सुन्नतों की जानकारी और नबवी हदीसें
204. “ हदीसों का मतलब अपनी इच्छा के अनुसार नहीं लेना चाहिए ”
205. “ इबादत सुन्नतों पर निर्भर करती है ज़्यादा करने पर नहीं ”
206. “ रसूल अल्लाह ﷺ के हुक्म की पैरवी करने की मिसाल ”
207. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हदीस को परखने का तरीक़ा ”
208. “ दलील का मिल जाना काफ़ी है ”
209. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हदीसें दलील होती हैं ”
210. “ अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की अवज्ञा करने में किसी की आज्ञा नहीं है ”
211. “ बात करने का अंदाज़ नहीं दलील देखनी चाहिए ”
212. “ अल्लाह की किताब और एहले बेत की एहमियत ”
213. “ दुनिया के मामलों में रसूल अल्लाह ﷺ की राय की एहमियत ”
214. “ ख़लीफ़ह राशिद की आज्ञाकारी का हुक्म ”
215. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद मतभेद की भविष्यवाणी ”
216. “ सहाबह का यह कहना कि हाँ ऐसा करना सुन्नत है ”
217. “ सहाबह का रसूल अल्लाह ﷺ को सपना सुनना ، सपने कि ताअबीर और कौन सी ताअबीर न की जाए ”
218. “ क़राअ की निंदा ”
219. “ रसूल अल्लाह ﷺ को उम्मत के बारे में तीन मुद्दों का डर ”
220. “ वह अपराधी है जिस के सवालों के कारण हलाल चीज़ हराम हो जाए ”
221. “ रसूल अल्लाह ﷺ से झूठ जोड़ना गंभीर अपराध है ”
222. “ बिदअत करने वालों का अंत ”
223. “ बिदअत करने वालों की तौबा स्वीकार नहीं की जाती ”
224. “ तक़दीर के बारे में बहस करना ठीक नहीं ”
225. “ बनी इस्राईल की तबाही का कारण ज्ञान के बदले कहानियों और घटनाओं को दलील नहीं बनाना चाहिये ”
226. “ यदि किसी को इस्लाम में दिलचस्पी हो.. ”
227. “ ज्ञानी ज़्यदा होना और संबोधित करने वाले कम होना अच्छा है ”
228. “ क़ुरआन को याद करना कैसे संभव है ? ”
229. “ अल्लाह की किताब में मतभेद करना बर्बादी का कारण है और आयतों पर झगड़ा न किया जाए ”
230. “ क़ुरआन सिखने का लक्ष्य ”
231. “ इस उम्मत के पहले लोगों में अच्छाई है और बाद में बुराई ، स्वर्ग की इच्छा करने वालों की मोत किस हालत में होनी चाहिए ? ”
232. “ फ़ितनों से छुटकारा कैसे संभव है ? ”
233. “ ज्ञानी दूसरों को हदीस की शिक्षा दे ”
234. “ जिस ज्ञान को फैलाया न जाए उस की मिसाल ”
235. “ हराम चीज़ों के बारे में सावधान रहना ”
236. “ इबादत में मध्यम रस्ते को अपनाना चाहिये ”
237. “ अपनी भाषा के साथ दूसरी भाषाएँ भी सीखनी चाहियें ”
238. “ पारिवारिक रिश्तेदारों की जानकारी होना चाहिये रहम दिली के लिए ”
239. “ बनी इस्राईल की चौंकाने वाली और कुछ सिखाने वाली घटना ”
240. “ बनी इस्राईल को उन की हदीसें बताना ”
241. “ हिजरत और जिहाद के बिना भी अल्लाह की इबादत करना संभव है लेकिन... ”
242. “ लोगों को अच्छाई की शिक्षा देने वाले की फ़ज़ीलत ”
243. “ हदीस के छात्रों की फ़ज़ीलत ”
244. “ हदीस के छात्रों के लिए नबवी वसीयत ”
245. “ दिनी ज्ञान रखना किन लोगों की विशेषता है ”
246. “ नेकी की तरफ़ बुलाने वाले की फ़ज़ीलत ”
247. “ ग़रीब लोगों की विशेषताएं और फ़ज़ीलत ”
248. “ दिनी शिक्षा के नियम और आवश्यकताएं ”
249. “ ज्ञान को लिखकर सुरक्षित करने का आदेश ”
250. “ अल्लाह से अच्छे ज्ञान का सवाल करना ”
251. “ ख़ुत्बे के बीच नमाज़ियों की स्थिति ”
252. “ ख़ुत्बा देने वाले का मिम्बर पर चढ़ कर सलाम करना ”
253. “ ख़ुत्बे के बीच बातें करने का नुक़सान ”
254. “ क्या दिखावे की पहचान संभव है ? ”
255. “ ग़ुस्सा आने के समय चुप रहने का आदेश ”
256. “ रसूल अल्लाह ﷺ का शोअर पढ़ना ”
257. “ रसूल अल्लाह ﷺ के शब्द स्पष्ट और साफ़ होते थे ”
258. “ रसूल अल्लाह ﷺ को अच्छा सपना पसंद था ”
259. “ सपने में दूध की ताअबीर ”
260. “ झूठा सपना सुनना ”
261. “ हर सुनी सुनाई बात को आगे बढ़ा देना ”
262. “ हदीस के छात्रों और ग़रीबों के कारण रिज़्क़ मिलता है ”
263. “ दिनी ज्ञान होने पर मुबारकबाद देना ”
264. “ जन्नत के क़रीब आने और जहन्नम से दूर होने के कारण बता दिए गए हैं ”
265. “ जाहिल को शिक्षा कैसे दें ? ”
266. “ क़ुरआन और दूध के कारण उम्मत की बर्बादी ”
267. “ विभिन्न शसकों ، फ़ितनों और समुदायों को कैसे संभालें ? ”

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सिलसिला अहादीस सहीहा
العلم والسنة والحديث النبوي
علم سنت اور حدیث نبوی
सुन्नतों की जानकारी और नबवी हदीसें
دنیوی معاملات میں آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی رائے کی حیثیت
“ दुनिया के मामलों में रसूल अल्लाह ﷺ की राय की एहमियत ”
حدیث نمبر: 321
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- (إذا كان شيء من امر دنياكم؛ فانتم اعلم به، فإذا كان من امر دينكم؛ فإلي).- (إذا كانَ شيءٌ من أمرِ دُنياكم؛ فأنتُم أعلمُ به، فإذا كانَ من أمر دينكم؛ فإليَّ).
سیدنا انس رضی اللہ عنہ سے مروی ہے، وہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے کچھ آوازیں سنیں اور پوچھا: یہ (آوازیں) کیسی ہیں؟ انہوں نے کہا: لوگ کھجوروں کی تلقیح کر رہے ہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر یہ اس کو ترک کر دیں اور تلقیح نہ کریں تو اچھا ہو گا۔ پس انہوں نے اس عمل کو چھوڑ دیا اور تلقیح نہ کی، (جس کا نتیجہ یہ نکلا کہ) ردی اور ناکارہ کھجوریں پیدا ہوئیں۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: تم لوگوں کو کیا ہو گیا ہے؟ انہوں نے کہا: صحابہ نے آپ کے کہنے پر یہ عمل نہیں کیا تھا (جس کی وجہ سے یہ نقصان ہو گیا)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر تمہارا کوئی دنیوی معاملہ ہو تو تم خود اس کے بارے میں زیادہ (بہتر) جانتے ہو، ہاں اگر دین کا معاملہ ہو تو میری طرف لایا کرو۔

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