नसीहतें और दिल को नरम करने वाली हदीसें
1544. “ अल्लाह तआला को देखना ”
1545. “ दर्जा पाने के लिए कर्म और दिल साफ़ होने चाहियें ”
1546. “ अल्लाह तआला गुप्त परहेज़गारी को पसंद करता है ”
1547. “ जाहिलियत के समय में जीवित दफ़न की गई लड़कियों का कफ़्फ़ाराह ”
1548. “ आत्महत्या का अंत ”
1549. “ मोमिन और काफ़िरों के अच्छे कर्मों का बदला ”
1550. “ मोमिन को ख़ुश करना ، उसके क़र्ज़ का भुगतान करना और उसे खिलाना पिलाना सबसे अच्छे कर्म हैं ”
1551. “ दुनिया की परीक्षाओं का अंत अच्छा है ”
1552. “ इन्सान का अच्छा और बुरा होना दिल पर आधारित है ”
1553. “ मोमिन वह है जो नसीहत को स्वीकार करता है ”
1554. “ अच्छे कर्म बुराइयों की बुराई को दूर करते हैं ”
1555. “ शरीअत यह निर्धारित करती है कि पाप छोटा है या बड़ा ”
1556. “ ब्याज खाने वाले और अमानत में ख़यानत करने वाले का अंत ”
1557. “ छोटे पापों से बचना भी ज़रूरी है ، क्योंकि छोटे पापों का बहुत होना घातक होता है ”
1558. “ शैतान गुमराह करने के लिए उत्सुक होता है ”
1559. “ ज़बान भी जहन्नम का कारण हो सकती है ”
1560. “ नबी की वसीयत ، अल्लाह तआला का परहेज़गारी को पसंद करना ، अल्लाह को याद करना ، तुरंत तोबा करना ”
1561. “ अल्लाह किस से मिलना पसंद करता है और किस से मिलना पसंद नहीं करता ”
1562. “ पापों पर पश्चाताप ही तोबा है ”
1563. “ तोबा का दरवाज़ा सदा खुला रहता है ”
1564. “ तोबा हर पाप को मिटा देती है ”
1565. “ अल्लाह तआला के सामने होने का ढंग ”
1566. “ केवल अच्छे कर्म जन्नत में जाने का कारण नहीं बन सकते लेकिन फिर भी... ”
1567. “ बुराई का अच्छाई में बदल जाना ، इस्लाम स्वीकार करना ، अच्छे कर्म करना ، बुराई छोड़ देना ”
1568. “ लगातार पाप करना अज़ाब को दावत देते हैं ”
1569. “ ज़रूरत से अधिक इमारतें बनाना बोझ हैं ”
1570. “ सज्दे में पापों को स्वीकार करने की फ़ज़ीलत ”
1571. “ दुनिया को पसंद करने वाला आख़िरत में घाटा पाने वाला है ”
1572. “ ज़मीन पर नाजाइज़ क़ब्ज़ा करने वाले का बुरा अंत ”
1573. “ अहंकार ، क़र्ज़ और अमानत में ख़यानत करने से बचना जन्नत के लोगों की विशेषता है ”
1574. “ इन्सान की मौत और उसकी आशाओं की एक मिसाल ”
1575. “ अल्लाह तआला की नज़र में दुनिया क्या है ”
1576. “ विरासत के माल की कितनी वसीयत की जाए ”
1577. “ पवित्रता का बदला जन्नत है ”
1578. “ न दो डर एक साथ हो सकते हैं न दो सुख ”

سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
المواعظ والرقائق
نصيحتين اور دل کو نرم کرنے والی احادیث
नसीहतें और दिल को नरम करने वाली हदीसें
خائن اور سود خور کا انجام
“ ब्याज खाने वाले और अमानत में ख़यानत करने वाले का अंत ”
حدیث نمبر: 2317
Save to word مکررات اعراب Hindi
- (إياك والذنوب التي لا تغفر، (وفي رواية: وما لا كفارة من الذنوب)، فمن غل شيئا اتي به يوم القيامة، وآكل الربا؛ فمن اكل الربا بعث يوم القيامة مجنونا يتخبط، ثم قرا: (الذين ياكلون الربا لا يقومون إلا كما يقوم الذي يتخبطه الشيطان من المس) [البقرة: 275]).- (إياك والذنوب التي لا تُغفر، (وفي رواية: وما لا كفارة من الذنوب)، فمن غل شيئاً أُتيَ به يوم القيامة، وآكل الربا؛ فمن أكل الربا بُعِث يوم القيامة مجنوناً يتخبط، ثم قرأ: (الذين يأكلون الربا لا يقومون إلا كما يقوم الذي يتخبطه الشيطان من المس) [البقرة: 275]).
سیدنا عوف بن مالک رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تو ایسے گناہوں سے بچ جو معاف نہیں کئے جاتے اور ایک روایت میں ہے: جن گناہوں کا کفارہ نہیں ہوتا۔ جس نے جو چیز خیانت کی، روز قیامت اسے اس کے ہمراہ لایا جائے گا اور سود کھانے والے (کے بارے میں یہ وعید ہے کہ) جس نے سود کھایا وہ اس کی وجہ سے قیامت کے روز دیوانہ اور بدحواس اٹھایا جائے گا۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے قرآن کی آیت پڑھی: جو لوگ سود کھاتے ہیں وہ ان لوگوں کی طرح کھڑے ہوں گے جن کو شیطان نے چھو کر خبطی (اور دیوانہ) بنا رکھا ہو۔

https://islamicurdubooks.com/ 2005-2024 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to https://islamicurdubooks.com will be appreciated.