“ मय्यत को देख कर खड़े होने का कारण और इस का हुक्म ” |
3 |
1659 سے 1661 |
|
“ जनाज़े के पीछे चलने वाले कब तक न बैठें ” |
1 |
1662 |
|
“ दुनिया में बुख़ार जहन्नम की आग का बदल है ” |
3 |
1663 سے 1665 |
|
“ रोग और परीक्षाएं पापों का कफ़्फ़ारह हैं ” |
12 |
1666 سے 1677 |
|
“ परीक्षाएं कब कफ़्फ़ारह बन जाती हैं ” |
2 |
1678 سے 1679 |
|
“ बीमारी पर सब्र करने की फ़ज़ीलत ” |
1 |
1680 |
|
“ बीमारी सवाब और अज़ाब का कारण बनती है ” |
1 |
1681 |
|
“ कुछ कारण मोमिन के पापों का कफ़्फ़ारह बन जाते हैं ” |
1 |
1682 |
|
“ परीक्षाएं दर्जा बढ़ जाने का कारण बनती हैं ” |
1 |
1683 |
|
“ परीक्षणों के कारण हिसाब किताब से छूट ” |
1 |
1684 |
|
“ रोग को बुराभला न कहा जाए ” |
1 |
1685 |
|
“ हर नुक़सान किसी न किसी पाप के कारण होता है ” |
2 |
1686 سے 1687 |
|
“ रसूल अल्लाह ﷺ से प्यार करें वाला परीक्षा में रहता है ” |
1 |
1688 |
|
“ नबियों और नेक लोगों की परीक्षा सख़्त होती है ” |
4 |
1689 سے 1692 |
|
“ परीक्षा का बदला और सवाब अधिक होता है ” |
1 |
1693 |
|
“ अँधा होने पर जन्नत ، लेकिन... ” |
1 |
1694 |
|
“ रसूल अल्लाह ﷺ की मौत उम्मत के लिए सबसे बड़ा दुख ” |
1 |
1695 |
|
“ बुख़ार को मदीने में रोक लिया गया ” |
1 |
1696 |
|
“ क़ब्र पर कोई निशानी रखना ” |
1 |
1697 |
|
“ क़ब्र पर पानी छिड़कना ” |
1 |
1698 |
|
“ अज़ाब क़ब्र ” |
7 |
1699 سے 1705 |
|
“ हज़रत सअद बिन मआज़ भी क़ब्र के दबोचने से न बच सके और बच्चा भी न बच सका ” |
2 |
1706 سے 1707 |
|
“ मोमिन क़ब्र में पक्के क़दमों पर रहता है ” |
1 |
1708 |
|
“ मोमिन की क़ब्र का फेल जाना ” |
1 |
1709 |
|
“ दफ़न होने के बाद मय्यत से मुनकर और नकीर के सवाल ” |
1 |
1710 |
|
“ नेक और बुरी मय्यत का हाल ” |
1 |
1711 |
|
“ मोमिन और काफ़िर की मौत का दृश्य ، बरज़ख़ में मोमिनों की आत्माओं की आपस में बातचीत ” |
3 |
1712 سے 1714 |
|
“ मोमिन और काफ़िर की आत्मा निकलने की हालत ” |
1 |
1715 |
|
“ मरते समय मरने वाले को “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” की नसीहत करना ” |
1 |
1716 |
|
“ मृतक की आंखें बंद करना और उस समय कोई भलाई की बात करना ” |
1 |
1717 |
|
“ रोगी की देखभाल के समय की दुआ ” |
1 |
1718 |
|
“ रोगी की देखभाल का बदला और सवाब ” |
1 |
1719 |
|
“ बंदा अपनी मौत की जगह पर कैसे पहुँचता है ? ” |
1 |
1720 |
|
“ बेटे की मौत पर अल्लाह की ताअरीफ़ करने का सवाब ” |
1 |
1721 |
|
“ दम करने के बारे में हदीसें ” |
3 |
1722 سے 1724 |
|
“ सूरत अल-फ़ातेहा पढ़ कर दम करना और दम की मज़दूरी लेना ” |
1 |
1725 |
|
“ अच्छा कफ़न देना और उस का कारण ” |
1 |
1726 |
|
“ नमाज़ में मौत को याद करना ” |
1 |
1727 |
|
“ मुशरिक को दफ़न करना ” |
1 |
1728 |
|
“ मरने के बाद सवाब कैसे पहुंचता है ” |
1 |
1729 |
|
“ साठ वर्ष की आयु पर पहुंचने के बाद बचने का कोई कारण नहीं रहता है ” |
1 |
1730 |
|
“ आप ﷺ की उम्मत की आयु ” |
2 |
1731 سے 1732 |
|
“ बुरी नज़र मौत का कारण हो सकती है ” |
1 |
1733 |
|
“ कौन सा मोमिन समझदार है ” |
1 |
1734 |
|
“ सेहत और भलाई का सवाल करना ” |
1 |
1735 |
|
“ आप ﷺ परिवार के साथ रहम-दिली करते थे ” |
1 |
1736 |
|
“ जिस को बुख़ार हो उस पर पानी डालना ” |
2 |
1737 سے 1738 |
|
“ साधारण अच्छे लोग भी सिफ़ारिश करेंगे ” |
1 |
1739 |
|
“ उम्मत के लोग किसी के अच्छे या बुरे होने के गवाह हैं ” |
4 |
1740 سے 1743 |
|
“ शुरुआत में " अलेक अस्सलाम " ”علیک السلام“ कहना कैसा है ? ” |
1 |
1744 |
|
“ आप ﷺ का मय्यत पर रोना ” |
2 |
1745 سے 1746 |
|
“ क्या मय्यत को रोने पीटने और मातम करने से अज़ाब होता है ” |
1 |
1747 |
|
“ रोने पीटने ، मूंह नोचने और गिरेबान फाड़ने का बोझ ” |
2 |
1748 سے 1749 |
|
“ एक मय्यत पर तीन दिन के बाद नमाज़ जनाज़ा ” |
1 |
1750 |
|
“ कलोंजी में शिफ़ा है ” |
1 |
1751 |
|
“ क़ब्र पर बैठना मना है ” |
1 |
1752 |
|
“ आप ﷺ की क़ब्र पर जाने का नियम ” |
1 |
1753 |
|
“ आप ﷺ का क़ब्रस्तान जाकर मुर्दों के लिए दुआ करना ” |
1 |
1754 |
|
“ काफ़िर की क़ब्र के पास से गुज़रते समय उसे जहन्नम की ख़ुशख़बरी सुनाई जाए ” |
1 |
1755 |
|
“ एक दिन में पांच नेक कर्म करने पर जन्नत की ख़ुशख़बरी ” |
1 |
1756 |
|
“ सहाबा कराम से आपत्ति न करने का कारण ” |
1 |
1757 |
|
“ सिंगी लगवाना ” |
3 |
1758 سے 1760 |
|
“ बांसुरी और हलाकत की आवाज़ों पर लाअनत ” |
1 |
1761 |
|
“ मोमिन के सारे मामलों में भलाई है ” |
2 |
1762 سے 1763 |
|
“ आत्मा का निकलना किसी की पसंद-नापसंद पर निर्भर नहीं करता है ” |
1 |
1764 |
|
“ कफ़न की चोरी करने पर लाअनत ” |
1 |
1765 |
|
“ ऊंटनी का दूध और पेशाब का दवा के तोर पर उपयोग करना ” |
2 |
1766 سے 1767 |
|
“ हजर असवद को जन्नत से लाया गया लेकिन उसकी बरकतें क्यों ख़त्म हो गईं ” |
1 |
1768 |
|
“ मय्यत के लिए चालीस मोमिनों की सिफ़ारिश स्वीकार की जाती है ” |
1 |
1769 |
|
“ संवेदना प्रकट करने का सवाब ” |
1 |
1770 |
|
“ कम आयु के नाबालिग़ बच्चे मरने के बाद अपने माता-पिता की क्षमा का कारण बनते हैं ” |
3 |
1771 سے 1773 |
|
“ आदमी के माल ، परिवार और कर्मों की मिसाल ” |
1 |
1774 |
|
“ सोते समय हाथों को साफ़ करना ” |
1 |
1775 |
|
“ मस्जिद में नमाज़ जनाज़ा पढ़ना कैसा है ” |
1 |
1776 |
|
“ औरतों का नमाज़ जनाज़ा में शामिल होना कैसा है ” |
1 |
1777 |
|
“ मुर्दों को बुराभला कहना मना है ” |
1 |
1778 |
|
“ मुर्दे की बुराई को छुपाने और उसे कफ़न देने की फ़ज़ीलत ” |
1 |
1779 |
|
“ सब को मौत का मज़ा चखना है क्योंकि... ” |
1 |
1780 |
|
“ तीन चीज़ें मय्यत के पीछे चलती हैं लेकिन... ” |
1 |
1781 |
|
“ जो जिस हालत में मरेगा वह उसी हालत में उठाया जाएगा ” |
1 |
1782 |
|
“ निमोनिया के रोग से मरने वाला शहीद है ” |
1 |
1783 |
|
“ हक़ मारने वाले को कब तक तकलीफ़ दी जाती रहेगी ” |
1 |
1784 |
|
“ बिना भुगतान के उधार को क्षमा नहीं किया जाता है ، सिवाय इसके... ” |
1 |
1785 |
|
“ रोगियों को खाने-पीने के लिए मजबूर न किया जाए क्योंकि... ” |
1 |
1786 |
|
“ जन्नतम में जाने वाला दुनिया की तकलीफ़ों को और जहन्नम में जाने वाला दुनिया के आराम को भूल जाएगा ” |
1 |
1787 |
|