“ चोर का हाथ काटने के बारे में ” |
2 |
528 سے 529 |
|
“ ज़ानी को रजम यानि संगसार किया जाए गा ” |
3 |
530 سے 532 |
|
“ वह ज़ानी जिस की शादी न हुई हो उस की सज़ा ” |
1 |
533 |
|
“ तोरात में रजम का सबूत ” |
1 |
534 |
|
“ कुंआरी लौंडी अगर ज़िना करे तो उस की सज़ा ” |
1 |
535 |
|
“ जो अपनी पत्नी के पास किसी दुसरे आदमी को देखे ” |
1 |
536 |
|
“ अगर क़त्ल के मआमले में शक हो तो दयत कौन देगा ” |
1 |
537 |
|
“ किसी औरत के पेट में बच्चा मारा जाए तो उस की दयत ” |
1 |
538 |
|
“ खान और कुँए में मरने वाले के ख़ून का कोई बदला नहीं ” |
1 |
539 |
|
“ अगर चौपाया किसी का नुक़सान करदे तो कोई बदला नहीं ” |
2 |
540 سے 541 |
|