नमाज़ के विभिन्न मसले
1. “ दिन और रात में पांच (5) नमाज़ें फ़र्ज़ हैं ”
2. “ नमाज़ अल्लाह के डर के साथ और गिड़गिड़ा कर पढ़नी चाहिए ”
3. “ मस्जिद नबवी और बेत अल्लाह के हरम में नमाज़ पढ़ने का सवाब ”
4. “ बेत अल्लाह यानि ख़ाना काअबा के अंदर किसी भी तरफ़ मुंह करके नमाज़ पढ़ी जा सकती ”
5. “ मस्जिद क़बा में नमाज़ पढ़ने का सवाब ”
6. “ नमाज़ पढ़ते समय बेकार की हरकतें करना मना है ”
7. “ नमाज़ पढ़ते समय अपने सामने न थूके ”
8. “ औरतों का मस्जिद में नमाज़ पढ़ना जाइज़ है ”
9. “ औरत चाहे एक हो पीछे अलग सफ़ में नमाज़ पढ़ेगी ”
10. “ बैठ कर नमाज़ पढ़ने से आधा सवाब मिलता है ”
11. “ अस्र की नमाज़ के बाद और सूरज निकलने तक नमाज़ पढ़ना मना है ”
12. “ जिस को जमाअत में एक रकअत मिल गई उस को पूरी नमाज़ मिल गई ”
13. “ एक कपड़े में नमाज़ पढ़ना ”
14. “ किसी शरई मजबूरी के कारण नमाज़ें जमा करना ”
15. “ डर के समय की और सफ़र की नमाज़ के सिवा नमाज़ें जमा करना ”
16. “ बच्चे को उठा कर नमाज़ पढ़ना ”
17. “ मस्जिद की तरफ़ पैदल या सवारी पर जाना जाइज़ है ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
نماز کے متفرق مسائل
नमाज़ के विभिन्न मसले
نماز خشوع و خضوع سے پڑھنی چاہئیے
“ नमाज़ अल्लाह के डर के साथ और गिड़गिड़ा कर पढ़नी चाहिए ”
حدیث نمبر: 187
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328- وبه: ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”هل ترون قبلتي هاهنا فوالله ما يخفى على خشوعكم ولا ركوعكم إني لاراكم من وراء ظهري.“328- وبه: أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”هل ترون قبلتي هاهنا فوالله ما يخفى على خشوعكم ولا ركوعكم إني لأراكم من وراء ظهري.“
اور اسی سند کے ساتھ (سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے) روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کیا تم میرا قبلہ یہاں دیکھتے ہو؟ اللہ کی قسم! مجھ پر تمہارا خشوع اور تمہارا رکوع مخفی نہیں ہے، میں تمہیں پیٹھ پیچھے سے بھی دیکھتا ہوں۔

تخریج الحدیث: «328- متفق عليه، الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي 167/1 ح 400، ك 9 ب 23 ح 70 نحو المعنيٰ) التمهيد 346/18، الاستذكار: 370، و أخرجه البخاري (418) ومسلم (424) من حديث مالك به.»
حدیث نمبر: 188
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404- مالك عن علقمة بن ابى علقمة عن امه عن عائشة ام المؤمنين انها قالت: اهدى ابو جهم بن حذيفة لرسول الله صلى الله عليه وسلم خميصة شامية لها علم، فشهد فيها الصلاة، فلما انصرف قال: ”ردي هذه الخميصة إلى ابى جهم، فإني نظرت إلى علمها فى الصلاة فكاد يفتنني.“404- مالك عن علقمة بن أبى علقمة عن أمه عن عائشة أم المؤمنين أنها قالت: أهدى أبو جهم بن حذيفة لرسول الله صلى الله عليه وسلم خميصة شامية لها علم، فشهد فيها الصلاة، فلما انصرف قال: ”ردي هذه الخميصة إلى أبى جهم، فإني نظرت إلى علمها فى الصلاة فكاد يفتنني.“
ام المؤمنین سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ ابوجہم بن حذیفہ رضی اللہ عنہ نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی خدمت میں ایک شامی چادر ہدیہ کی جس پر نقوش تھے تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم اس میں نماز پڑھنے آئے، پھر سلام کے بعد فرمایا: ابوجہم کو یہ چادر واپس کر دو کیونکہ میں نے نماز میں اس کے نقوش کی طرف دیکھا تو قریب تھا کہ یہ مجھے خشوع سے ہٹا دیتی۔

تخریج الحدیث: «404- الموطأ (رواية يحييٰي بن يحييٰي97/1، 98 ح 216، ك 3 ب 18 ح 67) التمهيد 108/20، الاستذكار: 189، و أخرجه أحمد (177/6) من حديث مالك به وصححه ابن حبان (الموارد: 2332) قالو ا: سقط قوله ”أمه“ من السند فى رواية يحيي وهو موجود فى نسخننا من الموطأ (رواية يحيي) والله اعلم.»

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