शिकार के मसलों के बारे में
1. “ अगर बिना एहराम वाला शिकार करके किसी एहराम वाले को देदे, तो एहराम वाले के लिए उसे खाना ठीक होगा ”
2. “ एहराम वाले को शिकार करने में बिना एहराम वाले की मदद नहीं करनी चाहिए ”
3. “ एहराम वाले को शिकार की ओर इशारा नहीं करना चाहिए, ताकि बिना एहराम वाला उसे शिकार कर सके ”
4. “ जब कोई किसी एहराम वाले व्यक्ति को जीवित जंगली गधा भेंट करे तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए ”
5. “ एहराम वाला व्यक्ति किन जानवरों को मार सकता है ? ”
6. “ मक्का में जंग करना जायज़ नहीं है ”
7. “ एहराम की हालत में पिछने लगवाना जायज़ है ”
8. “ एहराम में निकाह करना ”
9. “ एहराम में ग़ुस्ल करना ( ठीक है ) ”
10. “ बिना एहराम के हरम और मक्का में प्रवेश करना ”
11. “ मृतक की ओर से हज्ज करना और नज़र पूरी करना और महिला की ओर से पुरुष का हज्ज करना ”
12. “ बच्चों का हज्ज करना भी ठीक है ”
13. “ महिलाओं का हज्ज ”
14. “ कोई काअबा तक चलने की मन्नत माने ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
شکار کی جزا کا بیان
शिकार के मसलों के बारे में
جو شخص کعبہ تک پیدل جانے کی منت مانے۔
“ कोई काअबा तक चलने की मन्नत माने ”
حدیث نمبر: 900
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سیدنا انس رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک بوڑھے آدمی کو دیکھا کہ وہ اپنے دو بیٹوں کے درمیان چلایا جا رہا تھا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے دریافت فرمایا: اس کو کیا ہوا ہے؟ لوگوں نے عرض کی کہ اس نے پیدل جانے کی نذر مانی ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تعالیٰ اس کی جان کو تکلیف دینے سے بےنیاز ہے۔ اور اس بوڑھے کو حکم دیا کہ سوار ہو کر چلے۔
حدیث نمبر: 901
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سیدنا عقبہ بن عامر رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میری بہن نے بیت اللہ تک پیدل جانے کی نذر مانی اور مجھ سے کہا کہ میں اس بارے میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے دریافت کروں۔ چنانچہ میں نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے دریافت کیا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس کو چاہیے کہ تھوڑا پیدل بھی چلے اور سوار بھی ہو۔

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