ख़रीदने और बेचने के बारे में
1. “ अल्लाह तआला का कहना ( सूरह अल-जुमा में ) कि " फिर जब ( जुमा ) की नमाज़ पूरी होजाए, तो ज़मीन पर फैल जाओ और .... ”
2. “ हलाल ज़ाहिर है और हराम भी ज़ाहिर है और उनके बीच कुछ शक की बातें हैं ”
3. “ शक वाली चीज़ों की तफ़्सीर ”
4. “ कुछ लोगों ने वस्वसे को शक नहीं माना ”
5. “ जिस ने हलाल या हराम कमाई की परवाह न की ”
6. “ कपड़े आदि का व्यापार करना केसा है ”
7. “ व्यापार के लिए यात्रा करना कैसा है ”
8. “ जिसने रिज़्क़ में बढ़ोतरी की कामना की ”
9. “ यह साबित है कि नबी ﷺ ने उधार पर कुछ ख़रीदा था ”
10. “ एक आदमी की ख़ुद की कमाई और अपने हाथों से काम करना ”
11. “ ख़रीदने और बेचने में नरम और आसान होना बेहतर है ”
12. “ जिसने मालदार आदमी को क़र्ज़ चुकाने की मोहलत दी ”
13. “ जब विक्रेता और ख़रीदार दोनों स्पष्ट रूप से कहदें ”
14. “ एक ही जगह पर अलग-अलग तरह के खजूर कैसे बेचे ”
15. “ ब्याज खिलाने वाले का पाप ”
16. “ अल्लाह का बयान है कि "अल्लाह दान बढ़ाता है और ब्याज को समाप्त करता है ”
17. “ लोहार के पेशे के बारे में ”
18. “ दर्ज़ी के पेशे के बारे में ”
19. “ जानवरों और गधों आदि की ख़रीदारी मान्य है ”
20. “ बीमार या खुजली वाले ऊंटों को ख़रीदना ठीक है ”
21. “ पिछने लगाने वाले के पेशे के बारे में ”
22. “ उन कपड़ों का व्यापार जिन्हें पुरुषों और महिलाओं को पहनना मना है ”
23. “ यदि कोई व्यक्ति विक्रेता से अलग होने से पहले कुछ ख़रीदता है और किसी और को उपहार के रूप में देता है ”
24. “ ख़रीदने और बेचने में धोकाधड़ी और गड़बड़ी ”
25. “ बाज़ारों के बारे में क्या कहा गया है ”
26. “ बाज़ार में शोर मचाने से नफ़रत साबित है ”
27. “ नाप-तोल करना विक्रेता और देने वाले पर है ”
28. “ अनाज की नाप-तोल करना अच्छा है ”
29. “ रसूल अल्लाह की मद और साअ के लिए दुआ करना ”
30. “ अनाज की बिक्री और भंडारण के बारे में क्या बताया गया है ”
31. “ अपने मुसलमान भाई की बिक्री पर बिक्री न लगानी चाहिए और न ही अपने भाई की क़ीमत पर कोई क़ीमत लगानी चाहिए या तो वह उसे अनुमति देदे या बिक्री छोड़दे ”
32. “ नीलामी बिक्री के बारे में ”
33. “ धोखे की बिक्री और हबल अल-हबला वाली बिक्री ( गर्भवती ऊंटनी के गर्भ की बिक्री ) के बारे में ”
34. “ ऊँट, गाय, बकरी या अन्य किसी जानवर के थन में दूध रोके रखना फिर उसे बेचना ”
35. “ ज़िना करने वाले ग़ुलाम की बिक्री ( जाइज़ है या नहीं ) ”
36. “ यदि कोई नागरिक किसी विदेशी के लिए बेचता है ( तो जायज़ है ) और क्या वह उसकी मदद करता है और उसकी भलाई चाहता है तो यह सही है ”
37. “ आगे बढ़कर अनाज लाने वाले कारवां से मिलना नहीं चाहिए ”
38. “ अंगूर के बदले अंगूर और अनाज के बदले अनाज कैसे बेचा जाए ”
39. “ जौ के बदले जौ बेचना केसा है ”
40. “ सोने के बदले सोना बेचना केसा है ”
41. “ चांदी के बदले चांदी बेचना केसा है ”
42. “ दीनार के बदले दीनार उधार बेचना केसा है ”
43. “ चाँदी को सोने के बदले उधार बेचना ”
44. “ मुज़ाबना बिक्री के बारे में ”
45. “ पेड़ों पर लगे फलों को सोने या चांदी यानी नक़द कैसे बेचा जाए ”
46. “ फलों को पकने से पहले बेचना ”
47. “ जब कोई व्यक्ति फल को पकने से पहले बेचता है और फल पर कोई ख़राबी आती है, इसके लिए विक्रेता ज़िम्मेदार होगा ”
48. “ यदि कोई व्यक्ति अच्छी खजूर के बदले वो खजूर बेचे जो अच्छी न हो ”
49. “ मुख़ाज़रह बिक्री ( फ़सलको कच्ची हालत में बेचना ) ”
50. “ कुछ लोगों ने हर शहर के मामलों में वहां के लोगों के रीति-रिवाजों, बिक्री, वज़न और तरीक़ों के साथ-साथ उनकी नियतों को उनके नियमों के अनुसार माना है ”
51. “ एक साझेदार अपना भाग दूसरे साझेदार को बेच सकता है ”
52. “ एक काफ़िर से ग़ुलाम ख़रीदना या ग़ुलाम को मुक्त करदेना जायज़ है ”
53. “ सुअर को मारना ”
54. “ उन चीज़ों के चित्र बेचना जिन में जान नहीं है इस बारे में क्या है ”
55. “ एक ऐसे व्यक्ति के पाप के बारे में जो एक स्वतंत्र व्यक्ति को बेचता है ”
56. “ मरे हुए जानवरों और मूर्तियों की ख़रीद और बिक्री किसी है ”
57. “ कुत्ते की क़ीमत लेना केसा है ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
خریدوفروخت کے بیان میں
ख़रीदने और बेचने के बारे में
حربی کافر سے غلام خرید لینا یا کافر لونڈی یا غلام کا ہبہ کر دینا یا آزاد کر دینا (درست ہے)۔
“ एक काफ़िर से ग़ुलाम ख़रीदना या ग़ुलाम को मुक्त करदेना जायज़ है ”
حدیث نمبر: 1043
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سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابراہیم علیہ السلام نے (اپنی بیوی) سارہ رضی اللہ عنہ کے ہمراہ ہجرت فرمائی تو ایک بستی میں پہنچے جہاں ایک بادشاہ تھا بادشاہوں میں سے یا (یہ فرمایا کی) ایک ظالم تھا ظالموں میں سے، چنانچہ اس سے بیان کیا گیا کہ ابراہیم علیہ السلام ایک نہایت خوبصورت عورت کے ساتھ آئے ہیں۔ پس اس نے ایک آدمی کو بھیجا کہ اے ابراہیم یہ عورت جو تمہارے ہمراہ ہے کون ہے؟ ابراہیم علیہ السلام نے جواب میں فرمایا: میری بہن ہے (اس فرستادہ نے کہا اس عورت کو بادشاہ بلاتا ہے) اس کے بعد ابراہیم نے سارہ علیہ السلام سے فرمایا: روئے زمین پر میرے اور تمہارے سوائے کوئی مومن نہیں ہے پھر ابراہیم علیہ السلام نے سارہ کو بادشاہ کے پاس روانہ کر دیا (جب وہ بادشاہ کے پاس پہنچیں) تو بادشاہ ان کی طرف متوجہ ہوا تو وہ وضو کر کے نماز پڑھنے کھڑی ہو گئیں اور کہنے لگیں کہ اے اللہ اگر میں تجھ پر اور تیرے رسول پر ایمان رکھتی ہوں اور اگر میں نے اپنے شوہر کے سوا باقی سب سے اپنی شرمگاہ کی حفاظت کی ہے تو تو مجھ پر اس کافر کو مسلط نہ فرمانا یہ دعا مانگتے ہی وہ کافر ایسا گرا کہ وہ اپنا پاؤں زمین پر رگڑنے لگا۔ سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے کہا کہ سیدہ سارہ علیہ السلام نے (اس حالت کو دیکھ کر) عرض کی کہ اے اللہ! اگر یہ مر جائے گا تو لوگ کہیں گے اسی نے بادشاہ کو مار ڈالا ہے۔ پھر اس کی وہ حالت جاتی رہی۔ وہ دو بار ان کی طرف متوجہ ہوا مگر وہ اٹھ کر وضو کر کے نماز پڑھنے لگیں اور عرض کی کہ اے اللہ! اگر میں تجھ پر اور تیرے رسول پر ایمان رکھتی ہوں اور میں نے اپنی شرمگاہ کو اپنے شوہر کے علاوہ اور سب سے بچایا ہے تو مجھ پر اس کافر کو مسلط نہ کرنا (اس کے بعد) بادشاہ پر پھر غشی طاری ہو گئی یہاں تک کہ اگر یہ مر جائے گا تو لوگ کہیں گے کہ اسی نے بادشاہ کو قتل کیا ہے۔ پھر دوبارہ اس کی وہ حالت فرو ہوئی پھر دوسری یا تیسری مرتبہ اس نے لوگوں سے کہا کہ تم میرے پاس عورت لائے ہو یا شیطان؟ اس کو تم ابراہیم علیہ السلام کے پاس واپس لے جاؤ اور آجر کو بھی ان کے حوالہ کر دو۔ چنانچہ وہ ابراہیم علیہ السلام کے پاس آ گئیں تو ابراہیم علیہ السلام سے کہا کہ کیا آپ کو معلوم ہے کہ اللہ تعالیٰ نے اس کافر کو ذلیل کر دیا اور ایک لونڈی (ہاجرہ علیہ السلام) کو بھی خدمت کے لیے روانہ کر دیا۔

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