रसूल अल्लाह ﷺ की वसीयतें
2695. “ हज़रत फ़ातिमह रज़ि अल्लाहु अन्हा को वसीयत ”
2696. “ सरदार की आज्ञाकारी का हुक्म , रसूल अल्लाह ﷺ और उनके सहाबा की सुन्नत के अनुसार विवाद दूर करने चाहियें ”
2697. “ सलाम को आम करना , खाना खिलाना और अल्लाह तआला से शर्माना ”
2698. “ बुराई का असर कैसे दूर किया जाए ”
2699. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने अच्छाई की नसिहत की , हाथ केवल अच्छाई और भलाई की ओर बढ़ाना चाहिए ”
2700. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने लाअनत न भेजने की नसिहत की ”
2701. “ ऐसे मामलों से बचा जाए जिसके कारण क्षमा मांगनी पड़े ”
2702. “ गाली न देने , किसी की भलाई को छोटा न समझने , किसी का अपमान न करने , चादर, शलवार को टख़नों के ऊपर रखने की रसूल अल्लाह ﷺ की नसिहत ”
2703. “ इबादत किस तरह की जाए , हर बुराई के बाद तुरंत नेकी करना और हर जगह अल्लाह तआला को याद करना ”
2704. “ हदीस के छात्रों के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की वसीयत ”
2705. “ औरतों के साथ अच्छा व्यवहार करने की वसीयत ”
2706. “ तक़वा , जिहाद , क़ुरआन पढ़ने और अल्लाह तआला को याद करने की वसीयत ”
2707. “ मुशरिकों को जज़ीरा अरब से निकालने की वसीयत ”
2708. “ किसी भी नेक काम को छोटा न समझा जाए ”
2709. “ ऊँची जगहों पर तकबीर यानि अल्लाहु अकबर कहना चाहिए ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
وصايا رسول الله صلى الله عليه وسلم
وصایائے نبوی
रसूल अल्लाह ﷺ की वसीयतें
کسی نیکی کو کم اہمیت نہ سمجھا جائے
“ किसी भी नेक काम को छोटा न समझा जाए ”
حدیث نمبر: 4102
Save to word مکررات اعراب Hindi
- (لا تحقرن شيئا من المعروف ان تاتيه؛ ولو ان تهب صلة الحبل، ولو ان تفرغ من دلوك في إناء المستقي، ولو ان تلقى اخاك المسلم ووجهك بسط إليه، ولو ان تؤنس الوحشان بنفسك، ولو ان تهب الشسع).- (لا تحقِرنَّ شَيئاً من المعروفِ أن تأتيَه؛ ولو أن تَهَبَ صِلَةَ الحبلِ، ولو أن تُفرغَ من دلوكِ في إناءِ المستقِي، ولو أن تلقَى أخاك المسلمَ ووجهُك بسطٌ إليه، ولو أن تؤنِس الوَحشان بنفسكَ، ولو أن تهَبَ الشِّسعَ).
سھم بن معتمر ہجیمی سے روایت کرتے ہیں کہ وہ مدینہ منورہ تشریف لائے اور مدینہ کی کسی گلی میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے ملاقات ہوئی۔ اس نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو اس حال میں پایا کہ آپ نے روئی سے بنا ہوا تہبند باندھا ہوا تھا اور ا‏‏‏‏س کا کنارہ پھیلا ہوا تھا۔ ہجیمی نے کہا: اے اللہ کے رسول! «عليك السلام» رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: «عليك السلام» تو مردوں کا سلام ہے۔ اس نے کہا: اے اللہ کے رسول! مجھے کوئی وصیت فرمائیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کوئی بھی نیکی سرانجام دینے کو معمولی خیال نہ کرنا، اگرچہ (‏‏‏‏وہ نیکی یہ ہو کہ تو کسی کو) رسی کا عطیہ دے دے، اپنے ڈول سے پانی مانگنے والے کے برتن میں پانی ڈال دے، اپنے مسلمان بھائی کو خندہ پیشانی کے ساتھ ملے، خوف و گھبراہٹ میں مبتلا آدمی کا دل بہلا دے یا (‏‏‏‏کسی کو) تسمہ ہبہ کر دے۔

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