शिकार के मसलों के बारे में
1. “ अगर बिना एहराम वाला शिकार करके किसी एहराम वाले को देदे, तो एहराम वाले के लिए उसे खाना ठीक होगा ”
2. “ एहराम वाले को शिकार करने में बिना एहराम वाले की मदद नहीं करनी चाहिए ”
3. “ एहराम वाले को शिकार की ओर इशारा नहीं करना चाहिए, ताकि बिना एहराम वाला उसे शिकार कर सके ”
4. “ जब कोई किसी एहराम वाले व्यक्ति को जीवित जंगली गधा भेंट करे तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए ”
5. “ एहराम वाला व्यक्ति किन जानवरों को मार सकता है ? ”
6. “ मक्का में जंग करना जायज़ नहीं है ”
7. “ एहराम की हालत में पिछने लगवाना जायज़ है ”
8. “ एहराम में निकाह करना ”
9. “ एहराम में ग़ुस्ल करना ( ठीक है ) ”
10. “ बिना एहराम के हरम और मक्का में प्रवेश करना ”
11. “ मृतक की ओर से हज्ज करना और नज़र पूरी करना और महिला की ओर से पुरुष का हज्ज करना ”
12. “ बच्चों का हज्ज करना भी ठीक है ”
13. “ महिलाओं का हज्ज ”
14. “ कोई काअबा तक चलने की मन्नत माने ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
شکار کی جزا کا بیان
शिकार के मसलों के बारे में
جب کوئی شخص احرام والے شخص کو زندہ گورخر ہدیتا دے تو اسے چاہیے کہ قبول نہ کرے۔
“ जब कोई किसी एहराम वाले व्यक्ति को जीवित जंगली गधा भेंट करे तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए ”
حدیث نمبر: 887
Save to word مکررات اعراب
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما سے روایت ہے کہ سیدنا صعب بن جثامہ لیثی رضی اللہ عنہ نے ایک گورخر رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو ہدیتاً دیا اور اس وقت آپ صلی اللہ علیہ وسلم مقام ابواء یا مقام دوران میں تھے، تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اسے واپس کر دیا پھر جب ان کے چہرے پر رنج کا اثر دیکھا تو فرمایا: ہم نے صرف اسی وجہ سے واپس کیا کہ ہم احرام باندھے ہوئے ہیں۔

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