तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर
1. “ अल्लाह तआला की महान क़ुदरत और विशाल बादशाहत ”
2. “ अल्लाह तआला के कभी ख़तम न होने वाले ख़ज़ाने ”
3. “ कायनात के सारे काम अल्लाह तआला की मर्ज़ी से होते हैं ”
4. “ अल्लाह तआला की रहमत और क्रोध के बारे में ”
5. “ अल्लाह तआला की ज़ात की बजाए उसकी नअमतों पर ग़ौर करना चाहिए ”
6. “ अल्लाह तआला के ईश्वर होने और रसूल अल्लाह ﷺ के रसूल होने की गवाही देने की फ़ज़ीलत ”
7. “ पांच मामलों के बारे में केवल अल्लाह ही जनता है ”
8. “ तौहीद : अल्लाह एक और अकेला है यह विश्वास करने के नियम ”
9. “ तौहीद : अल्लाह एक और अकेला है यह विश्वास करने की बरकतें ”
10. “ सारे कर्मों का आधार तौहीद है यानि अल्लाह को एक और अकेला मानना है ”
11. “ अल्लाह तआला को याद करने का कारण ”
12. अल्लाह तआला को याद करने का फल
13. अल्लाह तआला को किस ने पैदा किया ، इसका जवाब
14. «لا إله إلا الله» ज़्याद कहने की नसीहत और इसका कारण
15. अल्लाह तआला को एक और अकेला ईश्वर मानने और रसूल अल्लाह ﷺ को अल्लाह का रसूल मानने का हुक्म
16. मरने वाले को कलिमह शहादत पढ़ने की नसिहत करना
17. शिर्क क्या है ، इसके प्रकार और इसका बोझ
18. क्या तोबा किये बिना मर जाने वाले मुसलमानो को क्षमा कर दिया जाएगा ?
19. इस्लाम स्वीलकार करने के बाद पलट जाना पाप है और क्या इस की तोबा मुमकिन है
20. सवाब कैसे पहुंचाया जा सकता है
21. “ काफ़िरों को मरने के बाद उनके नेक कर्म कोई लाभ नहीं पहुंचाते ”
22. “ इस्लाम लाने के बाद जाहिलियत के समय में की गई नेकियों की एहमियत ”
23. “ अगर कोई मुसलमान हज्ज करने के बाद इस्लाम छोड़ दे और फिर से मुसलमान हो जाए तो क्या उसका किया हुआ हज्ज काफ़ी होगा ”
24. “ इस्लाम लाने के बाद पिछले पापों की पूछताछ कब की जाएगी ”
25. “ ईमान लाने वाले अहले किताब और मुशरिकों के बदले और सवाब में अंतर ”
26. “ वह लोग जन्हें अल्लाह तआला पसंद नहीं करता है ”
27. “ अल्लाह तआला के सिवा किसी और की क़सम खाना मना है ”
28. “ बड़े पापों से बचने की नसिहत ”
29. “ परीक्षाएँ इस उम्मत की तक़दीर हैं ”
30. “ सबसे अच्छा दीन ”
31. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत के लिए तय की गई शरीअत आसान है ”
32. “ बीच रस्ते पर चलते रहने की नसिहत और तरीक़ा ”
33. “ दीन मैं हद से आगे जाना मना है ”
34. “ तक़दीर के बारे में ”
35. “ तक़दीर सच है, लेकिन इन्सान का विकल्प ”
36. “ तक़दीर के बारे में बात करने वाले अच्छे लोग नहीं ”
37. “ पैदा किये जाते समय ईमान या कुफ़्र का फ़ैसला ”
38. “ प्रचारकों के गुण ”
39. “ नेकी का बदला दस से सात सो गुना अधिक ”
40. “ आदमी अपने मरने की जगह कैसे पहुंचता है ? ”
41. “ वही उतरते समय आसमान वालों के बारे में ”
42. “ शैतान वही यानि आसमान की बातें कैसे जान लेते हैं ”
43. “ ईमान के लक्षण ”
44. “ बुराइयों के कारण ईमान में कमी आजाती है ”
45. “ बुरे इन्सान का ईमान कैसे चला जाता है ”
46. “ नेकी और बुराई का कैसे पता चलता है ”
47. “ पाप किसे कहते हैं ”
48. “ मोमिन पर लाअनत करने की निंदा ”
49. “ किसी को काफ़िर कहने से बचना ”
50. “ मुसलमानों में बाक़ी रह जाने वाली जाहिलियत की विशेषताएं ”
51. “ ग्रहों और सितारों में विश्वास ( ज्योतिष विद्या ) के बारे में ”
52. “ क़यामत के दिन बहरे, पागल और बहुत बूढ़े इन्सान की दोबारा परीक्षा ”
53. “ हर नेक कर्म किया जाए चाहे वह पसंद न हो ”
54. “ इबादत के समय इबादत करने वाले के बारे में ”
55. “ दुनिया में मोमिन एक परदेसी यानी यात्री है ”
56. “ जीवन में मोमिन अपने आप को क्या समझे ”
57. “ अल्लाह तआला के अज़ाब से बचाओ और जन्नत में जाने के कारण ”
58. “ मोमिन के दिखाई देने वाले लक्षण ”
59. “ हर समय और हर जगह अल्लाह तआला को याद करना ”
60. “ हर बुराई के बाद नेकी करने की नसीहत ”
61. “ सब्र और दान पूण भी ईमान में आते हैं ”
62. “ शर्म और हया भी ईमान है ”
63. “ अल्लाह के लिए दोस्ती और दुश्मनी रखना ईमान की मज़बूत कड़ी है ”
64. “ ईमान और जिहाद सबसे अफ़ज़ल कर्मों में से हैं ”
65. “ इस्लाम ، जिहाद और हिजरत के प्रकार ”
66. “ अफ़ज़ल हिजरत ”
67. “ सफलता का रहस्य ”
68. “ तौरात में रसूल अल्लाह ﷺ के बारे में ”
69. “ चार मना कर दिए गए मामले ”
70. “ इस्लाम में समझदारी के बारे में ”
71. “ किसी की इबादत करने का अर्थ « اتَّخَذُوا أَحْبَارَهُمْ وَرُهْبَانَهُمْ أَرْبَابًا مِّن دُونِ اللَّـهِ » [ सूरत अत-तौबा:31] की तफ़्सीर ] ”
72. “ कब तक लोगों से जंग की जाए ”
73. “ इस्लाम के विभिन्न नियम ”
74. “ इस्लाम स्वीकार करने के बाद मुसलमानों के लिए हानिकारक ”
75. “ मर चुके मोमिनों की आत्माओं की जगह ”
76. “ मुसलमानों की शरू की और बाद की हालत ”
77. “ विदा करने की दुआ ”
78. “ अल्लाह के क़रीब आने के कारण अल्लाह के दोस्तों की निशानियां और उन से दुश्मनी करने वालों का बुरा अंत अल्लाह तआला की अच्छाई “تردد ” के बारे में ”
79. “ अल्लाह तआला से कल्पना करने के बारे में ”
80. “ सूरत अल-माइदा (44) « وَمَن لَّمْ يَحْكُم بِمَا أَنزَلَ اللَّـهُ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الْكَافِرُونَ » (47) « وَمَن لَّمْ يَحْكُم بِمَا أَنزَلَ اللَّـهُ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الظَّالِمُونَ » (45) « وَمَن لَّمْ يَحْكُم بِمَا أَنزَلَ اللَّـهُ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ » की तफ़्सीर ”
81. “ क्या बुरा आदमी दीन का माध्यम बन सकता है ”
82. “ क़त्ल करने वाला और क़त्ल होने वाला दोनों जन्नत में ”
83. “ हर सो साल के बाद दिन का फिर से ताज़ा होना ”
84. “ हर कारीगर को और उस के हुनर यानि काम को अल्लाह तआला पैदा करता है ”
85. “ अल्लाह के लिए नियत करना कर्म स्वीकार होने का आधार बनती है ”
86. “ दिखावा छोटा शिर्क है ”
87. “ दिखावा करने वाला ، शहीद ، दानी ، क़ारी और ज्ञानी का अंत ”
88. “ लोकप्रियता कि इच्छा करना बोझ है ”
89. “ अल्लाह तआला से ईमान को ताज़ा करने कि दुआ करना ”
90. “ मुसलमान किसी बंदे के बुरा या नेक होने के गवाह हैं ”
91. “ ईमानदारी से किये गए नेक कर्मों को वसीला बनाना ... गुफा वालों का क़िस्सा ”
92. “ मदीना और मक्का दज्जाल से सुरक्षित हैं ”
93. “ अज़ल ! यानि परिवार नियोजन का परिचय और हुक्म ”
94. “ क्या तअवीज़ लटकाना यानि तअवीज़ गंडा शिर्क है ”
95. “ रसूल अल्लाह ﷺ का फ़रमान सहाबा के लिए काफ़ी होना ”
96. “ अरब कि ज़मीन से शैतान का निराश हो जाना ”
97. “ मक्का पर विजय के दिन इब्लीस कि हालत ”
98. “ शैतान की चालबाज़ी और शैतान की बात ना मानने पर जन्नत कि ख़ुशख़बरी ”
99. “ नज़र लग जाना सच है ”
100. “ बनि सक़ीफ़ का झूठा और घातक ”
101. “ आदम कि औलाद के दिलों का अल्लाह तआला के क़ाबू में होना ”
102. “ उम्मत का रसूल अल्लाह ﷺ के दर्शन की इच्छा करना ”
103. “ इस्लाम की निशानियां ”
104. “ हमारे लिए किसी का ईमान और कुफ़्र जानने के लिए उसका कहना काफ़ी है ”
105. “ हर दुश्मन से बचाने वाला अल्लाह तआला है ، रसूल अल्ल्हा ﷺ का निजी बदला न लेना ”
106. “ अल्लाह तआला और रसूल अल्लाह ﷺ से सुरक्षित होने की शर्तें ، ग़ैर मुस्लिम देश में रहना केसा है ، हिजरत का हुक्म बाक़ी है ”
107. “ मुशरिकों के साथ रहने की नहूसत ”
108. “ जहन्नम से दूर होने और जन्नत के क़रीब आने का तरीक़ा ”
109. “ रिज़्क़ कैसे माँगा जाए ”
110. “ जिहाद क़यामत तक रहेगा ”
111. “ इस्लाम में सन्यास नहीं है ، जिहाद की फ़ज़ीलत ”
112. “ रसूल अल्लाह ﷺ और आप की उम्मत की मिसाल ”
113. “ इस्लाम के बाद फिर से फ़ितनों का उभरना ”
114. “ « يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا عَلَيْكُمْ أَنفُسَكُمْ ۖ لَا يَضُرُّكُم مَّن ضَلَّ إِذَا اهْتَدَيْتُمْ » ( सूरत अल-माइदा:105 ) की तफ़्सीर ”
115. “ ईमान के भाग ”
116. “ यमनी लोगों के ईमान की फ़ज़ीलत ”
117. “ ईमान वालों की ताअरीफ़ और पूरब के लोगों की निंदा ”
118. “ रसूल अल्लाह ﷺ का जिन्नों को क़ुरआन पढ़ कर सुनना ”
119. “ हिरक़ल को इस्लाम की दावत के पत्र ، इस्लाम स्वीकार करने के मामले में रसूल अल्लाह ﷺ और सहाबा की विशेषताएं ”
120. “ ईमान की मिठास किस को नसीब होती है ”
121. “ किन लोगों की इबादत स्वीकार नहीं की जाती ? ”
122. “ दोहरा सवाब पाने वाले तीन तरह के लोग ”
123. “ मौत का फरिश्ता पहले कैसे आता था और मूसा अलैहिस्सलाम का मौत के फ़रिश्ते को थप्पड़ मरना ”
124. “ जन्नत और जहन्नम दोनों हर इन्सान के क़रीब हैं ”
125. “ हलाल और हराम तो साफ़ है लेकिन शक वाली चीज़ों के बारे मैं ”
126. “ मालदार लोगों के पास नेकियां कम होती हैं ”
127. “ नमाज़ ، हज्ज और रमज़ान के रोज़ों की फ़ज़ीलत ”
128. “ हवा पानी अगर अच्छा न हो तो दूसरी जगह जाया जा सकता है ”
129. “ अच्छा सपना ”
130. “ बुरा सपना ”
131. “ « الَّذِينَ آمَنُوا وَكَانُوا يَتَّقُونَ لَهُمُ الْبُشْرَىٰ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا وَفِي الْآخِرَةِ » की तफ़्सीर ”
132. “ ऊँचा दर्जा और पापों का कफ़्फ़ारह बनने वाले कर्म और रसूल अल्लाह ﷺ का अल्लाह तआला को देखना ”
133. “ दोस्त आप की पहचान होता है ”
134. “ बच्चों का अंतिम मामला ”
135. “ तीन प्रकार के बड़े पाप ”
136. “ बंदे की निराशा पर अल्लाह तआला का हंसना ”
137. “ नजाशी मुसलमान था ”
138. “ अल्लाह तआला का बंदे से क़र्ज़ मांगना ”
139. “ अल्लाह तआला के हाँ बंदे के कर्मों का बढ़ जाना ”
140. “ रसूल अल्लाह ﷺ को देखे बिना उन पर ईमान लाने वलों की फ़ज़ीलत ”
141. “ अच्छा शगुन लेना ”
142. “ बुरा शगुन लेना मना है ”
143. “ छूतछात का रोग ، बुरी फ़ाल ، नहूसत और नज़र लगने के बारे में ”
144. “ ज्योतिष विद्या ”
145. “ जादू करना मना है ”
146. “ क्षमा किये जाने और न किये जाने वाले ज़ुल्म ”
147. “ क्या कोई चीज़ मनहूस हो सकती है ”
148. “ नबवत की मुहर ”
149. “ बेसबरी और आत्महत्त्या के बारे में ”
150. “ वंश बदलना कुफ़्र है ”
151. “ शिर्क और क़त्ल क्षमा नहीं किया जाएगा ”
152. “ क़यामत के दिन रसूल अल्लाह ﷺ के नसबी और वैवाहिक रिश्ते बने रहेंगे ”
153. “ अच्छे और बुरे लोगों के रस्ते और ठिकाने अलग अलग हैं ”
154. “ रसूल अल्लाह ﷺ किन मामलों को साथ लाए हैं ”
155. “ असरा (रात का सफ़र ) और मअराज के अवसर पर काफ़िरों का रसूल अल्लाह ﷺ का मज़ाक़ बनाना और निंदा करना ”
156. “ रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान न लेन वाले यहूदी और इसाई का अंजाम ”
157. “ अगर दस यहूदी रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान ले आए तो ”
158. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सहाबी की करामत और रिज़्क़ दें वाला अल्लाह है ”
159. “ तकलिफ़ होने पर बिस्मिल्लाह «بسم الله» कहने की फ़ज़ीलत ”
160. “ रसूल अल्लाह ﷺ की बरकतों का होना ”
161. “ अल्लाह तआला को ताअरीफ़ भी पसंद है और कारण भी ”
162. “ अल्लाह तआला का सब्र ”
163. “ ईमान में उतार चढ़ाओ मुनाफ़िक़त नहीं है ”
164. “ अपनी बढ़ाई और दुसरे को छोटा दिखाने के लिए पारिवारिक नाम का उपयोग करना मना है ”
165. “ मोमिन की मिसाल मधुमक्खी और खजूर के पेड़ की तरह है ”
166. “ हर इन्सान को समय पर सहमत होना चाहिए और नेक कर्म करना चाहिए ، कौन सा भेदभाव निंदनीय है ”
167. “ पद संभालने वाले सतर्क रहैं अल्लाह तआला के नाम पर सवाल करने वाला या जिस से सवाल किया जाए दोनों लाअनती कैसे ”
168. “ नेकी की तरफ़ बुलाने वाले का सवाब और बुराई की तरफ़ बुलाने वाले का बोझ ”
169. “ किसी को मुसीबत में देखने की दुआ और उसका लाभ ”
170. “ किसी से अल्लाह तआला के लिए मुहब्बत करने का बदला ”
171. “ किस मुसलमान को अल्लाह तआला और रसूल अल्लाह ﷺ की ज़मानत दी गई है ”
172. “ अल्लाह तआला किस मुसलमान को क्षमा करता है ”
173. “ दुआ न करना अल्लाह तआला के ग़ुस्से का कारण है ”
174. “ एक मोमिन दुसरे मोमिन का दर्पण है ”
175. “ ईमान वालों की आपस की मुहब्बत के बारे में ”
176. “ आपसी भाईचारा ، मुसलमान की बुराई छुपाना और तकलीफ़ दूर करने का सवाब ”
177. “ अगली नस्लों तक हदीसें पहुंचाने वाले और मुहद्दिसों की फ़ज़ीलत ، दुनिया की चिंता का अंजाम और आख़िरत की चिंता का नतीजा ”
178. “ लोग चार प्रकार और कर्म छे प्रकार के हैं ”
179. “ रसूल अल्लाहु ﷺ के हुक्म पर खजूर के गुच्छे का उन की तरफ़ आना ”
180. “ एक से बढ़ कर एक अफ़ज़ल ( अच्छे ) कर्म ”
181. “ ज़माने को गाली देना मना है ”
182. “ मोमिन की फ़ज़ीलत ”
183. “ मोमिन का दूसरों के लिए भलाई पसंद करना ”
184. “ ईमान ، सच्चाई ، अमानत वाले दिल का कुफ़्र ، झूठ और ख़यानत से पाक होना ”
185. “ मोत के समय पापों से डरने के बारे में ”
186. “ अहंकार का अर्थ और निंदा ”
187. “ क़यामत से पहले बारह क़ुरेशी ख़लीफ़ाओं की ख़िलाफ़त का होना ”
188. “ हर ज़माने में एक जत्था सच्चे दीन पर बना रहेगा ”
189. “ मोमिन नसीहत लेता है ”
190. “ कुछ मोमिनों का रसूल अल्लाह ﷺ के पास आराम पाना और उनकी विशेषताएं ”
191. “ इब्लीस यानि शैतान को पैदा करने का कारण ”
192. “ बढ़ाई की परख रंग नसल और तक़वा है ”
193. “ « وَأَنذِرْعَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ » की तफ़्सीर ”
194. “ ज़्यादा से ज़्यादा कितने रोज़े रखे जा सकते हैं ، रसूल अल्लाह ﷺ मुसलमानो के लिए उन से ज़्यादा अच्छा चाहते हैं ”
195. “ क़यामत के दीन ग़रीब कौन होगा? अल्लाह तआला के बंदो पर ज़ुल्म करने वालों की आख़िरत के बारे में ”
196. “ आधे शअबान के महीने की फ़ज़ीलत ”
197. “ एहले तौहीद भी बुरे कर्मों के कारण जहन्नम में जा सकते हैं ”
198. “ कुछ कारणों से कुछ हदीसों को न सुनाना ”
199. “ रसूल अल्लाह ﷺ का चमत्कार और खाने में बरकत ”
200. “ रसूल अल्लाह ﷺ का चमत्कार और खाने में बरकत ”
201. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हदीसों पर संतोष करना चाहिए ”
202. “ नेक कर्म रसूल अल्लाह ﷺ की अनुमति के अनुसार कम या ज़्यादा हों ”
203. “ रसूल अल्लाह ﷺ की आज्ञा का पालन न करना जन्नत से इन्कार के बराबर ”

سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
الايمان والتوحيد والدين والقدر
ایمان توحید، دین اور تقدیر کا بیان
तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर
اللہ تعالیٰ کو کس نے پیدا کیا؟ اس سوال کا جواب
अल्लाह तआला को किस ने पैदा किया ، इसका जवाब
حدیث نمبر: 25
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" إن احدكم ياتيه الشيطان فيقول: من خلقك؟ فيقول: الله، فيقول: فمن خلق الله؟! فإذا وجد ذلك احدكم فليقرا: آمنت بالله ورسله، فإن ذلك يذهب عنه".-" إن أحدكم يأتيه الشيطان فيقول: من خلقك؟ فيقول: الله، فيقول: فمن خلق الله؟! فإذا وجد ذلك أحدكم فليقرأ: آمنت بالله ورسله، فإن ذلك يذهب عنه".
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تمہارے پاس شیطان آ کر یہ کہتا ہے: تجھے کس نے پیدا کیا؟ وہ کہتا ہے: اللہ تعالیٰ نے۔ وہ دوبارہ کہے گا: اچھا تو پھر اللہ تعالیٰ کو کس نے پیدا کیا؟ اگر ایسا وسوسہ پیدا ہو جائے تو یہ دعا پڑھنی ہے: «آمنت بالله ورسوله» میں اللہ اور اس کے رسولوں پر ایمان لایا، یہ عمل اس وسوسہ کو ختم کر دے گا۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏رواه أحمد: 257/6» ‏‏‏‏
حدیث نمبر: 26
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" لا يزال الناس يسالون يقولون: ما كذا ما كذا حتى يقولوا: الله خالق الناس فمن خلق الله؟ فعند ذلك يضلون".-" لا يزال الناس يسألون يقولون: ما كذا ما كذا حتى يقولوا: الله خالق الناس فمن خلق الله؟ فعند ذلك يضلون".
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ کیا ہے؟، یہ کیا ہے؟ لوگ اس قسم کے سوال کرتے رہیں گے، حتی کہ وہ یہ سوال بھی کر دیں گے: اللہ تعالیٰ ہر چیز کا خالق ہے، بھلا اللہ تعالیٰ کو کس نے پیدا کیا؟ اس وقت وہ گمراہ ہو جائیں گے۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏رواه ابن أبى عاصم فى ”السنة“: 1/59، و اخرجه مسلم: 58/1، وكذا أبو عوانة: 1/ 82، دون قوله: فعند ذالك يضلون.» ‏‏‏‏
حدیث نمبر: 27
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" ياتي شيطان احدكم فيقول: من خلق كذا؟ من خلق كذا؟ من خلق كذا؟ حتى يقول: من خلق ربك؟! فإذا بلغه فليستعذ بالله ولينته".-" يأتي شيطان أحدكم فيقول: من خلق كذا؟ من خلق كذا؟ من خلق كذا؟ حتى يقول: من خلق ربك؟! فإذا بلغه فليستعذ بالله ولينته".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تم میں سے ایک آدمی کے پاس شیطان آ کر کہتا ہے: اس چیز کو کس نے پیدا کیا؟، اس چیز کو کس نے پیدا کیا؟، اس چیز کو کس نے پیدا کیا؟، کہتے کہتے بات کو یہاں تک پہنچا دیتا ہے کہ: تیرے رب کو کس نے پیدا کیا؟ جب وہ یہاں تک پہنچا دے تو وہ اللہ تعالیٰ کی پناہ طلب کرے اور (ایسی سوچ کو) ختم کر دے۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏أخرجه البخاري: 321/2، ومسلم، وابن السني» ‏‏‏‏
حدیث نمبر: 28
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" يوشك الناس يتساءلون بينهم حتى يقول قائلهم: هذا الله خلق الخلق فمن خلق الله عز وجل؟ فإذا قالوا ذلك، فقولوا: * (الله احد، الله الصمد، لم يلد، ولم يولد، ولم يكن له كفوا احد) * ثم ليتفل احدكم عن يساره ثلاثا، وليستعذ من الشيطان".-" يوشك الناس يتساءلون بينهم حتى يقول قائلهم: هذا الله خلق الخلق فمن خلق الله عز وجل؟ فإذا قالوا ذلك، فقولوا: * (الله أحد، الله الصمد، لم يلد، ولم يولد، ولم يكن له كفوا أحد) * ثم ليتفل أحدكم عن يساره ثلاثا، وليستعذ من الشيطان".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے سنا: قریب ہے کہ لوگ ایک دوسرے سے سوال کرنا شروع کر دیں، (وہ سوال کرتے رہیں)، حتی کہ کہنے والا کہے: مخلوق کو تو اللہ تعالیٰ نے پیدا کیا ہے، مگر اللہ کو کس نے پیدا کیا؟ جب لوگ یہاں تک پہنچ جائیں تو کہنا: «الله أحد، الله الصمد، لم يلد، ولم يولد، ولم يكن له كفوا أحد» اللہ ایک ہے، اللہ بے نیاز ہے، نہ اس نے کسی کو جنا اور نہ کسی نے اس کو جنا اور کوئی بھی اس کا ہمسر نہیں۔ پھر بائیں طرف تین دفعہ تھوکے اور شیطان سے (اللہ تعالیٰ کی پناہ) طلب کرے۔

تخریج الحدیث: «أخرجه أبو داود: 4732، وابن السني: 621»
حدیث نمبر: 29
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" اخرج فناد في الناس: من شهد ان لا إله إلا الله وجبت له الجنة".-" اخرج فناد في الناس: من شهد أن لا إله إلا الله وجبت له الجنة".
سلیم بن عامر کہتے ہیں کہ میں نے سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ کو کہتے سنا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: نکل جا اور لوگوں میں اعلان کر دے کہ جس نے گواہی دی کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، اس کے لیے جنت واجب ہو جائے گی۔ وہ کہتے ہیں: میں اعلان کرنے کے لیے نکلا، آگے سے سیدنا عمر بن خطاب رضی اللہ عنہ سے ٹاکرا ہوا، انہوں نے کہا: ابوبکر کہاں اور کیسے؟ میں نے کہا: مجھے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے حکم دیا کہ جاؤ اور لوگوں میں اعلان کر دو کہ جس نے گواہی دی کہ اللہ کے سوا کوئی عبادت کے لائق نہیں ہے، اس کے لیے جنت واجب ہو جائے گی۔ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے کہا: (یہ اعلان کیے بغیر) رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف لوٹ جاؤ، مجھے خطرہ ہے کہ لوگ اس (بشارت) پر توکل کر کے عمل کرنا ترک کر دیں گے۔ میں لوٹ آیا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: واپس کیوں آ گئے ہو؟ میں نے آپ کو سیدنا عمر والی بات بتلائی۔ آپ نے فرمایا: عمر نے سچ کہا۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏أخرجه أبو يعلي فى ”مسنده“ صـ 35 - مصورة المكتب الأسلامي، ورواه مسلم: 44/1، لكن وقع القصة فيه لابي هريرة مع عمر رضي الله عنهما»
حدیث نمبر: 30
Save to word مکررات اعراب Hindi
- ابشروا وبشروا من وراءكم انه من شهد ان لا إله إلا الله صادقا دخل الجنة".- أبشروا وبشروا من وراءكم أنه من شهد أن لا إله إلا الله صادقا دخل الجنة".
ابوبکر بن ابوموسیٰ اپنے باپ سے روایت کرتے ہیں، وہ کہتے ہیں: میں اپنی قوم کے کچھ افراد کے ہمراہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: خوش ہو جاؤ اور پچھلوں کو بھی خوشخبری سنا دو کہ جس نے صدق دل سے گواہی دی کہ اللہ ہی معبود برحق ہے تو وہ جنت میں داخل ہو گا۔ ہم لوگوں کو خوشخبری سنانے کے لیے نبی صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس سے نکلے، ہمیں سیدنا عمر رضی اللہ عنہ ملے اور (جب ان کو صورتحال کا علم ہوا تو) ہمیں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف واپس کر دیا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: تمہیں کس نے واپس کر دیا؟ ہم نے کہا: عمر رضی اللہ عنہ نے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: عمر! تم نے ان کو کیوں لوٹا دیا؟ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے کہا: (اگر لوگوں کو ایسی خوشخبریاں سنائی جائیں تو وہ توکل کر بیٹھیں گے (اور مزید عمل کرنا ترک کر دیں گے)۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم یہ سن کر خاموش ہو گئے۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏أخرجه أحمد: 402/4، 411» ‏‏‏‏
حدیث نمبر: 31
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" من قال: لا إله إلا الله (مخلصا) دخل الجنة".-" من قال: لا إله إلا الله (مخلصا) دخل الجنة".
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس نے خلوص دل سے «لا إله إلا الله» کہا،وہ جنت میں داخل ہو گا۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏أخرجه ابن حبان: 7» ‏‏‏‏
حدیث نمبر: 32
Save to word مکررات اعراب Hindi
-" من شهد ان لا إله إلا الله دخل الجنة".-" من شهد أن لا إله إلا الله دخل الجنة".
سیدنا عمر رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جس آدمی نے گواہی دی کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، وہ جنت میں داخل ہو گا۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏أورده فى ”الجامع الصغير“: من رواية البزار عن ابن عمر، وأما الهيثمي فذكره فى ”المجمع“: 16/1، 17، عن عمر رضي الله عنه وقال: رواه ابو يعلى والبزار» ‏‏‏‏
حدیث نمبر: 33
Save to word مکررات اعراب Hindi
- (اذهب بنعلي هاتين؛ فمن لقيت من وراء هذا الحائط يشهد ان لا إله إلا الله مستيقنا بها قلبه؛ فبشره بالجنة).- (اذهب بنعليِّ هاتَين؛ فمَن لقِيتَ من وراءِ هذا الحائط يشهدُ أن لا إله إلا الله مُستَيقِناً بها قلبُه؛ فَبَشِّره بالجنّةِ).
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ارد گرد بیٹھے ہوئے تھے، ہمارے ساتھ سیدنا ابوبکر اور سیدنا عمر رضی اللہ عنہما بھی تھے، (ہوا یہ کہ) رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ہمارے درمیان سے اٹھ کھڑے ہوئے (اور کہیں چلے گئے) اور واپس آنے میں (خاصی) تاخیر کی۔ ہم ڈر گئے کہ (اللہ نہ کرے) کہیں آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو ہم سے پرے جاں بحق نہ کر دیا جائے۔ ہم گھبرا کر اٹھ کھڑے ہوئے اور سب سے پہلے گھبرانے والا میں تھا۔ میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو تلاش کرنے کے لیے نکل پڑا، حتی کہ میں بنو نجار کے انصار کے باغ کے پاس پہنچ گیا، میں نے دروازے کی تلاش میں چکر لگایا، لیکن مجھے کوئی دروازہ نہ ملا۔ ایک چھوٹی نہر، خارجہ کے کنویں سے باغ میں داخل ہو رہی تھی، میں سمٹ کر اس میں داخل ہو گیا اور (بالآخر) رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس پہنچ گیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: ابوہریرہ ہو؟ میں نے کہا: جی ہاں، اے اللہ کے رسول! آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: تجھے کیا ہوا (ادھر کیوں آئے ہو)؟ میں نے کہا: آپ ہمارے پاس بیٹھے تھے، اچانک اٹھ کھڑے ہوئے اور واپس آنے میں دیر کی، ہمیں یہ اندیشہ ہوا کہ کہیں آپ کو ہم سے پرے جاں بحق نہ کر دیا جائے، سو ہم گھبرا گئے اور سب سے پہلے گھبرانے والا میں تھا۔ (میں تلاش کرتے کرتے) اس باغ تک پہنچ گیا اور لومڑی کی طرح سمٹ کر (فلاں سوراخ سے اس میں داخل ہو گیا)۔ بقیہ لوگ میرے پیچھے آ رہے ہیں۔ آپ نے اپنے دو جوتے دے کر مجھے فرمایا: ابوہریرہ! یہ میرے جوتے لے کر جاؤ اور اس باغ سے پرے جس آدمی کو ملو، اس حال میں کہ وہ دل کے یقین کے ساتھ گواہی دیتا ہو کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، اسے جنت کی خوشخبری دے دو۔ (ہوا یہ کہ) مجھے سب سے پہلے سیدنا عمر رضی اللہ عنہ ملے، انہوں نے پوچھا: ابوہریرہ! یہ جوتے کیسے ہیں؟ میں نے کہا: یہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے جوتے ہیں، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے دے کر بھیجے ہیں کہ میں جس آدمی کو ملوں، اس حال میں کہ وہ دل کے یقین کے ساتھ گواہی دیتا ہو کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، اسے جنت کی خوشخبری سنا دوں۔ (یہ بات سن کر) سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے میرے سینے میں ضرب لگائی، میں سرین کے بل گر پڑا، انہوں نے کہا: ابوہریرہ! چلو واپس۔ میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف واپس چل پڑا اور غم کی وجہ سے رونے کے قریب تھا، ادھر سے عمر رضی اللہ عنہ میرے پیچھے پیچھے تھے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوہریرہ! کیا ہوا؟ میں نے کہا: میں سیدنا عمر کو ملا، اسے آپ کا پیغام سنایا، اس نے میرے سینے میں ضرب لگائی، میں سرین کے بل گر پڑا اور کہا کہ چلو واپس۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: عمر! کس چیز نے تجھے ایسا کرنے پر آمادہ کیا ہے؟ انہوں نے کہا: اے اللہ کے رسول! میرے ماں باپ آپ پر قربان ہوں، کیا واقعی آپ نے ابوہریرہ کو اپنے جوتے دے کر بھیجا کہ وہ جس آدمی کو ملیں، اس حال میں کہ وہ دل کے یقین کے ساتھ یہ شہادت دیتا ہو کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، اسے جنت کی خوشخبری سنا دے؟ آپ نے فرمایا: ہاں (میں نے بھیجا)۔ سیدنا عمر نے کہا: آپ ایسا نہ کریں، مجھے خطرہ ہے کہ لوگ (اس قسم کی بشارتوں پر) توکل کر کے (عمل کرنا ترک کر دیں گے)، آپ لوگوں کو عمل کرنے دیں۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: انہیں چھوڑ دو (یعنی یہ حدیث بیان نہ کرو)۔

تخریج الحدیث: «‏‏‏‏أخرجه مسلم: 44/1 - 45، وأبو عوانة: 9/1 - 10» ‏‏‏‏

https://islamicurdubooks.com/ 2005-2024 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to https://islamicurdubooks.com will be appreciated.