“ दिन और रात में पांच (5) नमाज़ें फ़र्ज़ हैं ” |
2 |
185 سے 186 |
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“ नमाज़ अल्लाह के डर के साथ और गिड़गिड़ा कर पढ़नी चाहिए ” |
2 |
187 سے 188 |
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“ मस्जिद नबवी और बेत अल्लाह के हरम में नमाज़ पढ़ने का सवाब ” |
1 |
189 |
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“ बेत अल्लाह यानि ख़ाना काअबा के अंदर किसी भी तरफ़ मुंह करके नमाज़ पढ़ी जा सकती ” |
1 |
190 |
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“ मस्जिद क़बा में नमाज़ पढ़ने का सवाब ” |
1 |
191 |
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“ नमाज़ पढ़ते समय बेकार की हरकतें करना मना है ” |
1 |
192 |
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“ नमाज़ पढ़ते समय अपने सामने न थूके ” |
1 |
193 |
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“ औरतों का मस्जिद में नमाज़ पढ़ना जाइज़ है ” |
1 |
194 |
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“ औरत चाहे एक हो पीछे अलग सफ़ में नमाज़ पढ़ेगी ” |
1 |
195 |
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“ बैठ कर नमाज़ पढ़ने से आधा सवाब मिलता है ” |
1 |
196 |
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“ अस्र की नमाज़ के बाद और सूरज निकलने तक नमाज़ पढ़ना मना है ” |
2 |
197 سے 198 |
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“ जिस को जमाअत में एक रकअत मिल गई उस को पूरी नमाज़ मिल गई ” |
2 |
199 سے 200 |
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“ एक कपड़े में नमाज़ पढ़ना ” |
3 |
201 سے 203 |
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“ किसी शरई मजबूरी के कारण नमाज़ें जमा करना ” |
1 |
204 |
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“ डर के समय की और सफ़र की नमाज़ के सिवा नमाज़ें जमा करना ” |
1 |
205 |
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“ बच्चे को उठा कर नमाज़ पढ़ना ” |
1 |
206 |
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“ मस्जिद की तरफ़ पैदल या सवारी पर जाना जाइज़ है ” |
1 |
207 |
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