التوبة والمواعظ والرقائق توبہ، نصیحت اور نرمی کے ابواب तौबा, नसीहत और नरमी बरतना 1440. بالآخر دنیا سے رخصت اور ہر دوست کو الوداع کہنا پڑے گا 1440. “ हर हालत में दुनिया को छोड़ना और हर दोस्त को अलविदा कहना पड़ेगा ” 1441. مومن کا شرف تہجد میں اور عزت لوگوں سے بے نیاز ہونے میں ہے 1441. “ मोमिन की गरिमा तहज्जुद की नमाज़ में और सम्मान लोगों से बेपरवाह होने में है ” 1442. مفلس کون ہے؟ 1442. “ कंगाल कौन है ” 1443. کثرت سوال باعث ہلاکت ہے 1443. “ सवाल बहुत करना बरबादी का कारण बनते हैं ” 1444. خیانت کیے ہوئے اونٹ، گائے اور بکری کی وجہ سے میدان حشر میں رسوائی 1444. “ ऊंटों, गायों और बकरियों में ख़यानत करने से क़यामत के दिन रुस्वाई ” 1445. سات کبیرہ گناہ 1445. “ सात बड़े पाप ” 1446. چھوٹے گناہوں کی کثرت بھی مہلک ہے 1446. “ छोटे पाप बहुत करना भी बरबादी है ” 1447. چھوٹے گناہوں کی وجہ سے مؤاخذہ 1447. “ छोटे पापों की भी पूछताछ होगी ” 1448. حرام کے قریب تک نہیں پھٹکنا چاہیے 1448. “ हराम के पास नहीं जाना चाहिए ” 1449. صدقہ کی فضیلت 1449. “ सदक़ह की फ़ज़ीलत ” 1450. بعض مؤمنوں کے دل آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے لیے نرم ہوتے ہیں 1450. “ कुछ मोमिनों के दिल आप ﷺ के लिए नरम हैं ” 1451. مومن کے انجام خیر کے لیے دنیوی آزمائشیں بہتر ہیں 1451. “ मोमिन के अच्छे अंत के लिए दुनिया में परीक्षा का होना ” 1452. موت سے پہلے اعمال صالحہ کی فضیلت 1452. “ मौत से पहले अच्छे कर्मों की फ़ज़ीलत ” 1453. غیر مستحق پر لعنت کرنے کا وبال 1453. “ नाजाइज़ लाअनत करने का बोझ ” 1454. نافرمانیوں کے باوجود دنیوی مال و دولت ملنا استدراج ہے 1454. “ आज्ञाकारी न करने पर भी दुनिया में रिज़्क़ का मिलना अल्लाह की ढील है ” 1455. پرفتن دور کے احکام 1455. “ बुरे दिनों के नियम ” 1456. برائی کے بعد نیکی کرنے کی تعلیم 1456. “ बुराई के बाद नेकी करने की शिक्षा ” 1457. امانت، سچائی، حسن اخلاق اور بقدر کفایت رزق کی اہمیت 1457. “ ईमानदारी ، सच्चाई ، अच्छा व्यवहार और भरपूर रिज़्क़ की एहमियत ” 1458. چھ امور کی پابندی پر جنت کی ضمانت 1458. “ छह कर्मों की पाबंदी पर जन्नत की ज़मानत ” 1459. نیکیاں کرنے اور رحمت الہی کے درپے رہنے کی تلقین 1459. “ अच्छे कर्म करने और अल्लाह की रहमत की आशा की नसीहत ” 1460. طویل عمر، بہترین لوگوں کی صفت ہے، بشرطیکہ . . . 1460. “ लम्बी आयु अच्छे लोगों की विशेषता है लेकिन ... ” 1461. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی تواضع اور طلب مسکنت کی دعا 1461. “ आप ﷺ की ग़रीबों के साथ की दुआ ” 1462. دنیوی فقر و فاقہ کے عوض اخروی خزانے 1462. “ दुनिया में ग़रीबी और भुखमरी के बदले में आख़िरत के ख़ज़ाने ” 1463. کفالت کرنے والا مال قلیل، غافل کر دینے والے مال کثیر سے بہتر ہے 1463. “ कम माल बेख़बर करने वाले अधिक माल से अच्छा है ” 1464. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا دنیوی آسائشوں کو ترجیح نہ دینا، دنیا کے عارضی پن کی مثال 1464. “ आप ﷺ का दुनिया के आराम की इच्छा न करना दुनिया में कुछ देर ठहरने की मिसाल ” 1465. اللہ تعالیٰ کے ہاں دنیا کی بےوقعتی 1465. “ अल्लाह तआला के हाँ दुनिया की कोई एहमियत नहीं ” 1466. مالداری میں کوئی مضائقہ نہیں، لیکن کب؟۔ صحت، غنی سے بہتر ہے 1466. “ धन का होना कुछ ग़लत नहीं लेकिन कब ? स्वास्थ्य माल से अच्छा है ” 1467. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے دوست 1467. “ आप ﷺ के दोस्त ” 1468. برے لوگوں کی نحوست 1468. “ बुरे लोगों का मनहूस होना ” 1469. ہر بندے کو جو کچھ عطا کیا گیا وہ اس کے لیے آزمائش ہے 1469. “ बंदे को जो दिया जाता है ، वह उसके लिए एक परीक्षा है ” 1470. کون سا عمل مقبول ہے؟ 1470. “ किन कर्मों को स्वीकार किया जाता है ” 1471. احکام الٰہی کی پاسداری سے فاقہ ختم ہو جاتا ہے 1471. “ अल्लाह की आज्ञाकारी से भुकमरी ख़त्म हो जाती है ” 1472. صحت اور ٹھنڈے پانی کی اہمیت 1472. “ स्वास्थ्य और ठंडे पानी की एहमियत ” 1473. آخرت کی گھاٹیاں طے کرنے کے لیے گناہوں کا بوجھ کم ہونا چاہیے 1473. “ आख़िरत की मुश्किलों से बचने के लिए पापों का बोझ हल्का होना चाहिए ” 1474. کثرت عبادت دیندار ہونے کا معیار نہیں 1474. “ अधिक इबादत करना दीनदार होने का सबूत नहीं ” 1475. مال و دولت دوسرے لوگوں کے منافع کے لیے ملتا ہے 1475. “ धन अन्य लोगों के लाभ के लिए होता है ” 1476. بندگان خدا اپنی عقل و فراست سے لوگوں کو پہچان لیتے ہیں 1476. “ अल्लाह के बंदे अपनी बुद्धि से लोगों को पहचान लेते हैं ” 1477. مومن کو ماحول سے متاثر نہیں ہونا چاہیے 1477. “ मोमिन को माहौल से प्रभावित नहीं होना चाहिए ” 1478. کھانے پینے کو زیادہ اہمیت نہ دی جائے 1478. “ खाने-पीने को बहुत एहमियत न दें ” 1479. نوع بنوع کے کھانوں کو ترجیح دینا کیسا ہے؟ 1479. “ तरह तरह के खानों को पसन्द करना केसा है ” 1480. خیر کا سبب بننے والے کے لیے سعادت اور شر کا سبب بننے والے کے لیے ہلاکت 1480. “ उन लोगों के लिए ख़ुशी जो अच्छे का कारण बनते हैं और बुरे लोगों के लिए बरबादी ” 1481. آخرت کی خیر ہی خیر ہے 1481. “ आख़िरत की भलाई ही ، भलाई है ” 1482. موت استراحت ہے، اگر بخشش ہو جائے تو 1482. “ मौत आराम है यदि क्षमा मिल जाए तो ” 1483. اگر ہمیں اتنا علم ہوتا، جتنا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو تھا تو . . . 1483. “ यदि हमें इतना ज्ञान होता ، जितना आप ﷺ के पास था तो... ” 1484. تقوی، جہاد، ذکر اور تلاوت قرآن کی نصیحت 1484. “ तक़वा ، जिहाद ، अल्लाह की याद और क़ुरआन पढ़ने की नसीहत ” 1485. عالم برزخ کے لیے تیاری کا حکم 1485. “ मौत से पहले उसकी तैयारी का हुक्म ” 1486. آدمی کا مال وہی ہے، جو وہ خرچ کر چکا 1486. “ आदमी का धन वही है जो उसने ख़र्च किया है ” 1487. تین نجات دلانے والے اور تین ہلاک کرنے والے امور 1487. “ तीन मुक्ति दिलाने वाले और तीन बरबाद करने वाले मामले ” 1488. انسان کسی نہ کسی انداز میں ناشکری کرتا رہتا ہے 1488. “ इन्सान किसी भी हाल में शुक्र नहीं करता ” 1489. جماعت رحمت ہے اور فرقہ بندی عذاب 1489. “ समूह में रहना रहमत है और फूट अज़ाब है ” 1490. دنیا کی لذت، آخرت کی تلخی ہے 1490. “ दुनिया का आनंद आख़िरत की कड़वाहट है ” 1491. اللہ تعالیٰ کی طرف سے بندے کے عمل صالح پر اس کی قدر دانی 1491. “ बंदे के नेक कामों पर अल्लाह तआला की ओर से सराहना ” 1492. اللہ تعالیٰ کا بندوں کے ساتھ معاملہ ان کے ظن کے مطابق ہوتا ہے 1492. “ अल्लाह का अपने बंदों के साथ व्यवहार बंदे के गुमान के अनुसार है ” 1493. دو امن ممکن ہیں نہ دو خوف 1493. “ न दो आराम संभव हैं ، न दो डर ” 1494. کسی معین شخص کو اللہ تعالیٰ کی رحمت سے محروم نہیں قرار دیا جا سکتا 1494. “ किसी को अल्लाह तआला की रहमत से वंचित नहीं किया जा सकता ” 1495. فرعون سے جبریل کی انتقامی کاروائی 1495. “ फ़िरओन से जिब्रईल का बदला ” 1496. عدم صبر ہر گناہ کی حفاظت کرتا ہے 1496. “ सब्र न करना हर पाप की सुरक्षा करता है ” 1497. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا کمزوروں کا خیال رکھنا 1497. “ आप ﷺ का कमज़ोर लोगों का ध्यान रखना ” 1498. خلوتوں کی برائیاں جلوتوں کی نیکیوں کو لے ڈوبتی ہیں 1498. “ अकेले में की गई बुराइयां सामने किये गए अच्छे कर्मों को डुबो देती हैं ” 1499. اعمال صالحہ کو مخفی رکھنا چاہیے 1499. “ अच्छे कर्मों को गुप्त रखना चाहिए ” 1500. برائیوں میں اس امت کا سابقہ امتوں کی پیروی کرنا 1500. “ बुराइयों में इस उम्मत का पिछली उम्मतों की पैरवी करना ” 1501. مومن سے وقتاً فوقتاً گناہ ہوتے رہتے ہیں 1501. “ मोमिन से कभी कभी पाप होते रहते हैं ” 1502. گناہ کی نحوست 1502. “ पाप का मनहूस होना ” 1503. گناہ کے بعد توبہ کرنے کی تلقین 1503. “ पाप के बाद नेकी करने की नसीहत ” 1504. توبہ واستغفار کا حکم 1504. “ तोबा और इस्तग़फ़ार का हुक्म ” 1505. توبہ سے گناہوں کی معافی 1505. “ तोबा से पापों का क्षमा होजाना ” 1506. اللہ گناہ بخش دیتا ہے 1506. “ अल्लाह तआला पाप क्षमा कर देता है ” 1507. خود پسندی بھی گناہ سے کم نہیں 1507. “ स्वार्थ पाप से कम नहीं है ” 1508. ہر جاندار کی خدمت میں اجر ہے 1508. “ हर जीवित चीज़ की सेवा में सवाब है ” 1509. میدان حشر میں غیر معمولی اعمال معمولی نظر آئیں گے 1509. “ हिसाब किताब के दिन असाधारण कर्म साधारण दिखाई देंगे ” 1510. رزق بندے کا پیچھا کرتا ہے 1510. “ रिज़्क़ बंदे का पीछा करता है ” 1511. توکل علی اللہ 1511. “ अल्लाह पर तवक्कल करना ” 1512. مختلف اسباب کی بنا پر ایمان میں کمی بیشی ہوتی رہتی ہے 1512. “ कई कारणों से ईमान में उतार-चढ़ाव आता है ” 1513. دل کی کیفیت بدلتی رہتی ہے 1513. “ दिल की हालत बदलती रहती है ” 1514. کون سا مال بہتر ہے؟ 1514. “ कौन सा माल अच्छा है ? ” 1515. ایک ہی دن میں روزہ رکھنے، مریض کی تیمارداری کرنے، جنازہ پڑھنے اور مسکین کو کھانا کھلانے کی فضیلت 1515. “ एक ही दिन में रोज़ा रखने ، बीमारों की देखभाल करने ، जनाज़े में शामिल होने और गरीबों को खाना खिलाने की फ़ज़ीलत ” 1516. امن، صحت اور بقدر کفایت رزق کى اہمیت 1516. “ शांति ، स्वास्थ्य और जीवन के लिए काफ़ी रिज़्क़ की एहमियत ” 1517. ہر آدمی کی اچھی یا بری شہرت کا آغاز آسمان پر ہوتا ہے 1517. “ हर इन्सान की अच्छी या बुरी पहचान आसमान पर होती है ” 1518. امت محمدیہ کی مثال بارش کی سی کیوں؟ 1518. “ मुसलामनों की मिसाल बारिश की तरह क्यों ” 1519. مومن آزمائشوں سے مفید تاثر لیتا ہے 1519. “ मोमिन परीक्षाओं से अच्छी शिक्षा लेता है ” 1520. مومن کی مثال کھجور کے درخت کی سی ہے 1520. “ मोमिन की मिसाल खजूर के पेड़ के जैसी है ” 1521. مومنوں کی گزرگاہ سے تکلیف دہ چیز ہٹانا باعث جنت ہے 1521. “ मोमिन के रस्ते से तकलीफ़ देने वाली चीज़ को हटाना जन्नत का कारण है ” 1522. اللہ تعالیٰ کے ہاں اپنا مقام معلوم کرنے کا کلیہ 1522. “ अल्लाह तआला के हाँ अपना दर्जा जानने का तरीक़ा ” 1523. لوگوں کی پروا کیے بغیر اللہ کو راضی کرنے کی برکت، اور اللہ کی پروا کیے بغیر لوگوں کو خوش کرنے کی نحوست 1523. “ लोगों की परवाह किए बिना अल्लाह तआला को ख़ुश करने की बरकत और अल्लाह तआला की परवाह किए बिना लोगों को ख़ुश करने का दुर्भाग्य ” 1524. جنگل میں مقیم ہونے، شکار کے پیچھے پڑنے اور بادشاہوں کے دروازوں پر آنے کی نحوستیں 1524. “ जंगल में रहने ، शिकार का पीछा करने और राजाओं के द्वार पर आने का दुर्भाग्य ” 1525. باپ کے دوستوں سے تعلقات قائم کرنا نیکی ہے 1525. “ पिता के दोस्तों के साथ संबंध बनाना नेकी है ” 1526. جنت جیسى انتہائى قیمتى چیز کا حصول مشکل ہوتا ہے 1526. “ जन्नत जैसी बहुमूल्य चीज़ का मिलना मुश्किल होता है ” 1527. مسلمان کی پردہ پوشی کرنے کی فضیلت 1527. “ किसी मुसलमान की बुराइयों पर पर्दा डालने की फ़ज़ीलत ” 1528. دو رخے پن کا وبال 1528. “ दोग़लेपन का बोझ ” 1529. اخروی فکر اور دنیوی فکر رکھنے والے سے اللہ تعالیٰ کا معاملہ 1529. “ आख़िरत की चिंता और दुनिया की चिंता करने वाले से अल्लाह का मामला ” 1530. اجر و ثواب کا وعدہ تو پورا ہو کر رہے گا، لیکن عذاب و عقاب کا وعدہ . . . 1530. “ सवाब का वादा पूरा होगा ، लेकिन अज़ाब का वादा... ” 1531. حرام امور اور زیادہ ہنسنے سے گریز کرنے کے فوائد 1531. “ हराम चीज़ों से बचने और बहुत न हँसने के लाभ ” 1532. بنوآدم خاکی ہیں 1532. “ आदम की औलाद मिट्टी से है ” 1533. کون سا مومن راہ جنت پر چل رہا ہوتا ہے؟ 1533. “ कौन सा मोमिन जन्नत के रस्ते पर चल रहा होता है ? ” 1534. معذب اقوام کی جائے عذاب سے کیسے گزرا جائے؟ 1534. “ जहाँ अज़ाब आया हो वहां से कैसे गुज़रा जाए ” 1535. اگر اللہ تعالیٰ کو اپنے بندوں سے پیار ہے، تو جہنم کا کیا تُک ہے؟ 1535. “ यदि अल्लाह को अपने बंदों से प्यार है ، तो जहन्नम का क्या मतलब ? ” 1536. عبادات کے باوجود ڈرنے کا کیا مفہوم ہے؟ کثرت عبادت مزید عبادت کا سبب بنتی ہے 1536. “ इबादत के बावजूद डरने का क्या मतलब है ? बहुत अधिक इबादत से और अधिक इबादत होती है ” 1537. اللہ تعالیٰ نے دین حق کی کیسے حفاظت کی؟ 1537. “ अल्लाह ने सच्चे दीन की रक्षा कैसे की ? ” 1538. مومن اپنے آپ کو ذلیل کیسے کرتا ہے؟ 1538. “ मोमिन अपने आप को कैसे रुस्वा करता है ” 1539. بخل مہلک ہے، ظلم کی تعریف اور اس کا انجام بد 1539. “ कंजूसी घातक है ، ज़ुल्म का परिचय और उसका बुरा अंत ” 1540. بخل کو کیسے دور کیا جائے؟ مال کے ذریعے عذاب سے چھٹکارا حاصل کرنا 1540. “ कंजूसी से छुटकारा कैसे पाएं ? धन के माध्यम से अज़ाब से छुटकारा कैसे पाएं ” 1541. جہاد، روزے اور صدقے کی فضیلت، اچھا بول غنیمت ہے، وگرنہ خاموشی سلامت ہے، زبان کے بول باعث جہنمم ہیں 1541. “ जिहाद ، रोज़े और सदक़ह की फ़ज़ीलत अच्छे शब्द वरदान होते हैं ، चुप रहने में सुरक्षा है ، शब्द भी जहन्नम का कारण बनते हैं ” 1542. ریاکاری اور خفیہ شہوت کے بارے میں فکر کرنا 1542. “ दिखावे के काम और गुप्त वासना के बारे में चिंता करना ” 1543. ادنیٰ مومن بھی پناہ دے سکتا ہے 1543. “ साधारण मोमिन भी शरण दे सकता है ” |
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा التوبة والمواعظ والرقائق توبہ، نصیحت اور نرمی کے ابواب तौबा, नसीहत और नरमी बरतना اللہ تعالیٰ کی طرف سے بندے کے عمل صالح پر اس کی قدر دانی “ बंदे के नेक कामों पर अल्लाह तआला की ओर से सराहना ”
ایک صحابی رسول بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اللہ تعالیٰ نے فرمایا: اے ابن آدم! تو میرے لیے کھڑا ہو، میں تیری طرف چل کر آؤں گا اور اگر تو میری طرف چل پڑے تو میں تری طرف دوڑ کر آؤں گا۔“
|
https://islamicurdubooks.com/ 2005-2024 islamicurdubooks@gmail.com
No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to https://islamicurdubooks.com will be appreciated.