“ हक़ महर के बारे में ” |
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350 |
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“ कुंवारी लड़की की ख़ामोशी उस की अनुमति होगी ” |
1 |
351 |
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“ विधवा और तलाक़ पा चुकी औरत की अनुमति दुसरे निखाह के लिए ज़रूरी है ” |
1 |
352 |
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“ विधवा और तलाक़ पा चुकी औरत को दुसरे निकाह का अधिकार है ” |
1 |
353 |
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“ पत्नी और उस की मौसी या बुआ को एक निकाह में नहीं रखा जा सकता ” |
1 |
354 |
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“ शग़ार ! यानि आमने सामने का निकाह मना है ” |
1 |
355 |
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“ सगाई पर सगाई करना मना है ” |
3 |
356 سے 358 |
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“ अज़ल ! यानि बच्चे के जन्म से बचने के बारे में ” |
1 |
359 |
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“ बच्चा उस का होगा जिस के बिस्तर पर जन्म लेगा ” |
1 |
360 |
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“ गर्भवती औरत के साथ संभोग ” |
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361 |
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