“ उमरे का वाजिब होना और उसकी फ़ज़ीलत ” |
1 |
863 |
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“ हज्ज करने से पहले उमरा करना ” |
1 |
864 |
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“ रसूल अल्लाह ﷺ ने कितने उमरे किये थे ” |
4 |
865 سے 868 |
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“ तनईम से उमरे का अहराम बांधना ” |
1 |
869 |
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“ हज्ज के बाद क़ुर्बानी के जानवरों के बिना उमरा करना ” |
1 |
870 |
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“ उमरे में जितना कष्ट हो उतना अधिक सवाब होगा ” |
1 |
871 |
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“ उमरा करने वाला किस समय एहराम खोले ” |
1 |
872 |
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“ हज्ज, उमरा या जिहाद से लौटने पर क्या कहना चाहिए ” |
1 |
873 |
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“ हाजियों का स्वागत करना मसनून है और एक सवारी पर तीन आदमियों का बैठना ( ठीक ) है ” |
1 |
874 |
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“ दोपहर बाद घर लौटने का बयान ” |
2 |
875 سے 876 |
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“ मदीना पहुँचने पर अपने ऊँट को तेज़ चलाना ” |
1 |
877 |
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“ मानो कि यात्रा एक तरह के अज़ाब जैसा है ” |
1 |
878 |
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