शिकार के मसलों के बारे में
1. “ अगर बिना एहराम वाला शिकार करके किसी एहराम वाले को देदे, तो एहराम वाले के लिए उसे खाना ठीक होगा ”
2. “ एहराम वाले को शिकार करने में बिना एहराम वाले की मदद नहीं करनी चाहिए ”
3. “ एहराम वाले को शिकार की ओर इशारा नहीं करना चाहिए, ताकि बिना एहराम वाला उसे शिकार कर सके ”
4. “ जब कोई किसी एहराम वाले व्यक्ति को जीवित जंगली गधा भेंट करे तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए ”
5. “ एहराम वाला व्यक्ति किन जानवरों को मार सकता है ? ”
6. “ मक्का में जंग करना जायज़ नहीं है ”
7. “ एहराम की हालत में पिछने लगवाना जायज़ है ”
8. “ एहराम में निकाह करना ”
9. “ एहराम में ग़ुस्ल करना ( ठीक है ) ”
10. “ बिना एहराम के हरम और मक्का में प्रवेश करना ”
11. “ मृतक की ओर से हज्ज करना और नज़र पूरी करना और महिला की ओर से पुरुष का हज्ज करना ”
12. “ बच्चों का हज्ज करना भी ठीक है ”
13. “ महिलाओं का हज्ज ”
14. “ कोई काअबा तक चलने की मन्नत माने ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
شکار کی جزا کا بیان
शिकार के मसलों के बारे में
حرم کے اندر اور مکہ میں بغیر احرام کے داخل ہونا۔
“ बिना एहराम के हरम और मक्का में प्रवेश करना ”
حدیث نمبر: 895
Save to word مکررات اعراب
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم فتح مکہ کے سال مکہ میں داخل ہوئے تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے سرمبارک پر اس وقت ایک خود تھا پھر جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اس کو اتارا تو ایک شخص آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا اور اس نے کہا ابن خطل نامی بدبخت کافر کعبہ کے پردے پکڑ کر لٹک رہا ہے تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس کو وہیں قتل کر دو۔

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