रोज़ों के बारे में
1. “ चाँद देख कर रोज़े रखना और बंद करना चाहियें ”
2. “ रोज़ा रखने वाले की फ़ज़ीलत ( अच्छाई ) ”
3. “ रोज़े की फ़ज़ीलत ( अच्छाई ) ”
4. “ रोज़ा रखने वाला बेकार और गन्दी बातों से अपने आप को बचाए ”
5. “ सफ़र में रोज़ा रखने का विकल्प ”
6. “ अपवित्र यानि नापाक व्यक्ति नहाने से पहले सहरी खा सकता है ”
7. “ रोज़े की हालत में पत्नी का चुंबन लेना ? ”
8. “ जल्दी रोज़ा खोलना अच्छा है ”
9. “ विसाल का रोज़ा यानि लगातार दिन रात का रोज़ा रखना मना है ”
10. “ जान बूझ कर रोज़ा तोड़ने का कफ़्फ़ारह ”
11. “ दोनों ईदों के दिन का रोज़ा रखना मना है ”
12. “ रमज़ान के बाद शअबान के महीने के रोज़ों की एहमियत ”
13. “ आशूराअ यानि 10 मुहर्रम के दिन के रोज़े के बारे में ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
روزوں کے مسائل
रोज़ों के बारे में
روزے دار فضولیات و لغویات سے بچے
“ रोज़ा रखने वाला बेकार और गन्दी बातों से अपने आप को बचाए ”
حدیث نمبر: 247
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342- وبه: ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”الصيام جنة، فإذا كان احدكم صائما فلا يرفث ولا يجهل، فإن امرؤ قاتله او شاتمه فليقل: إني صائم، إني صائم.“342- وبه: أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”الصيام جنة، فإذا كان أحدكم صائما فلا يرفث ولا يجهل، فإن امرؤ قاتله أو شاتمه فليقل: إني صائم، إني صائم.“
اور اسی سند کے ساتھ (سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے) روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: روزہ ڈھال ہے، پس اگر تم میں سے کوئی روزے سے ہو تو فحش بات نہ کہے اور نہ جہالت کی بات کہے، اگر کوئی آدمی اس سے لڑے یا گالیاں دے تو یہ کہہ دے میں روزے سے ہوں، میں روزے سے ہوں۔

تخریج الحدیث: «342- الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 310/1 ح 696، ك 18 ب 22 ح 57) التمهيد 53/19، الاستذكار: 645، وأخرجه البخاري (1894) من حديث مالك به.»

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