت دودھ کی کچھ مقدار تھنوں میں باقی چھوڑنے کا حکم اور وجہ 1267. “ जानवर का दूध निकालते समय दूध की कुछ मात्रा छोड़ने का हुक्म और क्यों ? ” 1268. اللہ تعالیٰ کو خاکستری رنگ والا جانور زیادہ پسند ہے 1268. “ अल्लाह तआला को ख़ाकी रंग का जानवर बहुत पसंद है ” 1269. آگ پر پکی ہوئی چیز سے وضو کرنا منسوخ ہو گیا 1269. “ आग पर पकी हुई चीज़ खाने के बाद वुज़ू करना ज़रूरी नहीं ” 1270. کھجور کا کھجور سے تبادلہ اور اس کا طریقہ کار 1270. “ खजूर का खजूर से आदान-प्रदान और उसका तरीक़ा ” 1271. ولیمہ بدترین کھانا کیوں ہے؟ 1271. “ वलीमे का खाना सबसे बुरा क्यों है ” 1272. رات کو برتنوں کو ڈھانپنے کی وجہ 1272. “ रात में बर्तनों को ढकने का कारण ” 1273. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا چوہے کے بارے شبہ 1273. “ रसूल अल्लाह ﷺ का चूहों के बारे में संदेह ” 1274. بیویوں کے ساتھ دلگی 1274. “ पत्नियों के साथ दिल्ल्गी ” 1275. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا پسندیدہ مشروب 1275. “ रसूल अल्लाह ﷺ का पसंदीदा शर्बत ” 1276. میٹھی اور ٹھنڈی چیز آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو پسند تھی 1276. “ मीठी और ठंडी चीज़ रसूल अल्लाह ﷺ को पसंद थी ” 1277. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی پسندیدہ بوٹی 1277. “ रसूल अल्लाह ﷺ को मांस का कौन सा भाग पसंद था ” 1278. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی پسندیدہ سبزی 1278. “ वह सब्ज़ी जो रसूल अल्लाह ﷺ को पसंद थी ” 1279. تربوز کی ٹھنڈی تاثیر اور کھجور کی حرارت کا اثر کیسے ختم کیا جائے؟ 1279. “ तरबूज़ के ठंडे प्रभाव और खजूर की गर्मी को कैसे ख़त्म करें ? ” 1280. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی سادگی 1280. “ रसूल अल्लाह ﷺ की सादगी ” 1281. درندوں کی حرمت 1281. “ दरिन्दों का हराम होना ” 1282. ذبح کرنے والا آلہ کیسا ہو؟ 1282. “ ज़िब्हा करने वाला उपकरण कैसा हो ” 1283. زیتون کے تیل کی فضیلت 1283. “ ज़ैतून के तेल की फ़ज़ीलत ” 1284. کچا لہسن اور پیاز کھانا کیسا ہے؟ 1284. “ कच्चा लहसुन और प्याज खाना कैसा है ? ” 1285. «لیس علی الذین آمنوا وعملوا الصالحات جناح فیما طعموا» کی تفسیر 1285. «.... لَيْسَ عَلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ » की तफ़्सीर ” 1286. مشروب اور ماکول کی کتنی مقدار استعمال کرنی چاہیئے؟ 1286. “ इन्सान को कितना खाना पीना चाहिए ? ” 1287. حلال کھانے کی تاکید اور وجہ 1287. “ हलाल खाने की नसीहत और कारण ? ” 1288. مقابلے میں دعوت کرنے والوں کی دعوت قبول نہ کی جائے 1288. “ दो आपस में मुक़ाब्ला करने वालों की दावत स्वीकार नहीं करना चाहिए ” 1289. مشکیزے کے منہ سے بلاواسطہ پینا کیسا ہے؟ 1289. “ मश्क के मुंह से सीधे मुंह लगा कर पानी पीना कैसा है ” 1290. باندھ کر تیر وغیرہ سے مارا جانے والا جانور نہ کھایا جائے 1290. “ ऐसे जानवर जिन्हें तीर आदि से बांध कर मारा जाए ، उन्हें नहीं खाना चाहिए ” 1291. گھریلو گدھا حرام ہے، جبکہ گھوڑا حلال 1291. “ घरेलू गधा हराम है ، जबकि घोड़ा हलाल है ” 1292. جانور کو ذبح کرنے سے پہلے اس کے اعضا کاٹنا منع ہے 1292. “ जानवर को ज़िब्हा करने से पहले उसके किसी अंग को काटना मना है ” 1293. سانڈے کی حلت و حرمت 1293. “ सांडे का मांस पसंद न होना ” |
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा الاضاحي والزبائح والاطعمة والاشربة والعقيقة والرفق بالحيوان قربانی، ذبیحوں، کھانے پینے، عقیقے اور جانوروں سے نرمی کرنے کا بیان क़ुरबानी, ज़ब्हा करना, खानापीना, अक़ीक़ा और जानवरों के साथ नरमी करना دعوت قبول کرنا “ दावत स्वीकार करना चाहिए ”
ابن جریج کہتے ہیں: مجھے ابوزبیر نے خبر دی کہ سیدنا جابر رضی اللہ عنہ نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے سنا: ”جب تم میں سے کوئی اپنے بھائی کو دعوت دے، تو وہ قبول کرے، پھر اگر چاہے تو کھا لے اور چاہے تو نہ کھائے۔“
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