नमाज़ के बारे में
1. “ मअराज की रात में नमाज़ कैसे फ़र्ज़ की गई ? ”
2. “ नमाज़ कपड़ों में पढ़ना ”
3. “ एक कपड़े को लपेटकर नमाज़ पढ़ना ”
4. “ जब एक कपड़े में नमाज़ पढ़ते समय कुछ भाग अपने कंधे पर रखना चाहिए ”
5. “ जब कपड़ा छोटा हो तो उसमें नमाज़ कैसे पढ़ें ? ”
6. “ जुब्बा शामिया में नमाज़ पढ़ना ”
7. “ नमाज़ में और नमाज़ के सिवा भी नंगा होना ठीक नहीं ”
8. “ सतर, जिसे ढाँपना ज़रूरी है ”
9. “ जांघ के बारे में जो रवायतें बयान की जाती हैं ”
10. “ महिला कितने कपड़ों में नमाज़ पढ़े ? ”
11. “ जब किसी ऐसे कपड़े में नमाज़ पढ़े जिसमें बेल-बूटे बने हुए हों और उसको देखे ”
12. “ यदि कोई व्यक्ति चित्रित कपड़े पर नमाज़ पढ़े तो क्या उसकी नमाज़ अमान्य हो जाएगी ? ”
13. “ जिसने रेशम में नमाज़ पढ़ी और फिर उसे उतार दिया ”
14. “ लाल पोशाक में नमाज़ पढ़ना ”
15. “ छतों पर और मिम्बरों पर और लकड़ी पर नमाज़ पढ़ना ”
16. “ चटाई पर नमाज़ पढ़ना ”
17. “ बिस्तर पर नमाज़ पढ़ना ”
18. “ अधिक गर्मी में कपड़े पर सजदा करना ”
19. “ जूतों के साथ नमाज़ पढ़ना ”
20. “ मोज़े पहनकर नमाज़ पढ़ना ”
21. “ सजदे में अपनी दोनों बाँहों को खोलना और अपने शरीर से अलग रखना ”
22. “ क़िब्ले की ओर मुंह करने की फ़ज़ीलत ”
23. “ अल्लाह तआला का कहना कि और इब्राहीम की जगह को नमाज़ की जगह बनाओ ”
24. “ जहाँ भी हो नमाज़ में क़िबले की ओर मुँह करना ज़रूरी है ”
25. “ क़िब्ले के बारे में क्या कहा गया, जिसने भूलकर क़िब्ले की ओर मुंह न करके नमाज़ पढ़ी और उसको दोहराना नज़रुरी न समझा ”
26. “ मस्जिद में यदि थूक लगाहो तो हाथ से साफ़ करदेना ”
27. “ नमाज़ में दाहिनी ओर न थूकें ”
28. “ मस्जिद में थूकने का क्या कफ़्फ़ारा है ? ”
29. “ नमाज़ पूरी करने और क़िब्ले का ज़िक्र करने के बारे में लोगों को इमाम की नसीहत ”
30. “ क्या यह कहना ठीक है कि यह मस्जिद ऐसे और ऐसे लोगों की है ? ”
31. “ मस्जिद में कुछ बाँटना और मस्जिद में गुच्छों को लटकाना ”
32. “ घरों में मस्जिद बनाई जासकती है ”
33. “ क्या यह ठीक है कि मुशरिकों की कब्रों को उखाड़कर उन जगहों पर मस्जिदें बनादी जाएं ? ”
34. “ ऊँटों के स्थान पर नमाज़ पढ़ना ”
36. “ क़ब्रिस्तान में नमाज़ पढ़ना ठीक नहीं ”
37. “ नबियों की क़ब्रों को मस्जिद बनाने पर लाअनत ”
38. “ महिला मस्जिद में सो सकती है ”
39. “ मस्जिद में पुरुषों का सोना ”
40. “ जब कोई मस्जिद में आए तो उसे दो रकअत नमाज़ पढ़नी चाहिए ”
41. “ मस्जिद बनाने के बारे में ”
42. “ मस्जिद बनाने में एक दूसरे की सहायता करना ”
43. “ जो कोई मस्जिद बनाता है उसका सवाब क्या है ? ”
44. “ जब मस्जिद से गुज़रो तो तीर की नोक को पकड़लो ”
45. “ मस्जिद से कैसे गुज़रना चाहिए ”
46. “ मस्जिद में शायरी पढ़ना ”
47. “ हथियारबंद लोगों का मस्जिद में जाना ”
48. “ कर्ज़ लेने वाले से मस्जिद में भुगतान के लिए कहना और उसके पीछे पड़ जाना ”
49. “ मस्जिद में झाडू लगाना और कपड़ा और चाबुक और लकड़ी उठाना सवाब का काम है ”
50. “ मस्जिद में शराब के धंधे को हराम कहना ”
51. “ क़ैदियों और क़र्ज़दारों को मस्जिद में बाँधा जाए तो क्या ठीक है ? ”
52. “ बीमारों आदि के लिए मस्जिद में तम्बू लगाना ”
53. “ आवश्यकता के लिए ऊंट को मस्जिद में लेजाना ”
54. “ अँधेरी रात में सहाबा के साथ रोशन दीप ”
55. “ मस्जिद में खिड़की और चलने का रस्ता ”
56. “ कअबा और मस्जिदों में दरवाज़े और ज़ंजीर रखना ”
57. “ मस्जिद में इकट्ठा होकर बैठना ”
58. “ मस्जिद में चित लेटना ”
59. “ बाज़ार की मस्जिद में नमाज़ पढ़ना ”
60. “ मस्जिदों आदि में तशबीक करना यानि उंगलियों में उंगलियां डालना ”
61. “ मदीना की सड़कों पर मस्जिदें और वे जगहें जहाँ नबी ﷺ ने नमाज़ पढ़ी कौनसी हैं ”
62. “ इमाम का सुतरा नमाज़ियों का भी सुतरा होता है ”
63. “ नमाज़ी और सुतरा के बीच कितनी दुरी होनी चाहिए ”
64. “ भाले की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ना ”
65. “ खम्बे की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ना ”
66. “ बिना जमाअत के खम्बों के बीच नमाज़ पढ़ना ”
67. “ सवारी, ऊंटों, पेड़ों और कजावा की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ना ”
68. “ तख़्त या पलंग की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ना ”
69. “ नमाज़ पढ़ने वाला अपने सामने से गुज़रने वाले को वापस करदे ”
70. “ नमाज़ पढ़ने वाले के सामने से गुज़रने वाले का पाप ”
71. “ उस व्यक्ति के पीछे नमाज़ पढ़ना जो सोरहा हो ”
72. “ नमाज़ के बीच में यदि किसी छोटी बच्ची को गोद में उठाए ”
73. “ महिला का किसी नमाज़ पढ़ने वाले के शरीर से कोई अपवित्र चीज़ का हटाना ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
نماز کا بیان
नमाज़ के बारे में
گھروں میں مسجدیں (بنانا ثابت ہے)۔
“ घरों में मस्जिद बनाई जासकती है ”
حدیث نمبر: 270
Save to word مکررات اعراب Hindi
سیدنا محمود بن ربیع الانصاری رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ سیدنا عتبان بن مالک رضی اللہ عنہ جو کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ان انصاری اصحاب میں سے ہیں جو شریک بدر تھے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آئے اور کہا کہ اے اللہ کے رسول! میں اپنی بینائی کو خراب پاتا ہوں اور میں اپنی قوم کو نماز (بھی) پڑھاتا ہوں۔ پس جس وقت بارش ہوتی ہے تو وہ میدان جو میرے اور ان کے درمیان میں ہے، بہنے لگتا ہے تو میں ان کی مسجد میں جا نہیں سکتا تاکہ میں انہیں نماز پڑھا دوں۔ تو یا رسول اللہ! میں چاہتا ہوں کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم میرے پاس تشریف لائیں اور میرے گھر میں نماز پڑھیں تاکہ میں اسی مقام کو جائے نماز بنا لوں۔ سیدنا عتبان رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ ان سے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں ان شاء اللہ عنقریب (ایسا ہی) کروں گا۔ چنانچہ وہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم اور ابوبکر رضی اللہ عنہ (دوسرے دن) سورج چڑھے تشریف لائے۔ چنانچہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے (اندر آنے کی) اجازت طلب فرمائی تو میں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو اجازت دے دی۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم گھر میں داخل ہوئے اور (ابھی) بیٹھے بھی نہیں تھے کہ فرمایا: تم اپنے گھر میں سے کس مقام پر چاہتے ہو کہ میں نماز پڑھوں؟ تو سیدنا عتبان رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میں نے گھر کے ایک مقام کی طرف اشارہ کیا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم (وہاں) کھڑے ہو گئے اور اللہ اکبر کہا۔ ہم نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پیچھے صف باندھی۔ پس آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے دو رکعت نماز پڑھی، اس کے بعد سلام پھیر دیا۔ سیدنا عتبان رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ ہم نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو خزیرہ (گوشت اور آٹا ملا کر بنایا جاتا ہے، کھانے) کے لیے روک لیا جو آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے لیے ہم نے تیار کیا تھا۔ پھر کہتے ہیں کہ محلے والوں میں سے کئی لوگ گھر میں جمع ہو گئے اور ان میں سے ایک کہنے والے نے کہا کہ مالک بن دخیشن کہاں ہے؟ یا (یہ کہا کہ) ابن دخشن (کہاں ہے؟) تو ان میں سے کسی دوسرے نے کہا کہ وہ تو منافق ہے، اللہ اور اس کے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو دوست نہیں رکھتا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ نہ کہو کیا تم نے اسے نہیں دیکھا کہ اس نے اللہ کی خوشنودی حاصل کرنے کے لیے لا الہٰ الا اللہ کہا ہے۔ وہ شخص بولا کہ اللہ اور اس کے رسول صلی اللہ علیہ وسلم ہی بہتر جانتے ہیں بظاہر تو ہم نے اس کی توجہ اور اس کی خیرخواہی منافقوں کے حق میں دیکھی ہے تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ بزرگ و برتر نے اس شخص پر آگ حرام کر دی ہے جو لا الہٰ الا اللہ کہہ دے اور اس سے اللہ تعالیٰ کی رضامندی اسے مقصود ہو۔

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