“ हर हालत में दुनिया को छोड़ना और हर दोस्त को अलविदा कहना पड़ेगा ” |
1 |
2184 |
|
“ मोमिन की गरिमा तहज्जुद की नमाज़ में और सम्मान लोगों से बेपरवाह होने में है ” |
1 |
2185 |
|
“ कंगाल कौन है ” |
1 |
2186 |
|
“ सवाल बहुत करना बरबादी का कारण बनते हैं ” |
1 |
2187 |
|
“ ऊंटों, गायों और बकरियों में ख़यानत करने से क़यामत के दिन रुस्वाई ” |
2 |
2188 سے 2189 |
|
“ सात बड़े पाप ” |
1 |
2190 |
|
“ छोटे पाप बहुत करना भी बरबादी है ” |
1 |
2191 |
|
“ छोटे पापों की भी पूछताछ होगी ” |
1 |
2192 |
|
“ हराम के पास नहीं जाना चाहिए ” |
1 |
2193 |
|
“ सदक़ह की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2194 |
|
“ कुछ मोमिनों के दिल आप ﷺ के लिए नरम हैं ” |
1 |
2195 |
|
“ मोमिन के अच्छे अंत के लिए दुनिया में परीक्षा का होना ” |
1 |
2196 |
|
“ मौत से पहले अच्छे कर्मों की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2197 |
|
“ नाजाइज़ लाअनत करने का बोझ ” |
1 |
2198 |
|
“ आज्ञाकारी न करने पर भी दुनिया में रिज़्क़ का मिलना अल्लाह की ढील है ” |
1 |
2199 |
|
“ बुरे दिनों के नियम ” |
1 |
2200 |
|
“ बुराई के बाद नेकी करने की शिक्षा ” |
1 |
2201 |
|
“ ईमानदारी ، सच्चाई ، अच्छा व्यवहार और भरपूर रिज़्क़ की एहमियत ” |
1 |
2202 |
|
“ छह कर्मों की पाबंदी पर जन्नत की ज़मानत ” |
1 |
2203 |
|
“ अच्छे कर्म करने और अल्लाह की रहमत की आशा की नसीहत ” |
1 |
2204 |
|
“ लम्बी आयु अच्छे लोगों की विशेषता है लेकिन ... ” |
1 |
2205 |
|
“ आप ﷺ की ग़रीबों के साथ की दुआ ” |
1 |
2206 |
|
“ दुनिया में ग़रीबी और भुखमरी के बदले में आख़िरत के ख़ज़ाने ” |
1 |
2207 |
|
“ कम माल बेख़बर करने वाले अधिक माल से अच्छा है ” |
1 |
2208 |
|
“ आप ﷺ का दुनिया के आराम की इच्छा न करना दुनिया में कुछ देर ठहरने की मिसाल ” |
2 |
2209 سے 2210 |
|
“ अल्लाह तआला के हाँ दुनिया की कोई एहमियत नहीं ” |
1 |
2211 |
|
“ धन का होना कुछ ग़लत नहीं लेकिन कब ? स्वास्थ्य माल से अच्छा है ” |
1 |
2212 |
|
“ आप ﷺ के दोस्त ” |
2 |
2213 سے 2214 |
|
“ बुरे लोगों का मनहूस होना ” |
1 |
2215 |
|
“ बंदे को जो दिया जाता है ، वह उसके लिए एक परीक्षा है ” |
1 |
2216 |
|
“ किन कर्मों को स्वीकार किया जाता है ” |
1 |
2217 |
|
“ अल्लाह की आज्ञाकारी से भुकमरी ख़त्म हो जाती है ” |
1 |
2218 |
|
“ स्वास्थ्य और ठंडे पानी की एहमियत ” |
1 |
2219 |
|
“ आख़िरत की मुश्किलों से बचने के लिए पापों का बोझ हल्का होना चाहिए ” |
1 |
2220 |
|
“ अधिक इबादत करना दीनदार होने का सबूत नहीं ” |
1 |
2221 |
|
“ धन अन्य लोगों के लाभ के लिए होता है ” |
1 |
2222 |
|
“ अल्लाह के बंदे अपनी बुद्धि से लोगों को पहचान लेते हैं ” |
1 |
2223 |
|
“ मोमिन को माहौल से प्रभावित नहीं होना चाहिए ” |
1 |
2224 |
|
“ खाने-पीने को बहुत एहमियत न दें ” |
1 |
2225 |
|
“ तरह तरह के खानों को पसन्द करना केसा है ” |
1 |
2226 |
|
“ उन लोगों के लिए ख़ुशी जो अच्छे का कारण बनते हैं और बुरे लोगों के लिए बरबादी ” |
1 |
2227 |
|
“ आख़िरत की भलाई ही ، भलाई है ” |
1 |
2228 |
|
“ मौत आराम है यदि क्षमा मिल जाए तो ” |
1 |
2229 |
|
“ यदि हमें इतना ज्ञान होता ، जितना आप ﷺ के पास था तो... ” |
1 |
2230 |
|
“ तक़वा ، जिहाद ، अल्लाह की याद और क़ुरआन पढ़ने की नसीहत ” |
1 |
2231 |
|
“ मौत से पहले उसकी तैयारी का हुक्म ” |
1 |
2232 |
|
“ आदमी का धन वही है जो उसने ख़र्च किया है ” |
1 |
2233 |
|
“ तीन मुक्ति दिलाने वाले और तीन बरबाद करने वाले मामले ” |
1 |
2234 |
|
“ इन्सान किसी भी हाल में शुक्र नहीं करता ” |
1 |
2235 |
|
“ समूह में रहना रहमत है और फूट अज़ाब है ” |
1 |
2236 |
|
“ दुनिया का आनंद आख़िरत की कड़वाहट है ” |
1 |
2237 |
|
“ बंदे के नेक कामों पर अल्लाह तआला की ओर से सराहना ” |
1 |
2238 |
|
“ अल्लाह का अपने बंदों के साथ व्यवहार बंदे के गुमान के अनुसार है ” |
1 |
2239 |
|
“ न दो आराम संभव हैं ، न दो डर ” |
1 |
2240 |
|
“ किसी को अल्लाह तआला की रहमत से वंचित नहीं किया जा सकता ” |
1 |
2241 |
|
“ फ़िरओन से जिब्रईल का बदला ” |
1 |
2242 |
|
“ सब्र न करना हर पाप की सुरक्षा करता है ” |
1 |
2243 |
|
“ आप ﷺ का कमज़ोर लोगों का ध्यान रखना ” |
1 |
2244 |
|
“ अकेले में की गई बुराइयां सामने किये गए अच्छे कर्मों को डुबो देती हैं ” |
1 |
2245 |
|
“ अच्छे कर्मों को गुप्त रखना चाहिए ” |
1 |
2246 |
|
“ बुराइयों में इस उम्मत का पिछली उम्मतों की पैरवी करना ” |
1 |
2247 |
|
“ मोमिन से कभी कभी पाप होते रहते हैं ” |
1 |
2248 |
|
“ पाप का मनहूस होना ” |
1 |
2249 |
|
“ पाप के बाद नेकी करने की नसीहत ” |
1 |
2250 |
|
“ तोबा और इस्तग़फ़ार का हुक्म ” |
1 |
2251 |
|
“ तोबा से पापों का क्षमा होजाना ” |
2 |
2252 سے 2253 |
|
“ अल्लाह तआला पाप क्षमा कर देता है ” |
6 |
2254 سے 2259 |
|
“ स्वार्थ पाप से कम नहीं है ” |
1 |
2260 |
|
“ हर जीवित चीज़ की सेवा में सवाब है ” |
1 |
2261 |
|
“ हिसाब किताब के दिन असाधारण कर्म साधारण दिखाई देंगे ” |
1 |
2262 |
|
“ रिज़्क़ बंदे का पीछा करता है ” |
1 |
2263 |
|
“ अल्लाह पर तवक्कल करना ” |
1 |
2264 |
|
“ कई कारणों से ईमान में उतार-चढ़ाव आता है ” |
3 |
2265 سے 2267 |
|
“ दिल की हालत बदलती रहती है ” |
1 |
2268 |
|
“ कौन सा माल अच्छा है ? ” |
1 |
2269 |
|
“ एक ही दिन में रोज़ा रखने ، बीमारों की देखभाल करने ، जनाज़े में शामिल होने और गरीबों को खाना खिलाने की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2270 |
|
“ शांति ، स्वास्थ्य और जीवन के लिए काफ़ी रिज़्क़ की एहमियत ” |
1 |
2271 |
|
“ हर इन्सान की अच्छी या बुरी पहचान आसमान पर होती है ” |
1 |
2272 |
|
“ मुसलामनों की मिसाल बारिश की तरह क्यों ” |
1 |
2273 |
|
“ मोमिन परीक्षाओं से अच्छी शिक्षा लेता है ” |
2 |
2274 سے 2275 |
|
“ मोमिन की मिसाल खजूर के पेड़ के जैसी है ” |
1 |
2276 |
|
“ मोमिन के रस्ते से तकलीफ़ देने वाली चीज़ को हटाना जन्नत का कारण है ” |
1 |
2277 |
|
“ अल्लाह तआला के हाँ अपना दर्जा जानने का तरीक़ा ” |
1 |
2278 |
|
“ लोगों की परवाह किए बिना अल्लाह तआला को ख़ुश करने की बरकत और अल्लाह तआला की परवाह किए बिना लोगों को ख़ुश करने का दुर्भाग्य ” |
1 |
2279 |
|
“ जंगल में रहने ، शिकार का पीछा करने और राजाओं के द्वार पर आने का दुर्भाग्य ” |
1 |
2280 |
|
“ पिता के दोस्तों के साथ संबंध बनाना नेकी है ” |
1 |
2281 |
|
“ जन्नत जैसी बहुमूल्य चीज़ का मिलना मुश्किल होता है ” |
2 |
2282 سے 2283 |
|
“ किसी मुसलमान की बुराइयों पर पर्दा डालने की फ़ज़ीलत ” |
1 |
2284 |
|
“ दोग़लेपन का बोझ ” |
1 |
2285 |
|
“ आख़िरत की चिंता और दुनिया की चिंता करने वाले से अल्लाह का मामला ” |
2 |
2286 سے 2287 |
|
“ सवाब का वादा पूरा होगा ، लेकिन अज़ाब का वादा... ” |
1 |
2288 |
|
“ हराम चीज़ों से बचने और बहुत न हँसने के लाभ ” |
2 |
2289 سے 2290 |
|
“ आदम की औलाद मिट्टी से है ” |
1 |
2291 |
|
“ कौन सा मोमिन जन्नत के रस्ते पर चल रहा होता है ? ” |
1 |
2292 |
|
“ जहाँ अज़ाब आया हो वहां से कैसे गुज़रा जाए ” |
2 |
2293 سے 2294 |
|
“ यदि अल्लाह को अपने बंदों से प्यार है ، तो जहन्नम का क्या मतलब ? ” |
1 |
2295 |
|
“ इबादत के बावजूद डरने का क्या मतलब है ? बहुत अधिक इबादत से और अधिक इबादत होती है ” |
1 |
2296 |
|
“ अल्लाह ने सच्चे दीन की रक्षा कैसे की ? ” |
1 |
2297 |
|
“ मोमिन अपने आप को कैसे रुस्वा करता है ” |
1 |
2298 |
|
“ कंजूसी घातक है ، ज़ुल्म का परिचय और उसका बुरा अंत ” |
1 |
2299 |
|
“ कंजूसी से छुटकारा कैसे पाएं ? धन के माध्यम से अज़ाब से छुटकारा कैसे पाएं ” |
1 |
2300 |
|
“ जिहाद ، रोज़े और सदक़ह की फ़ज़ीलत अच्छे शब्द वरदान होते हैं ، चुप रहने में सुरक्षा है ، शब्द भी जहन्नम का कारण बनते हैं ” |
1 |
2301 |
|
“ दिखावे के काम और गुप्त वासना के बारे में चिंता करना ” |
1 |
2302 |
|
“ साधारण मोमिन भी शरण दे सकता है ” |
1 |
2303 |
|