जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
2452. “ अल्लाह तआल का अर्श और कुर्सी की तुलना आसमानों के साथ ، अल्लाह तआल की कुर्सी की ख़ूबियाँ ”
2453. “ जिब्रईल अलैहिस्सलाम कैसे उतरेंगे ”
2454. “ आसमान का चुचुराना ، रसूल अल्लाह ﷺ का चुचुराहट सुनकर उसका कारण बताना ”
2455. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सबसे अच्छे समय में भेजा गया था ”
2456. “ बचपन में रसूल अल्लाह ﷺ के पेट चाक करने की घटना ، रसूल अल्लाह ﷺ उम्मत के सभी लोगों से भारी ”
2457. “ रसूल अल्लाह ﷺ पर वही कैसे आती थी ”
2458. “ रसूल अल्लाह ﷺ की नम्रता ”
2459. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने बंदा बनना पसंद किया ”
2460. “ पेड़ के तने का रोना ”
2461. “ रसूल अल्लाह ﷺ और उनकी उम्मत दोनों एक दूसरे का नसीब ”
2462. “ क्या रसूल अल्लाह ﷺ ने अल्लाह को देखा ? ”
2463. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सपने में देखना ”
2464. “ असरा और मअराज की घटना ”
2465. “ अल्लाह तआल ने क़ुरैश को बादशाहत दी ”
2466. “ मूसा अलैहिस्सलाम ने किस अवधि को पूरा किया ? ”
2467. “ आदम और मूसा अलैहिमुस्सलाम के बीच बहस ”
2468. “ अल्लाह ताअला ने आदम अलैहिस्सलाम की पूरी नसल से वादा लिया ”
2469. “ अर्श को संभालने वाले फ़रिश्तों का शारीरिक ढांचा ”
2470. “ अर्श के निचे खड़े एक मुर्ग़े की बनावट ”
2471. “ कोई भी अल्लाह ताअला की पैदा की गई चीज़ों का अंदाज़ा नहीं कर सकता ”
2472. “ जहन्नम की शिकायत और उसका उपाय ”
2473. “ पहले और पिछले लोगों में से बदनसीब व्यक्ति ”
2474. “ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की सुंदरता ”
2475. “ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की महानता और सब्र ”
2476. “ मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम की बूढ़ी औरत की चालाकी ، यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को उनकी क़ब्र से दूसरी जगह लेजाना ”
2477. “ यहूदी इकहत्तर ، इसाई बहत्तर समुदायों में बंटे और मुस्लिम उम्मत तिहत्तर में ”
2478. “ आदम अलैहिस्सलाम को तीन प्रकार की मिट्टी से बनाया गया ”
2479. “ आदम अलैहिस्सलाम का ढांचा देखकर इब्लीस ने अपनी सफलता का अंदाज़ा लगाया ”
2480. “ आदम अलैहिस्सलाम का छींकना ”
2481. “ आदम अलैहिस्सलाम की छवि और क़द ”
2482. “ सलाम करने की शरुआत आदम अलैहिस्सलाम से हुई ”
2483. “ पहला मेज़बान और पहला ख़तना ”
2484. “ नबियों की संख्या ، रसूल और नबी के बीच अंतर ، आदम और नूह और नूह और इब्राहीम अलैहिमुस्सलाम के बीच की दूरी ”
2485. “ मूसा अलैहिस्सलाम का रंग-रूप और इब्राहीम अलैहिस्सलाम अहराम की हालत में ”
2486. “ मूसा अलैहिस्सलाम को तौरात की तख़्तियां और मुझे क़ुरआन की सूरतें दी गईं ”
2487. “ मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला की पसंद थे ”
2488. “ सबसे पहले नबी ”
2489. “ अपने बेटे को नूह अलैहिस्सलाम की नसिहत ”
2490. “ नबियों की आंखें सोती हैं ، जबकि दिल जागता रहता है ”
2491. “ नबियों का बरज़ख़ी जीवन में नमाज़ पढ़ना ”
2492. “ सांडा ( मोटे गिरगिट जैसा एक जानवर ) क्या है ”
2493. “ अल्लाह तआला की एक मुट्ठी में जन्नत और दूसरी में जहन्नम ”
2494. “ अल्लाह तआला ने अपनी रहमत के शब्त अपने हाथ से लिखे ”
2495. “ पाप छह घड़ियों तक नहीं लिखा जाता है ”
2496. “ शैतान ने गुमराह करने की चुनौती दी और अल्लाह ने क्षमा करने का दावा किया ، लेकिन . . ”
2497. “ जज़ीरा अरब में शैतान की पूजा नहीं की जा सकती ، लेकिन . . ”
2498. “ आदम की औलाद के रंग और स्वभाव अलग क्यों हैं ? ”
2499. “ हिदायत और गुमराही के बारे में नसीब के फ़ैसले ”
2500. “ जन्नत वालों और जहन्नम वालों के बारे में नसीब के फ़ैसले ”
2501. “ बादलों का बोलना और हंसना ”
2502. “ सबसे पहला प्राणी ”
2503. “ मूर्तियों की पूजा करने वाला पहला व्यक्ति ”
2504. “ मूसा अलैहिस्सलाम के बाद बनि इसराईल के ख़लीफ़ा की कहानी ”
2505. “ तौरात के उतरने के बाद किसी भी क़ौम को आसमानी अज़ाब से हलाक नहीं किया गया ، सिवाए .. ”
2506. “ बनि इसराईल ने तौरात को छोड़ दिया और अपनी ख़ुद की एक किताब लिख ली ”
2507. “ बनि इसराईल के सबसे अच्छे लोग अबू क़रन वाले लोग थे ”
2508. “ बनि इसराईल के तीन लोगों की माल से आज़माइश ، दुनिया के माल की बिना पर अल्लाह को नहीं भूलना चाहिए ”
2509. “ हज़रत हाजरा अलैहिस्सलाम ने ज़मज़म के पानी को कैसे रोका ? ”
2510. “ बनि इसराईल के एक उधार लेने वाले की कहानी ، सच्चे दिल से अल्लाह को कफ़ील बनाने का फल ”
2511. “ यूशअ बिन नून के लिए सूर्य का रुक जाना ، पिछली उम्मतों का माल ग़नीमत आग खा जाती थी ”
2512. “ शैतान एक जूते में चलता है ، इस लिए . . ”
2513. “ सूर फूंकने वाले फ़रिश्ते का हाल ”
2514. “ एक सौ लोगों को क़त्ल करने वाले की तौबा ”
2515. “ फ़िरऔन की पत्नी आसियह पर बाबलों की छाया , आसियह की दुआ स्वीकार की गई ”
2516. “ शराब बुराइयों की मां है , एक आदमी ने ज़िना , क़त्ल और सूअर के मांस से बचने के लिए शराब पी थी , लेकिन . . ”
2517. “ अय्यूब अलैहिस्सलाम की बीमारी की घटना ”
2518. “ ग़ुस्ल करते समय अय्यूब अलैहिस्सलाम पर गिरती सुनहरी टिड्डियाँ ”
2519. “ इस्लाम को मानने की फ़ज़ीलत और अपने वंश पर घमंड करने का बोझ ”
2520. “ हर नबी को मृत्यु से पहले जन्नत का ठिकाना दिखाया जाता है , पैगंबर के जीवन के अंतिम शब्द ”
2521. “ सहाबा के बाद के मुसलमानों का ईमान , कई रूप से , सबसे पसंदीदा है ”
2522. “ ईसा अलैहिस्सलाम को कैसे पवित्र किया जाएगा ”
2523. “ ईसा अलैहिस्सलाम की नम्रता की एक मिसाल ”
2524. “ ईसा अलैहिस्सलाम के बाद अमन होगा ”
2525. “ घोड़ों में बरकत है ”
2526. “ बेत मअमूर में इबादत करने वाले फ़रिशतों की संख्या ”
2527. “ यहूदियों ने रसूल अल्लाह ﷺ से पूछा कि बच्चे का रूप मां या बाप पर कैसे जाता है और बादल कैसे गरजते हैं ”
2528. “ बनि इसराईल के कुछ लोगों की लाश सौ वर्ष के बाद क़ब्र में से निकाली ”
2529. “ क्या साँपों का रूप बिगाड़ दिया गया है ? ”
2530. “ छिपकली को मारना और क्यों ”
2531. “ गंदे जानवर और उन्हें मारने का हुक्म ”
2532. “ कयनात कि चीज़ों को कैसे पैदा किया गया ”
2533. “ फ़रिशतों को रौशनी से , इन्सान को मिट्टी से और शैतान को आग से बनाया गया ”
2534. “ वह जो ख़ुत्बा दे और उस पर ख़ुद अमल न करे उसका अंत ”
2535. “ सिदरतुल मुन्तहा और उस से निकलने वाली चार नहरें ”
2536. “ एक हवा है , लेकिन किसी के लिए रहम तो किसी के लिए मुसीबत है ”
2537. “ हज़रत मिकाईल जहन्नम के पैदा किये जाने के बाद नहीं हँसे ”
2538. “ दाऊद अलैहिस्सलाम बहुत इबादत करते थे ”
2539. “ हज़रत सौदा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने अपनी बारी हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा को दी ”
2540. “ औरतें ऐसे कपड़े नहीं पहन सकतीं जो पुरुषों को अपनी ओर खींचें ”
2541. “ बेसब्री का अंत ”
2542. “ नबियों पर आज़माइशें सख़्त की जाती हैं ”
2543. “ हर नबी को उसके लोगों की भाषा के साथ भेजा गया था ”
2544. “ अल्लाह तआला के ज्ञान की तुलना में हज़रत मूसा और ख़िज़्र अलैहिमुस्सलाम का ज्ञान ”
2545. “ अल्लाह का अज़ाब ”
2546. “ आम अच्छे लोग भी सिफ़ारिश करेंगे ”
2547. “ तुब्बअ और ज़ुलक़रनैन कौन थे ”
2548. “ हर चीज़ अल्लाह तआला की तस्बीह करती है ”
2549. “ इन्सान अल्लाह तआला को कैसे बेबस कर सकता है , हालांकि ... ”
2550. “ हर फ़रिश्ते नई सींगी लगवाने की नसिहत की ”
2551. “ बिगड़ी हुई क़ौम की नसल नहीं होती है ”
2552. “ याहया अलैहिस्सलाम से कोई ग़लती नहीं हुई ”
2553. “ हर ऊंट के ऊपर शैतान है , इसलिए ... ”
2554. “ बारिश की मात्रा हर साल बराबर होती है , लेकिन ... ”
2555. “ मृतक के पक्ष में लोगों की गवाही की अहमियत ”
2556. “ अल्लाह तआला के डर से एक फ़रिश्ते का हाल ”
2557. “ हजर अस्वद जन्नत से सफ़ेद उतरा गया था , लेकिन वह काला क्यों हो गया ? ”
2558. “ सूर्य कीचड़ में डूबता है और सज्दा करता है ”
2559. “ टिड्डियां भी अल्लाह की फ़ौज हैं इसलिए ... ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
المبتدا والانبياء وعجائب المخلوقات
ابتدائے (مخلوقات)، انبیا و رسل، عجائبات خلائق
जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
بنو اسرائیل کے تین افراد کی دنیوی مال کے ذریعے آزمائش، دنیوی نعمتوں کی وجہ سے اللہ تعالیٰ کو نہیں بھلا دینا چاہیے
“ बनि इसराईल के तीन लोगों की माल से आज़माइश ، दुनिया के माल की बिना पर अल्लाह को नहीं भूलना चाहिए ”
حدیث نمبر: 3862
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- (إن ثلاثة في بني إسرائيل: ابرص، واقرع، واعمى، فاراد الله ان يبتليهم، فبعث إليهم ملكا، فاتى الابرص، فقال: اي شيء احب إليك؟ قال: لون حسن، وجلد حسن، ويذهب عني الذي قد قذرني الناس. قال: فمسحه، فذهب عنه قذره، واعطي لونا حسنا، وجلدا حسنا، قال: فاي المال احب إليك، قال: الإبل- او قال: البقر؛ شك إسحاق؛ إلا ان الابرص او الاقرع قال احدهما: الإبل، وقال الآخر: البقر-، قال: فاعطي ناقة عشراء، فقال: بارك الله لك فيها! قال: فاتى الاقرع فقال: اي شيء احب إليك؟ قال: شعر حسن، ويذهب عئي هذا الذي قذرني الناس، قال: فمسحه، فذهب عنه، واعطي شعرا حسنا، قال: فاي المال احب إليك؟ قال: البقر، فاعطي بقرة حاملا، فقال: بارك الله لك فيها! قال: فاتى الاعمى، فقال: اي شيء احب إليك؟ قال: ان يرد الله إلي بصري، فابصر به الناس، قال: فمسحه، فرد الله إليه بصره، قال: فاي المال احب إليك؟ قال: الغنم، فاعطي شاة والدا، فانتج هذان، وولد هذا، قال: فكان لهذا واد من الإبل، ولهذا واد من البقر، ولهذا واد من الغنم. قال: ثم إنه اتى الابرص في صورته وهيئته، فقال: رجل مسكين، قد انقطعت بي الحبال في سفري، فلا بلاغ لي اليوم إلا بالله ثم بك، اسالك- بالذي اعطاك اللون الحسن، والجلد الحسن، والمال- بعيرا اتبلغ عليه في سفري، فقال: الحقوق كثيرة، فقال له: كاني اعرفك، الم تكن ابرص، يقذرك الناس؟! فقيرا فاعطاك الله؟! فقال: إنما ورثت هذا المال كابرا عن كابر! فقال: إن كنت كاذبا؛ فصيرك الله إلى ما كنت! قال: واتى الاقرع في صورته، فقال له مثل ما قال لهذا، ورد عليه مثل ما رد على هذا، فقال: إن كنت كاذبا؛ فصيرك الله إلى ما كنت! قال: واتى الاعمى في صورته وهيئته، فقال: رجل مسكين، وابن سبيل، انقطعت بي الحبال في سفري، فلا بلاغ لي اليوم إلا بالله ثم بك، اسالك- بالذي رد عليك بصرك- شاة اتبلغ بها في سفري. فقال: قد كنت اعمى، فرد الله إلي بصري، فخذ ما شئت، ودع ما شئت، فوالله! لا اجهدك اليوم شيئا اخذته لله! فقال: امسك مالك؛ فإنما ابتليتم، فقد رضي [الله] عنك، وسخط على صاحبيك).- (إنّ ثلاثةً في بني إسرائيل: أبرص، وأقرع، وأعمى، فأراد الله أن يبتليهم، فبعث إليهم ملكاً، فأتى الأبرص، فقال: أيّ شيء أحبّ إليك؟ قال: لونٌ حسنٌ، وجلدٌ حسنٌ، ويذهب عني الذي قد قذرني الناس. قال: فمسحه، فذهب عنه قذره، وأعطي لوناً حسناً، وجلداً حسناً، قال: فأي المال أحب إليك، قال: الإبل- أو قال: البقر؛ شك إسحاق؛ إلا أن الأبرص أو الأقرع قال أحدُهما: الإبلُ، وقال الآخرُ: البقرُ-، قال: فأعطي ناقةٌ عُشراءَ، فقال: بارك الله لك فيها! قال: فأتى الأقرع فقال: أي شيء أحبّ إليك؟ قال: شعرٌ حسنٌ، ويذهبُ عئي هذا الذي قذرني الناسُ، قال: فمسحه، فذهب عنه، واُعطي شعراً حسناً، قال: فأي المال أحبّ إليك؟ قال: البقرُ، فأعطي بقرةً حاملاً، فقال: بارك الله لك فيها! قال: فأتى الأعمى، فقال: أي شيء أحبّ إليك؟ قال: أن يردّ الله إليّ بصري، فأبصر به الناس، قال: فمسحه، فردّ الله إليه بصره، قال: فأي المال أحبّ إليك؟ قال: الغنم، فأعطي شاةً والداً، فأنتج هذان، وولد هذا، قال: فكان لهذا واد من الإبل، ولهذا واد من البقر، ولهذا واد من الغنم. قال: ثم إنّه أتى الأبرص في صورته وهيئته، فقال: رجلٌ مسكين، قد انقطعت بي الحبالُ في سفري، فلا بلاغ لي اليوم إلا بالله ثم بك، أسألك- بالذي أعطاك اللون الحسن، والجلد الحسن، والمال- بعيراً أتبلغ عليه في سفري، فقال: الحقوقُ كثيرةٌ، فقال له: كأني أعرفك، ألم تكن أبرص، يقذرك الناس؟! فقيراً فأعطاك الله؟! فقال: إنّما ورثت هذا المال كابراً عن كابر! فقال: إن كنت كاذباً؛ فصيرك الله إلى ما كنت! قال: وأتى الأقرع في صورته، فقال له مثل ما قال لهذا، وردّ عليه مثل ما رد على هذا، فقال: إن كنت كاذباً؛ فصيرك الله إلى ما كنت! قال: وأتى الأعمى في صورته وهيئته، فقال: رجلٌ مسكين، وابن سبيل، انقطعت بي الحبالُ في سفري، فلا بلاغ لي اليوم إلا بالله ثم بك، أسألك- بالذي ردّ عليك بصرك- شاة أتبلغ بها في سفري. فقال: قد كنتُ أعمى، فرد الله إلي بصري، فخذ ما شئت، ودع ما شئت، فوالله! لا أجهدك اليوم شيئاً أخذته لله! فقال: أمسك مالك؛ فإنما ابتليتم، فقد رضي [الله] عنك، وسخط على صاحبيك).
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میں نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا: بنی اسرائیل میں سے تین آدمی تھے، ایک برص (‏‏‏‏سفید داغوں) کے مرض میں مبتلا تھا، دوسرا گنجا اور تیسرا اندھا تھا۔ اللہ تعالیٰ نے ان کو آزمانے کا ارادہ فرمایا، پس ان کی طرف ایک فرشتہ پہلے برص والے کے پاس آیا اور اس سے پوچھا، تجھے کون سی چیز سب سے زیادہ محبوب ہے؟ اس نے جواب دیا: اچھا رنگ، خوبصورت جسم، نیز یہ بیماری مجھ سے دور ہو جائے، جس کی وجہ سے لوگ مجھ سے گھن کھاتے ہیں۔ فرشتے نے اس کے جسم پر ہاتھ پھیرا، جس سے (‏‏‏‏اللہ کے حکم سے) اس کی گھن والی بیماری دور ہو گئی اور اسے خوبصورت رنگ دے دیا گیا۔ فرشتے نے اس سے پھر پوچھا: تجھے کون سا مال زیادہ پسند ہے؟ اس نے جواباً اونٹ یا گائے کہا۔ (‏‏‏‏اس کی بابت اسحاق راوی کو شک ہوا، لیکن اتنی بات ضرور ہے کہ برص والے اور گنجے میں سے ایک نے اونٹ کا ذکر کیا اور ایک نے گائے کا)۔ چنانچہ اسے آٹھ دس مہینے کی گابھن اونٹنی دیدی گئی اور فرشتے نے اسے دعا دی کہ اللہ تعالیٰ تیرے لیے اس میں برکت عطا فرمائے۔ پھر وہ فرشتہ گنجے کے پاس آیا اور پوچھا: تجھے کون سی چیز سب سے زیادہ پسند ہے؟ اس نے کہا: اچھے بال، یہ میرا (‏‏‏‏گنجاپن) ختم ہو جائے، جس کی وجہ سے لوگ مجھ سے نفرت کرتے ہیں۔ فرشتے نے اس کے جسم پر ہاتھ پھیرا، جس سے اس کا گنجاپن دور ہو گیا اور اسے (‏‏‏‏اللہ تعالیٰ کی طرف سے) خوبصورت بال عطا کر دیے گئے۔ فرشتے نے اس سے پوچھا: تجھے کون سا مال زیادہ پسند ہے؟ اس نے کہا: گائے۔ چنانچہ اسے ایک حاملہ گائے دے دی گئی اور دعا دی کہ اللہ تعالیٰ تیرے لیے ان اس میں برکت عطا فرمائے۔ اس کے بعد فرشتہ اندھے کے پاس آیا، اس سے پوچھا، تجھے کون سی چیز سب سے زیادہ پسند ہے؟ اس نے کہا: یہ کہ اللہ تعالیٰ مجھے میری بینائی واپس لوٹا دے، پس میں لوگوں کو دیکھوں۔ فرشتے نے اس پر ہاتھ پھیرا، پس اللہ تعالیٰ نے اس کی بینائی بحال کر دی، فرشتے نے اس سے پوچھا: تجھے کون سا مال زیادہ پسند ہے؟ اس نے کہا: بکریاں۔ پس اسے بچہ جننے والی ایک بکری دے دی گئی۔ پس سابقہ دونوں (‏‏‏‏برص والے اور گنجے) کے ہاں بھی دونوں جانوروں (‏‏‏‏اونٹنی اور گائے) کی نسل خوب بڑھی اور اس نابینا کے ہاں بھی بکری نے بچے دیے۔ سو (‏‏‏‏برص والے کے ہاں) ایک وادی اونٹوں کی، گنجے کے ہاں ایک وادی گائیوں کی اور اس اندھے کے ہاں ایک وادی بکریوں کی ہو گئی۔ اب پھر فرشتہ برص والے کے پاس گیا، اس کی صورت اور ہیئت میں آیا اور کہا کہ میں مسکین آدمی ہوں، سفر میں میرے وسائل ختم ہو گئے ہیں، آج میرے وطن پہنچنے کا کوئی وسیلہ، اللہ تعالیٰ اور پھر تیرے علاوہ نہیں، اس لیے میں تجھ سے اس ذات کے نام سے جس نے تجھے اچھا رنگ، خوبصورت جسم اور مال عطا کیا ہے، ایک اونٹ کا سوال کرتا ہوں، جس کے ذریعے میں اپنے سفر میں منزل مقصود تک پہنچ جاؤں۔ اس نے جواب دیا: (‏‏‏‏میرے ذمے پہلے ہی) بہت سے حقوق ہیں، یہ سن کر فرشتے نے اس سے کہا: گویا کہ میں تجھے پہچانتا ہوں، کیا تو وہی نہیں کہ جس کے جسم پر سفید داغ تھے، لوگ تجھ سے گھن کرتے تھے، تو فقیر تھا، اللہ تعالیٰ نے تجھے مال سے نواز دیا؟ اس نے کہا: یہ مال تو مجھے باپ دادا سے ورثے میں ملا ہے، فرشتے نے کہا: اگر تو جھوٹا ہے تو اللہ تعالیٰ تجھے ویسا ہی کر دے، جیسا کہ تو تھا۔ اب فرشتہ گنجے کے پاس اس کی پہلی شکل و صورت میں آیا اور اس سے بھی وہی کہا جو (‏‏‏‏برص والے) کو کہا تھا اور اس گنجے نے بھی وہی جواب دیا جو برص والے نے دیا تھا، جس پر فرشتے نے اسے بھی بددعا دی، کہ اگر تو جھوٹا ہے تو اللہ تعالیٰ تجھے ویسا ہی کر دے، جیسا کہ تو پہلے تھا۔ فرشتہ (‏‏‏‏پھر) اندھے کے پاس آیا اور کہا کہ میں مسکین اور مسافر آدمی ہوں، سفر کے وسائل ختم ہو گئے ہیں، آج میں نے وطن پہنچنا، اللہ تعالیٰ کی مدد، پھر تیری مالی اعانت کے بغیر ممکن نہیں، اس لیے میں تجھ سے اس ذات کے نام سے، جس نے تیری بینائی تجھ پر لوٹا دی، ایک بکری کا سوال کرتا ہوں تاکہ اس کے ذریعے سے میں اپنی منزل مقصود تک پہنچ جاؤں۔ اندھے نے کہا: بلاشبہ میں اندھا تھا، اللہ تعالیٰ نے میری بینائی بحال کر دی (‏‏‏‏تیرے سامنے بکریوں کا ریوڑ ہے، ان میں سے) جو چاہے لے لے اور جو چاہے چھوڑ دے، اللہ تعالیٰ کی قسم! آج میں، جو تو اللہ کے لیے لے گا، اس میں تجھ سے کوئی جھگڑا نہیں کروں گا، یہ سن کر فرشتے نے اسے کہا: اپنا مال اپنے پاس رکھو، بیشک تمہیں آزمایا گیا ہے (‏‏‏‏ جس میں تو کامیاب رہا) پس اللہ تعالیٰ تجھ سے راضی ہو گیا (‏‏‏‏ اور تیرے دونوں ساتھی ناکام رہے) ان پر تیرا رب ناراض ہو گیا۔

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