जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
2452. “ अल्लाह तआल का अर्श और कुर्सी की तुलना आसमानों के साथ ، अल्लाह तआल की कुर्सी की ख़ूबियाँ ”
2453. “ जिब्रईल अलैहिस्सलाम कैसे उतरेंगे ”
2454. “ आसमान का चुचुराना ، रसूल अल्लाह ﷺ का चुचुराहट सुनकर उसका कारण बताना ”
2455. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सबसे अच्छे समय में भेजा गया था ”
2456. “ बचपन में रसूल अल्लाह ﷺ के पेट चाक करने की घटना ، रसूल अल्लाह ﷺ उम्मत के सभी लोगों से भारी ”
2457. “ रसूल अल्लाह ﷺ पर वही कैसे आती थी ”
2458. “ रसूल अल्लाह ﷺ की नम्रता ”
2459. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने बंदा बनना पसंद किया ”
2460. “ पेड़ के तने का रोना ”
2461. “ रसूल अल्लाह ﷺ और उनकी उम्मत दोनों एक दूसरे का नसीब ”
2462. “ क्या रसूल अल्लाह ﷺ ने अल्लाह को देखा ? ”
2463. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सपने में देखना ”
2464. “ असरा और मअराज की घटना ”
2465. “ अल्लाह तआल ने क़ुरैश को बादशाहत दी ”
2466. “ मूसा अलैहिस्सलाम ने किस अवधि को पूरा किया ? ”
2467. “ आदम और मूसा अलैहिमुस्सलाम के बीच बहस ”
2468. “ अल्लाह ताअला ने आदम अलैहिस्सलाम की पूरी नसल से वादा लिया ”
2469. “ अर्श को संभालने वाले फ़रिश्तों का शारीरिक ढांचा ”
2470. “ अर्श के निचे खड़े एक मुर्ग़े की बनावट ”
2471. “ कोई भी अल्लाह ताअला की पैदा की गई चीज़ों का अंदाज़ा नहीं कर सकता ”
2472. “ जहन्नम की शिकायत और उसका उपाय ”
2473. “ पहले और पिछले लोगों में से बदनसीब व्यक्ति ”
2474. “ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की सुंदरता ”
2475. “ यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की महानता और सब्र ”
2476. “ मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम की बूढ़ी औरत की चालाकी ، यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को उनकी क़ब्र से दूसरी जगह लेजाना ”
2477. “ यहूदी इकहत्तर ، इसाई बहत्तर समुदायों में बंटे और मुस्लिम उम्मत तिहत्तर में ”
2478. “ आदम अलैहिस्सलाम को तीन प्रकार की मिट्टी से बनाया गया ”
2479. “ आदम अलैहिस्सलाम का ढांचा देखकर इब्लीस ने अपनी सफलता का अंदाज़ा लगाया ”
2480. “ आदम अलैहिस्सलाम का छींकना ”
2481. “ आदम अलैहिस्सलाम की छवि और क़द ”
2482. “ सलाम करने की शरुआत आदम अलैहिस्सलाम से हुई ”
2483. “ पहला मेज़बान और पहला ख़तना ”
2484. “ नबियों की संख्या ، रसूल और नबी के बीच अंतर ، आदम और नूह और नूह और इब्राहीम अलैहिमुस्सलाम के बीच की दूरी ”
2485. “ मूसा अलैहिस्सलाम का रंग-रूप और इब्राहीम अलैहिस्सलाम अहराम की हालत में ”
2486. “ मूसा अलैहिस्सलाम को तौरात की तख़्तियां और मुझे क़ुरआन की सूरतें दी गईं ”
2487. “ मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह तआला की पसंद थे ”
2488. “ सबसे पहले नबी ”
2489. “ अपने बेटे को नूह अलैहिस्सलाम की नसिहत ”
2490. “ नबियों की आंखें सोती हैं ، जबकि दिल जागता रहता है ”
2491. “ नबियों का बरज़ख़ी जीवन में नमाज़ पढ़ना ”
2492. “ सांडा ( मोटे गिरगिट जैसा एक जानवर ) क्या है ”
2493. “ अल्लाह तआला की एक मुट्ठी में जन्नत और दूसरी में जहन्नम ”
2494. “ अल्लाह तआला ने अपनी रहमत के शब्त अपने हाथ से लिखे ”
2495. “ पाप छह घड़ियों तक नहीं लिखा जाता है ”
2496. “ शैतान ने गुमराह करने की चुनौती दी और अल्लाह ने क्षमा करने का दावा किया ، लेकिन . . ”
2497. “ जज़ीरा अरब में शैतान की पूजा नहीं की जा सकती ، लेकिन . . ”
2498. “ आदम की औलाद के रंग और स्वभाव अलग क्यों हैं ? ”
2499. “ हिदायत और गुमराही के बारे में नसीब के फ़ैसले ”
2500. “ जन्नत वालों और जहन्नम वालों के बारे में नसीब के फ़ैसले ”
2501. “ बादलों का बोलना और हंसना ”
2502. “ सबसे पहला प्राणी ”
2503. “ मूर्तियों की पूजा करने वाला पहला व्यक्ति ”
2504. “ मूसा अलैहिस्सलाम के बाद बनि इसराईल के ख़लीफ़ा की कहानी ”
2505. “ तौरात के उतरने के बाद किसी भी क़ौम को आसमानी अज़ाब से हलाक नहीं किया गया ، सिवाए .. ”
2506. “ बनि इसराईल ने तौरात को छोड़ दिया और अपनी ख़ुद की एक किताब लिख ली ”
2507. “ बनि इसराईल के सबसे अच्छे लोग अबू क़रन वाले लोग थे ”
2508. “ बनि इसराईल के तीन लोगों की माल से आज़माइश ، दुनिया के माल की बिना पर अल्लाह को नहीं भूलना चाहिए ”
2509. “ हज़रत हाजरा अलैहिस्सलाम ने ज़मज़म के पानी को कैसे रोका ? ”
2510. “ बनि इसराईल के एक उधार लेने वाले की कहानी ، सच्चे दिल से अल्लाह को कफ़ील बनाने का फल ”
2511. “ यूशअ बिन नून के लिए सूर्य का रुक जाना ، पिछली उम्मतों का माल ग़नीमत आग खा जाती थी ”
2512. “ शैतान एक जूते में चलता है ، इस लिए . . ”
2513. “ सूर फूंकने वाले फ़रिश्ते का हाल ”
2514. “ एक सौ लोगों को क़त्ल करने वाले की तौबा ”
2515. “ फ़िरऔन की पत्नी आसियह पर बाबलों की छाया , आसियह की दुआ स्वीकार की गई ”
2516. “ शराब बुराइयों की मां है , एक आदमी ने ज़िना , क़त्ल और सूअर के मांस से बचने के लिए शराब पी थी , लेकिन . . ”
2517. “ अय्यूब अलैहिस्सलाम की बीमारी की घटना ”
2518. “ ग़ुस्ल करते समय अय्यूब अलैहिस्सलाम पर गिरती सुनहरी टिड्डियाँ ”
2519. “ इस्लाम को मानने की फ़ज़ीलत और अपने वंश पर घमंड करने का बोझ ”
2520. “ हर नबी को मृत्यु से पहले जन्नत का ठिकाना दिखाया जाता है , पैगंबर के जीवन के अंतिम शब्द ”
2521. “ सहाबा के बाद के मुसलमानों का ईमान , कई रूप से , सबसे पसंदीदा है ”
2522. “ ईसा अलैहिस्सलाम को कैसे पवित्र किया जाएगा ”
2523. “ ईसा अलैहिस्सलाम की नम्रता की एक मिसाल ”
2524. “ ईसा अलैहिस्सलाम के बाद अमन होगा ”
2525. “ घोड़ों में बरकत है ”
2526. “ बेत मअमूर में इबादत करने वाले फ़रिशतों की संख्या ”
2527. “ यहूदियों ने रसूल अल्लाह ﷺ से पूछा कि बच्चे का रूप मां या बाप पर कैसे जाता है और बादल कैसे गरजते हैं ”
2528. “ बनि इसराईल के कुछ लोगों की लाश सौ वर्ष के बाद क़ब्र में से निकाली ”
2529. “ क्या साँपों का रूप बिगाड़ दिया गया है ? ”
2530. “ छिपकली को मारना और क्यों ”
2531. “ गंदे जानवर और उन्हें मारने का हुक्म ”
2532. “ कयनात कि चीज़ों को कैसे पैदा किया गया ”
2533. “ फ़रिशतों को रौशनी से , इन्सान को मिट्टी से और शैतान को आग से बनाया गया ”
2534. “ वह जो ख़ुत्बा दे और उस पर ख़ुद अमल न करे उसका अंत ”
2535. “ सिदरतुल मुन्तहा और उस से निकलने वाली चार नहरें ”
2536. “ एक हवा है , लेकिन किसी के लिए रहम तो किसी के लिए मुसीबत है ”
2537. “ हज़रत मिकाईल जहन्नम के पैदा किये जाने के बाद नहीं हँसे ”
2538. “ दाऊद अलैहिस्सलाम बहुत इबादत करते थे ”
2539. “ हज़रत सौदा रज़ि अल्लाहु अन्हा ने अपनी बारी हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा को दी ”
2540. “ औरतें ऐसे कपड़े नहीं पहन सकतीं जो पुरुषों को अपनी ओर खींचें ”
2541. “ बेसब्री का अंत ”
2542. “ नबियों पर आज़माइशें सख़्त की जाती हैं ”
2543. “ हर नबी को उसके लोगों की भाषा के साथ भेजा गया था ”
2544. “ अल्लाह तआला के ज्ञान की तुलना में हज़रत मूसा और ख़िज़्र अलैहिमुस्सलाम का ज्ञान ”
2545. “ अल्लाह का अज़ाब ”
2546. “ आम अच्छे लोग भी सिफ़ारिश करेंगे ”
2547. “ तुब्बअ और ज़ुलक़रनैन कौन थे ”
2548. “ हर चीज़ अल्लाह तआला की तस्बीह करती है ”
2549. “ इन्सान अल्लाह तआला को कैसे बेबस कर सकता है , हालांकि ... ”
2550. “ हर फ़रिश्ते नई सींगी लगवाने की नसिहत की ”
2551. “ बिगड़ी हुई क़ौम की नसल नहीं होती है ”
2552. “ याहया अलैहिस्सलाम से कोई ग़लती नहीं हुई ”
2553. “ हर ऊंट के ऊपर शैतान है , इसलिए ... ”
2554. “ बारिश की मात्रा हर साल बराबर होती है , लेकिन ... ”
2555. “ मृतक के पक्ष में लोगों की गवाही की अहमियत ”
2556. “ अल्लाह तआला के डर से एक फ़रिश्ते का हाल ”
2557. “ हजर अस्वद जन्नत से सफ़ेद उतरा गया था , लेकिन वह काला क्यों हो गया ? ”
2558. “ सूर्य कीचड़ में डूबता है और सज्दा करता है ”
2559. “ टिड्डियां भी अल्लाह की फ़ौज हैं इसलिए ... ”

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सिलसिला अहादीस सहीहा
المبتدا والانبياء وعجائب المخلوقات
ابتدائے (مخلوقات)، انبیا و رسل، عجائبات خلائق
जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے بچپنے میں شقِّ بطن کا واقعہ، آپ صلی اللہ علیہ وسلم تمام فرزندان امت سے بھاری ہیں
“ बचपन में रसूल अल्लाह ﷺ के पेट चाक करने की घटना ، रसूल अल्लाह ﷺ उम्मत के सभी लोगों से भारी ”
حدیث نمبر: 3789
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-" كانت حاضنتي من بني سعد بن بكر، فانطلقت انا وابن لها في بهم لنا ولم ناخذ معنا زادا، فقلت:" يا اخي اذهب فاتنا بزاد من عند امنا، فانطلق اخي ومكثت عند البهم، فاقبل طائران ابيضان كانهما نسران فقال احدهما لصاحبه: اهو هو؟ قالا الآخر: نعم، فاقبلا يبتدراني فاخذاني فبطحاني للقفا فشقا بطني، ثم استخرجا قلبي فشقاه فاخرجا منه علقتين سوداوين، فقال احدهما لصاحبه: ائتني بماء ثلج، فغسل به جوفي، ثم قال: ائتني بماء برد، فغسل به قلبي، ثم قال: ائتني بالسكينة، فذره في قلبي، ثم قال احدهما لصحابه: حصه، فحاصه وختم عليه بخاتم النبوة، ثم قال احدهما لصاحبه: اجعله في كفة، واجعل الفا من امته في كفة، قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: فإذا انا انظر إلى الالف فوقي اشفق ان يخر علي بعضهم، فقال: لو ان امته وزنت به لمال بهم، ثم انطلقا وتركاني قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: وفرقت فرقا شديدا ثم انطلقت إلى امي فاخبرتها، بالذي لقيت، فاشفقت ان يكون قد التبس بي، فقالت: اعيذك بالله، فرحلت بعيرا لها فجعلتني على الرحل وركبت خلفي حتى بلغنا إلى امي فقالت: اديت امانتي وذمتي، وحدثتها بالذي لقيت فلم يرعها ذلك وقالت: إني رايت خرج مني نورا اضاءت منه قصور الشام".-" كانت حاضنتي من بني سعد بن بكر، فانطلقت أنا وابن لها في بهم لنا ولم نأخذ معنا زادا، فقلت:" يا أخي اذهب فأتنا بزاد من عند أمنا، فانطلق أخي ومكثت عند البهم، فأقبل طائران أبيضان كأنهما نسران فقال أحدهما لصاحبه: أهو هو؟ قالا الآخر: نعم، فأقبلا يبتدراني فأخذاني فبطحاني للقفا فشقا بطني، ثم استخرجا قلبي فشقاه فأخرجا منه علقتين سوداوين، فقال أحدهما لصاحبه: ائتني بماء ثلج، فغسل به جوفي، ثم قال: ائتني بماء برد، فغسل به قلبي، ثم قال: ائتني بالسكينة، فذره في قلبي، ثم قال أحدهما لصحابه: حصه، فحاصه وختم عليه بخاتم النبوة، ثم قال أحدهما لصاحبه: اجعله في كفة، واجعل ألفا من أمته في كفة، قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: فإذا أنا أنظر إلى الألف فوقي أشفق أن يخر علي بعضهم، فقال: لو أن أمته وزنت به لمال بهم، ثم انطلقا وتركاني قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: وفرقت فرقا شديدا ثم انطلقت إلى أمي فأخبرتها، بالذي لقيت، فأشفقت أن يكون قد التبس بي، فقالت: أعيذك بالله، فرحلت بعيرا لها فجعلتني على الرحل وركبت خلفي حتى بلغنا إلى أمي فقالت: أديت أمانتي وذمتي، وحدثتها بالذي لقيت فلم يرعها ذلك وقالت: إني رأيت خرج مني نورا أضاءت منه قصور الشام".
سیدنا عتبہ بن عبد سلمی رضی اللہ عنہ، جو اصحاب رسول میں سے تھے، نے ہمیں بیان کیا کہ ایک آدمی نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے کہا: اے اللہ کے رسول! آپ کے نبوی معاملے کی ابتداء کیسے ہوئی؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری دایہ کا تعلق بنو سعد بن بکر قبیلے سے تھا، میں اور اس کا بیٹا بھیڑ بکریاں چرانے کے لیے باہر چلےگئے اور اپنے ساتھ زاد راہ نہ لیا۔ میں نے کہا: میرے بھائی! جاؤ اور اپنی ماں سے اشیاء خوردنی لے آؤ۔ پس میرا بھائی چلا گیا اور میں بکریوں کے پاس ٹھہرا رہا۔ (‏‏‏‏میں کیا دیکھتا ہوں کہ) گدھ کی طرح کے دو سفید پرندے متوجہ ہوئے، ایک نے دوسرے سے کہا: کیا یہ آدمی وہی ہے؟ دوسرے نے کہا: جی ہاں۔ پھر وہ لپکتے ہوئے میری طرف متوجہ ہوئے، مجھے پکڑا اور گدّی کے بل لٹا دیا، میرا پیٹ چاک کیا، میرا دل نکالا اور اسے چیرا دیا، اس سے گاڑھے خون کے دو سیاہ ٹکڑے نکالے۔ پھر ایک نے دوسر ے سے کہا: برف والا پانی لاؤ۔ پس اس نے اس پانی سے میرا پبٹ دھویا، پھر کہا: اولوں والا پانی لاؤ۔ اس سے اس نے میرا دل دھویا اور پھر کہا: سکینت لاؤ۔ اس (‏‏‏‏اطمنان و سکون) کو میرے دل میں چھڑک دیا۔ پھر ایک نے دوسرے سے کہا: ٹانکے لگا دو۔ پس اس نے ٹانکے لگا دیے اور اس پر مہر نبوت ثبت کر دی۔ پھر ایک نے دوسرے سے کہا: اس (‏‏‏‏محمد صلی اللہ علیہ وسلم ) کو (‏‏‏‏ترازو کے) ایک پلڑے میں اور دوسرے میں اس کی امت کے ہزار افراد رکھو۔‏‏‏‏ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (‏‏‏‏جب انہوں نے وزن کرنے کے لیے ترازو اٹھایا تو) میں نے دیکھا کہ وہ ہزار آدمی (‏‏‏‏میرے مقابلے میں کم وزن ہونے کی وجہ سے) اتنے اوپر اٹھ گئے کہ مجھے یہ خطرہ محسوس ہونے لگا کہ کہیں ایسا نہ ہو کہ وہ مجھ پر گر پڑیں۔ پھر اس نے کہا: اگر ان کا وزن ان کی پوری امت سے کیا جائے تو یہ (‏‏‏‏ محمد صلی اللہ علیہ وسلم ) وزنی ثابت ہوں گے، پھر وہ چلےگئے اور مجھے چھوڑ گئے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس وقت میں بہت زیادہ گھبرا گیا اپنی دایہ کے پاس پہنچا اور سارا واقعہ اسے سنا دیا، اسے یہ اندیشہ ہونے لگا کہ کہیں آپ کی عقل میں کوئی فتور نہ آ گیا ہو۔ اس نے کہا: میں تجھے اللہ تعالیٰ کی پناہ میں دیتی ہوں۔ پھر اس نے اونٹ پر کجاوہ رکھا، مجھے کجاوے پر بٹھایا اور خود میرے پیچھے سوار ہو گئی اور مجھے میری ماں (‏‏‏‏آمنہ) کے پاس پہنچا دیا اور میری ماں کو کہا: میں نے اپنی امانت اور ذمہ داری ادا کر دی ہے، پھر اسے وہ سارا واقعہ سنا دیا، جو مجھے پیش آیا تھا۔ لیکن (‏‏‏‏یہ ماجرا) میری ماں کو نہ گھبرا سکا، بلکہ انہوں نے کہا: جب یہ بچہ (‏‏‏‏میرے بطن سے) پیدا ہوا تھا تو میں نے ایک نور دیکھا تھا، جس سے شام کے محلات روشن ہو گئے تھے۔
حدیث نمبر: 3790
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-" يا ابا ذر! اتاني ملكان وانا ببعض بطحاء مكة، فوقع احدهما على الارض وكان الآخر بين السماء والارض، فقال احدهما لصحابه: اهو هو؟ قال: نعم، قال: فزنه برجل فوزنت به، فوزنته، ثم قال: فزنه بعشرة، فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بمائة فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بالف فوزنت بهم، فرجحتهم، كاني انظر إليهم ينتثرون علي من خفة الميزان، قال: فقال احدهما لصاحبه: لو وزنته بامة لرجحها".-" يا أبا ذر! أتاني ملكان وأنا ببعض بطحاء مكة، فوقع أحدهما على الأرض وكان الآخر بين السماء والأرض، فقال أحدهما لصحابه: أهو هو؟ قال: نعم، قال: فزنه برجل فوزنت به، فوزنته، ثم قال: فزنه بعشرة، فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بمائة فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بألف فوزنت بهم، فرجحتهم، كأني أنظر إليهم ينتثرون علي من خفة الميزان، قال: فقال أحدهما لصاحبه: لو وزنته بأمة لرجحها".
سیدنا ابوذر غفاری رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: میں نے کہا: اے اللہ کے رسول! جب آپ کو تاج نبوت پہنایا گیا تو آپ کو کیسے پتہ چلا کہ آپ نبی ہیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوذر! میرے پاس دو فرشتے آئے اور میں اس وقت مکہ کی کسی وادی میں تھا، ان میں ایک زمین پر تھا اور دوسرا زمین و آسمان کے مابین۔ ایک نے دوسرے کے کہا: (‏‏‏‏جس شخصیت کی طرف ہم کو بھیجا گیا ہے) کیا یہ وہی ہے؟ دوسرے نے کہا: جی ہاں۔ اس نے کہا: ایک آدمی کے ساتھ ان کا وزن کرو، میرا وزن کیا گیا، لیکن میں بھاری رہا۔ اس نے کہا: دس آدمیوں سے ان کا وزن کرو۔ میرا وزن کیا گیا، لیکن میں ان پر بھی بھاری ثابت ہوا۔ اس نے کہا: سو افراد کے ساتھ وزن کرو۔ میرا وزن کیا گیا، لیکن میرا وزن زیادہ رہا۔ اس نے کہا: ہزار افراد کے ساتھ وزن کرو۔ میرا وزن کیا، لیکن (‏‏‏‏اب کی بار بھی) میں ہی وزنی رہا اور ان (‏‏‏‏ہزار آدمیوں کا پلڑا ہلکا ہونے کی وجہ سے) اتنا اوپر ا‏‏‏‏ٹھ گیا کہ مجھے اندیشہ ہونے لگا کہیں وہ خفت میزان کی وجہ سے مجھ پر گر ہی نہ جائیں۔ (‏‏‏‏بالآخر) ایک نے دوسرے سے کہا: اگر انکا وزن ان کی پوری امت سے کر دے تو یہ سب پر بھاری ثابت ہوں گے۔

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