शिकार के मसलों के बारे में
1. “ अगर बिना एहराम वाला शिकार करके किसी एहराम वाले को देदे, तो एहराम वाले के लिए उसे खाना ठीक होगा ”
2. “ एहराम वाले को शिकार करने में बिना एहराम वाले की मदद नहीं करनी चाहिए ”
3. “ एहराम वाले को शिकार की ओर इशारा नहीं करना चाहिए, ताकि बिना एहराम वाला उसे शिकार कर सके ”
4. “ जब कोई किसी एहराम वाले व्यक्ति को जीवित जंगली गधा भेंट करे तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए ”
5. “ एहराम वाला व्यक्ति किन जानवरों को मार सकता है ? ”
6. “ मक्का में जंग करना जायज़ नहीं है ”
7. “ एहराम की हालत में पिछने लगवाना जायज़ है ”
8. “ एहराम में निकाह करना ”
9. “ एहराम में ग़ुस्ल करना ( ठीक है ) ”
10. “ बिना एहराम के हरम और मक्का में प्रवेश करना ”
11. “ मृतक की ओर से हज्ज करना और नज़र पूरी करना और महिला की ओर से पुरुष का हज्ज करना ”
12. “ बच्चों का हज्ज करना भी ठीक है ”
13. “ महिलाओं का हज्ज ”
14. “ कोई काअबा तक चलने की मन्नत माने ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
شکار کی جزا کا بیان
शिकार के मसलों के बारे में
احرام والے شخص کو چاہیے کہ وہ شکار کرنے میں کسی غیر احرام والے شخص کی اعانت نہ کرے۔
“ एहराम वाले को शिकार करने में बिना एहराम वाले की मदद नहीं करनी चाहिए ”
حدیث نمبر: 885
Save to word مکررات اعراب
سیدنا ابوقتادہ رضی اللہ عنہ ہی ایک روایت میں کہتے ہیں کہ ہم لوگ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے ہمراہ مقام قاحہ میں مدینہ سے تین میل کے فاصلے پر تھے اور ہم میں سے کچھ لوگ احرام کی حالت میں تھے اور کچھ بغیر احرام کے تھے اور پھر پوری حدیث بیان کی دیکھیں باب: اگر بغیر احرام کے آدمی شکار کرے اور احرام والے کو ہدیتاً دے تو احرام والے کے لیے اس کا کھانا جائز ہے۔۔۔) بیان کی۔

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