ईमान और विश्वास के नियम
1. “ शिर्क की निंदा ”
2. “ शिर्क करने वाले की माफ़ी नहीं ”
3. “ केवल अल्लाह के पास बारिश करने का अधिकार है ”
4. “ भाग्य यानि नसीब के बारे में ”
5. “ अल्लाह तआला की अच्छाइयों के बारे में ”
6. “ अल्लाह तआला अर्श पर है ”
7. “ वही कैसे उतरती है ”
8. “ नज़र और नियाज़ के बारे में ”
9. “ ज़माने को बुरा नहीं कहना चाहिए ”
10. “ बिदअत करने वालों को होज़ कोसर से दूर रखा जाए गा ”
11. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैरवी करने के बारे में ”
12. “ तीन मस्जिदों के सिवा सवाब की नियत से यात्रा करना ”
13. “ ख़ारजियों यानि नई क़ौम ( जाती ) के बारे में ”
14. “ जिन्नों का होना सच है ”
15. “ हदीस भी अल्लाह की किताब है ”
16. “ इस्लाम फ़ितरत का दीन है ”
17. “ मुनाफ़िक़त यानि दोग़ला पन हराम है ”
18. “ जहन्नम यानि नरक के बारे में ”
19. “ जहन्नम का साँस लेना सच है ”
20. “ ईसा बिन मरयम अलैहिमुस्सलाम के बारे में ”
21. “ दज्जाल के बारे में ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
ایمان و عقائد کے مسائل
ईमान और विश्वास के नियम
اسلام دین فطرت ہے
“ इस्लाम फ़ितरत का दीन है ”
حدیث نمبر: 22
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338- وبه: ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”كل مولود يولد على الفطرة، فابواه يهودانه وينصرانه كما تناتج الإبل من بهمية جمعاء، هل تحس من جدعاء؟“ فقالوا: يا رسول الله، افرايت من يموت وهو صغير؟، قال: ”الله اعلم بما كانوا عاملين“.338- وبه: أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”كل مولود يولد على الفطرة، فأبواه يهودانه وينصرانه كما تناتج الإبل من بهمية جمعاء، هل تحس من جدعاء؟“ فقالوا: يا رسول الله، أفرأيت من يموت وهو صغير؟، قال: ”الله أعلم بما كانوا عاملين“.
اور اسی سند کے ساتھ (سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے) روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ہر پیدا ہونے والا بچہ فطرت (اسلام) پر پیدا ہوتا ہے پھر اس کے والدین اسے یہودی یا نصرانی (وغیرہ) بنا دیتے ہیں جیسا کہ اونٹوں سے صحیح سالم بچے پیدا ہوتے ہیں، کیا تم ان میں سے کوئی کان کٹا یا ناک کٹا دیکھتے ہو؟ تو لوگوں نے کہا: یا رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ! اگر کوئی بچہ بچپن میں ہی مر جائے تو؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ جانتا ہے کہ وہ (بچے) کیا عمل کرنے والے تھے۔

تخریج الحدیث: «338- الموطأ (رواية يحيیٰي بن يحيیٰي 241/1 ح 572، ك 16 ب 16 ح 52) التمهيد 57/18، الاستذكار: 526 و أخرجه أبوداود (4714) من حديث مالك به ورواه مسلم (2659) من حديث ابي الزناد به مختصراً.»

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