“ रोज़े की फ़ज़ीलत और महानता का बयान ” |
1 |
919 |
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“ रोज़ेदारों के लिए जन्नत का दरवाज़ा “ रय्यान ” है ” |
4 |
920 سے 923 |
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“ रमज़ान या रमज़ान का महीना कहना दोनों तरह ठीक है ” |
1 |
924 |
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“ जिसने रोज़े में झूठ बोलना और बुरे काम न छोड़े ” |
1 |
925 |
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“ जब रोज़ेदार को गाली दी जाए तो वह कहे कि मैं रोज़ेदार हूं ” |
1 |
926 |
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“ जो ज़िना करने से बचना चाहता हो तो उसे रोज़े रखना चाहिए ” |
1 |
927 |
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“ जब ( रमज़ान का ) चाँद देखो तो रोज़े रखो और जब ( शव्वाल का ) चाँद देखो तो रोज़े रखना छोड़ दो ” |
2 |
928 سے 929 |
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“ ईद के दोनों महीने कम नहीं होते ” |
1 |
930 |
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“ नबी ﷺ ने कहा कि हम लिखना-पढ़ना नहीं जानते और न ही हम गणित जानते हैं ” |
1 |
931 |
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“ रमज़ान के एक या दो दिन पहले रोज़ा नहीं रखना चाहिए ” |
1 |
932 |
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“ अल्लाह तआला ने फ़रमाया : रोज़ों की रात के दौरान अपनी पत्नियों के साथ संबंध बनाना आपके लिए हलाल करदिया गया है। आप अपनी पत्नियों का लिबास हैं और वे आपका लिबास हैं ” |
1 |
933 |
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“ अल्लाह ताला का फ़रमान “ खाओ और पियो, यहाँ तक कि तुमको ( सुब्ह का ) सफ़ेद धागा ( यानी फ़ज्र की सफ़ेदी ) रात की काली धारी स्पष्ट नज़र आने लगे ” |
1 |
934 |
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“ सेहरी और फ़ज्र की नमाज़ में कितना समय होना चाहिए ” |
1 |
935 |
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“ सेहरी खाने से बरकत मिलती है, लेकिन यह वाजिब नहीं है ” |
1 |
936 |
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“ यदि दिन के दौरान रोज़े कि निय्यत की जाए ” |
1 |
937 |
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“ रोज़ेदार का सुबह को अपवित्र हालत में उठना ” |
1 |
938 |
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“ रोज़ेदार का अपनी पत्नी से मिलना ” |
1 |
939 |
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“ यदि रोज़ेदार भूले से खाले-पीले तो रोज़ा नहीं टूटता है ” |
1 |
940 |
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“ जब कोई रमज़ान में संभोग करले और उसके पास कुछ न हो तो उसको जो सदक़ा मिलता है उसी सदक़े को दान करके कफ़्फ़ारा अदा कर सकता है ” |
1 |
941 |
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“ रोज़ेदार का पिछने लगवाना और उलटी करना ( केसा है ) ” |
1 |
942 |
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“ यात्रा के दौरान रोज़ा रखना और रोज़ा न रखना ( दोनों ठीक हैं ) ” |
2 |
943 سے 944 |
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“ जब रमज़ान में कुछ दिन रोज़ा रखने के बाद यात्रा की जाए ” |
1 |
945 |
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“ यात्रा में रोज़ा रखना या न रकना दोनों ठीक हैं ” |
1 |
946 |
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“ नबी ﷺ ने उस व्यक्ति से कहा जिस पर रोज़ा भारी पड़ गया था " यात्रा के दौरान इस तरह रोज़ा रखना अच्छा नहीं है " |
1 |
947 |
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“ सहाबा रज़ि अल्लाहु अन्हुम ने यात्रा के दौरान रोज़ा रखने या न रखने वाले पर कोई आलोचना नहीं की ” |
1 |
948 |
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“ यदि कोई व्यक्ति मर जाए और उस पर रोज़ों की क़ज़ा वाजिब हो तो ... ” |
2 |
949 سے 950 |
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“ रोज़ेदार को किस समय रोज़ा इफ़्तार करना चाहिए ” |
1 |
951 |
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“ रोज़ा जल्दी इफ़्तार करना बेहतर है ” |
1 |
952 |
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“ रमज़ान में रोज़ा इफ़्तार करने के बाद जब सूर्य दिखाई दे तो क्या करना चाहिए ” |
1 |
953 |
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“ बच्चों का रोज़ा रखना ” |
1 |
954 |
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“ सेहरी तक कुछ न खाना-पीना ” |
1 |
955 |
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“ बिना सेहरी और इफ़्तार किये लगातार रोज़ा रखने वाले को चेतावनी ” |
1 |
956 |
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“ यदि कोई अपने भाई को नफ़ली रोज़ा तोड़ने की क़सम दे तो ” |
1 |
957 |
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“ शअबान के महीने में रोज़े रखने का बयान ” |
2 |
958 سے 959 |
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“ नबी करीम ﷺ का रोज़े रखने या न रखने के बारे में ” |
2 |
960 سے 961 |
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“ रोज़े में अपने शरीर के अधिकार का सम्मान करना चाहिए ” |
1 |
962 |
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“ रोज़े में पत्नी के अधिकार का सम्मान करना चाहिए ” |
1 |
963 |
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“ जब रोज़ेदार किसी से मिलने जाता है और वहाँ अपना रोज़ा नहीं तोड़ता ” |
1 |
964 |
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“ महीने के अंत में दो रोज़े रखना ( सुन्नत ) है ” |
1 |
965 |
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“ जुमा के दिन का रोज़ा रखने के बारे में ” |
2 |
966 سے 967 |
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“ क्या रोज़ों के लिए कुछ विशेष दिन तय करना जायज़ है ? ” |
1 |
968 |
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“ तशरीक़ के दिनों में रोज़ा रखना केसा है ” |
1 |
969 |
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“ आशूरा के दिन रोज़ा रखना कैसा है ? ” |
2 |
970 سے 971 |
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