ईमान और विश्वास के नियम
1. “ शिर्क की निंदा ”
2. “ शिर्क करने वाले की माफ़ी नहीं ”
3. “ केवल अल्लाह के पास बारिश करने का अधिकार है ”
4. “ भाग्य यानि नसीब के बारे में ”
5. “ अल्लाह तआला की अच्छाइयों के बारे में ”
6. “ अल्लाह तआला अर्श पर है ”
7. “ वही कैसे उतरती है ”
8. “ नज़र और नियाज़ के बारे में ”
9. “ ज़माने को बुरा नहीं कहना चाहिए ”
10. “ बिदअत करने वालों को होज़ कोसर से दूर रखा जाए गा ”
11. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैरवी करने के बारे में ”
12. “ तीन मस्जिदों के सिवा सवाब की नियत से यात्रा करना ”
13. “ ख़ारजियों यानि नई क़ौम ( जाती ) के बारे में ”
14. “ जिन्नों का होना सच है ”
15. “ हदीस भी अल्लाह की किताब है ”
16. “ इस्लाम फ़ितरत का दीन है ”
17. “ मुनाफ़िक़त यानि दोग़ला पन हराम है ”
18. “ जहन्नम यानि नरक के बारे में ”
19. “ जहन्नम का साँस लेना सच है ”
20. “ ईसा बिन मरयम अलैहिमुस्सलाम के बारे में ”
21. “ दज्जाल के बारे में ”

موطا امام مالك رواية ابن القاسم کل احادیث 657 :حدیث نمبر
موطا امام مالك رواية ابن القاسم
मुवत्ता इमाम मलिक रवायात इब्न अल-क़ासिम
ایمان و عقائد کے مسائل
ईमान और विश्वास के नियम
صفات الہٰی کا بیان
“ अल्लाह तआला की अच्छाइयों के बारे में ”
حدیث نمبر: 7
Save to word مکررات اعراب Hindi
348- وبه: ان رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”يضحك الله إلى رجلين يقتل احدهما الآخر كلاهما يدخل الجنة، يقاتل هذا فى سبيل الله فيقتل، ثم يتوب الله على القاتل فيقاتل فيستشهد“.348- وبه: أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ”يضحك الله إلى رجلين يقتل أحدهما الآخر كلاهما يدخل الجنة، يقاتل هذا فى سبيل الله فيقتل، ثم يتوب الله على القاتل فيقاتل فيستشهد“.
اور اسی سند کے ساتھ (سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے) روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ دو آدمیوں پر ہنستا ہے (جیسا کہ اس کی شان کے لائق ہے) جن میں سے ایک دوسرے کو قتل کرتا ہے (اور) دونوں جنت میں داخل ہو جاتے ہیں۔ یہ شخص فی سبیل اللہ قتال کرتا ہے تو قتل ہو جاتا ہے پھر اللہ تعالیٰ قاتل کو توبہ (اسلام قبول کرنے) کی توفیق دیتا ہے پھر وہ قتال کرتا ہے تو شہید ہو جاتا ہے۔

تخریج الحدیث: «348- الموطأ (رواية يحيیٰي بن يحيیٰي 460/2 ح 1015، ك 21 ب 14 ح 28) التمهيد 344/18، الاستذكار: 952 وأخرجه البخاري (2826) من حديث مالك، ومسلم (1890) من حديث ابي الزناد به ورواه النسائي (38/6، 39 ح 3168) من حديث عبدالرحمٰن بن القاسم به.»

https://islamicurdubooks.com/ 2005-2024 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to https://islamicurdubooks.com will be appreciated.