तहज्जुद की नमाज़ के बारे में
1. “ रात में तहज्जुद की नमाज़ के बारे में ”
2. “ नमाज़ तहज्जुद की फ़ज़ीलत ”
3. “ रोगी के लिए क़ियाम-उल-लैल ( तहज्जुद ) छोड़ने के बारे में ”
4. “ नबी करीम ﷺ का तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने की नसीहत करना और उसे वाजिब न करना ”
5. “ रसूल अल्लाह ﷺ का रात में इतनी नमाज़ पढ़ना कि उनके पैर सूज जाते ”
6. “ जो व्यक्ति रात के अंत तक सोता रहा ”
7. “ तहज्जुद की नमाज़ में लम्बा क़ियाम सुन्नत है ”
8. “ रसूल अल्लाह ﷺ की रात की नमाज़ कैसी थी और आप कितनी नमाज़ पढ़ते थे ”
10. “ रात की नमाज़ से रोकने के लिए शैतान का गुद्दी पर पढ़कर गाँठ लगा देना ”
11. “ जब कोई व्यक्ति सो रहा होता है और नमाज़ नहीं पढ़ता है, तो शैतान उसके कान में पेशाब करता है ”
12. “ रात के अंतिम समय में नमाज़ में दुआ करना ( अल्लाह को बहुत पसंद है ) ”
13. “ जो रात के शुरु में सोता है और रात के अंत में जागता है ”
14. “ रसूल अल्लाह ﷺ का रमज़ान और अन्य दिनों में रात का क़ियाम ”
15. “ इबादत में अपनी जान पर सख़्ती नहीं करनी चाहिए ”
16. “ जो रात में उठकर तहज्जुद की नमाज़ पढ़ता हो उसके लिए इसका छोड़ देना मकरूह है ”
17. “ रात को उठकर नमाज़ पढ़ने वाले की फ़ज़ीलत ”
18. “ नफ़िल नमाज़ दो दो रकअत पढ़नी चाहिए ( और इस्तिख़ारा की दुआ ) ”
19. “ फ़ज्र की दो सुन्नत रकअतों को पढ़ने की पाबंदी करना और कुछ लोगों ने इसे नफ़िल कहा है ”
20. “ फ़ज्र की दोनों सुन्नत रकअतों में क्या पढ़ाना चाहिए ? ”
21. “ घर में चाश्त पढ़ना साबित है ”
22. “ ज़ुहर से पहले की चार रकअत सुन्नत हैं ”
23. “ मग़रिब की नमाज़ से पहले दो रकअत नफ़िल पढ़ना ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
تہجد کی نماز کا بیان
तहज्जुद की नमाज़ के बारे में
عبادت میں اپنی جان پر سختی نہیں کرنی چاہیے۔
“ इबादत में अपनी जान पर सख़्ती नहीं करनी चाहिए ”
حدیث نمبر: 609
Save to word مکررات اعراب Hindi
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ (ایک مرتبہ مسجد میں) نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم داخل ہوئے تو (کیا دیکھتے ہیں کہ) ایک رسی دونوں ستونوں کے درمیان لٹک رہی ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ رسی کیسی ہے؟ لوگوں نے عرض کی کہ یہ رسی ام المؤمنین زینب رضی اللہ عنہا کی لٹکائی ہوئی ہے جب وہ نماز میں کھڑے کھڑے تھک جاتی ہیں تو اس رسی سے لٹک جاتی ہیں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: نہیں ایسا ہرگز نہ کرنا چاہیے، اس کو کھول دو، تم میں سے ہر ایک اپنی طبیعت کے خوش رہنے تک نماز پڑھے پھر جب تھک جائے تو چاہیے کہ بیٹھ جائے۔

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