क़सम उठाना, नज़र मानना और कफ़्फ़ारा
986. “ काएनात के मामलों में केवल अल्लाह तआला की इच्छा काम करती ”
987. “ केवल अल्लाह तआला की क़सम उठानी चाहिए ”
988. “ क़सम देने वाले की क़सम पूरी न करना ”
989. “ अल्लाह तआला के सिवा किसी और की क़सम उठाना मना है ”
990. “ अमानत की क़सम उठाना मना है ”
991. “ झूठी क़सम का नुक़सान झूठी क़सम के माध्यम से दुनिया का लाभ उठाना चतुराई नहीं बोझ है ”
992. “ क़सम तोड़ने और नज़र पूरी न करने का कफ़्फ़ारह ”
993. “ मानी हुई बुरी नज़र को छोड़ देना और उस का कफ़्फ़ारह ”
994. “ किस तरह की नज़र मानी जाए ”
995. “ नज़र में कोई जगह तय करना और उसकी शर्त ”
996. “ नज़र के प्रकार और मकरूह नज़र ”
997. “ तकलीफ़ में डालने वाली बेकार की नज़र से बचना चाहिए ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
الايمان والنذور والكفارات
قسموں، نذروں اور کفارات کا بیان
क़सम उठाना, नज़र मानना और कफ़्फ़ारा
جھوٹی قسم کے نقصانات، جھوٹی قسم کے ذریعے دنیوی فوائد حاصل کرنا چالا کی نہیں وبال ہے
“ झूठी क़सम का नुक़सान झूठी क़सम के माध्यम से दुनिया का लाभ उठाना चतुराई नहीं बोझ है ”
حدیث نمبر: 1417
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- (اليمين الكاذبة منفقة للسلعة، ممحقة للكسب، (وفي لفظ:) للبركة).- (اليمين الكاذبة منفقة للسلعة، ممحقة للكسب، (وفي لفظ:) للبركة).
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جھوٹی قسم سودا تو بیچنے والی ہے، لیکن کمائی مٹا دینے والی ہے۔ اور ایک روایت کے لفظ ہیں: برکت مٹا دینے والی ہے۔
حدیث نمبر: 1418
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- (من اقتطع مال امرئ مسلم؛ بيمين كاذبة؛ كانت نكتة سوداء في قلبه، لا يغيرها شيء إلى يوم القيامة).- (من اقتطع مال امرئ مسلم؛ بيمين كاذبة؛ كانت نكتة سوداء في قلبه، لا يغيرها شيء إلى يوم القيامة).
سیدنا ابوامامہ بن ثعلبہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، وہ کہتے ہیں: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو فرماتے ہوئے سنا: جس نے جھوٹی قسم کے ساتھ کسی مسلمان کے مال پر قبضہ کیا، اس کے دل پر ایک سیاہ نقطہ لگ جاتا ہے، جس کو قیامت تک کوئی چیز نہیں مٹا سکتی۔

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